अब केवल मेहनत से अपना काम करते जाना की सफलता की कुंजी नहीं है। जमाना है एक्सिलेंस का। आपका संगठन इस बात की कद्र करता है कि आपने काम कितनी बेहतर तरीके से किया है। सारा खेल ही एक्सिलेंस का है। अब संगठन इस तरह के काम करने वालों की तलाश में रहते हैं जो अपना काम कमिटमेंट और परफेक्शन से करें और वह भी यह सोचे बिना कि उनके बॉस उन्हें देख रहे हैं। यह एक तरीके का ऐटिट्यूड है। जब भी कोई अपने काम को एक्सिलेंस के दर्जे तक ले जाता है यह दिखता है। एक बड़ी कंपनी के एच आर हेड का कहना है कि जब भी कोई कर्मचारी एक्सिलेंस के साथ काम करना चाहता है वह निश्चित ही अपना पूरा प्रयास लगन के साथ करता है और संगठन इसकी कद्र करता है। जरूरी नहीं कि एक्सिलेंस के लिए कोई भी अपना खून पसीना लगा दे या फिर ऑफिस में देर तक काम करे। यह सारा मामला तो स्मार्ट तरीके से काम करने का है। इस बात को समझना जरूरी है कि एक कर्मचारी वह है जो केवल काम करने के लिए ही काम कर रहा है और दूसरा इस बात को ध्यान रख कर रहा है कि उसे इस काम को स्मार्ट तरीके से करना है। इस तरीके के प्रयास पर संगठन की नजर हमेशा रहती है और इसका फल भी स्मार्ट तरीके से काम करने वाले को मिलता है।
इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि किसी भी कर्मचारी को किस तरह उसके गोल के साथ बांधे रखा जाए। एक्सिलेंस पाने के लिए बहुत जरूरी है कि कर्मचारी को इस बात का आभास हो कि उसके प्रयास संगठन के लिए महत्वपूर्ण हैं। एक्सिलेंस की तरफ बढ़ने वाला कर्मचारी न केवल अपने लिए आगे बढ़ने का रास्ता खोलता है बल्कि वह अपने साथियों और अपने नीचे काम करने वालों को भी इस रास्ते पर ले जाने का प्रयास करता है।
इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि किसी भी कर्मचारी को किस तरह उसके गोल के साथ बांधे रखा जाए। एक्सिलेंस पाने के लिए बहुत जरूरी है कि कर्मचारी को इस बात का आभास हो कि उसके प्रयास संगठन के लिए महत्वपूर्ण हैं। एक्सिलेंस की तरफ बढ़ने वाला कर्मचारी न केवल अपने लिए आगे बढ़ने का रास्ता खोलता है बल्कि वह अपने साथियों और अपने नीचे काम करने वालों को भी इस रास्ते पर ले जाने का प्रयास करता है।
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