फरीदाबाद
परीक्षा के दौरान बच्चों को दबाव बनाकर लैपटॉप और मोबाइल आदि से दूर न करें, बल्कि उन्हें सीमित समय के लिए बिना किसी मानसिक तनाव के गैजेट्स का उपयोग करने की आजादी दें। बच्चों को खुद प्रयास करना चाहिए कि वह एग्जाम टाइम में सोशल मीडिया आदि से दूर रहें। इससे एकाग्रता प्रभावित होती है। ऐसे में यह आवश्यक है कि बच्चे तनावरहित होकर सामान्य ढंग से परीक्षा की तैयारी करें। पैरंट्स को लगता है कि ज्यादा देर तक पढ़ने से ही बच्चे अच्छे मार्क्स ला सकते हैं, लेकिन एग्जाम की तैयारी के वक्त कुछ सावधानियां बरती जाएं तो सफलता हासिल होगी और सेहत भी प्रभावित नहीं होगी।
डिवाइन पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल विकास गोसाईं का कहना है कि बच्चे सालभर पढ़ने के बजाय कुछ दिन में पूरा अध्ययन करने का प्रयास करते हैं। उन्हें लगता है कि सिलेबस अधिक नहीं है और चंद दिन में परीक्षा की तैयारी हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं होता। बच्चे बार-बार भूलने की समस्या से जूझते हैं और इसी तनाव में वह परीक्षा की बेहतर तैयारी नहीं कर पाते। वह कई बार तनाव में आ जाते हैं। इससे बच्चों की सेहत भी प्रभावित होती है।
वहीं, बच्चे कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल के अलावा अन्य गैजेट्स के साथ भी समय बिताते हैं। एग्जाम टाइम में माता-पिता बच्चों को कंप्यूटर-मोबाइल आदि से पूरी तरह दूर रहने को कहते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। इंटरनेट के जमाने में कंप्यूटर और मोबाइल की उपयोगिता बढ़ गई है। सोशल मीडिया और विभिन्न वेबसाइट के जरिए भी बच्चे एग्जाम के लिए अच्छी जानकारी जुटा सकते हैं, लेकिन यह तभी संभव है, जब बच्चे पढ़ाई के प्रति संवेदनशील हों। ज्यादातर बच्चे सोशल मीडिया के जरिए सिर्फ दोस्तों से संपर्क बनाए रखने के लिए ही गैजेट्स का उपयोग करते हैं। कुछ बच्चों को इसकी आदत भी हो जाती है। ऐसे में यदि अभिभावक बच्चों पर सीधे गैजेट्स से दूरी बनाने का दबाव बनाएंगे तो बच्चे तनाव में आ सकते हैं।
अभिभावकों को समझना चाहिए कि जिन गैजेट्स का बच्चा उपयोग कर रहा है, उसकी उसे आदत है और दिनभर में जब तक वह उसका इस्तेमाल नहीं करेगा, तब तक पढ़ाई में एकाग्रता बनाए रखना संभव नहीं है। ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को गैजेट्स के उपयोग को लेकर समझाएं। उन्हें यह बताने का प्रयास करें कि उनके लिए जितने जरूरी गैजेट्स हैं, उतनी ही जरूरी पढ़ाई भी है। सिर्फ परीक्षा के दौरान सीमित समय के लिए गैजेट्स का उपयोग करें और ज्यादा ध्यान अपनी पढ़ाई पर दें तो उन्हें सफलता मिल सकती है।
पंडित जवाहर लाल नेहरू कॉलेज के साइकॉलजी डिपार्टमेंट से रिटायर टीचर डॉ़ एसपी सिंह की मानें तो मोबाइल और लैपटॉप बच्चों के जीवन का हिस्सा बन गए हैं। जब कोई भी चीज जीवन का हिस्सा बन जाती है तो उससे दूरी बना पाना संभव नहीं होता। मोबाइल और इंटरनेट की आदत भी ऐसी ही है। अभिभावक गैजेट्स के इस्तेमाल पर रोक लगाएंगे तो बच्चा बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाएगा, क्योंकि बच्चे का पढ़ाई में मन ही नहीं लगेगा। वह तब तक बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकेगा, जब तक उसे सामान्य जीवनशैली न मिले। उसे गैजेट्स का उपयोग करने को मिले और वह सामान्य रूप से गैजेट्स का इस्तेमाल करे। अ
ब तो पढ़ाई का काफी हिस्सा इंटरनेट पर आधारित हो गया है। संचारक्रांति के बढ़ते दखल के चलते गैजेट्स से पूरी तरह दूरी बना पाना संभव नहीं है। बच्चों को प्रॉजेक्ट्स, नई-नई जानकारियां इंटरनेट के जरिए ही मिलती हैं, किंतु यहां अभिभावकों को इसका ध्यान शुरू से रखना चाहिए कि बच्चे अपनी पढ़ाई को लेकर पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर न हों। परीक्षा के दौरान अभिभावक प्रयास कर सकते हैं कि बच्चे मोबाइल और लैपटॉप से दूर रहें, लेकिन बच्चे नहीं मान रहे हैं तो गैजेट्स के साथ उनका समय निर्धारित कर दें। उन्हें पढ़ाई का महत्व समझाएं और पूरे ध्यान के साथ पढ़ने पर जोर दें।
परीक्षा के दौरान बच्चों को दबाव बनाकर लैपटॉप और मोबाइल आदि से दूर न करें, बल्कि उन्हें सीमित समय के लिए बिना किसी मानसिक तनाव के गैजेट्स का उपयोग करने की आजादी दें। बच्चों को खुद प्रयास करना चाहिए कि वह एग्जाम टाइम में सोशल मीडिया आदि से दूर रहें। इससे एकाग्रता प्रभावित होती है। ऐसे में यह आवश्यक है कि बच्चे तनावरहित होकर सामान्य ढंग से परीक्षा की तैयारी करें। पैरंट्स को लगता है कि ज्यादा देर तक पढ़ने से ही बच्चे अच्छे मार्क्स ला सकते हैं, लेकिन एग्जाम की तैयारी के वक्त कुछ सावधानियां बरती जाएं तो सफलता हासिल होगी और सेहत भी प्रभावित नहीं होगी।
डिवाइन पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल विकास गोसाईं का कहना है कि बच्चे सालभर पढ़ने के बजाय कुछ दिन में पूरा अध्ययन करने का प्रयास करते हैं। उन्हें लगता है कि सिलेबस अधिक नहीं है और चंद दिन में परीक्षा की तैयारी हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं होता। बच्चे बार-बार भूलने की समस्या से जूझते हैं और इसी तनाव में वह परीक्षा की बेहतर तैयारी नहीं कर पाते। वह कई बार तनाव में आ जाते हैं। इससे बच्चों की सेहत भी प्रभावित होती है।
वहीं, बच्चे कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल के अलावा अन्य गैजेट्स के साथ भी समय बिताते हैं। एग्जाम टाइम में माता-पिता बच्चों को कंप्यूटर-मोबाइल आदि से पूरी तरह दूर रहने को कहते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। इंटरनेट के जमाने में कंप्यूटर और मोबाइल की उपयोगिता बढ़ गई है। सोशल मीडिया और विभिन्न वेबसाइट के जरिए भी बच्चे एग्जाम के लिए अच्छी जानकारी जुटा सकते हैं, लेकिन यह तभी संभव है, जब बच्चे पढ़ाई के प्रति संवेदनशील हों। ज्यादातर बच्चे सोशल मीडिया के जरिए सिर्फ दोस्तों से संपर्क बनाए रखने के लिए ही गैजेट्स का उपयोग करते हैं। कुछ बच्चों को इसकी आदत भी हो जाती है। ऐसे में यदि अभिभावक बच्चों पर सीधे गैजेट्स से दूरी बनाने का दबाव बनाएंगे तो बच्चे तनाव में आ सकते हैं।
अभिभावकों को समझना चाहिए कि जिन गैजेट्स का बच्चा उपयोग कर रहा है, उसकी उसे आदत है और दिनभर में जब तक वह उसका इस्तेमाल नहीं करेगा, तब तक पढ़ाई में एकाग्रता बनाए रखना संभव नहीं है। ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को गैजेट्स के उपयोग को लेकर समझाएं। उन्हें यह बताने का प्रयास करें कि उनके लिए जितने जरूरी गैजेट्स हैं, उतनी ही जरूरी पढ़ाई भी है। सिर्फ परीक्षा के दौरान सीमित समय के लिए गैजेट्स का उपयोग करें और ज्यादा ध्यान अपनी पढ़ाई पर दें तो उन्हें सफलता मिल सकती है।
पंडित जवाहर लाल नेहरू कॉलेज के साइकॉलजी डिपार्टमेंट से रिटायर टीचर डॉ़ एसपी सिंह की मानें तो मोबाइल और लैपटॉप बच्चों के जीवन का हिस्सा बन गए हैं। जब कोई भी चीज जीवन का हिस्सा बन जाती है तो उससे दूरी बना पाना संभव नहीं होता। मोबाइल और इंटरनेट की आदत भी ऐसी ही है। अभिभावक गैजेट्स के इस्तेमाल पर रोक लगाएंगे तो बच्चा बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाएगा, क्योंकि बच्चे का पढ़ाई में मन ही नहीं लगेगा। वह तब तक बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकेगा, जब तक उसे सामान्य जीवनशैली न मिले। उसे गैजेट्स का उपयोग करने को मिले और वह सामान्य रूप से गैजेट्स का इस्तेमाल करे। अ
ब तो पढ़ाई का काफी हिस्सा इंटरनेट पर आधारित हो गया है। संचारक्रांति के बढ़ते दखल के चलते गैजेट्स से पूरी तरह दूरी बना पाना संभव नहीं है। बच्चों को प्रॉजेक्ट्स, नई-नई जानकारियां इंटरनेट के जरिए ही मिलती हैं, किंतु यहां अभिभावकों को इसका ध्यान शुरू से रखना चाहिए कि बच्चे अपनी पढ़ाई को लेकर पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर न हों। परीक्षा के दौरान अभिभावक प्रयास कर सकते हैं कि बच्चे मोबाइल और लैपटॉप से दूर रहें, लेकिन बच्चे नहीं मान रहे हैं तो गैजेट्स के साथ उनका समय निर्धारित कर दें। उन्हें पढ़ाई का महत्व समझाएं और पूरे ध्यान के साथ पढ़ने पर जोर दें।
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