पूनम गौड़, नोएडा
बोर्ड एग्जाम का समय है और बच्चे इनकी तैयारियों में व्यस्त हैं। एग्जाम को लेकर बच्चों पर टेंशन भी हावी है। ऐसे में मां का रोल काफी अहम हो जाता है। उन्हें घर में पॉजिटिव माहौल बनाने के साथ बच्चे की हेल्थ और तैयारियों पर भी ध्यान देना होता है। ऐसे में मां पर भी तनाव रहता है। हम बता रहे हैं कि बच्चों की तैयारियों में आप किस तरह मदद कर सकते हैं।
सेक्टर-110 की चाइल्ड बिहेवियर एक्सपर्ट डॉ. प्राची बागची के अनुसार एग्जाम करीब आते ही ज्यादातर स्टूडेंट खाना-पीना और सोना, सब छोड़ देते हैं। इससे उनकी सेहत और याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है। इतना ही नहीं, रात भर जागकर पढ़ने के लिए कई स्टूडेंट एप्टॉइन, कफ सिरप व लेबर पेन की दवाओं का दुरुपयोग भी करते हैं। इससे कई तरह के साइड इफेक्ट्स का खतरा बढ़ता है। करीब चार साल पहले वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने देश के टॉप स्कूलों में एक स्टडी की थी। इसके मुताबिक 15 पर्सेंट बच्चे देर तक जागकर पढ़ने के लिए दवाओं का दुरुपयोग करते हैं। धीरे-धीरे उन्हें इन चीजों की लत पड़ जाती है और कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं।
क्या है एग्जाम फोबिया
एग्जाम फोबिया एक ऐसी मानसिक दशा है कि जिसमें एग्जाम के डर और घबराहट की वजह से स्टूडेंट्स का उर्जा स्तर गिरने लगता है और मानसिक और शारीरिक तनाव के साथ-साथ मेमरी भी कम होने लगती है। स्टूडेंट्स को आसान से सब्जेक्ट भी कठिन लगने लगते हैं। उसके लिए बार-बार याद करने पर भी चीजों को याद करना कठिन हो जाता है। ऐसे में स्टूडेंट्स निराशा और हताशा जैसी मानसिक दशा में तेजी के साथ घिरने लगता है। बच्चे की ऐसी आंतरिक मनोदशा को ही एग्जाम फोबिया कहा जाता है।
एमिटी स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. रेनू सिंह ने बताया कि एग्जाम की तैयारी बच्चे को करनी होती है। लेकिन उसमें मां का रोल काफी अहम है। उन्होंने बताया कि किस तरह बच्चे को एग्जाम के लिए तैयार करवाया जा सकता है।
सही कारण जानें
सबसे पहले यह पता लगाए कि बच्चा को एग्जाम से डर क्यों लग रहा है। क्या आप की सही ढंग से तैयारी नहीं है? क्या उसको परीक्षा में फेल हो जाने का डर सता रहा है? क्या वह परीक्षा को लेकर आस-पास के वातावरण और लोगों के पूर्वानुमान से भयभीत है?
एग्जाम की सही तैयारी करवाएं
एग्जाम की तैयारी पूरी लगन, सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ करवाएं। बच्चों को नोट्स से तैयारी करवाएं। पिछले साल के सैंपल पेपर से उसे टेस्ट बनाकर दें। बच्चों को यह समझाएं कि मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है।
नकारात्मक व्यक्तियों से बचें
बच्चे के आसपास नकारात्मक विचारों के व्यक्ति को न आने दें। ऐसे व्यक्तियों का दृष्टिकोण काफी निराशावादी होता है और वे हमेशा नकारात्मक सुझाव देते हैं। ऐसे लोगों का संपर्क आपके बच्चे के आत्मविश्वास को कम कर सकता है।
वातावरण में बदलाव करें
यदि बच्चा एग्जाम फोबिया से परेशान है तो घर के वातावरण को बदलें। सुबह-शाम बच्चे के साथ सैर पर जाएं। पॉजिटिव लोगों और मित्रों से मिलें। पारिवारिक आयोजनों में भाग लें, रोचक और ज्ञानवर्धक टीवी प्रोग्राम देखें और प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़ें।
पर्याप्त नींद लेने को कहें
मानसिक तनाव को दूर करने के लिए कम से कम छह से आठ घंटे की गहरी नींद बच्चों को दें। पर्याप्त नींद लेने से मानसिक और शारीरिक थकान को दूर करने में सहायता मिलती है। इसके साथ साथ मन की एकाग्रता को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से ध्यान (मेडिटेशन) करें।
संतुलित भोजन लें
यदि परीक्षा के दिनों में बच्चों को भारी और तला-भुना भोजन करवाएंगी तो उसकी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का स्तर गिरेगा। उसे जल्दी नींद आएगी। इसलिए उसे हल्की डाइट दें। अधिक मात्र में पेय पदार्थों का सेवन करवाएं।
सेक्टर-50 की रूपश्री दास ने बताया कि उनकी बेटी की परीक्षा है। वह दिन-रात तैयारियों में रहती है। लेकिन वह उसकी डाइट का ख्याल रखती हैं। उसे यलो लाइट में पढ़ने की बजाय वाइट लाइट में पढ़ाती हैं। बीच बीच में कुछ खाने को देती हैं। साथ ही सुबह-शाम वॉक पर जरूर भेजती हैं।
सेक्टर-61 की चाइल्ड काउंसलर शिल्पी घोष ने बताया कि बच्चे की आदतों को पहचानना जरूरी है। कुछ बच्चे लिखकर अच्छा याद करते हैं तो कुछ जोर-जोर से बोल कर। ऐसे में बच्चे पर आदत बदलने का दबाव न डालें। उससे उनका मनोबल बढ़ाने वाली बात करें। अनावश्यक दबाव न बनाएं।
बोर्ड एग्जाम का समय है और बच्चे इनकी तैयारियों में व्यस्त हैं। एग्जाम को लेकर बच्चों पर टेंशन भी हावी है। ऐसे में मां का रोल काफी अहम हो जाता है। उन्हें घर में पॉजिटिव माहौल बनाने के साथ बच्चे की हेल्थ और तैयारियों पर भी ध्यान देना होता है। ऐसे में मां पर भी तनाव रहता है। हम बता रहे हैं कि बच्चों की तैयारियों में आप किस तरह मदद कर सकते हैं।
सेक्टर-110 की चाइल्ड बिहेवियर एक्सपर्ट डॉ. प्राची बागची के अनुसार एग्जाम करीब आते ही ज्यादातर स्टूडेंट खाना-पीना और सोना, सब छोड़ देते हैं। इससे उनकी सेहत और याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है। इतना ही नहीं, रात भर जागकर पढ़ने के लिए कई स्टूडेंट एप्टॉइन, कफ सिरप व लेबर पेन की दवाओं का दुरुपयोग भी करते हैं। इससे कई तरह के साइड इफेक्ट्स का खतरा बढ़ता है। करीब चार साल पहले वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने देश के टॉप स्कूलों में एक स्टडी की थी। इसके मुताबिक 15 पर्सेंट बच्चे देर तक जागकर पढ़ने के लिए दवाओं का दुरुपयोग करते हैं। धीरे-धीरे उन्हें इन चीजों की लत पड़ जाती है और कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं।
क्या है एग्जाम फोबिया
एग्जाम फोबिया एक ऐसी मानसिक दशा है कि जिसमें एग्जाम के डर और घबराहट की वजह से स्टूडेंट्स का उर्जा स्तर गिरने लगता है और मानसिक और शारीरिक तनाव के साथ-साथ मेमरी भी कम होने लगती है। स्टूडेंट्स को आसान से सब्जेक्ट भी कठिन लगने लगते हैं। उसके लिए बार-बार याद करने पर भी चीजों को याद करना कठिन हो जाता है। ऐसे में स्टूडेंट्स निराशा और हताशा जैसी मानसिक दशा में तेजी के साथ घिरने लगता है। बच्चे की ऐसी आंतरिक मनोदशा को ही एग्जाम फोबिया कहा जाता है।
एमिटी स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. रेनू सिंह ने बताया कि एग्जाम की तैयारी बच्चे को करनी होती है। लेकिन उसमें मां का रोल काफी अहम है। उन्होंने बताया कि किस तरह बच्चे को एग्जाम के लिए तैयार करवाया जा सकता है।
सही कारण जानें
सबसे पहले यह पता लगाए कि बच्चा को एग्जाम से डर क्यों लग रहा है। क्या आप की सही ढंग से तैयारी नहीं है? क्या उसको परीक्षा में फेल हो जाने का डर सता रहा है? क्या वह परीक्षा को लेकर आस-पास के वातावरण और लोगों के पूर्वानुमान से भयभीत है?
एग्जाम की सही तैयारी करवाएं
एग्जाम की तैयारी पूरी लगन, सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ करवाएं। बच्चों को नोट्स से तैयारी करवाएं। पिछले साल के सैंपल पेपर से उसे टेस्ट बनाकर दें। बच्चों को यह समझाएं कि मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है।
नकारात्मक व्यक्तियों से बचें
बच्चे के आसपास नकारात्मक विचारों के व्यक्ति को न आने दें। ऐसे व्यक्तियों का दृष्टिकोण काफी निराशावादी होता है और वे हमेशा नकारात्मक सुझाव देते हैं। ऐसे लोगों का संपर्क आपके बच्चे के आत्मविश्वास को कम कर सकता है।
वातावरण में बदलाव करें
यदि बच्चा एग्जाम फोबिया से परेशान है तो घर के वातावरण को बदलें। सुबह-शाम बच्चे के साथ सैर पर जाएं। पॉजिटिव लोगों और मित्रों से मिलें। पारिवारिक आयोजनों में भाग लें, रोचक और ज्ञानवर्धक टीवी प्रोग्राम देखें और प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़ें।
पर्याप्त नींद लेने को कहें
मानसिक तनाव को दूर करने के लिए कम से कम छह से आठ घंटे की गहरी नींद बच्चों को दें। पर्याप्त नींद लेने से मानसिक और शारीरिक थकान को दूर करने में सहायता मिलती है। इसके साथ साथ मन की एकाग्रता को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से ध्यान (मेडिटेशन) करें।
संतुलित भोजन लें
यदि परीक्षा के दिनों में बच्चों को भारी और तला-भुना भोजन करवाएंगी तो उसकी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का स्तर गिरेगा। उसे जल्दी नींद आएगी। इसलिए उसे हल्की डाइट दें। अधिक मात्र में पेय पदार्थों का सेवन करवाएं।
सेक्टर-50 की रूपश्री दास ने बताया कि उनकी बेटी की परीक्षा है। वह दिन-रात तैयारियों में रहती है। लेकिन वह उसकी डाइट का ख्याल रखती हैं। उसे यलो लाइट में पढ़ने की बजाय वाइट लाइट में पढ़ाती हैं। बीच बीच में कुछ खाने को देती हैं। साथ ही सुबह-शाम वॉक पर जरूर भेजती हैं।
सेक्टर-61 की चाइल्ड काउंसलर शिल्पी घोष ने बताया कि बच्चे की आदतों को पहचानना जरूरी है। कुछ बच्चे लिखकर अच्छा याद करते हैं तो कुछ जोर-जोर से बोल कर। ऐसे में बच्चे पर आदत बदलने का दबाव न डालें। उससे उनका मनोबल बढ़ाने वाली बात करें। अनावश्यक दबाव न बनाएं।
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