देश में स्टेम थेरपी को लेकर कई इंस्टिट्यूट रिसर्च कर रहे हैं, ऐसे में स्टेम सेल रिसर्च को ग्रोइंग फील्ड माना जा सकता है। स्टेम सेल बायॉलजी के क्षेत्र में लगातार काम बढ़ता जा रहा है।
आपने फ्यूचर की टेक्नॉलजी पर काम करने के बारे में सोचा है या इसमें अपना फयूचर इन्वेस्ट करने की सोच रहे हैं, तो यह अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। स्टेम सेल का इस्तेमाल स्टेम सेल ऑर्गन रिसर्च और ऑर्गन को रीजनरेट करने के लिए किया जा रहा है। स्टेम सेल रिसर्च एंब्रो और एडल्ट स्टीम सेल पर किया जा रहा है। इससे जीवन पहले की तुलना में आसान हो रहा है और हम बीमारियों से लड़ने और उबरने में समर्थ हो रहे हैं। पूरे विश्व में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए स्टेम सेल थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्टेम सेल के क्षेत्र में अपना करियर सवांरने वाले स्टूडेंट्स के लिए फॉरेन में भी उम्दा चांस बन सकते हैं। आने वाले समय में स्टेम सेल रिसर्च वास्ट होने जा रहा है और अगर आप साइंस और टेक्नॉलजी के रोमांच का लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो यह फील्ड आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है। नई जेनरेशन इस ऑप्शन को पसंद कर रही है। आइए इस बारे में और जानते हैं।
टेक्नॉलजी की डिमांड
दुनिया में तरह-तरह की बीमारियों से लोग जूझ रहे लोगों के लिए स्टेम सेल उम्मीद की किरण बनकर आया है। स्टेम सेल से पहले भी इन बीमारियों से लड़ने के लिए लगातार खूब काम करने के बावजूद साइंटिस्ट और रिसचर्स से जुड़े लोगों को पॉजिटिव रिजल्ट कम ही मिले। स्टेम सेल रिसर्च के कमाल ने धमाल मचा दिया है और इसकी मदद से नए प्रयोग शुरू हो चुके हैं। यह बायलॉजिकल रिसर्च का वह एडवांस लेवल है, जिसमें तरह-तरह के साइंस बैकग्राउंड से आए लोग तरह-तरह की बीमारियों के लिए नई-नई थेरपी ढूंढते हैं। आज हम स्टेम सेल रिसर्च के दौर में हैं और आने वाला दौर स्टेम सेल थेरपी का है। किसी बीमारी के ट्रीटमेंट में बीमार टिश्यू में नया एडल्ड स्टेम सेल डालकर उसे हेल्दी करना, स्टेम सेल ट्रीटमेंट का बेसिक फंडा है। मसलन, ल्यूकिमिया के ट्रीटमेंट में बोन मैरो और अबलिकल कॉर्ड के स्टेम सेल का इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां तक कि पाकिर्नसन, डायबीटीज मेलिटस, खतरनाक कैंसर तक के इस थेरपी से ठीक होने की संभावनाएं हैं और इन पर काम काफी आगे की स्टेज पार कर चुका है। इसलिए करियर के रूप में इसे ऑप्ट करना समझदारी होगी।
ऑप्शन की बहार
टेम सेल के कलेक्शन, प्रॉसेसिंग और बैंकिंग का काम देश में तेजी से हो रहा है। इसलिए साइंस बैकग्राउंड से जुड़े लोगों के लिए यहां पर अपार संभावनाएं हैं। स्टेम सेल टेक्नॉलजी में चाहे रिसर्च हो या थेरपी फील्ड, दोनों ही में बढि़या करियर ऑप्शन हैं। अगर आपको लगता है कि सिर्फ मेडिकल प्रफेशनल ही इस फील्ड में आ सकते हैं, तो आप गलत हैं। अगर आपने बेसिक बायॉलजी भी पढ़ी है, तो आप इस फील्ड में खुद को आजमा सकते हैं।
बीएस ग्रैजुएट, जिसने कम से कम बायॉलजी का एक सब्जेक्ट पढ़ा हो या एमबीबीएस या बीफार्मा या बीडीएस या बीवीएससी या बीई-बायोटेक्नॉलजी के स्टूडेंट के लिए स्टेम सेल रिसर्च में कई जॉब ऑप्शन हैं। धीरे-धीरे फैल रही बायोमेडिसिन की इस ब्रांच में क्वॉलिटी मैनपावर की जरूरत है। बायोमेडिसिन की मार्केट का विस्तार तेजी से हो रहा है। इसे देखते हुए साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट्स स्टूडेंट्स के लिए यह करियर ऑप्शन बेहतर साबित हो सकता है।
हो रहे हैं रिसर्च
देश स्टेम थेरपी को लेकर कई इंस्टिट्यूट रिसर्च कर रहे हैं, ऐसे में स्टेम सेल रिसर्च को ग्रोइंग फील्ड माना जा सकता है। जहां तक लखनऊ की बात है, तो बेबी बर्थ के समय पैरेंट्स स्टीम सेल्स को प्रीजर्ब करा रहे हैं। बेसिक साइंस और क्लिनिकल एप्लिकेशंस दोनों ही में यहां स्टेम सेल बायॉलजी को लेकर काम बढ़ता जा रहा है। सरकार ने भी इस फील्ड को अच्छा-खासा फंड देना शुरू कर दिया है। लखनऊ में एक लाइफसेल के लिए काम करने वाले अनुज बताते हैं कि लोगों में स्टेम सेल प्रीजर्वेशन को लेकर अवेयरनेस बढ़ी है। अब बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चों के स्टेम सेल प्रीजर्वेशन के लिए आगे आ रहे हैं। स्टेम सेल थेरपी में कई फामॉसूटिकल, बायोटेक्नॉलजी कंपनियां और कई स्टेम सेल इंस्टिट्यूशन रिसर्च कर रहे हैं, जहां स्टूडेंट्स की जरूरत है। भारत में स्टेम सेल रिसर्च में अंदाजन एक हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट है, जिसमें से ज्यादातर गवर्मेंट सेक्टर का है। चीफ साइंटिफिक ऑफिसर से लेकर लैब असिस्टेंट तक, कई पोस्ट के लिए स्टूडेंट्स अप्लाई कर सकते हैं। हालांकि, इन फर्म में जॉब पाने के लिए बेसिक साइंस डिग्री काफी नहीं, इस इंडस्ट्री की स्टाइल को समझने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग भी जरूरी है।
करियर ग्राफ
स्टेम सेल रिसर्च में जो स्टूडेंट बढ़ना चाहते हैं, उनके पास पहले जूलॉजी, बायोफिजिक्स, लाइफ साइंसेज, माइक्रोबायॉलजी, एमसी रिजनरेटिव, बायोकेमिस्ट्री, जेनेटिक्स, बायोटेक्नॉलजी की डिग्री का ऑप्शन है। इसके बाद स्टूडेंट कई एरिया में करियर बना सकते हैं जैसे क्वॉलिटी, रिसर्च एंड डिवेलपमेंट, प्रोडक्शन, क्लिनिकल रिसर्च, सप्लाई चेन, ह्यूमन रिसोर्सेज, फाइनेंस और दूसरे एडमिनिस्ट्रेटिव फंक्शन।
आपने फ्यूचर की टेक्नॉलजी पर काम करने के बारे में सोचा है या इसमें अपना फयूचर इन्वेस्ट करने की सोच रहे हैं, तो यह अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। स्टेम सेल का इस्तेमाल स्टेम सेल ऑर्गन रिसर्च और ऑर्गन को रीजनरेट करने के लिए किया जा रहा है। स्टेम सेल रिसर्च एंब्रो और एडल्ट स्टीम सेल पर किया जा रहा है। इससे जीवन पहले की तुलना में आसान हो रहा है और हम बीमारियों से लड़ने और उबरने में समर्थ हो रहे हैं। पूरे विश्व में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए स्टेम सेल थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्टेम सेल के क्षेत्र में अपना करियर सवांरने वाले स्टूडेंट्स के लिए फॉरेन में भी उम्दा चांस बन सकते हैं। आने वाले समय में स्टेम सेल रिसर्च वास्ट होने जा रहा है और अगर आप साइंस और टेक्नॉलजी के रोमांच का लुत्फ उठाना चाहते हैं, तो यह फील्ड आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है। नई जेनरेशन इस ऑप्शन को पसंद कर रही है। आइए इस बारे में और जानते हैं।
टेक्नॉलजी की डिमांड
दुनिया में तरह-तरह की बीमारियों से लोग जूझ रहे लोगों के लिए स्टेम सेल उम्मीद की किरण बनकर आया है। स्टेम सेल से पहले भी इन बीमारियों से लड़ने के लिए लगातार खूब काम करने के बावजूद साइंटिस्ट और रिसचर्स से जुड़े लोगों को पॉजिटिव रिजल्ट कम ही मिले। स्टेम सेल रिसर्च के कमाल ने धमाल मचा दिया है और इसकी मदद से नए प्रयोग शुरू हो चुके हैं। यह बायलॉजिकल रिसर्च का वह एडवांस लेवल है, जिसमें तरह-तरह के साइंस बैकग्राउंड से आए लोग तरह-तरह की बीमारियों के लिए नई-नई थेरपी ढूंढते हैं। आज हम स्टेम सेल रिसर्च के दौर में हैं और आने वाला दौर स्टेम सेल थेरपी का है। किसी बीमारी के ट्रीटमेंट में बीमार टिश्यू में नया एडल्ड स्टेम सेल डालकर उसे हेल्दी करना, स्टेम सेल ट्रीटमेंट का बेसिक फंडा है। मसलन, ल्यूकिमिया के ट्रीटमेंट में बोन मैरो और अबलिकल कॉर्ड के स्टेम सेल का इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां तक कि पाकिर्नसन, डायबीटीज मेलिटस, खतरनाक कैंसर तक के इस थेरपी से ठीक होने की संभावनाएं हैं और इन पर काम काफी आगे की स्टेज पार कर चुका है। इसलिए करियर के रूप में इसे ऑप्ट करना समझदारी होगी।
ऑप्शन की बहार
टेम सेल के कलेक्शन, प्रॉसेसिंग और बैंकिंग का काम देश में तेजी से हो रहा है। इसलिए साइंस बैकग्राउंड से जुड़े लोगों के लिए यहां पर अपार संभावनाएं हैं। स्टेम सेल टेक्नॉलजी में चाहे रिसर्च हो या थेरपी फील्ड, दोनों ही में बढि़या करियर ऑप्शन हैं। अगर आपको लगता है कि सिर्फ मेडिकल प्रफेशनल ही इस फील्ड में आ सकते हैं, तो आप गलत हैं। अगर आपने बेसिक बायॉलजी भी पढ़ी है, तो आप इस फील्ड में खुद को आजमा सकते हैं।
बीएस ग्रैजुएट, जिसने कम से कम बायॉलजी का एक सब्जेक्ट पढ़ा हो या एमबीबीएस या बीफार्मा या बीडीएस या बीवीएससी या बीई-बायोटेक्नॉलजी के स्टूडेंट के लिए स्टेम सेल रिसर्च में कई जॉब ऑप्शन हैं। धीरे-धीरे फैल रही बायोमेडिसिन की इस ब्रांच में क्वॉलिटी मैनपावर की जरूरत है। बायोमेडिसिन की मार्केट का विस्तार तेजी से हो रहा है। इसे देखते हुए साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट्स स्टूडेंट्स के लिए यह करियर ऑप्शन बेहतर साबित हो सकता है।
हो रहे हैं रिसर्च
देश स्टेम थेरपी को लेकर कई इंस्टिट्यूट रिसर्च कर रहे हैं, ऐसे में स्टेम सेल रिसर्च को ग्रोइंग फील्ड माना जा सकता है। जहां तक लखनऊ की बात है, तो बेबी बर्थ के समय पैरेंट्स स्टीम सेल्स को प्रीजर्ब करा रहे हैं। बेसिक साइंस और क्लिनिकल एप्लिकेशंस दोनों ही में यहां स्टेम सेल बायॉलजी को लेकर काम बढ़ता जा रहा है। सरकार ने भी इस फील्ड को अच्छा-खासा फंड देना शुरू कर दिया है। लखनऊ में एक लाइफसेल के लिए काम करने वाले अनुज बताते हैं कि लोगों में स्टेम सेल प्रीजर्वेशन को लेकर अवेयरनेस बढ़ी है। अब बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चों के स्टेम सेल प्रीजर्वेशन के लिए आगे आ रहे हैं। स्टेम सेल थेरपी में कई फामॉसूटिकल, बायोटेक्नॉलजी कंपनियां और कई स्टेम सेल इंस्टिट्यूशन रिसर्च कर रहे हैं, जहां स्टूडेंट्स की जरूरत है। भारत में स्टेम सेल रिसर्च में अंदाजन एक हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट है, जिसमें से ज्यादातर गवर्मेंट सेक्टर का है। चीफ साइंटिफिक ऑफिसर से लेकर लैब असिस्टेंट तक, कई पोस्ट के लिए स्टूडेंट्स अप्लाई कर सकते हैं। हालांकि, इन फर्म में जॉब पाने के लिए बेसिक साइंस डिग्री काफी नहीं, इस इंडस्ट्री की स्टाइल को समझने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग भी जरूरी है।
करियर ग्राफ
स्टेम सेल रिसर्च में जो स्टूडेंट बढ़ना चाहते हैं, उनके पास पहले जूलॉजी, बायोफिजिक्स, लाइफ साइंसेज, माइक्रोबायॉलजी, एमसी रिजनरेटिव, बायोकेमिस्ट्री, जेनेटिक्स, बायोटेक्नॉलजी की डिग्री का ऑप्शन है। इसके बाद स्टूडेंट कई एरिया में करियर बना सकते हैं जैसे क्वॉलिटी, रिसर्च एंड डिवेलपमेंट, प्रोडक्शन, क्लिनिकल रिसर्च, सप्लाई चेन, ह्यूमन रिसोर्सेज, फाइनेंस और दूसरे एडमिनिस्ट्रेटिव फंक्शन।
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