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ऑफिस मीटिंग को ऐसे बनाएं ज्यादा से ज्यादा प्रॉडक्टिव

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टीम से प्लान डिस्कस करना हो या फीडबैक लेना हो, मीटिंग को इन सबके के लिए सबसे अच्छा जरिया माना जाता हैं। यही कारण है कि ऑफिस कल्चर में मीटिंग को अहम माना जाता हैं। ऐसे में इस बात का ध्यान रखना होता है कि मीटिंग फोकस्ड रहे। ऐसा नहीं करने पर सिर्फ समय की बर्बादी होती है। आज हम कुछ ऐसे ही तरीकों के बारे में बात कर रहे हैं, जिनसे आप ऑफिस मीटिंग को और प्रॉडक्टिव बना सकते हैं।

हो रहे नए प्रयोग
ऑफिस मीटिंग को लेकर दुनियाभर में प्रयोग किए जा रहे हैं। इस कड़ी में माइक्रोसॉफ्ट ने जापान में हफ्ते में काम के दिन घटा कर सिर्फ चार कर दिए और मीटिंग का समय सीमित करके 20 मिनट कर दिया। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि एम्प्लॉई मीटिंग में फोकस रहें और उन्हें इससे बोरियत न हो।

टेकअवे लिस्ट बनाएं
केवल मीटिंग कर लेने से काम पूरा नहीं होता। इसलिए मीटिंग से कौन से टेकअवे प्वाइंट मिले, इसकी लिस्ट जरूर बनाएं। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि ऑफिस में आपको कई प्रॉजेक्ट को हैंडल करना होता है। टेकअवे लिस्ट को अमल में नहीं लाया गया, तो मीटिंग का फायदा नहीं मिलता है और मीटिंग में डिस्कस किए गए पॉइंट लागू नहीं हो पाते हैं। इसके साथ-साथ टीम मेंबर मीटिंग को गंभीरता से नहीं लेते, जो किसी भी तरह से अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए मीटिंग की टेकअवे लिस्ट जरूर बनाएं और उसका फॉलोअप भी करें। इससे पूरी टीम को फायदा पहुंचता है और प्रॉडक्टिविटी भी बढ़ती है।

जरूरी लोगों को ही बुलाएं
मीटिंग फोकस्ड रहे, इसके लिए मुद्दों के साथ सीमित लोगों को ही मीटिंग का हिस्सा बनाएं। कई बार जरूरत से ज्यादा लोगों के मीटिंग में हिस्सा लेने से डिस्ट्रैक्शन बढ़ जाता है। अगर बॉस कुछ जानकारी सब तक पहुंचाना चाहते हैं, तो सबको मेल से भी सूचित किया जा सकता है।

पहले ही प्लान कर लें
प्लानिंग किसी भी बड़े काम को पूरा करने का पहला और महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसलिए सबसे पहले इस पर फोकस करना होता है। प्लानिंग करते समय इस बात का ध्यान रहे कि आपको चीजों को शुरुआत से ही सही तरीके से मैनेज करते हुए आगे बढ़ना है। ऐसा करने के बाद काम करते समय कोई शंका नहीं रहती है। साथ ही मीटिंग में जाने से पहले अपने प्लान को रिव्यू भी कर लें, ताकि अगर कोई जरूरी मुद्दा छूट रहा हो तो उसका पता चल जाए।

एजेंडा क्लियर रखें
कम समय की मीटिंग में कई सारे मुद्दों पर चर्चा करनी होती है, ऐसे में एजेंडा क्लियर रखना बहुत जरूरी होता है। आप पहले ही तय कर लें कि कौन सा मुद्दा कितना जरूरी है और उसपर यह होता है कि टीम को कई अहम मुद्दों पर क्लियरिटी नहीं मिल पाती, जो आगे चलकर नुकसानदायक साबित हो सकती है।

दो तरफा संवाद जरूरी
मीटिंग को दो तरफा संवाद का प्लेटफॉर्म कहा जाता है, ऐसे में बिना टीम की बात तेजी से बदलते परिवेश में टारगेट पूरा करने के लिए कंपनियों पर दबाव रहता है। ऐसी स्थिति में बहुत से बदलाव करने होते हैं। मैनेजमेंट ने किस डिपार्टमेंट के लिए क्या बदलाव किए हैं और कौन से अहम फैसले लिए गए हैं, इसकी जानकारी देने के लिए मीटिंग्स की जाती हैं। मीटिंग का उद्देश्य केवल यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि टीम में तालमेल बनाने, नए आइडिया सुने बिना इसे पूरा नहीं माना जा सकता। आप लीडर हैं, तो अपने टीम मेंबर को बात रखने का मौका दें। यह उनके, आपके और टीम के लिए जरूरी होता है। अपनी बात मीटिंग में रखने से उन्हें टीम के लिए ज्यादा योगदान करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है, जो टीम का विश्वास बढ़ने का काम करता है। एक तरफा संवाद वाली मीटिंग लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाती है।

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