नई दिल्ली
सीबीएसई की 12वीं क्लास की परीक्षा 9 मार्च से शुरू होगी। ऐसे में अब दो से ढाई महीने का ही समय बचा है। बात जब 12वीं में मैथ्स जैसे सब्जेक्ट की हो तो क्वेस्चन पेपर के टाइप और स्कोर को लेकर धुकधुकी ही रहती है। हालांकि इस समय का अधिकतम उपयोग स्कोर खूब बढ़ा सकता है। अभी तक मैथ्स में आपने क्या पढ़ा, कितना पढ़ा, कैसे पढ़ा, इन सबसे इतर अब क्या करना है, इस पर भी फोकस करना होगा। यह बचा समय सिर्फ स्टडी का नहीं ब्लकि स्टडी विद प्लानिंग का है। विशेषज्ञों से मिलकर अनीता तिवारी ने जाना कि मैथ्स में अच्छे स्कोर के लिए क्या रणनीति अपनाई जा सकती है और किन टिप्स को फॉलो किया जा सकता है। पूरा हाल:-
स्टोरी
बोर्ड के एग्जाम्स का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। साथ ही शुरू हो रही है तैयारी ऐसे सब्जेक्ट्स की जो न सिर्फ खुद स्कोरिंग हों ब्लकि उनके स्कोर आपकी ओवर ऑल मेरिट भी बना दें। मैथ्स ऐसा ही सब्जेक्ट है। इसमें थोड़ी सी मेहनत नतीजा बहुत बेहतर कर सकती है। इधर, दो-चार साल से 12वीं में मैथ्स के पेपर का ट्रेंड काफी चेंज हुआ है। इन सबने बोर्ड के पेपर का डिफिकल्टी लेवल कम कर दिया है। इसलिए अगर सब्जेक्ट पर थोड़ा सा भी ध्यान दे दिया गया तो यह गेम चेंजर साबित हो सकता है। अब अगर आपने हर सब्जेक्ट का बेसिक तैयार किया है तो समझिए आपने 75 प्रतिशत तैयारी कर ली है। यहां एक बात याद रखने वाली यह है कि आप जो पढ़ रहे हैं, उस पर आपको पूरा कमांड हो। उससे जितनी भी तरह के सवाल गढ़े जा सकते हों, आप उन्हें सॉल्व करने की स्थिति में होने चाहिए। मैथ्स टीचर प्रवीन श्रीवास्तव एक टिप्स स्टूडेंट्स को देते हैं कि अभी हाल ही में थ्री डी का चैप्टर सिलेबस में जोड़ा गया है। प्रवीन की मानें तो यह सब्जेक्ट स्कोरिंग और अह हैं। इसे जरूर पढ़ लें और किताब में दिए गए इसके सॉल्व्ड क्वेस्चंस की प्रैक्टिस जरूर कर लें। अलजेब्रा का सिलेबस और पेपर में उसके लिए असाइंड मार्क्स ज्यादा होते हैं। इसलिए इसकी स्टडी पर ध्यान दें। बीते वर्षों में आए प्रश्नों को बार बार सॉल्व करें और स्पीड बढ़ाएं।
बचे समय में स्टडी प्लानिंग से पहले इनसे हों दूर
अब जो समय बचा है उसकी स्टडी की प्लानिंग करने से पहले यह समझ लें कि इन दिनों के लिए आपको किन चीजों से दूर होना है।
तीन महीने के लिए अपने फेसबुक अकाउंट से रेस्ट लीजिए।
अपने सेलफोन से दूरी बनाइए और सारे मैसेंजर ऐप कुछ समय के लिए अनइंस्टॉल कर दीजिए।
पार्टी और फंक्शंस से दूर रहिए। यह आपका टाइम भी कन्ज्यूम करेंगे और सेहत पर भी विपरीत असर डाल सकते हैं।
दोस्तों को देने वाले समय में भी 90% तक कटौती करनी होगी। बचा 10% स्टडीज डिस्कस करने के लिए प्रयोग हो सकता है।
महत्वपूर्ण टिप्स
मैथ्स में फंडामेंटल और कॉन्सेप्ट्स को क्लियर करने की कोशिश करते रहें और सवालों को सॉल्व करने की प्रैक्टिस करते रहें। यही सक्सेस दिलाएगा।
प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए पहले परंपरागत तरीके ट्राई करने चाहिए। जब आप इन पर पकड़ बना लें तब शॉर्टकट मैथेड से स्पीड बढ़ाने पर काम करना चाहिए।
कैलकुलेशन लम्बी हो सकती हैं और मैथ्स के एग्जाम में टाइम बहुत मैटर करता है। इसलिए बेसिक कैलकुलेशन के शॉर्ट कट जरूर याद कर लें।
आपको अपनी कमजोरियां भी पता हैं इसलिए जहां पर कमजोरियों का अंदाजा हो उसे दोबारा चेक जरूर कर लें।
फॉर्म्युलों की टॉपिकवाइज लिस्ट बनाए।
सारी थ्योरम्स के प्रूफ की प्रैक्टिस करें।
हफ्ते के अंत का दिन रिविजन के लिए रखें जिसमें सारे फॉर्म्युलों के साथ हर टॉपिक के हाईलाइटेड कोट्स जरूर पढ़ लें।
इन्हें न भूलें
आपको मैथ्स में कम से कम हर टॉपिक का की फॉर्म्युला याद होना चाहिए। जिससे अगर आप कोई फॉर्म्युला भूल भी जाएं तो की फॉर्म्युला से उसे रिकॉल कर लें।
अपनी टेक्स्ट बुक्स पर ही फोकस करें। रिफ्रेंस बुक्स से पढ़ना कॉम्पिटिटिव एग्जाम के लिए तो बेहतर हो सकता है लेकिन अगर बोर्ड एग्जाम के लिहाज से देखें तो सिलेबस बुक्स ही बेस्ट होती हैं।
टॉपिक्स के जो सॉल्व्ड क्वेस्चंस किताब में दिए हैं, उन्हें जरूर प्रैक्टिस करते रहें।
याद रखें, मैथ्स में टाइम मैनेजमेंट बहुत अहम होता है। इसलिए अच्छी प्रैक्टिस तो यही है कि हर आधे घंटे पर बचे हुए सवालों और टाइम पर नजर रखे रहें।
कई बार ऐसा होता है कि पेपर में आए सवाल वैसे नहीं होते जैसे आपने किताब में पढ़े होते हैं। ऐसे में धैर्य मत खोइए। यह सोचिए कि आया तो किताब के सिलेबस से ही है तो उसे सॉल्व करने में तकनीक भी वही यूज होगी जो आपने पढ़ रखी है।
पेपर खत्म करने के बाद एक बार रिवाइज करने पर फोकस जरूर करें। अगर समय कम बचता है तो ज्यादा मार्क्स वाले आंसर्स की कैलकुलेशन चेक करने पर ध्यान दें।
क्वेस्चन पेपर ध्यान से पढ़ें। जो प्रश्न आते हैं या जो शायद सॉल्व हो जाएं उन्हें अलग तरीके से मार्क करिए और उसी के अनुसार पेपर सॉल्व करिए।
बोर्ड के एग्जाम्स में बीते वर्षो के पेपर प्रैक्टिस करना हमेशा स्कोर कराता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें सॉल्व करने से आपको क्वेस्चंस की डिफिकल्टी का लेवल पता चल जाता है। आपको बार-बार पूछे जाने वाले सवालों का अंदाजा हो जाता है। याद रखिए, कुछ क्वेस्चंस ऐसे होते हैं जो बोर्ड एग्जाम्स में अपना चेहरा जरूर दिखाते हैं।
एग्जाम के समय बेहतर प्रैक्टिस यह मानी जाती है कि ज्यादा नम्बर वाले क्वेस्चन पहले सॉल्व करें क्योंकि 1 या 2 नम्बर वाले प्रश्नों का डिफिकल्टी लेवल भी कम होता है और उनके जवाब में लिखना भी कम पड़ता है। ऐसे में जब समय कम भी बचा हो तो इन्हें आसानी से किया जा सकता है।
एक्सपर्ट अडवाइस:-
हर चैप्टर इतना जरूर पढ़ लें कि आपको उसका बेसिक पता हो जाए। फिर भी वेक्टर, अलजेब्रा और कोऑर्डिनेट जिऑमेट्री पर फोकस बढ़ाएं। ये स्कोरिंग एरिया हैं। अगर आप रोज दो घंटा ध्यान से मैथ्स की तैयारी पर दे रहे हैं तो यकीनन आप बेहतर स्कोर कर लेंगे।
अमृत लाल यादव
मैथ्स टीचर, एसकेडी अकैडमी, राजाजीपुरम
सीबीएसई की 12वीं क्लास की परीक्षा 9 मार्च से शुरू होगी। ऐसे में अब दो से ढाई महीने का ही समय बचा है। बात जब 12वीं में मैथ्स जैसे सब्जेक्ट की हो तो क्वेस्चन पेपर के टाइप और स्कोर को लेकर धुकधुकी ही रहती है। हालांकि इस समय का अधिकतम उपयोग स्कोर खूब बढ़ा सकता है। अभी तक मैथ्स में आपने क्या पढ़ा, कितना पढ़ा, कैसे पढ़ा, इन सबसे इतर अब क्या करना है, इस पर भी फोकस करना होगा। यह बचा समय सिर्फ स्टडी का नहीं ब्लकि स्टडी विद प्लानिंग का है। विशेषज्ञों से मिलकर अनीता तिवारी ने जाना कि मैथ्स में अच्छे स्कोर के लिए क्या रणनीति अपनाई जा सकती है और किन टिप्स को फॉलो किया जा सकता है। पूरा हाल:-
स्टोरी
बोर्ड के एग्जाम्स का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। साथ ही शुरू हो रही है तैयारी ऐसे सब्जेक्ट्स की जो न सिर्फ खुद स्कोरिंग हों ब्लकि उनके स्कोर आपकी ओवर ऑल मेरिट भी बना दें। मैथ्स ऐसा ही सब्जेक्ट है। इसमें थोड़ी सी मेहनत नतीजा बहुत बेहतर कर सकती है। इधर, दो-चार साल से 12वीं में मैथ्स के पेपर का ट्रेंड काफी चेंज हुआ है। इन सबने बोर्ड के पेपर का डिफिकल्टी लेवल कम कर दिया है। इसलिए अगर सब्जेक्ट पर थोड़ा सा भी ध्यान दे दिया गया तो यह गेम चेंजर साबित हो सकता है। अब अगर आपने हर सब्जेक्ट का बेसिक तैयार किया है तो समझिए आपने 75 प्रतिशत तैयारी कर ली है। यहां एक बात याद रखने वाली यह है कि आप जो पढ़ रहे हैं, उस पर आपको पूरा कमांड हो। उससे जितनी भी तरह के सवाल गढ़े जा सकते हों, आप उन्हें सॉल्व करने की स्थिति में होने चाहिए। मैथ्स टीचर प्रवीन श्रीवास्तव एक टिप्स स्टूडेंट्स को देते हैं कि अभी हाल ही में थ्री डी का चैप्टर सिलेबस में जोड़ा गया है। प्रवीन की मानें तो यह सब्जेक्ट स्कोरिंग और अह हैं। इसे जरूर पढ़ लें और किताब में दिए गए इसके सॉल्व्ड क्वेस्चंस की प्रैक्टिस जरूर कर लें। अलजेब्रा का सिलेबस और पेपर में उसके लिए असाइंड मार्क्स ज्यादा होते हैं। इसलिए इसकी स्टडी पर ध्यान दें। बीते वर्षों में आए प्रश्नों को बार बार सॉल्व करें और स्पीड बढ़ाएं।
बचे समय में स्टडी प्लानिंग से पहले इनसे हों दूर
अब जो समय बचा है उसकी स्टडी की प्लानिंग करने से पहले यह समझ लें कि इन दिनों के लिए आपको किन चीजों से दूर होना है।
तीन महीने के लिए अपने फेसबुक अकाउंट से रेस्ट लीजिए।
अपने सेलफोन से दूरी बनाइए और सारे मैसेंजर ऐप कुछ समय के लिए अनइंस्टॉल कर दीजिए।
पार्टी और फंक्शंस से दूर रहिए। यह आपका टाइम भी कन्ज्यूम करेंगे और सेहत पर भी विपरीत असर डाल सकते हैं।
दोस्तों को देने वाले समय में भी 90% तक कटौती करनी होगी। बचा 10% स्टडीज डिस्कस करने के लिए प्रयोग हो सकता है।
महत्वपूर्ण टिप्स
मैथ्स में फंडामेंटल और कॉन्सेप्ट्स को क्लियर करने की कोशिश करते रहें और सवालों को सॉल्व करने की प्रैक्टिस करते रहें। यही सक्सेस दिलाएगा।
प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए पहले परंपरागत तरीके ट्राई करने चाहिए। जब आप इन पर पकड़ बना लें तब शॉर्टकट मैथेड से स्पीड बढ़ाने पर काम करना चाहिए।
कैलकुलेशन लम्बी हो सकती हैं और मैथ्स के एग्जाम में टाइम बहुत मैटर करता है। इसलिए बेसिक कैलकुलेशन के शॉर्ट कट जरूर याद कर लें।
आपको अपनी कमजोरियां भी पता हैं इसलिए जहां पर कमजोरियों का अंदाजा हो उसे दोबारा चेक जरूर कर लें।
फॉर्म्युलों की टॉपिकवाइज लिस्ट बनाए।
सारी थ्योरम्स के प्रूफ की प्रैक्टिस करें।
हफ्ते के अंत का दिन रिविजन के लिए रखें जिसमें सारे फॉर्म्युलों के साथ हर टॉपिक के हाईलाइटेड कोट्स जरूर पढ़ लें।
इन्हें न भूलें
आपको मैथ्स में कम से कम हर टॉपिक का की फॉर्म्युला याद होना चाहिए। जिससे अगर आप कोई फॉर्म्युला भूल भी जाएं तो की फॉर्म्युला से उसे रिकॉल कर लें।
अपनी टेक्स्ट बुक्स पर ही फोकस करें। रिफ्रेंस बुक्स से पढ़ना कॉम्पिटिटिव एग्जाम के लिए तो बेहतर हो सकता है लेकिन अगर बोर्ड एग्जाम के लिहाज से देखें तो सिलेबस बुक्स ही बेस्ट होती हैं।
टॉपिक्स के जो सॉल्व्ड क्वेस्चंस किताब में दिए हैं, उन्हें जरूर प्रैक्टिस करते रहें।
याद रखें, मैथ्स में टाइम मैनेजमेंट बहुत अहम होता है। इसलिए अच्छी प्रैक्टिस तो यही है कि हर आधे घंटे पर बचे हुए सवालों और टाइम पर नजर रखे रहें।
कई बार ऐसा होता है कि पेपर में आए सवाल वैसे नहीं होते जैसे आपने किताब में पढ़े होते हैं। ऐसे में धैर्य मत खोइए। यह सोचिए कि आया तो किताब के सिलेबस से ही है तो उसे सॉल्व करने में तकनीक भी वही यूज होगी जो आपने पढ़ रखी है।
पेपर खत्म करने के बाद एक बार रिवाइज करने पर फोकस जरूर करें। अगर समय कम बचता है तो ज्यादा मार्क्स वाले आंसर्स की कैलकुलेशन चेक करने पर ध्यान दें।
क्वेस्चन पेपर ध्यान से पढ़ें। जो प्रश्न आते हैं या जो शायद सॉल्व हो जाएं उन्हें अलग तरीके से मार्क करिए और उसी के अनुसार पेपर सॉल्व करिए।
बोर्ड के एग्जाम्स में बीते वर्षो के पेपर प्रैक्टिस करना हमेशा स्कोर कराता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें सॉल्व करने से आपको क्वेस्चंस की डिफिकल्टी का लेवल पता चल जाता है। आपको बार-बार पूछे जाने वाले सवालों का अंदाजा हो जाता है। याद रखिए, कुछ क्वेस्चंस ऐसे होते हैं जो बोर्ड एग्जाम्स में अपना चेहरा जरूर दिखाते हैं।
एग्जाम के समय बेहतर प्रैक्टिस यह मानी जाती है कि ज्यादा नम्बर वाले क्वेस्चन पहले सॉल्व करें क्योंकि 1 या 2 नम्बर वाले प्रश्नों का डिफिकल्टी लेवल भी कम होता है और उनके जवाब में लिखना भी कम पड़ता है। ऐसे में जब समय कम भी बचा हो तो इन्हें आसानी से किया जा सकता है।
एक्सपर्ट अडवाइस:-
हर चैप्टर इतना जरूर पढ़ लें कि आपको उसका बेसिक पता हो जाए। फिर भी वेक्टर, अलजेब्रा और कोऑर्डिनेट जिऑमेट्री पर फोकस बढ़ाएं। ये स्कोरिंग एरिया हैं। अगर आप रोज दो घंटा ध्यान से मैथ्स की तैयारी पर दे रहे हैं तो यकीनन आप बेहतर स्कोर कर लेंगे।
अमृत लाल यादव
मैथ्स टीचर, एसकेडी अकैडमी, राजाजीपुरम
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