नई दिल्ली
दुनिया भारत की ओर बड़े टैलंट आपूर्तिकर्ता के रूप में देख रही है। उद्योगों के प्रति भी बढ़ती अपेक्षाओं की वजह से विशेषज्ञों ने भी यह मानना शुरू का दिया है कि भारत को सार्वभौमिक चुनौतियों के लिए कमर कस लेनी चाहिए। जैसा कि हर एक क्षेत्र को एक कुशल मैनेजर की जरूरत होती है, उसी प्रकार भारत में करियर के मामले में अब भी एमबीए लोगों की पहली पसंद है। देश के बिजनस स्कूल अत्याधुनिक मैनेजमेंट शिक्षा मुहैया कराके खुद को दूसरों से अलग साबित करने की कोशिश में लगे हैं।
मैनेजमेंट जानकारों के अनुसार, चूंकि दुनिया बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है, ऐसे में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को तैयार प्रतिभा की जरूरत ज्यादा होती है। ऐसे में जीवन के हर कदम पर तकनीक का सहारा लेने वाले उन मैनेजमेंट कॉलेजों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है, अब इन कॉलेजों के सामने केवल सक्षम ही नहीं, बल्कि सभी प्रकार के तनाव एवं दबाव को झेलने वाले मैनेजर बनाने की भी चुनौती है।
उद्योग जगत की बढ़ती मांग एवं बढ़ती उपयोगिता के कारण कॉर्पोरेट्स को भी ऐसे मैनेजमेंट प्रशिक्षुओं की जरूरत है, जिनके पास पेशेवर कुशलताओं का अंबार हो। यहां तक नौसिखियों से भी एक हद तक पेशेवर होने की अपेक्षा की जा रही है। ऐसे में विशेषज्ञ इन परिस्थितियों को बिजनस स्कूलों के लिए चुनौतीपूर्ण मान रहे हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भी ऐशे उम्मीदवारों की जरूरत है जो मुश्किल हालातों का सामना करने में सक्षम हों। साथ ही ट्रेड सेंटर भी हों। जरूरी है कि बिजनस स्कूल इस मामले में नई राह एवं सोच को अपनाएं।
चूंकि मैनेजमेंट विद्यार्थियों की क्षमता और योग्यता को उनके संबंधित बिजनस स्कूलों के हिसाब से भी आंका जाता है, जहां से उन्होंने मैनेजमेंट की शिक्षा ग्रहण की है, इसलिए अच्छे बिजनस स्कूलों का चयन करना भी काफी जरूरी हो जाता है। शैक्षणिक जानकारों एवं विद्वानों के अनुसार विद्यार्थियों को बिजनस स्कूलों में अपना नाम लिखाने के पहले, उस स्कूल के उपलब्ध शिक्षक वर्ग, भर्ती प्रक्रिया, बुनियादी संरचना एवं विशेषज्ञता के आधार पर आकलन कर लेना चाहिए।
कार्यकारी निदेशक, बीआईएमएम, डीन, बीआईटीएम, बीआईबीआईबी एवं बीआईएमएचआरडी, श्री बालाजी सोसाईटी, पुणे के प्रेजिडेंट डॉ.(कर्नल) ए.बालासुब्रमण्यम के अनुसार, मैनेजमेंट विज्ञान परिस्थिति आधारित विज्ञान है, यह बदलता रहता है, रोजाना की जरूरतों के अनुसार परिस्थितियों को अपना लेता है। तकनीक कितनी भी जल्दी बदले, मशीन चलाने के लिए इंसानों की ही जरूरत होगी। इसलिए मैनेजमेंट शिक्षा प्रणाली उद्योग की जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाती है। अपरंपरागत एवं रचनात्मक प्रशिक्षण के जरिए बेहतरीन जॉब देने वाली शिक्षा प्रणालियों का निर्माण करना भारतीय बिजनस स्कूलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
दुनिया भारत की ओर बड़े टैलंट आपूर्तिकर्ता के रूप में देख रही है। उद्योगों के प्रति भी बढ़ती अपेक्षाओं की वजह से विशेषज्ञों ने भी यह मानना शुरू का दिया है कि भारत को सार्वभौमिक चुनौतियों के लिए कमर कस लेनी चाहिए। जैसा कि हर एक क्षेत्र को एक कुशल मैनेजर की जरूरत होती है, उसी प्रकार भारत में करियर के मामले में अब भी एमबीए लोगों की पहली पसंद है। देश के बिजनस स्कूल अत्याधुनिक मैनेजमेंट शिक्षा मुहैया कराके खुद को दूसरों से अलग साबित करने की कोशिश में लगे हैं।
मैनेजमेंट जानकारों के अनुसार, चूंकि दुनिया बड़ी तेजी से आगे बढ़ रही है, ऐसे में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को तैयार प्रतिभा की जरूरत ज्यादा होती है। ऐसे में जीवन के हर कदम पर तकनीक का सहारा लेने वाले उन मैनेजमेंट कॉलेजों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है, अब इन कॉलेजों के सामने केवल सक्षम ही नहीं, बल्कि सभी प्रकार के तनाव एवं दबाव को झेलने वाले मैनेजर बनाने की भी चुनौती है।
उद्योग जगत की बढ़ती मांग एवं बढ़ती उपयोगिता के कारण कॉर्पोरेट्स को भी ऐसे मैनेजमेंट प्रशिक्षुओं की जरूरत है, जिनके पास पेशेवर कुशलताओं का अंबार हो। यहां तक नौसिखियों से भी एक हद तक पेशेवर होने की अपेक्षा की जा रही है। ऐसे में विशेषज्ञ इन परिस्थितियों को बिजनस स्कूलों के लिए चुनौतीपूर्ण मान रहे हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भी ऐशे उम्मीदवारों की जरूरत है जो मुश्किल हालातों का सामना करने में सक्षम हों। साथ ही ट्रेड सेंटर भी हों। जरूरी है कि बिजनस स्कूल इस मामले में नई राह एवं सोच को अपनाएं।
चूंकि मैनेजमेंट विद्यार्थियों की क्षमता और योग्यता को उनके संबंधित बिजनस स्कूलों के हिसाब से भी आंका जाता है, जहां से उन्होंने मैनेजमेंट की शिक्षा ग्रहण की है, इसलिए अच्छे बिजनस स्कूलों का चयन करना भी काफी जरूरी हो जाता है। शैक्षणिक जानकारों एवं विद्वानों के अनुसार विद्यार्थियों को बिजनस स्कूलों में अपना नाम लिखाने के पहले, उस स्कूल के उपलब्ध शिक्षक वर्ग, भर्ती प्रक्रिया, बुनियादी संरचना एवं विशेषज्ञता के आधार पर आकलन कर लेना चाहिए।
कार्यकारी निदेशक, बीआईएमएम, डीन, बीआईटीएम, बीआईबीआईबी एवं बीआईएमएचआरडी, श्री बालाजी सोसाईटी, पुणे के प्रेजिडेंट डॉ.(कर्नल) ए.बालासुब्रमण्यम के अनुसार, मैनेजमेंट विज्ञान परिस्थिति आधारित विज्ञान है, यह बदलता रहता है, रोजाना की जरूरतों के अनुसार परिस्थितियों को अपना लेता है। तकनीक कितनी भी जल्दी बदले, मशीन चलाने के लिए इंसानों की ही जरूरत होगी। इसलिए मैनेजमेंट शिक्षा प्रणाली उद्योग की जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाती है। अपरंपरागत एवं रचनात्मक प्रशिक्षण के जरिए बेहतरीन जॉब देने वाली शिक्षा प्रणालियों का निर्माण करना भारतीय बिजनस स्कूलों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।