Benefits Of Homeschooling: बच्चों के शुरूआती विकास व एजुकेशन में होम स्कूलिंग अहम भूमिका निभाता है। होम स्कूलिंग उसे कहते हैं जब बच्चे बिना स्कूल गए घर बैठकर पढ़ाई करते हैं और स्कूल जैसी ही बातें घर पर सीखते हैं। बच्चों को एजुकेशन देने का कार्य आमतौर पर अभिभावक व ट्यूटर करते हैं। आज के समय में देश के अंदर होम स्कूलिंग का क्रेज लगातार बढ़ रहा है, खासकर तब जब कोरोना के कारण सालों तक स्कूल बंद रहे।
वैसे विश्व में होम स्कूलिंग की शुरुआत आज से करीब पचास दशक पहले 1970 में तब शुरू हुई थी। जब कुछ लोकप्रिय लेखकों और शोधकर्ताओं ने शैक्षिक सुधार के बारे में लिखना शुरू किया था। उन्होंने वैकल्पिक शैक्षिक विकल्प के रूप में होम स्कूलिंग का सुझाव दिया था।
इन बच्चों को होम स्कूलिंग की आवश्यकता
उन बच्चों को होम स्कूलिंग की ज्यादा अवश्यकता होती है, जिनका बच्चा मेंटली जल्दी ग्रो कर रहा हो। साथ ही ऐसे बच्चों को भी इसकी जरूरत पड़ती है जिन्होंने स्कूल के सिलेबस का अध्ययन जल्दी कर लिया और अब क्लास में बैठने में उसकी रूचि नहीं है या कतराता है। ऐसे बच्चों को अपने से बड़े स्टूडेंट्स के साथ पढ़ने को भी बोला जा सकता है। लेकिन फिर बच्चा शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास में पिछड़ सकता है। कई बार बच्चों में पढ़ाई के अलावा भी कई अन्य चीज में भी गहरी रूचि रहती है। ऐसे में पेरेंट्स को बहुत परेशानी होती है कि बच्चों की कला, पढ़ाई और हॉबी को कैसे मैनेज किया जाए। ऐसे में पेरेंट्स और बच्चों के लिए होम स्कूलिंग बहुत फायदेमंद है।
वहीं यदि आप या आपके पार्टनर या दोनों ही किसी ऐसे पेशे में हैं, जहां एक समय के बाद ट्रांसफर होता रहता है। तो ऐसे में बच्चों का नए टीचर्स, क्लास मेट्स और स्कूल के नए परिवेश में एडजस्ट करना मनोवैज्ञानिक रूप से थोड़ा कठिन है। इन बच्चों को भी होम स्कूलिंग की बहुत जरूरत पड़ती है।
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होम स्कूलिंग के फायदे (Benefits of Home Schooling)
होम स्कूलिंग के नुकसान (Disadvantages of Home Schooling)
वैसे विश्व में होम स्कूलिंग की शुरुआत आज से करीब पचास दशक पहले 1970 में तब शुरू हुई थी। जब कुछ लोकप्रिय लेखकों और शोधकर्ताओं ने शैक्षिक सुधार के बारे में लिखना शुरू किया था। उन्होंने वैकल्पिक शैक्षिक विकल्प के रूप में होम स्कूलिंग का सुझाव दिया था।
इन बच्चों को होम स्कूलिंग की आवश्यकता
उन बच्चों को होम स्कूलिंग की ज्यादा अवश्यकता होती है, जिनका बच्चा मेंटली जल्दी ग्रो कर रहा हो। साथ ही ऐसे बच्चों को भी इसकी जरूरत पड़ती है जिन्होंने स्कूल के सिलेबस का अध्ययन जल्दी कर लिया और अब क्लास में बैठने में उसकी रूचि नहीं है या कतराता है। ऐसे बच्चों को अपने से बड़े स्टूडेंट्स के साथ पढ़ने को भी बोला जा सकता है। लेकिन फिर बच्चा शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास में पिछड़ सकता है। कई बार बच्चों में पढ़ाई के अलावा भी कई अन्य चीज में भी गहरी रूचि रहती है। ऐसे में पेरेंट्स को बहुत परेशानी होती है कि बच्चों की कला, पढ़ाई और हॉबी को कैसे मैनेज किया जाए। ऐसे में पेरेंट्स और बच्चों के लिए होम स्कूलिंग बहुत फायदेमंद है।
वहीं यदि आप या आपके पार्टनर या दोनों ही किसी ऐसे पेशे में हैं, जहां एक समय के बाद ट्रांसफर होता रहता है। तो ऐसे में बच्चों का नए टीचर्स, क्लास मेट्स और स्कूल के नए परिवेश में एडजस्ट करना मनोवैज्ञानिक रूप से थोड़ा कठिन है। इन बच्चों को भी होम स्कूलिंग की बहुत जरूरत पड़ती है।
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होम स्कूलिंग के फायदे (Benefits of Home Schooling)
- होम स्कूलिंग का एक फायदा सुरक्षा भी है। माता-पिता को अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता नहीं होती है। क्योंकि सारा दिन ही बच्चे घर पर रहते हैं।
- इसका एक बड़ा फायदा यह भी है कि बच्चों के लिए टाइम शेड्यूल की दिक्कत नहीं होती है। वे दिन की अन्य गतिविधियों के साथ ही पढ़ाई के लिए समय को भी मैनेज कर सकते हैं।
- होम स्कूलिंग का फायदा बच्चे की क्रिएटिविटी पर भी पड़ती है। ऐसे बच्चे सिर्फ किताबी जानकारी पर ही निर्भर नहीं रहते बल्कि जीवन के अन्य गुणों को भी सीखता है।
- होम स्कूलिंग का एक फायदा यह भी है कि ऐसे बच्चे एग्जाम के डर से आजाद रहते हैं। ऐसे बच्चे दूसरों की जगह खुद से ही कंपटिशन करते हैं।
- होम स्कूलिंग के दौरान बच्चा अगर सिलेबस या किताबों से सहज नहीं है, तो आप उनकी किताबें और सिलेबस को बदल सकते हैं।
- होम स्कूलिंग से बच्चों के साथ पैरेंट्स को भी फायदा मिलता है। इस दौरान बच्चों को पैरेंट्स से घंटों दूर रहकर स्कूल जाने की जरूरत नहीं होती। इस कारण बच्चे सुरक्षित और फ्रेंडली फील करते हैं।
- होम स्कूलिंग के दौरान बच्चों का लर्निंग प्रोसेस केवल स्कूल के अंदर तक ही सीमित नहीं होता है। इस प्रक्रिया में बच्चे अपने आस-पास की चीजों और गतिविधियों से काफी कुछ सीखते हैं।
होम स्कूलिंग के नुकसान (Disadvantages of Home Schooling)
- फायदे के साथ होम स्कूलिंग के नुकसान भी है। जहां ट्रेडिशनल स्कूल में बच्चे शेयरिंग करना सीखते हैं और वे दूसरो के व्यवहार और अन्य आदतों से काफी कुछ सीखते हैं। वहीं होम स्कूलिंग करने पर बच्चे इन सभी चीजों से वंचित रह जाते हैं।
- होम स्कूलिंग में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए पैरेंट्स को काफी मेहनत करनी पड़ती है। बच्चों से पहले पैरेंट्स को उस विषय की खुद जानकारी होनी चाहिए, जिसे वे बच्चों को पढ़ाने वाले हैं।
- पैरेंट्स के लिए होम स्कूलिंग काफी मंहगी भी साबित हो सकती है। होम स्कूलिंग बच्चे के लिए किताबें, कंप्यूटर और अन्य एजुकेशनल मेटेरियल अलग से मंगवाना पड़ेगा।
- कोई भी पैरेंट्स ट्रेंड टीचर्स नहीं होता है। इससे स्कूल में टीचर्स जिस तरह बच्चों को पढ़ाते हैं, उस तरह वे अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पाते हैं। पैरेंट्स को भी टीचर्स की तरह अपने बच्चों को अनुशासन में रखने की जरूरत होती है।
- अगर होम स्कूलिंग के दौरान अगर बच्चों की संख्या एक से अधिक है, तो यह और मुश्किल हो सकता है। इस परिस्थिति में आपको किसी की मदद की जरूरत पड़ सकती है।
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