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सीवी बना रहे हैं, तो ग्रामर के इस नियम का रखें ध्यान

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कहीं भी जब कुछ लिखा होता है तो उसमें अपर केस और लोअर केस में टेक्स्ट लिखे होने के अलग-अलग मायने होते हैं। इन्हें कब, कहां और कैसे यूज करना है, यह लैंग्वेज की ग्रामर पर निर्भर करता है। कभी-कभी लोअर/अपर केस परिपाटी या यूं कहें रिवाज के हिसाब से भी लगाए जाते हैं। अंग्रेजी भाषा में शब्द का पहला लेटर अपर केस में तब लगाया जाता है जब या तो वह वाक्य शुरू कर रहा हो या प्रॉपर नाउन हो। अगर प्रॉपर नाउन है तो फिर चाहे वह वाक्य में जहां भी आये, उसे अपर केस में ही लिखा जाएगा। सीवी में भी इस नियम का ध्यान रखना जरूरी है, नहीं तो यह बहुत ही बेढंगा लगता है।

यदि सीवी में ग्रामर के नियमों को नजरअंजाज करेंगे तो आपकी छवि धूमिल हो सकती है। उदाहरण के लिए, 'ims', 'deoria', 'department of business administration', 'Karvy data management service ltd', 'university of lucknow'गलत हैं। ऐसे शब्दों को लिखने में अपर केस और लोअर केस के नियम का खास ध्यान रखना चाहिए।

यह भी जरूरी है कि आप टेक्निकल शब्दों पर भी ध्यान दें। 'gst' or 'gsp'की जगह 'GST' और 'GSP' लिखा जाएगा, जिनका मतलब क्रमश: Goods and Services Tax और GST Suvidha Provider है। अगर इन्हें लोअर केस में लिखा जाएगा तो ये अपना अर्थ नहीं बता पाएंगे। यहां यह भी याद रखने की जरूरत है कि एमएस ऑफिस में स्पेलचेक उन शब्दों की स्पेलिंग में गलतियां निकालने में असमर्थ होता है जो कैपिटल लेटर्स या एब्रीविएशन फॉर्म में लिखे होते हैं।


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