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NEET नहीं हुआ क्लियर? आपके लिए हैं ये कोर्स

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मेडिकल और डेंटल कोर्सों में भारत और विदेश में पढ़ाई करने के लिए नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET-नीट) को क्लियर करना जरूरी है। नीट 2019 का रिजल्ट भी आ गया है। कुछ छात्रों ने नीट क्लियर किया है तो वहीं बड़ी संख्या में ऐसे भी छात्र हैं जो नीट नहीं क्लियर कर पाए हैं। अगर आप भी उन छात्रों में शामिल हैं जो नीट नहीं क्लियर कर पाए हैं तो घबराएं नहीं। नीट नहीं क्लियर कर पाने का यह मतलब नहीं है कि आपके लिए आगे के सारे रास्ते बंद हो गए हैं। ऐसे कई कोर्स हैं जो आप अब भी कर सकते हैं। आइए आज आपको मेडिकल के उन कोर्सों के बारे में बताते हैं...

बैचलर्स ऑफ वेटरिनरी साइंसेज ऐंड एनिमल हस्बैंड्री
बीवीएससी कोर्सों में पशुचिकित्सा विज्ञान से संबंधित पहलुओं का अध्ययन किया जाता है जिनमें घरेलू और जंगली जानवरों की बीमारियों को समझना और सर्जरी शामिल हैं। इस कोर्स में बताया जाता है कि कैसे जानवरों की बीमारियों का पता लगाना और उपचार करना है। बीमारियों की रोकथाम और सही दवाइयों के बारे में बताया जाता है। यह कोर्स पांच सालों का है। अगर कोई छात्र एनिमल हस्बैंड्री नहीं रखना चाहता है तो उसके लिए बीवीएससी तीन सालों का कोर्स होता है।

बैचलर्स ऑफ फार्मेसी (बी.फार्मा)
इस फील्ड में दो सालों का डिप्लोमा और चार सालों का डिग्री कोर्स उपलब्ध है। बी.फार्मा के छात्रों के लिए बहुत संभावनाएं हैं। वे सरकारी या निजी अस्पतालों में जॉब कर सकते हैं। वे अपना स्टोर भी खोल सकते हैं। वे सरकारी और निजी कंपनियों के लिए रिसर्च कर सकते हैं। ज्यादातर कॉलेज छात्रों को 12वीं क्लास में उनके मार्क्स के आधार पर दाखिला देते हैं।

बॉटनी
पौधे, उनकी संरचना, प्रक्रियाओं, वृद्धि आदि का इसमें अध्ययन किया जाता है। बॉटनी लेने वालों को पौधों पर रिसर्च करना होता है। वे पौधों की नई प्रजातियों की खोज करते हैं। पौधों की संरचना और उनकी विभिन्न प्रक्रियाओं से संबंधित रिसर्च करते हैं। बोटनी में डिग्री हो तो नैचरल रिसोर्सेज सेंटर, इंवायरनमेंटल कंसल्टेंसीज में जॉब कर सकते हैं। वे रिसर्चर, टीचर/प्रफेसर, टैक्सोनोमिस्ट, हॉर्टिकल्चरिस्ट, नर्सरी मैनेजर और इंवायरनमेंटल कंसल्टेंट के तौर पर काम कर सकते हैं।

जूलॉजी
इस कोर्स में जानवरों के बारे में अध्ययन किया जाता है। उनकी बनावट, जीवन प्रक्रियाओं, जेनेटिक्स, शारीरिक संरचना, वर्गीकरण आदि के बारे में अध्ययन किया जाता है। जूलॉजी में डिग्री होने पर रिसर्चर, एनिमल ब्रीडर, वाइल्डलाइफ रिहैबिलिटेटर, वाइल्डलाइफ बायॉलजिस्ट, जू क्युरेटर और कंजर्वेशनिस्ट के तौर पर काम कर सकते हैं। वे स्कूलों और कॉलेजों में टीचर/प्रफेसर की जॉब भी कर सकते हैं।

माइक्रोबायॉलजी
इसमें सूक्ष्मजीवों जैसे जीवाणु, विषाणु, कवक और उनके इंसान, जानवर, पौधे एवं अन्य जीवों से संबंध का अध्ययन किया जाता है। माइक्रोबायॉलजिस्ट अनुसंधान करते हैं और पता लगाते हैं कि अलग-अलग सूक्ष्मजीवों का हमारे जीवन पर क्या असर पड़ता है। इसमें कई सबफील्ड्स हैं जैसे वायरोलॉजी, बैक्टीरियॉलजी, पैरासिटॉलजी, माइकॉलजी आदि। माइक्रोबायॉलजी में डिग्री होने पर आप फार्मासूटिकल्स, हेल्थ सेक्टर, फूड इंडस्ट्रीज, ब्रेवरीज, डिस्टिलरीज, कृषि क्षेत्र में काम कर सकते हैं।

इनके अलावा भी आपके पास ऑप्शन हैं जैसे
इंवायरनमेंटल साइंस
जेनेटिक्स
बायॉइन्फर्मेटिक्स
फिजियॉलजी
मरीन बायॉलजी
बायॉटेक्नॉलजी
बायॉफिजिक्स
बायॉमेडिकल साइंस
फूड ऐंड ऐग्रिकल्चर

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