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जरा हटके हैं ये कोर्स, खूब मिलेंगे मौके

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अगर आपका पैशन और काम एक ही हो तो सफलता को कदम चूमने से कोई नहीं रोक सकता। डॉक्टर और इंजिनियर न बनकर अगर आप भी कुछ अलग करना चाहते हैं तो यहां हैं कुछ ऑफबीट कोर्सेज से जुड़ी जानकारी...

म्यूजियॉलजी में हैं बढ़िया मौके
अगर आपको संग्राहलय पसंद हैं साथ ही इतिहास और ऐंटीक्स के प्रति रुचि है तो म्यूजियॉलजी में डिग्री लेने से आप अपने पैशन को फॉर्मल एजुकेशन के साथ और बेहतर बना सकते हैं। म्यूजिऑलजी आर्कियॉलजी से ही जुड़ा विषय है, जिसमें म्यूजियम को व्यवस्थित रखना और प्रबंधन करना जिसमें डॉक्युमेंटेशन, रीसर्च, एग्जिबिशंस, कंजर्वेशन और म्यूजियम की सुरक्षा भी शामिल है, आते हैं। म्यूजियॉलजी में मास्टर्स की डिग्री के बाद आप क्यूरेटर, डॉक्यूमेंटेशन एक्सपर्ट, प्रफेसर जैसे पद पर नौकरी पा सकते हैं। पीएचडी करने के बाद आप आर्कियॉलजी, आर्ट हिस्ट्री, ऐंथ्रोपॉलजी, मैनेजमेंट और कल्चरल हेरिटेज की फील्ड में भी काम कर सकते हैं।

बड़ौदा यूनिवर्सिटी में म्यूजियॉलजी डिपार्टमेंट हेड संजय जैन बताते हैं, 'म्यूजियॉलजी के लिए सीटें लिमिटेड हैं, जिन लोगों को इस फील्ड में रुचि है वही आते हैं क्योंकि यह करियर मेनस्ट्रीम में नहीं माना जाता।' नैशनल म्यूजियम इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली में एमए म्यूजियॉलजी में 15 सीटें हैं जिसके लिए इंस्टिट्यूट में हर साल 150 ऐप्लिकेशन आते हैं। दूसरी यूनिवर्सिटीज जिनमें राजस्थान यूनिवर्सिटी, जम्मू यूनिवर्सिटी, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा म्यूजियॉलजी में डिप्लोमा और डिग्री कोर्स चलाती हैं।

पपेट्री है हटके करियर
मुंबई यूनिवर्सिटी पपेट्री में 4 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स करवाती है। यह कोर्स वहां 5 साल पहले शुरू हुआ था औऱ अभी भी पूरे देश में यह पहला कोर्स है। कोर्स के सिलेबस में पपेट्री का इतिहास, पपेट डॉल बनाना, स्क्रिप्ट लिखना, मॉडर्न पपेट्री, प्ले और लोक कथा सुनाना, शामिल हैं।

यूनिवर्सिटी की कोर्स हेड मीना नाईक का कहना है, 'भारत में पपेट्री कला दम तोड़ रही है क्योंकि लोग पपेट्री को मनोरंजन से आगे नहीं देख पाते और वे नहीं समझ पाते कि इसका स्कोप पढ़ाने, सोशल वर्क और काउंसिलिंग वगैरह में भी है।' पपेट्री को कई स्ट्रीम्स के साथ जोड़ा जा सकता है जैसे काउंसिलिंग में पपेट थेरपी, लैंग्वेज डिवेलपमेंट, सोशल वर्क, थिअटर। इस साल इस कोर्स की शुरुआत अगस्त में होगी।

लेदर गुड्स ऐंड अक्सेसरीज डिजाइन में अपार संभावना
भारत में फैशन डिजाइनिंग में ही लेदर डिजाइनिंग तेजी से बढ़ने वाली फील्ड है। कई प्रॉडक्ट्स जैसे, फुटविअर, बेल्ट्स और बैग्स वगैरह भारत में बनते और विदेशों तक में एक्सपोर्ट किए जाते हैं। इस वजह से इस फील्ड में काफी स्कोप है। फुटविअर डिजाइन ऐंड डिवेलपमेंट इंस्टिट्यूट (एफडीडीआई), कोलकाता में लेदर गुड्स ऐंड अक्सेसरीज डिपार्टमेंट हेड बासुमित्र घोष बताते हैं, 'ज्यादातर लोगों को फैशन डिजाइनिंग के बारे में पता होता है लेकिन इसके स्पेशलाइजेशंस के बारे में जानकारी नहीं होती। ऐसा इसलिए है कि ऐसे ऑफबीट कोर्स सरकारी संस्थानों में होते हैं, जिनकी मार्केटिंग नहीं होती।'

आप प्रडक्शन ऐनालिस्ट, मर्चेंडाइजर, डिजाइनर बनने के साथ विश्व विख्यात ब्रैंड्स जैसे प्राडा और गुच्ची के साथ भी काम कर सकते हैं। गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग ऐंड लेदर टेक्नॉलजी, कोलकाता, कर्नाटक इंस्टिट्यूट ऑफ लेदर टेक्नॉलजी, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन डिजाइनिंग, सेंट्रल फुटविअर ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट आगरा जैसे इंस्टिट्यूट्स लेदर गुड्स ऐंड अक्सेसरीज डिजाइनिंग कोर्स चलाते हैं।

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