How To Start A Career In NGO: अब वह समय जा चुका है जब समाज सेवा को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाता था और इसमें वही लोग शामिल होते थे, जो सोशल वर्क के नाम पर कुछ लोगों को फायदा पहुंचाकर मीडिया और सरकार से फायदा ले जाते थे। अब यह ऐसा क्षेत्र बन गया है जहां पर हाई एजुकेटेड और दिल से समाज सेवा करने वाले हजारों लोग मौजूद है। इसमें सबसे बड़ा योगदान दिया है एनजीओ ने। देखते ही देखते एनजीओ रोजगार की दिशा में एक बेहतर ऑप्शन बन चुका है। आज के समय में सैकड़ों ऐसे नॉन गर्वमेंटल ऑर्गेनाइजेशन को किसी मिशन के तहत चलाया जा रहा है, जिसमें लोगों को जहां रोजगार मिल रहा है, वहीं हजारों जरूरतमंद लोगों को फायदा भी पहुंच रहा है।
एनजीओ का उद्देश्य
विश्व व भारत में एनजीओ का मुख्य उद्देश्य सामाजिक समस्याओं का निदान और विकास की गतिविधियों को बढ़ावा देना होता है। इस फील्ड में आप महिला समस्या, बाल विकास, मानवधिकार, स्वास्थ्य, सामाजिक, कृषि, पर्यावरण, शिक्षा और संस्कृति आदि क्षेत्र को अपने कार्यक्षेत्र के रूप में चुन सकते हैं। आज के समय में आंकड़ों के मुताबिक देश में वर्तमान में लगभग 14 हजार एनजीओ कार्यरत हैं। इसमें 53 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में, 17 प्रतिशत ह्युमन रिसोर्स डेवलपमेंट में, वहीं 10 प्रतिशत सोशल जस्टिस एंपारवमेंट, 6 प्रतिशत हेल्थ केयर एंड फैमिली सेक्टर में और बाकी बचे यूथ और स्पोर्ट्स सेक्टर में कार्यरत हैं।
चयन का आधार
विभिन्न एनजीओ संस्थानों में चयन का प्रमुख आधार एंट्रेंस एग्जाम है। एंट्रेंस एग्जाम में लिखित परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू को शामिल किया जाता है। लिखित परीक्षा का उद्देश्य सामाजिक सेवा के प्रति अभिरुचि को देखना है। कम्युनिकेशन स्किल्स, एनालिटिकल एबिलिटी और लैंग्वेज कॉम्प्रिहेंशन के साथ-साथ समाज के ज्वलंत मुद्दों की अच्छी परख होना भी बेहद जरूरी है। प्रदर्शन के आधार पर प्रवेश के लिए मेरिट बनती है।
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जरूरी यूजीपीजी कोर्स
जरूरी स्किल
अगर आप एनजीओ के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपको इससे संबंधित किसी भी कोर्स में दाखिला लेने से पहले ध्यान रखना होगा कि आपको सामूहिकता के माहौल में काम करने का अनुभव जरूर होना चाहिए। साथ ही आपकी कम्युनिकेशन स्किल्स अच्छी होनी चाहिए व स्थानीय भाषा के साथ ही अंग्रेजी भाषा का ज्ञान काम को आसान बना सकता है।
यहां है करियर संभावनाएं
अगर आपने कोर्स पूरा कर लिया है तो आप एनजीओ मैनेजर, प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर, एनजीओ ह्यूमन रिसोर्स, फाइनेंस मैनेजर जैसे कई पदों पर काम कर सकते हैं। इसके अलावा फिक्की, एसओएस विलेज, मिनस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर, एफएआरएम, अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट और प्रयास जैसे एनजीओ में अच्छे सैलरी पैकेज के साथ कार्य कर सकते हैं। अगर भारत में देखा जाए तो यहां इस समय एड्स अवेयरनेस प्रोजेक्ट, चाइल्ड अब्यूज प्रिवेंशन कमेटी, स्ट्रीट चिल्ड्रन एजुकेशन, ड्रग रिहेबिलिटेशन सेंटर, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यक्रम, सेक्स वर्कर फोरम आदि में भी काम के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। एनजीओ प्रबंधन के कोर्सेस के बाद ऑपरेशनल और एडवोकेसी दोनों तरह के एनजीओज़ में काम के अवसर हैं।
बता दें कि ऑपरेशनल एनजीओ में वित्त प्रबंधन और मीडिया प्रबंधन वालों को काम करना आसान है, जबकि एडवोकेसी का काम भी ऑपरेशनल से कम नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक कामों को प्रेरित करने जैसे कई काम संभालने होते हैं।
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कोर्स के लिए प्रमुख संस्थान
एनजीओ का उद्देश्य
विश्व व भारत में एनजीओ का मुख्य उद्देश्य सामाजिक समस्याओं का निदान और विकास की गतिविधियों को बढ़ावा देना होता है। इस फील्ड में आप महिला समस्या, बाल विकास, मानवधिकार, स्वास्थ्य, सामाजिक, कृषि, पर्यावरण, शिक्षा और संस्कृति आदि क्षेत्र को अपने कार्यक्षेत्र के रूप में चुन सकते हैं। आज के समय में आंकड़ों के मुताबिक देश में वर्तमान में लगभग 14 हजार एनजीओ कार्यरत हैं। इसमें 53 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में, 17 प्रतिशत ह्युमन रिसोर्स डेवलपमेंट में, वहीं 10 प्रतिशत सोशल जस्टिस एंपारवमेंट, 6 प्रतिशत हेल्थ केयर एंड फैमिली सेक्टर में और बाकी बचे यूथ और स्पोर्ट्स सेक्टर में कार्यरत हैं।
चयन का आधार
विभिन्न एनजीओ संस्थानों में चयन का प्रमुख आधार एंट्रेंस एग्जाम है। एंट्रेंस एग्जाम में लिखित परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू को शामिल किया जाता है। लिखित परीक्षा का उद्देश्य सामाजिक सेवा के प्रति अभिरुचि को देखना है। कम्युनिकेशन स्किल्स, एनालिटिकल एबिलिटी और लैंग्वेज कॉम्प्रिहेंशन के साथ-साथ समाज के ज्वलंत मुद्दों की अच्छी परख होना भी बेहद जरूरी है। प्रदर्शन के आधार पर प्रवेश के लिए मेरिट बनती है।
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जरूरी यूजीपीजी कोर्स
- मास्टर ऑफ सोशल वर्क
- बैचलर ऑफ सोशल वर्क
- डिप्लोमा इन एनजीओ मैनेजमेंट
- सर्टिफिकेट कोर्स इन एनजीओ मैनेजमेंट
जरूरी स्किल
अगर आप एनजीओ के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपको इससे संबंधित किसी भी कोर्स में दाखिला लेने से पहले ध्यान रखना होगा कि आपको सामूहिकता के माहौल में काम करने का अनुभव जरूर होना चाहिए। साथ ही आपकी कम्युनिकेशन स्किल्स अच्छी होनी चाहिए व स्थानीय भाषा के साथ ही अंग्रेजी भाषा का ज्ञान काम को आसान बना सकता है।
यहां है करियर संभावनाएं
अगर आपने कोर्स पूरा कर लिया है तो आप एनजीओ मैनेजर, प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर, एनजीओ ह्यूमन रिसोर्स, फाइनेंस मैनेजर जैसे कई पदों पर काम कर सकते हैं। इसके अलावा फिक्की, एसओएस विलेज, मिनस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर, एफएआरएम, अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट और प्रयास जैसे एनजीओ में अच्छे सैलरी पैकेज के साथ कार्य कर सकते हैं। अगर भारत में देखा जाए तो यहां इस समय एड्स अवेयरनेस प्रोजेक्ट, चाइल्ड अब्यूज प्रिवेंशन कमेटी, स्ट्रीट चिल्ड्रन एजुकेशन, ड्रग रिहेबिलिटेशन सेंटर, ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यक्रम, सेक्स वर्कर फोरम आदि में भी काम के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं। एनजीओ प्रबंधन के कोर्सेस के बाद ऑपरेशनल और एडवोकेसी दोनों तरह के एनजीओज़ में काम के अवसर हैं।
बता दें कि ऑपरेशनल एनजीओ में वित्त प्रबंधन और मीडिया प्रबंधन वालों को काम करना आसान है, जबकि एडवोकेसी का काम भी ऑपरेशनल से कम नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक कामों को प्रेरित करने जैसे कई काम संभालने होते हैं।
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कोर्स के लिए प्रमुख संस्थान
- काशी विद्यापीठ, वाराणसी
- इग्नू, पत्राचार माध्यम द्वारा
- दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
- जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली
- टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुम्बई
- कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा
- राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर
- पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला
- लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय, तमिलनाडु
- जेवियर इंस्टीट्यूट, ऑफ सोशल साइंसेज, रांची
- भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान, गुजरात
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