अकसर दुनिया के किसी भाग के बारे में भूकंप के बारे में सुनते रहते हैं। अपने देश में भी इस तरह की घटनाओं के बारे में हम अकसर सुनते रहते हैं। धरती की हलचल को समझने की भरपूर कोशिश दुनियाभर में चल रही है। इसमें आप भी शामिल हो सकते हैं, सैजमॉलजी को करियर के रूप में अपनाकर:
भूकंप से तो आप सभी परिचित होंगे। धरती के किसी कोने से अक्सर ही भूकंप की खबरें आती रहती हैं। नाम सुनते ही शरीर में सिहरन पैदा हो जाती है। लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर भूकंप आता कैसे है? क्या होती हैं भूकंप तरंगे, जिनसे धरती पर भारी उथल-पुथल मच जाती है। ऐसे ही सवालों का उत्तर ढूंढना। भूकंप आने से पहले ही उसकी जानकारी हासिल कर लेना सेजमॉलजी के अंतर्गत आता है।
हम जानते हैं कि भूकंप एक नैचरल घटना है। कभी-कभी तो ये तरंगे भारी तबाही मचाकर ही शांत होती हैं। जानमाल का कम से कम नुकसान हो, इसके लिए टेक्नॉलजी ही एकमात्र सहारा है, जिसकी मदद से आम आदमी को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
आपका काम
भूकंप से होने वाली तबाही के लिए मिट्टी की स्थिति, जियालॉजिकल स्ट्रक्चर और टेक्नोटिक गतिविधियां जिम्मेदार हैं। सेजमॉलजिस्ट अपनी स्टडी से जानकारी जुटाकर लोगों के लिए ऐसा स्ट्रक्चर तैयार करवाने पर जोर देते हैं जो भूकंप जैसे खतरों से बच सकें। दरअसल, एक सेजमॉलजिस्ट लोगों से मिलता है और अलग-अलग जगहों पर भूकंप के खतरे का पता लगाकर आगे का काम शुरू करता है। अपने काम को बेहतर दिशा और परिणाम देने के लिए वह आर्किटेक्ट, प्लैनर और इंश्योरेंस कंपनी के भी संपर्क में लगातार रहता है।
भूकंप से तो आप सभी परिचित होंगे। धरती के किसी कोने से अक्सर ही भूकंप की खबरें आती रहती हैं। नाम सुनते ही शरीर में सिहरन पैदा हो जाती है। लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर भूकंप आता कैसे है? क्या होती हैं भूकंप तरंगे, जिनसे धरती पर भारी उथल-पुथल मच जाती है। ऐसे ही सवालों का उत्तर ढूंढना। भूकंप आने से पहले ही उसकी जानकारी हासिल कर लेना सेजमॉलजी के अंतर्गत आता है।
हम जानते हैं कि भूकंप एक नैचरल घटना है। कभी-कभी तो ये तरंगे भारी तबाही मचाकर ही शांत होती हैं। जानमाल का कम से कम नुकसान हो, इसके लिए टेक्नॉलजी ही एकमात्र सहारा है, जिसकी मदद से आम आदमी को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
आपका काम
भूकंप से होने वाली तबाही के लिए मिट्टी की स्थिति, जियालॉजिकल स्ट्रक्चर और टेक्नोटिक गतिविधियां जिम्मेदार हैं। सेजमॉलजिस्ट अपनी स्टडी से जानकारी जुटाकर लोगों के लिए ऐसा स्ट्रक्चर तैयार करवाने पर जोर देते हैं जो भूकंप जैसे खतरों से बच सकें। दरअसल, एक सेजमॉलजिस्ट लोगों से मिलता है और अलग-अलग जगहों पर भूकंप के खतरे का पता लगाकर आगे का काम शुरू करता है। अपने काम को बेहतर दिशा और परिणाम देने के लिए वह आर्किटेक्ट, प्लैनर और इंश्योरेंस कंपनी के भी संपर्क में लगातार रहता है।
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