अभिषेक सिंह, लखनऊ
जब भी बोर्डिंग स्कूल की बात होती है, तो मन में सवाल उठता है कि यह बच्चे के लिए कितना फायदेमंद है। ऐसे में पैंरट्स होने के नाते आपकी जिम्मेदारी होती है कि बच्चे के फ्यूचर से संबंधित फैसला लेते समय आप बोर्डिंग स्कूल के हर एक पहलुओं की अच्छे से पड़ताल कर लें।
लखनऊ समेत देश में कई नामी बोर्डिंग स्कूल हैं, जहां से निकले बच्चे देश-दुनिया में नाम कमा रहे हैं। यह सच है कि बोर्डिंग स्कूल का अपना क्रेज होता है और एक्सपर्ट भी मानते हैं कि बोर्डिंग स्कूल में बच्चों को अलग तरीके का माहौल मिलता है, जिससे उनका विकास बेहतर होता है। यही कारण है कि समय के साथ-साथ बोर्डिंग स्कूल्स की डिमांड बढ़ रही है। बावजूद इसके, बच्चे को कम उम्र में बोर्डिंग स्कूल में भेजने का फैसला पैरंट्स के लिए अक्सर ही कठिन होता है।
एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि बोर्डिंग स्कूल भेजते समय पैरंट्स को दूरदर्शिता दिखानी चाहिए, क्योंकि इसका गहरा प्रभाव बच्चे के जीवन और करियर पर पड़ता है। बोर्डिंग स्कूल में बच्चे अधिक अनुशासित होकर रहते हैं और इस वजह से वे पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। दूसरा, बोर्डिंग स्कूल के बच्चों में हर काम को खुद से करने की आदत डाली जाती है, इसलिए वे अधिक जिम्मेदार बनते हैं। आगे चलकर इसके सार्थक परिणाम नजर आते हैं। प्रफेशनल लाइफ और घर में आसानी से जिम्मेदारियों को निभा पाते हैं। बोर्डिंग स्कूल में रहने के क्रम में बच्चों को घर से अलग माहौल मिलता है। यहां बच्चे ग्रुप में दूसरे बच्चों के साथ रहते हैं। इसलिए वे कम समय में अधिक चीजें सीख पाते हैं। यहां बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाता है। इस दौरान यह कोशिश रहती है कि उन्हें तनाव से दूर रखा जाए। इसके साथ -साथ उनकी पढ़ाई पर खास ध्यान दिया जाता है।
बोर्डिंग स्कूल स्टडी के साथ ही बच्चों के खेल और कल्चर ऐक्टिविटीज पर भी काम करते हैं। स्कूल आवर्स के बाद बच्चों को अलग से स्टडी और दूसरी चीजें सीखने को मिलती है। वह एक बेहतर प्लेयर के रूप में भी अपना भविष्य बना सकता है। इसके अलावा यहां लीडरशिप और दूसरे स्किल्स को बचपन से ही निखारा जाता है। ताकि वे भविष्य में किसी भी स्थितियों का सामना अच्छे से कर सकें।
बोर्डिंग स्कूल का नाम आते ही बहुत सारे लोग इसके नकारात्मक पक्ष के बारे में भी बात करते हैं। उन्हें लगता है कि यहां बच्चों से सख्ती की जाती है और उन्हें अति अनुशासित माहौल में रखा जाता है। इससे बच्चों पर सही असर नहीं पड़ता और वे बचपन नहीं जी पाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।
वक्त के साथ-साथ बोर्डिंग स्कूल्स ने खुद को बदला है। आज अच्छे बोर्डिंग स्कूल्स बच्चों को सुविधा देते हैं कि वे पैरंट्स से संपर्क में रहें। उन्हें नेट के जरिए बात करने की छूट दी जाती है। बोर्डिंग स्कूल में स्टडी करने वाले विकास कहते हैं कि हमारा बोर्डिंग स्कूल सबसे अच्छा है। सबको पता है कि हम घर से दूर हैं। इसलिए हमारा खास ख्याल रखा जाता है। हमें पैरंट्स से बात करने का मौका मिलता है।
शिक्षाविद् रीता सिंह कहती हैं कि बुनियादी तौर पर बोर्डिंग स्कूल्स में कफी सुविधाएं मिल रही हैं। यह पहले से ज्यादा आधुनिक हो चुके हैं। हर मौसम के अनुकूल बच्चों को बेहतर सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। बोर्डिंग स्कूल के पास रहने वाले बच्चों को घर जाने की भी छूट दी जाती है। स्कूल, बच्चों के पैंरट्स और लोकल अभिवावकों के संपर्क में रहता है और उनके हर गतिविधि की जानकारी पैरंट्स को दी जाती है, ताकि भरोसे का माहौल बना रहे। वह कहती हैं कि मैं हर पैरंट्स को बोर्डिंग स्कूल के ऑप्शन को सिलेक्ट करने की सलाह देती हूं। बच्चों के लिए यह बेहतर ऑप्शन है।
लखनऊ की रहने वाली ऊषा बताती हैं कि वह बोर्डिंग स्कूल में रह चुकी हैं। वह कहती हैं कि तब और अब में जमीन आसमान का अंतर है। सोच बदलने के साथ ही सुविधाएं और बच्चों को हैंडल करने के तरीके में भी बदलाव आया है। वह कहती हैं कि उन्होंने बच्चों को बोर्डिंग स्कूल में डाला है। उन्हें इस बात की जानकारी रहती है कि बच्चे क्या कर रहे हैं। सच मानिए, तो पैरंट्स और बोर्डिंग स्कूल मैनेजमेंट मिलकर बच्चों को अच्छा माहौल प्रदान करते हैं। इससे उन्हें घर की कमी नहीं महसूस होती और वे अच्छा परफॉर्मेंस देते हैं। वहीं, एक दूसरे एक्सपर्ट कहते हैं कि बोर्डिंग स्कूल के स्टूडेंट्स दूसरों से हर एक मामले में अलग दिख जाते हैं। उनमें गजब का कॉन्फिडेंस होता है। वे आसानी से कहीं भी पहचान बनाने में समर्थ होते हैं।
जब भी बोर्डिंग स्कूल की बात होती है, तो मन में सवाल उठता है कि यह बच्चे के लिए कितना फायदेमंद है। ऐसे में पैंरट्स होने के नाते आपकी जिम्मेदारी होती है कि बच्चे के फ्यूचर से संबंधित फैसला लेते समय आप बोर्डिंग स्कूल के हर एक पहलुओं की अच्छे से पड़ताल कर लें।
लखनऊ समेत देश में कई नामी बोर्डिंग स्कूल हैं, जहां से निकले बच्चे देश-दुनिया में नाम कमा रहे हैं। यह सच है कि बोर्डिंग स्कूल का अपना क्रेज होता है और एक्सपर्ट भी मानते हैं कि बोर्डिंग स्कूल में बच्चों को अलग तरीके का माहौल मिलता है, जिससे उनका विकास बेहतर होता है। यही कारण है कि समय के साथ-साथ बोर्डिंग स्कूल्स की डिमांड बढ़ रही है। बावजूद इसके, बच्चे को कम उम्र में बोर्डिंग स्कूल में भेजने का फैसला पैरंट्स के लिए अक्सर ही कठिन होता है।
एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि बोर्डिंग स्कूल भेजते समय पैरंट्स को दूरदर्शिता दिखानी चाहिए, क्योंकि इसका गहरा प्रभाव बच्चे के जीवन और करियर पर पड़ता है। बोर्डिंग स्कूल में बच्चे अधिक अनुशासित होकर रहते हैं और इस वजह से वे पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। दूसरा, बोर्डिंग स्कूल के बच्चों में हर काम को खुद से करने की आदत डाली जाती है, इसलिए वे अधिक जिम्मेदार बनते हैं। आगे चलकर इसके सार्थक परिणाम नजर आते हैं। प्रफेशनल लाइफ और घर में आसानी से जिम्मेदारियों को निभा पाते हैं। बोर्डिंग स्कूल में रहने के क्रम में बच्चों को घर से अलग माहौल मिलता है। यहां बच्चे ग्रुप में दूसरे बच्चों के साथ रहते हैं। इसलिए वे कम समय में अधिक चीजें सीख पाते हैं। यहां बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाता है। इस दौरान यह कोशिश रहती है कि उन्हें तनाव से दूर रखा जाए। इसके साथ -साथ उनकी पढ़ाई पर खास ध्यान दिया जाता है।
बोर्डिंग स्कूल स्टडी के साथ ही बच्चों के खेल और कल्चर ऐक्टिविटीज पर भी काम करते हैं। स्कूल आवर्स के बाद बच्चों को अलग से स्टडी और दूसरी चीजें सीखने को मिलती है। वह एक बेहतर प्लेयर के रूप में भी अपना भविष्य बना सकता है। इसके अलावा यहां लीडरशिप और दूसरे स्किल्स को बचपन से ही निखारा जाता है। ताकि वे भविष्य में किसी भी स्थितियों का सामना अच्छे से कर सकें।
बोर्डिंग स्कूल का नाम आते ही बहुत सारे लोग इसके नकारात्मक पक्ष के बारे में भी बात करते हैं। उन्हें लगता है कि यहां बच्चों से सख्ती की जाती है और उन्हें अति अनुशासित माहौल में रखा जाता है। इससे बच्चों पर सही असर नहीं पड़ता और वे बचपन नहीं जी पाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।
वक्त के साथ-साथ बोर्डिंग स्कूल्स ने खुद को बदला है। आज अच्छे बोर्डिंग स्कूल्स बच्चों को सुविधा देते हैं कि वे पैरंट्स से संपर्क में रहें। उन्हें नेट के जरिए बात करने की छूट दी जाती है। बोर्डिंग स्कूल में स्टडी करने वाले विकास कहते हैं कि हमारा बोर्डिंग स्कूल सबसे अच्छा है। सबको पता है कि हम घर से दूर हैं। इसलिए हमारा खास ख्याल रखा जाता है। हमें पैरंट्स से बात करने का मौका मिलता है।
शिक्षाविद् रीता सिंह कहती हैं कि बुनियादी तौर पर बोर्डिंग स्कूल्स में कफी सुविधाएं मिल रही हैं। यह पहले से ज्यादा आधुनिक हो चुके हैं। हर मौसम के अनुकूल बच्चों को बेहतर सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। बोर्डिंग स्कूल के पास रहने वाले बच्चों को घर जाने की भी छूट दी जाती है। स्कूल, बच्चों के पैंरट्स और लोकल अभिवावकों के संपर्क में रहता है और उनके हर गतिविधि की जानकारी पैरंट्स को दी जाती है, ताकि भरोसे का माहौल बना रहे। वह कहती हैं कि मैं हर पैरंट्स को बोर्डिंग स्कूल के ऑप्शन को सिलेक्ट करने की सलाह देती हूं। बच्चों के लिए यह बेहतर ऑप्शन है।
लखनऊ की रहने वाली ऊषा बताती हैं कि वह बोर्डिंग स्कूल में रह चुकी हैं। वह कहती हैं कि तब और अब में जमीन आसमान का अंतर है। सोच बदलने के साथ ही सुविधाएं और बच्चों को हैंडल करने के तरीके में भी बदलाव आया है। वह कहती हैं कि उन्होंने बच्चों को बोर्डिंग स्कूल में डाला है। उन्हें इस बात की जानकारी रहती है कि बच्चे क्या कर रहे हैं। सच मानिए, तो पैरंट्स और बोर्डिंग स्कूल मैनेजमेंट मिलकर बच्चों को अच्छा माहौल प्रदान करते हैं। इससे उन्हें घर की कमी नहीं महसूस होती और वे अच्छा परफॉर्मेंस देते हैं। वहीं, एक दूसरे एक्सपर्ट कहते हैं कि बोर्डिंग स्कूल के स्टूडेंट्स दूसरों से हर एक मामले में अलग दिख जाते हैं। उनमें गजब का कॉन्फिडेंस होता है। वे आसानी से कहीं भी पहचान बनाने में समर्थ होते हैं।
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