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Jobs In Usa For Indian: अमेरिका में नौकरी पाना कठिन है लेकिन असंभव नहीं

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दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म और बोस्टन से मार्केटिंग कम्यूिकेशन करने वाली श्रेया कटूरी अमेरिका में नॉन स्टेम छात्रों के लिए नौकरी के मौकों के बारे में यहां बता रही हैं-

पत्रकारिता शायद भारत में एकमात्र ऐसी इंडस्ट्री है जहां छात्र कोर्स खत्म होते ही सीधा मीडिया हाउस से जुड़ जाते हैं। श्रेया ने कहा कि ‘हमारे शिक्षक हमे हमेशा इंटर्नशिप और पार्ट टाइम फ्रीलांस करने के लिए प्रेरित करते थे इसलिए अपने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अपने कोर्स के दौरान मैने 4 बार इंटर्नशिप की थी।’

प्रिंट ऑर्गनाइजेशन के साथ काम करने की उनकी उत्सुकता उन्हें मार्केटिंग डिपार्टमेंट के साथ इंटर्नशिप में ले गई जहां उन्हे मीडिया कॉन्टेंट, स्ट्रेटजी मार्केट रिसर्च और एनालिसिस का मौका मिला। अपनी दूसरी इंटर्नशिप ने उन्होंने कोका कोला और शेवरले के साथ काम करने का मौका मिला। तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें क्रिटिविटी और स्ट्रेटजी का कॉम्बिनेशन चाहिए।

उन्होंने कहा कि इंटर्नशिप के बाद मुझे एहसास हुआ कि ‘मुझे अकेडमिक कोर्स की जरूरत है जिसके बाद मैने मार्केटिंग और कम्यूनिकेशन में मास्टर्स डिग्री हासिल की।’ इसके बाद इन्होंने कोर्स करने के लिए कॉलेज खोजने शुरू कर दिए और अंत में वो कॉलेज शॉर्टलिस्ट किए जो सबसे अच्छा कोर्स कराते हैं।

श्रेया के मुताबिक ‘इंस्टीट्यूट खोजने का काम आसान नहीं है यह एक थका देने वाली प्रक्रिया है सभी विकल्पों पर कम से कम एक साल रिसर्च करना जरूरी है क्योंकि विदेश में पढ़ाई में काफी समय और पैसे खर्च होते हैं। मैं अपने शिक्षकों और पूर्व छात्रों के संपर्क में रही जिन्होंने निर्णय लेने में मेरी मदद की।’

मैने इमरसन कॉलेज बोस्टन को शॉर्टलिस्ट किया और इंटरग्रेटिड मार्केटिंग कम्यूनिकेशन का कोर्स कराता है। मैं एक ऐसे कोर्स में दाखिला लेना चाहती थी जो उदार और क्रिएटिव माहौल प्रदान करें जैसा मुझे डीयू में मिला था।’ बोस्टन में रहना आसान काम नहीं है यह अमेरिका के सबसे महंगे शहरों में से एक है। श्रेया ने यहां बजट में रहना सीख लिया और ऑन कैंपस जॉब और फेलोशिप में हिस्सा लिया।

‘’इस तरह की नौकरी आपका किराया तो अदा नहीं कर सकती लेकिन कुछ खर्चे इससे पूरे हो जाते हैं जैसे यूटिलिटी बिल, ग्रोसरी आदि।’’

श्रेया ने 2017 में इमरसन कॉलेज बोस्टन से ग्रेजुएशन की और बोस्टन में ही मार्केटिंग एसोसिएट की नौकरी शुरू कर दी।

श्रेया के मुताबिक बोस्टन में मार्केट एनालिस्ट से जुड़ी नौकरियों, एसईओ एक्सपर्ट और पेड एडवरटाइजमेंट एक्सपर्ट की काफी डिमांड है। इसके साथ में मार्केटिंग में कोर्स होना जरूरी है।

फिलहाल अमेरिका में स्टेम छात्रो को कोर्स खत्म होने के बाद नौकरी के लिए तीन सालों के वीजा को बढ़ा दिया जाता है जबकि अन्य कोर्सेस में केवल एक साल के लिए बढ़ाया जाता है। जॉब पाना अमरेका में मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं है। श्रेया के मुताबिक अमेरिका एक टेक्नोलॉजी पर चलने वाला देश है मार्केटिंग मार्केटिंग की स्किल्स के साथ एसईओ, एड वर्ड्स पेड एड आदि के युवा आसानी से अपने लिए जगह बना सकते हैं। अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन करते समय आवेदकों को पेपर वर्क पूरा करना चाहिए और इसे ईमानदारी से भरना चाहिए लेकिन जाने से पहले इस बात को सुनिश्चित कर लें कि आपकी फंडिंग कहां से आ रही है।

इमिग्रेशन पर बैठा व्यक्ति थोड़ा भयभीत करने वाल होता है लेकिन आपको डरने की जरूरत नहीं है शांत बने रहें। जो आपसे पूछा जा रहा है उसका पूरे विश्वास से सही उत्तर दें। गलत जानकारी देने से आपका वीजा कैंसल हो सकता है।

‘बहुत से विदेशी छात्रों को रंगभेद का सामना करना पड़ता है लेकिन इस बात पर तय करता है कि आपने कौनसा शहर चुना है मुझे बोस्टन में किसी तरह के रंग भेद का सामना नहीं करना पड़ा। मुझे कई ऐसे छात्र मिले जिन्हें भेदभाव का सामना करना’।

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