आपदा प्रबंधक का क्या होता है कार्य
आपदा प्रबंधक से जुड़े लोगों का मुख्य कार्य आपदा के समय इसके शिकार लोगों की जान बचाना और उन्हें सुरक्षित जगहों पर पहुंचाना होता है। साथ ही उन्हें फिर से मुख्य धारा से जोड़ना होता है। इस काम के लिए केंद्र और राज्य की सरकारें फंड मुहैया करवाती है। इसके अलावा विभिन्न विभाग के मंत्रालय भी आपदा के लिए मदद करती है। इन सबमें मुख्य सरकारी एजेंसी के रूप में गृह मंत्रालय बड़ी भूमिका निभाता है। वह आपदा के समय डिजास्टर मैनेजमेंट का कार्य संभालता है। कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय सूखे और अकाल के वक्त अपनी जिम्मेदारियां निभाता है।
आपदा के वक्त ऐसे पेशेवर बहुत ही जरूरी होते हैं, ये लोग आपदा पीड़ितों तक जल्द से जल्द मदद पहुंचाने और उन्हें जरूरी ट्रेनिंग देने का काम करते है। ये लोग पीड़ितों को खाना वितरित करने और घायलों के उपचार की व्यवस्था भी करते है।
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कोर्स और इसमें पढ़ाया जाने वाला सब्जेक्ट
आपदा प्रबंधन के लिए देश के कई प्रबंधन संस्थान सर्टिफिकेट से लेकर पीजी डिप्लोमा लेवल के कोर्स संचालित करते हैं। वहीं कई विश्वविद्यालय डिग्री लेवल कोर्स भी ऑफर कर रहे हैं। सर्टिफिकेट कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता बारहवीं पास है, जबकि मास्टर डिग्री या पीजी डिप्लोमा के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक है। डिजास्टर मैनेजमेंट के कोर्स रेगुलर और डिस्टेंस लर्निग के माध्यम से भी कर सकते हैं।
आपदा प्रबंधन के कोर्स में रिस्क असेसमेंट एंड प्रिवेंटिव स्ट्रैटजीज, लेजिस्लेटिव स्ट्रक्चर्स फॉर कंट्रोल ऑफ डिजास्टर मिटिगेशन, ऐप्लिकेशन ऑफ जीआईएस इन डिजास्टर मैनेजमेंट, रेस्क्यू जैसे विषयों को इसके अंतर्गत पढ़ाया जाता है। इसके अलावा आप इसकी अलग-अलग फिल्ड में स्पेशलाइजेशन भी कर सकते है जैसे- माइनिंग, केमिकल डिजास्टर और टेक्निकल डिजास्टर आदि।
भारत में बहुत जरूरी
भारत में लोगों को हर साल डिजास्टर फेस करना पड़ता है। भू-स्खलन, बाढ़, भूकंप, सुनामी जैसी आपदों में से कुझ ऐसी हैं जो हर साल आती हैं। इसके अलावा भी आपदाएं कम नहीं है। मैन मेड आपदाएं घटित होती ही रहती हैं। कहीं आग लग जाती है, कहीं एक्सीडेंट। पूरा जीवन ही आपदाओं से भरा हुआ है। बीस सालों में आपदाएं पांच गुना बढ़ी हैं। सरकार को इसके लिए जीडीपी का 2.5 फीसदी खर्च करना पड़ता है।
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करियर कहां बनाएं
आपदा प्रबंधन में कोर्स करने के बाद ज्यादातर लोगों को सरकारी नौकरियों में, आपातकालीन सेवाओं, लॉ इन्फोर्समेंट, लोकल अथॉरिटीज, रिलीफ एजेंसीज, गैर सरकारी प्रतिष्ठानों और यूनाइटेड नेशन जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों में नौकरी मिल सकती है। प्राइवेट सेक्टर में भी आपको जॉब मिल सकती है, जैसे केमिकल, माइनिंग, पेट्रोलियम जैसी रिस्क इंडस्ट्रीज में। आम तौर पर इन इंडस्ट्रीज में डिजास्टर मैनेजमेंट सेल होता है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं रेडक्रॉस और यूएन प्रतिष्ठान भी प्रशिक्षित पेशेवर को काम पर रखते हैं। अनुभव हासिल करने के बाद खुद की कंपनी या फिर एजेंसी भी खोली जा सकती है।
इस संस्थानों से कर सकते है कोर्स
- इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मद्रास यूनिवर्सिटी, चेन्नई
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरमेंट, नई दिल्ली
- सेंटर फॉर सिविल डिफेंस कॉलेज, नागपुर
- इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
- नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी, दार्जिलिंग
- सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, पुणे
- डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, भोपाल
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