Quantcast
Channel: Career Expert Advice: करियर सलाह, Get Free Expert Advice About Your Career, Career Advice, एग्जाम प्रिपरेशन टिप्स, Exam Preparaion Tips
Viewing all articles
Browse latest Browse all 889

12th CBSE: टॉपर्स से जानें टॉप करने के टिप्स

$
0
0

12वीं बोर्ड की परीक्षा नजदीक है। ऐसे में तैयारी को वॉर लेवल पर लाने का वक्त आ चुका है। आपकी तैयारी दनादन होती रहे, इसके लिए हमने 2018 के 7 CBSE टॉपर्स से बात की। 98% से लेकर 99.6% अंक हासिल करने वाले ये टॉपर्स दे रहे आपको टॉपर बनने के टिप्स। बोर्ड परीक्षा की तैयारियों की तकनीक और ज्यादा से ज्यादा अंक पाने की कारगर रणनीति के बारे में उन्होंने विस्तार से हमें बताया। पूरी जानकारी दे रहे हैं लोकेश के. भारती

बोर्ड की तैयारी लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म?
तैयारी के लिए शॉर्ट टर्म जैसी कोई चीज नहीं होती। ज्यादा अंक के लिए तीन अहम बातें हैं...

हर दिन पढ़ाई: यह मुमकिन नहीं कि सालभर किसी ने कुछ भी पढ़ाई नहीं की और 2 महीने पढ़कर 98% मार्क्स पा ले। अगर आप स्कूल में साल भर 60% मार्क्स लाते रहे हैं तो 2 महीने की रात-दिन पढ़ाई से 80 या 90% तक पहुंच सकते हैं, लेकिन 98% पाने के लिए आपको साल भर हर दिन पढ़ना पड़ेगा। सोमवार की पढ़ाई को मंगलवार पर नहीं डाल सकते क्योंकि मंगलवार की पढ़ाई भी उसमें अलग से जुड़ जाएगी और इसी तरह होम वर्क के पहाड़ बनते चले जाएंगे। इसलिए लगातार पढ़ना ही सबसे अच्छा और सरल रास्ता है।

सेल्फ स्टडी: स्कूल और कोचिंग में कुछ भी पढ़ा दे, कितना भी पढ़ा दे और कैसे भी पढ़ा दे, अगर हम खुद से नहीं पढ़ेंगे तो कुछ नहीं होगा। अच्छे मार्क्स के लिए सेल्फ स्टडी सबसे जरूरी है।
स्मार्ट वर्क: जरूरी यह नहीं है कि दूसरों को दिखाने के लिए 18 से 20 घंटे की पढ़ाई करें। महीने में एक-दो दिन ही आप 18 घंटे पढ़ सकते हैं। हर दिन यह मुमकिन नहीं। ऐसे में आप जितना भी पढ़ें, सही ढंग से और कूल माइंड से पढ़ें, यह जरूरी है। हमेशा लिखकर और समझकर पढ़ें।

कितने घंटे की पढ़ाई?
इस मुद्दे पर टॉपर्स की राय कुछ हद तक बंटी हुई है। इसे हम सब्जेक्ट वाइज समझ सकते हैं।

कॉमर्स के स्कोरर
आयुष: मैंने पूरे साल हर दिन 8-10 घंटे की पढ़ाई भी नहीं की। स्कूल के अलावा हर दिन 2 घंटे पढ़ता था मैं, लेकिन इन 2 घंटो में दुनिया-जहां से कटकर सिर्फ और सिर्फ पढ़ता था। दरअसल, लगातार पढ़ने के बहुत फायदे हैं। बोर्ड से लगभग 45 दिन पहले मैंने अपनी रणनीति बदल दी। मैंने रिविजन की जो प्लैनिंग की थी, उसमें 30 दिन तक मैंने 6 घंटे पढ़ाई के लिए तय किए, बाकी के 15 दिनों के लिए मैंने कुछ भी निश्चित नहीं किया। जब जो मन किया, उसकी पढ़ाई कर ली। मैं अच्छी स्थिति में इसलिए था क्योंकि मैंने पूरे साल एक दिन की भी पढ़ाई दूसरे दिन पर नहीं डाली। जिस दिन जितनी पढ़ाई निश्चित की थी, उसे तारीख बदलने से पहले मैंने खत्म किया। मैंने ट्यूशन नहीं ली। पूरी पढ़ाई स्कूल की मदद से खुद ही की।

विक्रमादित्य: मैंने बोर्ड का बहुत ज्यादा स्ट्रेस कभी नहीं लिया। वैसे, जब बोर्ड शुरू होने में कुछ ही दिन बचे थे तो कुछ टेंशन हुआ, लेकिन जब आप लगातार पढ़ाई करते हो तो परेशानी नहीं होती। मैंने क्लास नोट्स पर यकीन किया। अपने कंटेंट पर ज्यादा ध्यान दिया। मैंने भी शुरू से ही हर दिन 2 से 3 घंटे की पढ़ाई की। हां, रिविजन पर खूब सारा टाइम मैंने लगाया।

किताबें: सभी सब्जेक्ट्स के लिए क्लास नोट्स, एनसीईआरटी के दोनों पार्ट और Exemplar
इनके अलावा
Maths: NCERT, R.D. SHARMA
Accounts: T. S. Grewal
Economics: T. R. Jain & V. K. Ohri, Sandeep Garg
BST: Subhash Dey
साइंस के स्कोरर
सिद्धांत: मुझे साइंस में हमेशा से दिलचस्पी रही है। बाकी सब्जेक्ट पर मेरा ध्यान ही नहीं जाता। 12वीं ही नहीं, मैंने तो 11वीं में भी हर दिन 7 घंटे की पढ़ाई की थी। साइंस में करियर बनाने के लिए मेहनत तो करनी ही पड़ेगी। जब बोर्ड पेपर्स में दो महीने का वक्त बचा था तो पढ़ने का समय 2 से 3 घंटे और बढ़ गए थे।

उत्कर्ष: साइंस वालों को ज्यादा पढ़ना पड़ता है। मैं तो शुरू से ही 7 से 8 घंटे की पढ़ाई कर रहा था। जब बोर्ड एग्जाम्स नजदीक आए तो मैंने इसे और बढ़ा दिया। तब 12 से 14 घंटे तक पढ़ता था मैं।

क्षितिज: मैं 9वीं से ही 6 से 7 घंटे की पढ़ाई कर रहा था। 11वीं में आकर यह और भी बढ़ गया। 12वीं में तो स्कूल, कोचिंग के अलावा सेल्फ स्टडी भी अहम थी। ऐसे में मैं पढ़ता ही रहता था, खेलने पर भी ध्यान नहीं जाता था।

ह्यूमैनिटीज के स्कोरर
अनुष्का और शिवानी: दोनों मानती हैं कि अच्छे अंकों से आत्मविश्वास जगता है। ऐसे में दोनों ही बोर्ड में भी बहुत अच्छा करना चाहती थीं। स्कूल के अलावा जो भी वक्त मिलता था, उसमें बस पढ़ाई करती थीं। यह 6 से 10 घंटे या इससे भी ज्यादा हो जाता था। उन्होंने बताया कि उनके दो पेपर लगातार हो गए थे तो वे एक पेपर देकर आईं और फिर पूरी रात जागकर रिविजन में लगी रहीं। उन्होंने बताया कि ह्मूमैनिटीज में ज्यादा लिखना भी पड़ता है, इसलिए आपकी तैयारी पूरी होनी चाहिए।

बेहतर इंग्लिश से ही मिलेंगे बेहतर मार्क्स

आपकी स्ट्रीम चाहे कोई भी हों, अच्छी इंग्लिश के बिना अच्छे मार्क्स नहीं आ सकते। बेहतर अंक पाने के लिए बेहतर इंग्लिश जरूरी है ताकि आप जो जानते हैं, उसे सही से समझाकर पेपर लिख सकें। वैसे भी इंग्लिश इकलौता ऐसा सब्जेक्ट है जिसे सभी स्टूडेंट्स पढ़ते हैं। इसमें ज्यादा मार्क्स पाना हमेशा से ही चुनौती रही है। वैसे, अगर कुछ बातों का ध्यान रखें तो मुश्किल आसान हो जाती है:
- इंग्लिश की तैयारी के लिए टेक्स्ट बुक के अलावा टेस्ट पेपर्स काफी अहम होते हैं। इसलिए टेस्ट पेपर्स जरूर हल करें।

एग्जाम हॉल में इंग्लिश का खास ध्यान
1. अमूमन माना जाता है कि जवाब में एक लाइन की इंट्रो जरूर दें। इनके अलावा, ज्यादा नंबर वाले सवाल के जवाब में तीन चीजें जरूर होनी चाहिए: काउज, इफेक्ट और सजेशन। यानी ये तीन पैरा तो जरूरी हैं, इसके अलावा आप जो लिख पाएं।
2. जवाब के लिए सामान्य शब्दों का उपयोग ही करें। अगर पैराग्राफ राइटिंग कर रहे हों तो भी।
3. जो भी लिखें, वे आपके टैक्स्ट बुक से चुने हुए शब्दों और तथ्यों से संबंधित जरूर हों।
4. हेडिंग जरूर दें या कोई अहम बात हो तो उन्हें अंडरलाइन जरूर करें।

एग्जाम हॉल में दूसरे सब्जेक्ट्स के लिए काम की बात क्या हैं?

- मंत्र जरूर याद रखें: पेपर जल्दी में करो, जल्दबाजी में नहीं। मतलब सीधा-सा है। हॉल में पेपर जल्दी लिखकर खत्म करें, लेकिन ऐसे नहीं कि गलती कर दें।
- 15 मिनट सवाल पढ़ने के लिए दिए जाते हैं। उनका उपयोग जरूर करें। किसे पहले हल करना है और किसे बाद में, इसका निर्धारण कर क्वेश्चन पेपर पर नंबरिंग भी कर सकते हैं।
- इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने किस सवाल को पहले किया और किसे बाद में। हां, यह कोशिश जरूर हो कि एक सेक्शन के सारे सवाल एक साथ ही हल किए जाएं।
- हाथ में क्वेश्चन पेपर हो तो जवाब के बारे में पहले अपने दिमाग में विजुअली जरूर सोच लें कि जवाब किस तरह लिखेंगे। यह नहीं कि कुछ सोचा ही नहीं, बस लिखना ही शुरू कर दिया।
- हर बड़े सवाल को हल करने से पहले 2 मिनट का वक्त लगा सकते हैं, जिसमें आप उस सवाल के लिए पूरी योजना बना सकते हैं।
- रिविजन के लिए टाइम जरूर निकाल लें। यह रिविजन हर सवाल के जवाब के बाद भी कर सकते हैं या फिर पूरा पेपर लिखने के बाद। इससे छोटी गलतियां, जिनसे नंबर कम हो सकते हैं, दूर हो जाएंगी। आयुष ने बताया कि अगर उन्होंने रिविजन नहीं किया होता तो उसके अंक 95% से भी कम हो जाते।
- साइंस या मैथ्स के पेपर में तो रिविजन बेहद जरूरी है। कई बार जवाब में आप यूनिट लिखना छोड़ देते हैं। इससे जवाब सही होने के बाद भी अंक कट जाते हैं।
- साइंस, मैथ्स या अकाउंट्स के पेपर लिख रहे हों तो दूसरे पेज पर जाते समय कुछ खास बातों का ख्याल रखें। कई बार सवाल हल करते हुए एक पेज से दूसरे पेज पर जाकर हम कोई स्टेप ही मिस कर देते हैं या गलत अंक उतार लेते हैं। ऐसे में हमेशा पिछले पेज पर जाकर जरूर देखें कि आपने कहीं स्टेप मिस तो नहीं किया।
- लैंग्वेज या ह्यूमेनिटीज के पेपर में हेडिंग जरूर दें। हेडिंग को कैपिटल लेटर्स में भी लिख सकते हैं। उन्हें अंडरलाइन तो जरूर कर दें।
- जल्दी लिखने के चक्कर में लिखावट बिगड़ जाए तो परेशान न हों, यह जरूर ध्यान रखें कि आपने जो लिखा है उसे जांचने वाला आसानी से पढ़ सके।
- आपके उत्तर में जो भी अहम शब्द या पॉइंट हैं, उन्हें पेंसिल से अंडरलाइन कर दें।
- रफ वर्क हमेशा लास्ट पेज पर करें।

क्या बोर्ड की तैयारी में मोबाइल रुकावट है?
इस पर ज्यादातर टॉपर्स का जवाब है कि ऐसा नहीं है। हां, मोबाइल अगर आपकी पढ़ाई में बाधा बन रहा है तो बिल्कुल आपको उससे दूर रहना चाहिए। कुछ टॉपर्स ने साफ कहा कि तैयारी के दौरान उनका मोबाइल से बिल्कुल भी सरोकार नहीं था तो ज्यादातर ने कहा कि मोबाइल का इस्तेमाल उन्होंने पढ़ाई के लिए किया, न कि सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहने के लिए। इनमें से सिर्फ एक टॉपर ही कुछ हद तक सोशल मीडिया पर ऐक्टिव थे। टॉपर्स का कहना है कि यह पैरंट्स से ज्यादा खुद का फैसला होना चाहिए कि मोबाइल का इस्तेमाल हमें करना है या नहीं, लेकिन इसके इस्तेमाल की कुछ लिमिट जरूर रखें। वैसे, जहां तक इन टॉपर्स की बात है तो कुछ को मोबाइल 12वीं के बाद यानी कॉलेज में ही मिला। 12वीं के दौरान जरूरत पड़ने पर मम्मी या पापा का मोबाइल इस्तेमाल करते थे।

क्रिकेट आदि खेले या नहीं?
हमारे टॉपर्स में से 5 ऐसे थे, जिन्होंने बोर्ड की तैयारी के दौरान खेल से अपना सरोकार कम ही रखा। हां, शरीर को ऐक्टिव रखने के लिए कभी-कभी लॉन टेनिस या टेबल टेनिस में उन्होंने रुचि जरूर दिखाई। क्षितिज ने बताया कि वह मेडिटेशन और वॉकिंग करते थे। वहीं, सिद्धांत ने बताया कि वह हर दिन योग करते थे। शिवानी और विक्रमादित्य ने कहा कि वे क्रिकेट खेलते रहे, लेकिन यह सब दिसंबर तक ही चला, उसके बाद बिल्कुल भी नहीं। चोट की आशंका जिसमें ज्यादा हो, उस खेल से दूरी रखने की हिदायत सभी ने दी।

पढ़ाई के दौरान म्यूजिक कितना सही?
सभी टॉपर्स ने एक सुर में यह बात कही कि म्यूजिक के साथ पढ़ाई मुमकिन नहीं। इससे पढ़ाई डिस्टर्ब होती है। इससे आपका ध्यान बंट जाता है। हां, इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक चल सकता है। पढ़ाई से जब मन ऊब जाए तो गाना सुनें या फिल्म देख लें। अनुष्का का कहना है कि वह एक दिन में बस एक टीवी शो देखती थी।

पढ़ाई से कितनी देर पर ब्रेक लें?
इसके लिए कोई निश्चित अवधि नहीं हो सकती। लगातार पढ़ाई के दौरान अमूमन आपको खुद महसूस होता है कि ब्रेक कब लेना है। यह 2 घंटे के बाद भी हो सकता है या 40 मिनट बाद भी। वैसे, ज्यादातर टॉपर्स ने कहा कि जब आप पढ़ने बैठें तो यह निश्चित कर लें कि इस चैप्टर या टॉपिक को याद करने या हल करने के बाद ही मैं ब्रेक लूंगा, यानी लक्ष्य निर्धारित कर ब्रेक तय करें। इससे पढ़ाई में आपका आत्मविश्वास भी जगता है।

बोर्ड की तैयारियों के आखिरी दौर में खाना-पीना कैसा रखें?
घर का खाना ही सबसे बेहतर है। अगर आप बाहर का खाना खाते हैं या फिर ज्यादा जंक फूड खाते हैं तो तबीयत खराब हो सकती है। अगर बोर्ड एग्जाम के करीब आपकी तबीयत बिगड़ जाती है तो पढ़ाई का बड़ा नुकसान हो सकता है।

बोर्ड की तैयारियों में क्या है टेस्ट पेपर्स का रोल?
टाइम मैनेजमेंट के लिए इससे ज्यादा हेल्पफुल दूसरा कुछ नहीं हो सकता। एग्जाम हॉल में यही अनुभव आपके काम आता है। तैयारी में इसका रोल सबसे अहम है। हालांकि इसके लिए यह जरूरी है कि आपके बेसिक्स क्लियर हों। इसके बाद जब आप टेस्ट पेपर्स सॉल्व करेंगे तो आत्मविश्वास भी जगेगा। यह ध्यान रखना जरूरी है कि आखिरी दिनों में टेस्ट पेपर्स उसी फॉर्मेट में हों, जैसे बोर्ड एग्जाम में मिलते हैं। टॉपर्स ने कहा कि बेहतर होगा कि ऐसे टेस्ट पेपर्स से प्रैक्टिस करें जिनमें सवाल इंग्लिश और हिंदी दोनों में हों। दरअसल, बोर्ड एग्जाम देते समय जब आप अचानक से एक साथ हिंदी और अंग्रेजी में सवाल देखते हैं तो अजीब-सा महसूस हो सकता है। पहले से ही आप अगर ऐसे कुछ पेपर्स देख चुके होंगे तो आपको अजीब नहीं लगेगा।

ग्रुप स्टडी से कोई फायदा होता है?
नहीं। सभी टॉपर्स ने एकसुर में ग्रुप स्टडी को नकार दिया। उनका कहना था कि ग्रुप में पढ़ाई बिल्कुल भी नहीं होती। पढ़ाई के अलावा सारी चीजें होती हैं। सुपर मंत्र: अगर कोई ग्रुप में आपके साथ पढ़ना चाहता है तो बेशर्म बन जाओ और उससे कन्नी काट लो। हां, नोट्स का लेन-देन मुमकिन है।

क्रश का क्या करें?
टॉपर्स ने कहा कि जब आपको अच्छे अंक लाने हैं तो इन सभी बातों पर ध्यान नहीं जाता। अगर किसी से गहरी दोस्ती है तो बोर्ड एग्जाम तक दूरी बना लें। अगर सामने वाला नहीं समझ रहा है तो उससे पूरी तरह से कट जाएं। हां, प्यार-मोहब्बत में होने वाली दिक्कतों को हैंडल कर सकते हैं तो परेशानी नहीं है, नहीं तो इसे बाय-बाय करना ही बेहतर है।

क्या दोस्तों का चुनाव भी सोच कर करें?
यह मुमकिन नहीं है। दोस्ती में कभी चुनाव नहीं होता। हां, पैरंट्स को यह लगता है कि कम अंक लाने वाले बच्चों से दोस्ती से पढ़ाई डिस्टर्ब हो जाती है, जबकि यह बिल्कुल भी सच नहीं है। यह तो और भी अच्छा है कि आपके दोस्तों के ग्रुप में अलग-अलग तरह के बच्चे हों। सारे पढ़ाकू दोस्तों का ग्रुप बोरिंग हो सकता है।

OMR शीट पर ध्यान देना कितना जरूरी?
एग्जाम हॉल में अगर आपने ओएमआर शीट भरने में गलती की तो यह मुमकिन है कि रिजल्ट आने में परेशानी हो। इसलिए इसकी प्रैक्टिस भी पहले ही कर लें।

नोट्स बनाएं या नहीं?
इस बात का फैसला स्टूडेंट पर निर्भर करता है। कॉमर्स वाले टॉपर्स का कहना था कि उन्होंने नोट्स बनाने पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, वहीं साइंस वालों ने फिजिक्स और केमिस्ट्री के की-पॉइंट्स एक कॉपी में बना लिए थे और उन्हें रिवाइज करते थे। ह्यूमेनिटीज वालों ने कहा कि उन्होंने नोट्स बनाए थे। दरअसल, ह्यूमेनिटीज वालों को जवाब विस्तार से लिखने पड़ते हैं, इसलिए नोट्स उनके लिए जरूरी है।

क्या बचे हुए दो महीनों में तैयारी हो सकती है?
असंभव तो कुछ भी नहीं है। इसका जवाब हां में दिया जा सकता है, लेकिन यहां यह ध्यान रखना होगा कि अगर आपकी तैयारी 30 फीसदी है तो रात-दिन लगकर आप उसे 60 या 70 फीसदी तक पहुंचा सकते हैं। अगर आपको 50% अंक मिलते रहे हैं तो उसे बढ़ाकर आप 85% या उससे ऊपर भी पहुंचा सकते हैं। एक टॉपर ने अपने बैच के एक ऐसे ही लड़के के बारे में बताया। उस लड़के को पूरे साल स्कूल एग्जाम्स में 55 से 57 फीसदी अंक ही मिले थे। उसने दो महीने जी-जान लगाकर तैयारी की और बोर्ड में 87% अंक मिले। इसलिए अगर दिल से कोशिश की जाए और सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दिया जाए तो यह मुमकिन है।

दो महीने में तैयारी के लिए क्या करें
1. सबसे पहले अगर बेसिक्स में प्रॉब्लम है तो उन्हें दूर करें। इसके लिए क्लास टीचर, ट्यूशन टीचर, कोचिंग, सीनियर्स, जिससे भी मदद मिले, जरूर लें।
2. किसी से क्लास नोट्स लें। इसमें फ्रेंड्स के अलावा क्लास टीचर आपकी मदद कर सकते हैं।
3. हर दिन पढ़ाई भी करें और रिवाइज भी।
4. आखिरी के 10 से 15 दिनों में टेस्ट पेपर को भी सॉल्व करें।
5. जैसे-जैसे तैयारी आगे बढ़ेगी, आत्मविश्वास भी जगेगा।

क्या प्री-बोर्ड के सवाल टफ होने चाहिए?
टॉपर्स ने कहा कि यह सच है कि प्री-बोर्ड के सवाल काफी टफ पूछे जाते हैं। इसके पीछे की वजह यह मानी जाती है कि प्री-बोर्ड में अच्छा करने के बाद बोर्ड में अगर टफ सवाल भी आएंगे तो परेशानी नहीं होगी। यह काफी हद तक सच भी है, लेकिन एक सचाई यह भी है कि बोर्ड में टफ सवालों के साथ आसान सवाल भी पूछे जाते हैं। इसलिए प्री-बोर्ड में अगर दोनों तरह के सवाल पूछे जाएं तो बेहतर होगा। इससे आत्मविश्वास डिगेगा नहीं। ओवर कॉन्फिडेंस भी नहीं आएगा।

क्या तैयारियों के आखिरी दौर में क्रैश कोर्स और ट्यूशन मददगार हैं?
ये दोनों मददगार हैं, लेकिन इन पर पूरी तरह निर्भर रहना सही फैसला नहीं है। जब तक आप खुद से नहीं जुटेंगे, अच्छे अंक नहीं मिल सकते। बोर्ड एग्जाम की तैयारी अगर आपने 12वीं में पहुंचने के साथ ही जोर-शोर से शुरू कर दी थी तो अब बचे हुए 2 महीनों में खुद से पढ़ना सही रहेगा। अगर परेशानी ज्यादा है तो ट्यूशन ले सकते हैं। क्रैश कोर्स उनके लिए है जिन्होंने सालभर काफी कम पढ़ाई की है और जल्दी से पास होने लायक तैयारी करना चाहते हैं। वैसे, क्रैश कोर्स भी कितना मददगार होगा, यह आपकी पढ़ाई पर ही निर्भर करेगा।

क्या टॉपर बनने की प्लैनिंग हो सकती है?
टॉपर्स ने इस सवाल का जवाब 'न' में दिया। सभी ने साफ तौर पर कहा कि उन्हें अच्छे अंक आएंगे, यह तो पता था, लेकिन यह बिल्कुल पता नहीं था कि कोई रैंक भी आएगी। अनुष्का ने बताया कि जब बोर्ड के पेपर हो गए तो उनके पापा ने पूछा था कि कैसा रहा? अनुष्का का जवाब था: अच्छा तो गया है, लेकिन पता नहीं कि रैंक कितना आएगा!

शानदार अंक पाने के 5 सूत्र क्या हैं?
1. हर दिन पढ़ाई और खुद पर भरोसा
2. टीचर्स का सम्मान
3. टेस्ट पेपर्स सॉल्व करना
4. एग्जाम हॉल में टेंशन-फ्री रहना
5. एग्जाम हॉल में रिविजन करना

प्रैक्टिकल की तैयारी कैसे करें?
यह अहम होता है। ऐसे में इसकी तैयारी भी दिसंबर तक पूरी कर लेनी चाहिए। इंटरव्यू में कुछ भी पूछा जा सकता है, इसलिए बार-बार पढ़ाई करनी चाहिए। सिलेबस जरूर कंप्लीट हों। CBSE की साइट cbse.nic.in इस मामले में काफी मददगार है।

आपका कैरक्टर आपको टॉपर बनाता है
इस पर क्षितिज ने एक दिलचस्प कहानी सुनाई। उसने कहा कि जहां वह कोचिंग करते थे, उनके साथ एक दूसरा लड़का भी था। कोचिंग में टेस्ट के दौरान उसकी रैंकिंग ऑल इंडिया लेवल पर 15 से 60 के बीच रहती थी। ज्यादातर टीचर्स और स्टूडेंट्स को लगता था कि आईआईटी में उस लड़के की रैंकिंग 100 के अंदर तो आ ही जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दरअसल, उसे घमंड हो गया था कि वह पढ़ने में बैच के दूसरे बच्चों से बहुत तेज है, उसकी बातों से भी ऐसा ही महसूस होता था। हुआ यह कि आईआईटी एग्जाम में जब शुरू के दो-तीन सवाल उससे हल नहीं हुए तो वह बहुत ज्यादा दबाव में आ गया और पेपर खराब कर बैठा। नतीजा यह हुआ कि उसकी रैंकिंग 3000 के भी पार चली गई। तो सबक यह है कि खूब पढ़ना-लिखना तो जरूरी है ही, आपका कैरक्टर भी यह तय करता है कि आप टॉपर होंगे या नहीं। विनम्र बने रहना आपको टॉपर बना सकता है।

सफलता के 7 सूत्रधार

Commerce
1. आयुष अग्रवाल
98.2% (डीपीएस, फरीदाबाद)
इकनॉमिक्स, मैथ्स, बीएसटी, अकांउटिंग, इंग्लिश
अब: SRCC से इकनॉमिक्स(ऑनर्स)
लक्ष्य: देश के बेहतरीन संस्थान से एमबीए करना


2. विक्रमादित्य त्यागी
98.6% (एमिटी इंटरनैशनल, नोएडा)
इकनॉमिक्स, मैथ्स, बीएसटी, अकांउटिंग, इंग्लिश
अब: SRCC से बीकॉम (ऑनर्स)
लक्ष्य: देश के बेहतरीन संस्थान से एमबीए करना

Science
3. सिद्धांत पांडा
98.4% (डीपीएस, आर. के. पुरम, नई दिल्ली)
विषय: फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स, कंप्यूटर साइंस, इंग्लिश
अब: जॉर्जिया टेक., अमेरिका से कंप्यूटर इंजीनियरिंग
लक्ष्य: स्पेस साइंस में करियर बनाना

4. क्षितिज आनंद
99.4% (सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल, गाजियाबाद )
विषय: फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स, पेंटिंग, इंग्लिश
अब: IIT, खड़गपुर (प. बंगाल) से ऐयरोस्पेस इंजीनियरिंग
लक्ष्य: प्रसिद्ध ऑर्गेनाइजेशन CERN में काम करना

5. उत्कर्ष प्रकाश
98% (डीपीएस, गाजियाबाद)
सब्जेक्ट: फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स, इंग्लिश और इकनॉमिक्स
अब: IIT, धारवाड़ (कर्नाटक) से मैकेनिकल इंजीनियिरंग
लक्ष्य: आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) में आगे बढ़ना।

Humanities
6. अनुष्का चंद्रा
99.6% (सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल, गाजियाबाद)
विषय: पॉलिटिकल साइंस, हिस्ट्री, इकनॉमिक्स, साइकॉलजी और इंग्लिश
अब: LSR से पॉलिटिकल साइंस से ग्रैजुएशन
लक्ष्य: UPSC क्रैक करना

. शिवानी गोस्वामी
98.8% (डीपीएस, गाजियाबाद)
विषय: पॉलिटिकल साइंस, हिस्ट्री, साइकॉलजी, जियो स्पेशल और इंग्लिश
अब: LSR से पॉलिटिकल साइंस से ग्रैजुएशन
लक्ष्य: इंटरनैशनल रिलेशन पर काम करना

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Viewing all articles
Browse latest Browse all 889

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>