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Environmental Studies: क्या है पर्यावरण शिक्षा का स्कोप, जानें इस डिग्री के बाद कैसे बदलेगा आपका करियर

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Career In Environmental Science: जिस तरह से हमारे भू-मंडल के वायुमंडल और पर्यावरण में लगातार बदलाव हो रहा है और नित्‍य-प्रतिदिन तापमान और मौसम में बदलाव हो रहा है, उससे मानव जीवन खतरे में पड़ती जा रही है। इसलिए अब पर्यावरण शिक्षा सभी के लिए जरूरी हो गया है। यह शिक्षा उस विशिष्ट शिक्षा को कहते है जो जन-समुदाय को पर्यावरण जानकारियों से परिचित कराकर पर्यावरण बोध को पुष्ट करती है, पर्यावरण कठिनाइयों के कारण निवारण का मार्ग ढूंढती है तथा भविष्य की कठिनाइयों से आगाह कर जीवन को निरापद बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है।

वहीं पर्यावरण शिक्षा को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि पर्यावरण शिक्षा वस्तुत: विश्व समुदाय को पर्यावरण सम्बन्धी दी जाने वाली वह शिक्षा है जिससे समस्याओं से अवगत होकर उनका समाधान ढूंढने और भविष्य में उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों की रोकथाम के लिये आवश्यक जानकारी प्राप्त होती है, जिसके आधार पर व्यक्तिगत या सामूहिक स्तर पर पर्यावरण समस्याओं से निजात पाने का मार्ग ढूंढा जा सकता है और भविष्य की कठिनाइयों को जाना जा सकता है।

पर्यावरण शिक्षा के प्रकार (Types Of Environmental Education)

औपचारिक पर्यावरण शिक्षा
पर्यावरण शिक्षा दो प्रकार की होती है, पहली औपचारिक पर्यावरण शिक्षा और प्रशिक्षण, यह वह शिक्षा है जिसके पात्र छात्र-छात्राएं, कार्यरत कर्मचारी, प्रशासनिक अधिकारी और पर्यावरण के प्रति अभिरूचि रखने वाले पढ़े-लिखे लोग होते हैं।

अनौपचारिक पर्यावरण शिक्षा
अनौपचरिक पर्यावरणीय शिक्षा मुख्यत: अनपढ़ लोगों को प्रदान की जाती है। ऐसे लोगों की अतिरिक्त कम पढ़े-लिखे और काम-धन्धों में लगे लोगों को भी ऐसी शिक्षा की आवश्यकता होती है। ऐसे वर्ग के लोगों के लिये विशेष व्यवस्था की आवश्यकता होती है, क्योंकि अनपढ़ होने के कारण इन्हें ऐसे तरीकों से शिक्षित किया जाता है, ताकि वे पर्यावरण के विविध पक्षों को समझ सकें।
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पर्यावरण शिक्षा का महत्‍व (Importance Of Environmental Education)
इस समय सबसे ज्वलंत प्रश्न यह है कि पर्यावरण शिक्षा का महत्‍व क्‍या है और क्या पूर्ववर्ती शिक्षा में पर्यावरण सम्मिलित नहीं था। वास्तव में पर्यावरण शिक्षा का दौर विगत 25 वर्षों में ही प्रारंभ हुआ है और अब सबसे महत्त्वपूर्ण हो गया है। पर्यावरण शिक्षा का मूल उद्देश्य मानव-पर्यावरण के अंतर्सबंधों की व्याख्या करना तथा उन संपूर्ण घटकों का विवेचन करना है जो पृथ्वी पर जीवन को परिचालित करते हैं इसमें मात्र मानव जीवन ही नहीं अपितु जीव-जंतु एवं वनस्पति भी सम्मिलित हैं। मानव, तकनीकी विकास एवं पर्यावरण के अंतर्संबंधों से जो पारिस्थितिकी चक्र बनता है और वह संपूर्ण क्रिया-कलापों और विकास को नियंत्रित करता है। यदि इनमें संतुलन रहता है तो सब कुछ सामान्य गति से चलता रहता है, लेकिन अगर इनमें व्यतिक्रम आता है तो पर्यावरण का स्वरूप विकृत होने लगता है और उसका हानिकारक प्रभाव न केवल जीव जगत अपितु पर्यावरण के घटकों पर भी होता है। इससे पूरी मानव सभ्‍यता खतरे में पड़ जाएगी।

पर्यावरण शिक्षा क्‍या है (What Is Environmental Education)
पर्यावरण शिक्षा ऐसा विषय है जिसमें छात्रों को बताया जाता है कि प्राकृतिक पर्यावरण के तरीके और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण को बनाए रखने के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे व्यवस्थित रखना चाहिए। यह शिक्षा संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्यावरण शिक्षा आवश्यक कौशल और विशेष ज्ञान को प्रदान करता है। इस शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान प्रदान कराना, जागरूकता पैदा करना, चिंतन का एक दृष्टिकोण पैदा करना और पर्यावरणीय चुनौतियों को नियंत्रित करने के आवश्यक कौशल को प्रदान करना है।
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आज क्यों आवश्यक है पर्यावरण शिक्षा की (Why Environmental Education Is Necessary Today)

  1. पर्यावरणीय शिक्षा को पर्यावरण की स्थिति का आंकलन करने में सक्षम होना चाहिए और पर्यावरण की क्षति का निवारण करने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। दैनिक जीवन में सामान्य बदलाव पर्यावरण को सुधारने में ये बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं।
  2. पर्यावरण की सुरक्षा हर किसी की जिम्मेदारी है। इसलिए पर्यावरण शिक्षा एक समूह या समाज तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि हर व्यक्ति को पर्यावरण के बचाव संबंधी जानकारी होनी चाहिए।
  3. अगर बच्चों को संसाधनों, पर्यावरणीय प्रदूषण, मृदा अपरदन, अवनति और संकटग्रस्त पौधों एवं विलुप्त जानवरों के बचाव तथा संरक्षण के बारे में सिखाया जाता है तो पर्यावरण के संरक्षण में काफी हद तक सुधार हो सकता है।
  4. भारत के विश्वविद्यालयों में शिक्षण, अनुसंधान और प्रशिक्षण पर काफी ध्यान दिया गया है। 20 से अधिक विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में पर्यावरण इंजीनियरिंग, संरक्षण और प्रबंधन, पर्यावरण स्वास्थ्य और सामाजिक विज्ञान जैसे पाठ्यक्रमों को पढ़ाया जाता है।
  5. भारत सरकार ने पर्यावरण और वन मंत्रालय के समर्थन से अगस्त 1984 में पर्यावरण शिक्षा केंद्र स्थापित किया था। इसके प्रमुख कार्यों में से एक यह है कि पर्यावरण शिक्षा की भूमिका को उचित मान्यता देने का प्रयास किये जाये। यह इससे संबंधित कई शैक्षिक कार्यक्रमों को चलाती है।
  6. बच्‍चों के पास आज प्राकृतिक दुनिया के बारे में जानने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं है। इससे न केवल बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है बल्कि उन्हें अपने परिवेश और प्रकृति से विलगाव जैसी स्थित का सामना करना पड़ता है। प्राकृतिक संसाधनों की कमी के कारण पर्यावरण की दृष्टि से शिक्षित पीढ़ी के लिए इस शिक्षण की जरूरी आवश्यकताओं में से एक है।
  7. इसलिए पर्यावरण शिक्षा को एक पाठ्यक्रम के रूप में संयोजित करना और छात्रों को बचपन से ही प्रकृति के बारे में अवगत कराना एक सही विकल्प है।

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Railway Exam: घर बैठे इस तरह‍ करें एग्जाम की तैयारी, जानें पूरा पैटर्न और टिप्स

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Railway Exams After 12th: भारतीय रेलवे करीब 15 कर्मचारियों के साथ दुनिया की चौथी और भारत की सबसे बड़ा ऐसा संगठन है, जहां पर इतने कर्मचारी कार्य करते हैं। रेलवे प्रतिवर्ष नए कर्मचारियों को भर्ती करता है, जिसके कारण रेलवे युवाओं के बीच आज भी सरकारी नौकरी का सबसे बड़ा जरिया बना हुआ है। हलांकि रेलवे में नौकरी पाना कोई आसान काम नहीं है। रेलवे द्वारा विभिन्‍न पदों पर निकाली जाने वाली भर्ती में प्रतिवर्ष लाखों उम्‍मीदवार बैठते हैं, लेकिन उसमें से कुछ हजार उम्‍मीदवार ही अपनी काबिलियत के बल पर नौकरी हासिल कर पाते हैं।

परीक्षा का पैटर्न (Exam Pattern)

कंप्यूटर आधारित टेस्ट (Computer Based Test)
कंप्यूटर आधारित टेस्ट में 90 मिनट में 100 वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नों का उत्तर देना होता है। इसमें गणित, सामान्‍य बुद्धि और तर्क शक्ति, सामान्‍य विज्ञान और सामान्‍य जागरूकता के प्रश्‍न पूदे जाते हैं।

फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट (Physical Efficiency Test)
विभिन्‍न पोस्ट के अनुसार इस टेस्ट का आयोजन होता है। इसमें आवेदक की शारीरिक दक्षता देखी जाती है, जोकि पदानुसार मांगी जाती है। कंप्यूटर आधारित टेस्ट की मेरिट के अनुसार कुल पदों के लगभग दोगुने लोगों को इस टेस्ट के लिए बुलाया जाता है।

दस्तावेज सत्यापन और उनकी काउंसलिंग (Document Verification And Their Counseling)
उपरोक्त दोनों टेस्ट में पास होने वालों को दस्तवेज़ों के साथ बुलाया जाता है जहां पोस्ट के आधार पर मांगे गए डॉक्यूमेंट और अन्य जानकारियों को जांचा जाता है।
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सिलेबस को समझे (Understand The Syllabus)
एग्जाम पैटर्न समझ लेने के बाद पोस्ट के हिसाब से सिलेबस को समझे । जितना सिलेबस है बस उन्हीं टॉपिक्स को पढ़ें उसके बाहर की जानकारी के पीछे न भागें, इसका कोई लाभ नहीं होगा। सभी विषयों के लिए एक टाइम टेबल बनायें और रोज हर सब्जेक्ट को समय दें। जिन विषयों में आपको लगता है कि आप ज्यादा कमजोर हैं उन विषयों की तैयारी में अधिक समय दें। जरुरी जानकारी हो और संभव हो तो नोट्स अवश्य बनायें। यह आपको रिवीजन करने में भी सहायक होगा और आपकी मानसिक शक्ति और नोट्स लिखने की कला को भी बढ़ाएगा।

जनरल अवेयरनेस (General Awareness)
जनरल अवेयरनेस विषय का रेलवे भर्ती परीक्षाओं में सबसे अधिक महत्त्व है। आप इसमें थोड़ी मेहनत से अच्छे अंक बटोरे जा सकते हैं। इसकी तैयारी के लिए प्रतियोगियों को अपने सामान्य ज्ञान को अधिक मज़बूत बनाने पर पूरा ध्यान देना चाहिए। इसके लिए एक या दो अच्छी सामान्य ज्ञान की पुस्तकों का गंभीरतापूर्वक अध्ययन, रोजाना समाचार-पत्र पढ़ने की आदत और ख़बरों के विश्लेषण के लिए पत्रिकाएं पढ़ना काफी उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इंटरनेट पर उपलब्ध ऑनलाइन रेलवे परीक्षा सामग्रियों का भी भरपूर तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

अर्थमेटिक एबिलिटी (Arithmetic Ability)
रेलवे परीक्षा की तैयारी में नौवीं और दसवीं कक्षा की गणित की पुस्तकें काफी काम आती हैं। इसलिए उनमें दिए गए विभिन्न कॉन्सेप्ट और फॉर्मूलों को पूरी तरह आत्मसात करना आवश्यक है। दूसरे शब्दों में इन फॉर्मूलों का गणितीय प्रश्नों को हल करने में कैसे इस्तेमाल किया जाना है, इस बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए। मुख्य टॉपिक्स में परसेंटेज, रेशियो एंड प्रोपोर्शन, प्रॉफिट एंड लॉस, टाइम एंड डिस्टेंस आदि का खासतौर पर उल्लेख किया जा सकता है। यह मत भूलें कि मैथ्स में प्रैक्टिस ही सफलता की कुंजी होती है। संबंधित टॉपिक्स के अधिकाधिक प्रश्नों को हल करने का ज्यादा से ज्यादा अभ्यास करने की आदत डालें।
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रीजनिंग (Reasoning)
इस तरह के प्रश्नों का अभ्यास करने के लिए रीजनिंग पर आधारित पुस्तक अवश्य पढ़े। इसके लिए दिए गए उदाहरणों को भली प्रकार समझने की कोशिश करें। इसके बाद उसमें दिए गए प्रश्नों को हल करें और इस क्रम में विभिन्न प्रकार की रीजनिंग और उनमें निहित तर्कों को समझने का प्रयास भी करें। इस तरह तैयारी करने पर परीक्षा के समय किसी भी तरह का प्रश्न आने पर परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

टेक्नीकल एबिलिटी (Technical Ability)
रेलवे के इस टेस्ट के अंतर्गत उम्‍मीदवारों से उस ट्रेड से संबंधित तकनीकी दक्षता के ज्ञान का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें टेक्नीकल प्रश्न ही पूछे जाते हैं। इसलिए परीक्षा की तैयारी के दौरान अपने तकनीकी ट्रेड की पुस्तकें अवश्य पढ़कर जाएं। सैद्धांतिक ही नहीं बल्कि व्यावहारिक पक्ष से जुडी तकनीकी जानकारी भी होनी जरूरी है। विशेषकर संबंधित ट्रेड के बारे में नई तकनीकी प्रगति से अवगत होना आवश्यक है।

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Career Tips: 12वीं के बाद कैसे करें सही कोर्स का चुनाव? ये 6 टिप्‍स करेंगी मदद

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How To Choose Best Career After 12th: कोरोना के कारण छात्रों का एजुकेशन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, सबसे ज्‍यादा परेशानी उन छात्रों को हो रही है, जिन्‍होंने इस सत्र में 12वीं पास किया है। इसबार बोर्ड की परीक्षाएं न होने के कारण छात्र खुद का आकलन नहीं कर पा रहे, जिसके कारण वे समझ नहीं पा रहे हैं, कि आगे क्‍या करें। कौन सा कोर्स करें और किसमें करियर बेहतर तरीके से बना सकते हैं। कई बार छात्र गलत सलाह से तो बार माता-पिता के दबाव में आ कर ऐसा कोर्स चुन लेते हैं जिनमें उनकी रूची नहीं होती।

पहले खुद का करें आकलन
छात्रों का सही आकलन परीक्षा में अंक हासिल करने से होता है, ज्‍यादातर छात्र आगे चलकर उन्‍हीं कोर्स में दाखिला लेते हैं, जिनमें उन्‍हें अच्‍छा अंक हासिल होता है, लेकिन कोरोना के कारण परीक्षा न होने से छात्र अपना आकलन नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि आप अपना बेहतर आकलन बिना परीक्षा के भी कर सकते हैं। आप इस बारे में सोचें कि आप कौन हैं, आप किसमें अच्छे हैं और आपको क्या पसंद है। इससे आपको ऐसे करियर आइडिया चुनने में मदद मिलेगी जो आपकी स्किल और इंटरेस्ट से मेल खाता हो। अपने इंटरेस्ट के सभी क्षेत्रों को उसकी खूबियों के साथ पेपर पर लिखिए, इसके बाद फैसला लें कि आपके लिए क्या कोर्स करियर के लिहाज से बेस्ट रहेगा।

पसंदीदा सब्‍जेक्‍ट की सूची बनाएं
कॉलेज में दाखिला लेने से पहले आप अपने पसंदीदा सब्‍जेक्‍ट और फिल्‍डस् की एक सूची बनाएं। इससे आपको करियर विकल्प देखने में मदद मिलेगी। यह सूची उस चीज़ को खत्म करने में भी मददगार हो सकती है जिसे आप बिल्कुल पसंद नहीं करते या नफरत करते हैं। इस सूची के आधार पर 10-15 करियर विकल्पों को नोट करें जो आपकी रुचियों को पूरा कर सकते हैं।
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सही कोर्स का चुनाव करें
सभी किसी न किसी विषय में माहिर होते हैं, आप भी जिस विषय में खुद को माहिर समझते हैं उसके अनुसार ही कोर्स का चयन करें। आज की तारीख में ऐसे कई कोर्स है जिन्हें आप करियर के अनुसार ढाल सकते हैं। इसके लिए जरूरी नहीं कि आप महंगे कॉलेज में दाखिला लें। पढ़ाई के लिए कई ऑप्शन मौजूद हैं। आप किसी भी संस्थान से डिग्री कोर्स, डिप्लोमा कोर्स, वीकेंड कोर्स, डिस्टेंस लर्निंग कोर्स कर सकते हैं। एडमिशन लेने से पहले आप वहां पढ़ने वाले पूर्व छात्रों से बातचीत करके तमाम जानकारी ले सकते हैं। सिलेबस स्कोप क्या है वो पहले पढ़ने वाले छात्र बता सकते हैं, उसी अनुसार फैसला लें।

बेहरत करियर ग्रोथ की संभावना देखें
किसी भी कॉलेज या कोर्स में दाखिला लेने से पहले यह ध्यान रखें कि उस कोर्स में करियर ग्रोथ कैसा है। अगर आप ऑफबीट कोर्स का चयन कर रहे हैं तो भविष्य में उसके विस्तार और उसमें ग्रोथ की संभावनाओं को लेकर अच्छे से विचार करें, इसके साथ ही ये भी देखें कि उस फील्ड में नौकरी मिलने के कितने चांसेस हैं। साथ ही ये भी देखना चाहिए कि उस संबंधित कोर्स में हायर स्टडीज की पॉसिबिलिटी है या नहीं।
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दबाव में कोर्स का चयन न करें
दाखिले के समय आप अभिभावकों के दबाव में आकर किसी कोर्स या संस्थान का चुनाव न करें, इससे आपका भविष्‍य खतरे में पड़ जाएगा। जिस भी कोर्स या संस्थान में एडमिशन ले रहे हैं उसकी मान्यता, फैकल्टी और प्लेसमेंट परफॉर्मेंस की जानकारी जरूर लें। अपने इंटरेस्ट और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए कोर्स सेलेक्ट करेंगे तो यकीन मानिए आपका आने वाला भविष्य करियर के लिहाज से बेहद ही ब्राइट होगा और ग्रोथ के भी काफी चांसेस मिलेंगे।

चुने हुए करियर विकल्पों की जांच करें
आपके द्वारा अगर कोर्स और करियर विकल्पों चुन लिया जाए तो आप प्रत्येक को न्यूनतम योग्यता, लाभ और कमियां, वेतन और विकास के अवसरों जैसे विभिन्न मानकों पर विश्लेषण करें। साथ ही आप उन करियर में पहले से कार्य करने वाले लोगों के साथ कुछ समय बिताएं, इससे उस क्षेत्र बारे में आपको अधिक जानकारी मिल पाएगी। जैसे अगर आप सीए बनना चाहते हैं, तो किसी सीए से मिले और उसके कार्य और करियर ग्रोथ के बारे में उससे बातचीत करें।

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Maths Tips: मैथ्स में कम मार्क्स आने का है फोबिया? आजमाएं ये 7 टिप्स जो बनाएंगी आसान

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Best Maths Tips: हम सभी जानते हैं कि गणित हमारे वैज्ञानिक और तकनीकी खोजों का आधार है, इसके बिना कोई भी तकनीकि संभव नहीं है, इसलिए ज्‍यादातर छात्र गणित से अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं, लेकिन कई छात्रों में गणित की फोबिया आम बात है, गणित के प्रश्‍न आते ही ऐसे छात्रों के हांथ-पांव कांपने लगते हैं, जिससे सवालों के जवाब आने के बाद भी छात्र उत्‍तर नहीं दे पाते। तो चलिए जानते हैं मैथस के लिए आसान टिप्स।

पहचाने गणित फोबिया के लक्षण
अगर आप भी गणित और संख्याओं का गुणा-भाग करते समय चिंतित या परेशान हो जाते हैं, तो इसका मतलब आप गणित फोबिया के शिकार हो सकते हैं। इसके चार सामान्य लक्षण हैं पहला घबराहट, दूसरा खुद को कमजोर समझना, तीसरा आत्मविश्वास की कमी और निष्क्रिय व्यवहार है। इस समस्‍या को हल करने के कई तरीके हैं।

बेसिक कॉन्सेप्ट्स पर ध्यान दें
गणित के लिए यह पहली अनिवार्य शर्त है। टीचर्स के लिए भी और स्टूडेंट्स के लिए भी। टीचर्स को चाहिए कि वे शुरू से ही अपने छात्र को बेसिक कॉन्सेप्ट्स क्लियर करवा दें। स्टूडे्ंटस को भी गणित की बुनियादी बातों को समझने में ज्यादा ध्यान और समय देना चाहिए। एक बार ये बेसिक कॉन्सेप्ट समझ लिए तो फिर गणित बहुत आसान हो जाएगा।

जब आपको समझ में न आए तो प्रश्न पूछें
गणित की कॉन्सेप्ट्स एक-दूसरे पर आधारित होती हैं और यदि आप शुरुआत में खो जाते हैं, तो बाद की कॉन्सेप्ट्स को समझना बहुत कठिन होगा। अच्छे टीचर चाहते हैं कि उनके छात्र सफल हों, यदि आप उन्हें इसकी जानकारी नहीं देते हैं, तो वे अनिवार्य रूप से आपकी समस्या को नहीं जान पाएंगे। प्रश्न पूछने में शर्मिंदगी महसूस न करने का प्रयास करें। अगर आपको कुछ समझ नहीं आ रहा है, तो हो सकता है कि कमरे में कम से कम एक और व्यक्ति हो जो भ्रमित हो।
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सबसे आसान प्रश्‍नों को पहले हल करें
होमवर्क के रूप में दिए गए प्रश्‍नों में आसान प्रश्‍न पहले आते हैं और बाद में कठन प्रश्‍न होते हैं। छात्रों को चाहिए कि पहले आसान प्रश्‍नों को हल करे, फिर अधिक कठिन प्रश्‍नों को हल करने की कोशिश करे। इसमें आप अपना पूरा समय लें, लेकिन प्रश्‍नों को बीच में न छोड़े, सभी को हल करें।

रटें नहीं, बल्कि प्रैक्टिस करें
मैथ्स ऐसा सब्जेक्ट है जिसमें रटने से काम नहीं बनने वाला। इस विषय में आप जितना प्रैक्टिस करेंगे, उतना फायदा होगा। पेन और पेपर लेकर खूब सवाल हल करें। इससे गणित को समझने में मदद मिलने के साथ- साथ सवाल हल करने की स्पीड भी बढ़ेगी।

खुद को भरपूर समय दें
किसी परीक्षा के समय एक रात पहले से रटने के बजाय, प्रत्येक दिन अध्ययन करें और अभ्यास से प्रश्‍नों को प्रतिदिन हल करने का समय निर्धारित करें। यह आपकी चिंता को कम करेगा कि आपके पास वह सब कुछ सीखने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा, जो आपको जानना चाहिए। बार- बार लंबे समय तक अभ्यास करने से आपको यह याद रखने में मदद मिलेगी कि परीक्षा के समय तनावग्रस्त माहौल में चीजों को कैसे हल किया जाए।
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पहाड़े और फॉर्मूले जरूर याद करें
गणित रटने वाला सब्जेक्ट नहीं है, लेकिन यह बात पहाडों पर लागू नहीं होती। पहाड़े तो आपको अच्छे से रटे होने चाहिए। कम से कम 20 तक के पहाड़े आपकी उंगलियों पर होने चाहिए। इससे आपको गणित के सवालों को तेजी से स्वॉल्व करने में मदद मिलेगी। इसी तरह फॉर्मूले भी याद होने चाहिए। हालांकि फॉर्मूलों के साथ प्रैक्टिस भी जरूरी है।

अपनी पढ़ाई की आदतों को बदलें
अगर आप मानते हैं कि आप गणित में कमजोर हैं, तो सबसे पहले अपनी पढ़ाई की आदतों को बदलें। गणित के अध्ययन के तरीके को बदलने से इसके बारे में आपका दृष्टिकोण बदल सकता है। किसी फॉर्मूले को केवल याद रखना उतना प्रभावी नहीं है जितना कि उस फॉर्मूले का अर्थ समझना और यह जानना कि इसका उपयोग कब करना है।

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Job Tips: जॉब इंटरव्यू में भूलकर भी न करें ये गलती, नौकरी होगी पक्की

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Tips For Entry-Level Job Interviews: अगर आप छात्र हैं और हालही में ग्रेजुएशन या पोस्‍ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर जॉब की तलाश में है और इंटरव्‍यू देने जा रहे हैं, तो आपको कई बातों को ध्‍यान में रखना पड़ेगा। कंपनी द्वारा आपसे कई ऐसे सवाल पूछे जाएंगे, जिसके जवाब हो सकता है आपको पता न हो या हो सकता है जवाब पता हो, लेकिन जवाब न दे पाएं। ऐसी स्थित में आपकी हथेलियों पर पसीना आने लगेगा, आवाज़ कांपेगी, चेहरा फूल और मुंह सूखा सा लगेगा। हो सकता है कि आपका दिल भी तेज़ी से दौड़ रहा हो। यह लक्षण है, आपके घबराहट की और ये स्वाभाविक भी है। जब कोई पहली बार इंटरव्‍यू देने जाता है तो लगभग सभी के साथ ऐसा होता है, लेकिन अगर आप पूरी तैयारी से जाएं और कुछ बातों का ध्‍यान रखें तो आप इन स्थितियों से बच सकते हैं।

इंटरव्‍यू से पहले कंपनी के बारे में जानें
जिस कंपनी में आप इंटरव्‍यू देने जा रहे हैं, पहले उसके बारे में जानना जरूरी है। अपने मिशन और कंपनी के कल्‍चर के बारे में जानने के लिए कंपनी के बेवसाइट पर विजिट करें। साथ ही अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो कंपनी में काम करता है, तो आप उनसे भी कंपनी के बारे में पूछ सकते हैं। यह आपको कंपनी के बारे में सवालों के जवाब देने में मदद करेगा।

जॉब लिस्टिंग की समीक्षा करें
आपमें कंपनी किस स्किल और एजुकेशन की तलाश कर रही है, यह समझने के लिए अपने इंटरव्‍यू से पहले जॉब लिस्टिंग को दोबारा पढ़ें। कम से कम कुछ इंटरव्‍यू प्रश्न इस बारे में होंगे कि आपके पास ये स्किल हैं या नहीं। इंटरव्‍यूअर्स उन स्किल और गुणों का प्रदर्शन करने के उदाहरण भी मांग सकता है।
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ईमानदार और प्रतिबद्ध रहें
अकसर इंटरव्यू में आवेदकों को काल्पनिक स्थितियां दी जाती हैं और उनसे पूछा जाता है कि वे उनमें क्या करेंगे। यह आवेदक की नेतृत्व क्षमता, निर्णय लेने क्षमता और ईमानदारी को आंकने के लिए किया जाता है। ऐसे में प्रश्नों का उत्तर देते समय ईमानदार बने रहने, अपनी सत्यनिष्ठा बनाए रखने की आवश्यकता होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यदि इंटरव्‍यूअर्स आवेदक के उत्तर को अव्यावहारिक या बेईमानी से दिया गया महसूस करते हैं, तो उसका आवेदन खारिज होते देर नहीं लगेगी। किसी भी काम के लिए या किसी भी स्तर के पद के लिए ईमानदारी और दायित्वबोध होना व्यक्तित्व की मूलभूत शर्तें हैं।

इंटरव्यू लेने वाले की तरह सोचें
इंटरव्‍यू की तैयारी का सबसे अच्छा तरीका है कि आप नियमित रूप से एक इंटरव्‍यूअर्स की तरह सोचें, और जो भी प्रश्न मन में आएं, उसे लिख लें। किसी भी इंटरव्‍यू में सफल होने की कुंजी उन सभी संभावित प्रश्नों के उत्तर जानने में ही है, जिनसे एक इंटरव्‍यू में सामना करने की उम्मीद की जा सकती है। इसलिए, संभावित प्रश्नों की सूची बनाकर इंटरव्यू की तैयारी करनी चाहिए।

प्रश्न पहले से ही सोच कर रखें
पूछे जाने वाले प्रश्नों के बारे में पहले से सोचना महत्वपूर्ण है, ताकि आप एक स्पष्ट प्रतिक्रिया तैयार कर सकें। इस प्रकार के सामान्य प्रश्न साक्षात्कार के दौरान अक्सर पूछे जाते हैं, जैसे- क्या आप मुझे अपने बारे में बता सकते हैं, आप हमारी कम्पनी के बारे में क्या जानते हैं, इस नौकरी के बारे में आपकी क्यों दिलचस्पी है, आप अपनी सबसे बड़ी ताकत और कमज़ोरियां क्या मानते हैं, आपकी वेतन आवश्यकताएं क्या हैं आदि।
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इंटरव्‍यू से मॉक इंटरव्यू करें
इंटरव्यू से पहले दोस्तों या परिवार के सदस्यों के साथ एक मॉक इंटरव्यू करने पर विचार करें खासकर यदि उन्हें कर्मचारियों के इंटरव्यू का अनुभव है तो ज्‍यादा बेहतर होगा। मॉक इंटरव्यू सहायक होगा और आपको अधिक आत्मविश्वास देगा।

सही समय पर पूरे दस्‍तावेज के साथ पहुंचे
इंटरव्यू में समय पर पहुंचना बहुत जरूरी होता है, इसलिए समय का ध्‍यान रखें। अपने सेल फोन को बंद करना सुनिश्चित करें ताकि इंटरव्यू के दौरान कोई बाधा न हो। आवश्यकता पड़ने पर आपको इंटरव्यू के लिए दस्तावेज़ों की 5 या 6 प्रतियां अपने साथ लानी चाहिए।

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Career In Hindi Language: हिन्‍दी भाषा का है अच्छा ज्ञान, तो इन 9 फील्ड में बना सकते हैं बेहतर करियर

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Career In Hindi Literature: दुनिया में मैंडरिन और अंग्रेजी के बाद तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है। यह देश की 22 आधिकारिक भाषाओं में से एक होने के साथ राजकीय भाषा भी है। इसका इस्तेमाल केंद्र सरकार द्वारा संसदीय, न्यायिक और सामान्य संचार में किया जाता है। अगर आपको हिन्दी भाषा से प्रेम है और आपने हिन्दी में बीए या एमए किया है तो आप टीचिंग के अलावा भी कई क्षेत्रों में खुद को एक्सप्लोर कर सकते हैं।

ट्रांसलेटर
हिन्‍दी वालों के लिए यह एक अच्‍छा करियर ऑप्शन है। इस क्षेत्र में आपके पास काम की कोई कमी नहीं होती और अगर आप चाहें तो घर बैठकर अपनी सुविधानुसार काम कर सकते हैं। एक बेहतरीन ट्रांसलेटर बनने के लिए आपकी हिन्दी के साथ−साथ किसी अन्य दूसरी भाषा पर भी पकड़ अच्छी होनी चाहिए। चूंकि आजकल हर कंपनी खुद को बेचना चाहती है, लेकिन भारत में बहुत से लोग अंग्रेजी या अन्य भाषा नहीं समझते, इसलिए अधिकतर कंपनियां अपना कंटेंट हिन्दी में मुहैया कराने के लिए टांसलेटर्स की मदद लेती है।

इंटरप्रिटेशन
ट्रांसलेटर की तरह ही एक इंटरप्रेटर भी एक भाषा का दूसरे में अनुवाद करता है। हालांकि, इंटरप्रेटर यह लिखकर नहीं, बल्कि मौखिक रूप से ऐसा करते हैं। एक इंटरप्रेटर उन शब्दों का अनुवाद करेगा जो एक व्यक्ति एक अलग भाषा में कहता है। ट्रांसलेटर की तुलना में इंटरप्रेटर शब्दों को पढ़ नहीं सकते हैं लेकिन भाषा की व्याख्या कर सकते हैं। इस तरह की नौकरी के अवसर राजनयिक मिशनों, संयुक्त राष्ट्र और विदेशी छात्रों के साथ विश्वविद्यालयों में उपलब्ध हैं।
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पत्रकारिता
देश-दुनिया से लेकर अपने आस-पास की जानकारी आज के समय में हिन्दी न्यूजपेपर से लेकर मैगजीन व न्यूज चैनल्स के माध्‍यह से ही संभव हो पाता है। हिंदी साहित्‍य में डिग्री लेने के बाद आप इस क्षेत्र में बेहतर करियर बना सकते हैं। इस क्षेत्र में आप एंकर, न्यूज एडिटर, न्यूज राइटर, रिपोर्टर आदि बन सकते हैं। अगर आप घर बैठकर ही कमाई करना चाहते हैं और हिन्दी भाषा में पकड़ के साथ−साथ आपका लेखन भी अच्छा है तो आप किसी ऑनलाइन हिन्दी वेबसाइट के लिए भी घर बैठकर लिख सकते हैं।

सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी प्राप्त करना हर किसी का सपना होता है, पढ़ाई के बाद ज्‍यादातर लोग सरकारी नौकरी करना चाहते हैं। आप भी हिन्दी साहित्‍य से डिग्री लेने के बाद केन्द्रीय व राज्य के विभाग में सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं, साथ ही यूपीएससी, एसएससी और पीएसयू में भी आवेदन कर सकते हैं।

स्क्रीन राइटिंग
हिन्‍दी में अच्‍छी पकड़ रखने वाले लोगों का फिल्म जगत और टेलीविजन के क्षेत्र में खासी डिमांड होती है। आज के समय में ओटीटी प्‍लेटर्फाम के आने से इस क्षेत्र के करियर स्‍कोप बढ़ गया है। अगर आप हिन्दी में अच्छे हैं तो आप प्रॉडक्शन हाउस, मीडिया हाउस में स्क्रप्टि राइटिंग, डायलॉग्स या लिरिक्स भी लिख सकते हैं। लेकिन अगर आप स्क्रीन राइटर बनना चाहते हैं तो आपको बीए हिन्दी करने के बाद स्क्रीन राइटिंग कोर्स में पोस्ट ग्रेजुएशन करनी होगी ताकि आपके भीतर लेखन की अच्छी समझ विकसित हो सके।
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कंटेंट राइटर व एडिटर
आज के समय में हिंदी भाषा की जानकारी रखने वालों की सबसे ज्‍यादा मांग कंटेंट राइटर व एडिटर के रूप में होती है। विभिन्न प्रकाशनों से जुड़कर लोग पाठ्यपुस्तक, उपन्यास, नाटक, कविता के लिए कंटेंट तैयार करते हैं। साथ ही कई वेबसाइटें अब हिंदी में कंटेंट तैयार कर रही हैं। प्रत्येक प्रकाशन के लिए राटर व एडिटर्स को व्याकरण की सटीकता और पर्याप्त कंटेंट सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है। हिंदी में डिग्री करने के बाद आप एक प्रकाशन गृह, कंटेंट एजेंसी या स्वतंत्र रूप से एक फ्रीलांसर के रूप में एक लेखक या संपादक के रूप में काम कर सकते हैं।

भाषण लेखन
भाषण राजनीतिक नेताओं, प्रभावितों और अधिक द्वारा किए जाते हैं। व्यावहारिक रूप से जो कोई भी भीड़ को प्रभावित करना चाहता है, वह भाषण का उपयोग करके या तो व्यक्तिगत रूप से या रिकॉर्ड किए गए वीडियो- ऑडियो के माध्यम से करेगा। जैसे ही भाषणों और जनसंपर्क का महत्व बढ़ता है भाषण लेखकों की अधिक मांग होती है। चूंकि भारत में जनता का एक बड़ा हिस्सा हिंदी भाषी है, इसलिए भाषण देने के लिए हिंदी एक लोकप्रिय भाषा बन गई है, जिसके चलते यह भाषण लेखकों की मांग की ओर अग्रसर है।
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वाईस असिस्‍टेंट
दुनिया में जैसे-जैसे टेक्‍नोलॉजी बढ़ रही है, वैसे-वैसे लोगों को ऐसी टेक्‍नोलॉजी को हैंडल करने के लिए वाइ्रस असिस्‍टेंट की भी जरूरत बढ़ रही है। कंपनियां आबादी के हिसाब से उस क्षेत्र के प्रमुख भाषा में इन्‍हें रिकार्ड करती हैं, क्‍योंकि देश में हिन्‍दी ज्‍यादा बोला जाता है, इसलिए इस भाषा में वाईस असिस्‍टेंट की ज्‍यादा जरूरत पड़ती है। विशेष रूप से टेलिसलेस और ग्राहक सेवा जैसे क्षेत्रों में हिंदी भाषी पेशेवरों के लिए कॉल सेंटर, कस्टमर केयर सर्विसेज़, सेल्स टेलीमार्केटिंग और बीपीओ के साथ नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं। उत्कृष्ट संचार कौशल के अलावाए वाईस असिस्‍टेंट बनने के लिए कोई अतिरिक्त योग्यता नहीं है।

अध्यापक
हिंदी को पूरा करने के बाद क्लासिक और लोकप्रिय करियर विकल्पों में से एक अध्यापक बनकर आने वाली पीढ़ियों को भाषा का ज्ञान और क्षमता प्रदान करना है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की लोकप्रियता बढ़ने के साथ-साथ भारत से बाहर के छात्रों को हिंदी सिखाने के अवसर भी हैं। सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों की उम्र के आधार पर नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं, चाहे वे प्राथमिक स्तर, माध्यमिक, वरिष्ठ माध्यमिक या कॉलेज हों।

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Career Tips: क्या है Aeronautical Engineering? कौन-से कोर्स के बाद मिलेगी हाई सैलरी

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Aeronautical Engineering After 12th: अगर आपका दिल भी बचपन में आसमान में उड़ते प्‍लेन को देखकर मचलता था और आप उसके पीछे भागते थे, तो शायद बड़े होने के बाद आप इसके बारे में और बेहतर तरीके से जनाना की कोशिश कर रहे हों। अगर ऐसा है तो एयरोनॉटिक इंजीनियरिंग का फिल्‍ड आपके लिए ही है। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का क्षेत्र इंजीनियरिंग का सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र माना जाता है। इसमें करियर निर्माण की बेहतर संभावनाएं हैं। इसके तहत नागरिक उड्डयन, स्पेस रिसर्च, डिफेंस टेक्नोलॉजी आदि के क्षेत्र में नई तकनीकों का विकास किया जाता है। यह क्षेत्र डिजाइनिंग, निर्माण, विकास, परीक्षण, ऑपरेशंस तथा कमर्शियल व मिलिट्री एयरक्राफ्ट के पुर्जों के साथ-साथ अंतरिक्ष यानों, उपग्रहों और मिसाइलों के विकास से भी संबंधित है।

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (Aeronautical Engineering)
एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में एयरक्राफ्ट को ऑपरेट करने की टेक्निक्स और फ्लाइट-केपेबल मशीन्स की स्टडी, डिज़ाइन और मेंटेनेंस से जुड़े सभी कार्य शामिल होते हैं। इस कोर्स के तहत इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स और यंग प्रोफेशनल्स को कमर्शियल या मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स, मिसाइल्स और स्पेसक्राफ्ट्स के कंस्ट्रक्शन, डिजाइनिंग, टेस्टिंग और एनालिसिस की विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। एयरोनॉटिक इंजीनियरिंग में प्रोपल्शन, मेटीरियल्स साइंस, एवियोनिक्स और एरोडायनामिक्स को भी शामिल किया जाता है।
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एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया एंड कोर्स (Eligibility Criteria and Course)
एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के लिए अभ्यर्थी की पकड़ फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स पर बहुत मजबूत होनी चाहिए। साथ ही इस कोर्स के लिए आवेदन करने हेतु फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स विषय के साथ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। भारत में मुख्य रूप से 4 प्रकार के एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्स हैं।

जिसमें कक्षा 10 वीं और कक्षा 12 वीं के बाद क्रमशः 3 साल की अवधि वाला डिप्लोमा पाठ्यक्रम 12 वीं कक्षा के बाद 4 साल की अवधि वाला एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बीई व बीटेक और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद 4 साल की अवधि वाले पोस्टग्रेजुएट पाठ्यक्रम एमई व एमटेक शामिल है। एमई के पूरा होने के बाद 2 साल की अवधि वाले पीएचडी डॉक्टरेट डिग्री कोर्स भी कर सकते हैं।

भारत के टॉप एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कॉलेज (Top Aeronautical Engineering Colleges In India)
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आईआईटी मद्रास
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आईआईटी बॉम्बे
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आईआईटी खड़गपुर
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, आईआईटी कानपुर
  • मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
  • अन्ना यूनिवर्सिटी
  • पीईसी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी
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करियर के अवसर (Career Opportunities)
एयरोनॉटिकल इंजीनियर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और रक्षा मंत्रालय में आसानी से नौकरियां पा सकते हैं। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर्स करने के बाद कोई भी राष्ट्रीय एयरोनॉटिकल प्रयोगशाला, नागरिक उड्डयन विभाग, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के साथ आकर्षक वेतन पैकेज के साथ काम कर सकता हैं। इसके अलावा एयरोस्पेस इंजीनियरों को संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, यूके और जर्मनी जैसे देशों में भी नौकरियां मिल सकती हैं। एयरोस्पेस इंजीनियरों की प्रतिष्ठित शोध केंद्रों जैसे नासा और एयरबस जैसे निजी कंपनियों में बहुत अधिक मांग है।

जरूरी स्किल्स (Required Skills)
एयरोनॉटिकल इंजीनियर बनने के लिए उम्मीदवार के पास व्यापक दृष्टिकोण होना नितांत आवश्यक है। उसके पास गणितीय शुद्धता और डिजाइन कौशल, कम्प्यूटर दक्षता और अच्छी कम्युनिकेशन स्किल होनी चाहिए। उम्मीदवार में योजना बनाने तथा दबाव में काम करने में निपुण होने के साथ मैनुअल, टेक्नीकल और मेकेनिकल एप्टीट्यूड, नार्मल कलर विजन, फिजिकल फिटनेस, स्पेसक्राफ्ट और एयरक्राफ्ट उपकरण के लिए जुनून होना चाहिए।

सैलरी पैकेज (Salary Package)
एजुकेशन के बाद एक एयरोनॉटिकल इंजीनियर का प्रारंभिक वेतन प्रति वर्ष करीब 20 से 50 लाख रुपए माना जाता है, जो उम्मीदवार के अनुभव, स्किल और ऑर्गनाइजेशन के आधार पर होता है। निजी क्षेत्र में शामिल होने वाले इंजीनियर को संगठन के मैनेजमेंट द्वारा निर्धारित वेतनमानों के अनुसार भुगतान किया जाता है, जो अलग अलग कंपनियों में भिन्न भिन्न हो सकता है। वहीं सरकारी क्षेत्र में एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स को एक ग्रेड-ए, ग्रेड-बी, जूनियर इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियर की सैलरी सरकारी क्षेत्र में फिक्स्ड स्केल के आधार पर होती है।

जहां तक करियर ग्रोथ और विकास का सवाल है, तो एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में निवेश पर रिटर्न के मामले में यह टॉप विकल्पों में से एक है। इस स्ट्रीम में स्थिर करियर, अच्‍छा पैकेज और बेहतर भविष्य की संभावनाएं हैं।

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Career After Graduation In Geography: जियोग्राफी में ग्रेजुएशन के बाद कहां मिलेगी अच्छी सैलरी? ये रही लिस्ट

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Career Options For Geography: ज्योग्राफी एक ऐसा विषय है जिसमें पृथ्वी पर पाए जाने वाले विविध तथ्यों का अध्ययन किया जाता है, इसके तहत आप धरातल के विविध तत्वों के साथ नदी, पहाड़, जंगल, ज्‍वालामुखी, मौसम, जलवायु आदि के स्वरूप तथा उत्पत्ति का अध्‍ययन करते हैं। साथ ही इसमें मानव आबादी व संसाधनों का वितरण और राजनीतिक व आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन भी शामिल है, क्योंकि ये चीजें जहां पृथ्वी और उसके वातावरण की भौतिक विशेषताओं को प्रभावित करती हैं, वहीं उनसे प्रभावित भी होती हैं। अगर आपको भी पृथ्‍वी और प्रकृति से प्‍यार है और आप ज्‍योग्राफी विषय के साथ पढ़ाई पूरी कर अपना करियर बनाना चाहते हैं तो सोचे मत, क्‍योंकि इसमें करियर की असीम संभावनाएं हैं।

पहले समझे ज्‍योग्राफी
जो विषय पृथ्‍वी के उत्‍पन्‍न से लेकर उसके भविष्‍य तक का आकलन करे, जाहिर तौर पर वह व्यापक होगा। इसलिए इसमें करियर की संभावनाएं भी काफी अधिक हैं। ज्‍योग्राफी में कई कई शाखाएं हैं, जिसमें भौतिक, मानव और पर्यावरण मुख्‍य है। भौतिक ज्‍योग्राफी में जहां पृथ्वी और उसके वातावरण की भौतिक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। वहीं मानव ज्‍योग्राफी में मनुष्य की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के बारे में जाना-समझा जाता है। इसी तरह पर्यावरण ज्‍योग्राफी में व्यावसायिक पर्यावरण और उसका मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों के साथ-साथ मौसम, जलवायु आदि के बारे में विस्तार से अध्ययन किया जाता है।

किस तरह का एजुकेशन लें
भारत में छात्रों को वैसे तो प्राइमरी स्‍कूल से ही ज्‍योग्राफी की जानकारी दी जाती है, लेकिन अगर करियर बनाना है तो कम से कम स्नातक होना जरूरी है। इसके बाद अगर आप ज्‍योग्राफी में डिप्‍लोमा, एमए और पीएचडी करना चाहें तो कर सकते हैं, यह आपके लिए फायदेमंद रहेगा। यहां तक पहुंचने के लिए विषय पर पकड़ भी मजबूत होनी चाहिए, क्योंकि कुछ संस्थानों में ज्‍योग्राफी में दाखिले मेरिट के आधार पर होते हैं तो कई प्रवेश परीक्षा के जरिये दाखिला देते हैं।
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उच्‍च कोर्स के लिए प्रमुख संस्थान
  1. दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
  2. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, अलीगढ़
  3. पटना यूनिवर्सिटी, पटना
  4. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
  5. बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची
  6. जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली
  7. इंस्टीट्यूट ऑफ जिओइंफॉर्मेटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग, कोलकाता

जरूरी स्किल
ज्‍योग्राफी कोई आसान विषय नहीं है, इसमें करियर बनाने के लिए आपके अंदर कई तरह के स्किल का होना जरूरी है। आपके अंदर विषय के प्रति गहरी रुचि और ज्ञान के साथ.साथ दूसरे लोगों के साथ तालमेल बिठाकर चलने की क्षमता भी हो। इसके अलावा कंप्यूटर का ज्ञान, आंकड़ों के संयोजन और विश्लेषण का हुनर, तर्कसंगत और विश्लेषणात्मक सोच, मैथमैटिक्स पर अच्छी पकड़ व मैप बनाना आना चाहिए।

इन जगहों पर है जॉब्‍स ऑप्‍शन
ज्‍योग्राफी में पढ़ाई पूरी करने के बाद आपको जॉब्‍स के भरपूर ऑप्‍शन मिलेंगे। इस क्षेत्र में सेटेलाइट टेक्नोलॉजी, ट्रांसपोर्टेशन, एयरलाइट रूट व शिपिंग रूट प्लानिंग, मौसम विभाग, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण विज्ञान, जनसंख्या परिषद, एजुकेशन, सिविल सर्विसेज आदि क्षेत्रों में जॉब पा सकते हैं। भूगोल में पेशेवर तौर पर प्रशिक्षित लोग रिमोट सेंसिंग, मैप, खाद्य सुरक्षा, बायोडाइवर्सिटी संरक्षण आदि से जुड़ी एजेंसियों में भी काम करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
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ज्‍योग्राफी के हॉट सेक्‍टर

ज्योग्राफर
इस क्षेत्र में सबसे ज्‍यादा लोग जुड़े हैं। ज्योग्राफर्स का कार्य प्रकृति से संबंधित तथ्य तथा जानकारियां जुटाना है। इसके अलावा यह लोग मिट्टी, क्लाइमेंट, लैंड फार्म, प्लांट्स तथा एनीमल से रिलेटेड जानकारियां भी एकत्र करते हैं। इसलिए आंकडों की जरूरत के लिए ज्योग्राफर की डिमांड सरकारी और प्राइवेट सेक्टर दोनों में बढ़ी है।

जीआईएस स्पेशलिस्ट
ज्योग्राफिक इंफार्मेशन सिस्टम के माध्यम से आप किसी भी स्थान के मौसम, तापमान और प्रदूषण की जानकारी हासिल कर सकते हैं। जीआईएस आपदा और आकस्मिक दुर्घटना के समय कुछ मिनट में ही उस जगह की सारी जानकारी एकत्र करने में सक्षम होते हैं। जीआईएस से जुड़े कई साफ्टवेयर भी आ रहे हैं जिनसे और भी कई तरह जानकारिया ली जा सकती हैं। प्रोजेक्ट शुरूआत करने के लिए तथा प्रदूषण नियंत्रण के लिए इस फील्ड के विशेषज्ञों का क्रेज बढ़ा है।

कार्टोग्राफर
इनका मुख्य काम नक्शा और उससे संबंधित डायग्राम, चार्ट, ट्रैवल गाइड आदि का निर्माण और विकास करना तथा पुराने नक्शों व दस्तावेजों का जीर्णोद्धार करना है। इन पेशेवरों को सरकारी, सर्वेक्षण, संरक्षण और प्रकाशन क्षेत्र में जॉब मिलता है।
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एनवायर्नमेंटल कंसल्टेंट्स
एनवायर्नमेंटल कंसल्टेंट्स के तौर पर मुख्य काम अपने वाणिज्यिक या सरकारी ग्राहकों से पर्यावरण संबंधी नियमों का पालन कराना और विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर काम कराना होता है। इन्हें सरकारी और जल से संबंधित संगठनों में जॉब मिलती है।

टाउन प्लानर
टाउन प्‍लानर का कार्य सरकारी व निजी कंपनियों के साथ मिलकर विकास और प्रबंधन की योजना बनाना, उसमें विकास के स्थायित्व और प्राकृतिक वातावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना, मौजूदा बुनियादी ढांचे में सुधार करना और पर्यावरण संबंधी मुद्दों का हल निकालना है।

रीसाइकिलिंग ऑफिसर
इनका मुख्य कार्य पर्यावरण का ध्‍यान रखना है, वे पर्यावरण के अनुकूल और अपशिष्ट पदार्थों में कमी की नीतियां व योजनाएं बनाते और विकसित करते हैं। सरकारी, रीसाइक्लिंग के प्रोजेक्ट्स या पर्यावरण पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्थाओं में काम मिलता है ।

सिविल सर्विसेज
इंडियन सिविल सर्विस परीक्षा में ज्योग्राफी टॉप स्कोरिंग सब्जेक्ट है। इस परीक्षा में यह जनरल स्टडीज पेपर का हिस्सा या ऑप्शनल सब्जेक्ट होता है। यही कारण है कि कई स्टूडेंट्स पोस्ट ग्रेजुएट लेवल तक ज्योग्राफी लेना पसंद करते हैं। सिविल सर्विसेज में यदि आप प्लानिंग करके ज्योग्राफी पढ़ें तो टॉप स्थान हासिल कर सकते हैं।

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Fashion Designing: क्रिएटिविटी पसंद है तो फैशन डिजाइनिंग करें ट्राई, 12वीं के बाद बेस्ट करियर ऑप्शन

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A Career In Fashion Design: जब हम बाजार निकलते हैं तो दुकानों पर हमें अलग-अलग डिजाइन और अलग-अलग रंगों में ड्रेस, ज्‍वेलरी दिखाई पड़ते हैं, इसी को हम फैशन कहते हैं। भारत की फैशन इंडस्ट्री या फैशन मार्केट का साइज़ लगभग 20 हजार करोड़ रुपये है, जो विश्व फैशन बाजार का लगभग 0.3 है। आर्थिक उदारीकरण के बाद देश में फैशन इंडस्ट्री बहुत तेजी से ग्रोथ कर रहा है, साथ ही करियर की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं। अगर आप में कलात्मकता है, नए रंग, डिजाइन और स्टाइल आपको लुभाते हैं तो फैशन डिजाइनिंग आपके लिए एक बेहतरीन क्षेत्र है। भारत के साथ-साथ विदेशों में भी फैशन डिज़ाइन का व्यापक दायरा है।

फैशन डिजाइनिंग क्‍या है (What Is Fashion Designing)
फैशन डिजाइनिंग हम उसे कह सकते हैं, जिसमें कई किस्म के कपड़ों, रंगों और ट्रेंड्स का इस्तेमाल कर हम नए स्टाइल्स को तैयार करते हैं। फैशन डिजाइनिंग की आर्ट केवल कपड़ों की डिजाइनिंग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें हैंडबैग, फुटवियर, ज्‍वैलरी आदि भी आता है।

जरुरी स्किल्स (Skills Required for Fashion Designing)
  1. क्रिएटिव और आर्टिस्टिक थिंकिंग
  2. बेहतरीन ड्राइंग स्किल
  3. देश- विदेश के लेटेस्ट फैशन ट्रेंड्स में गहरी दिलचस्पी
  4. अच्छे टैलेंट के साथ बेहतरीन विज्युअलाइजेशन स्किल्स
  5. टेक्सचर, कपड़े, रंग आदि की अच्छी समझ
  6. कॉम्पीटीटिव स्पिरिट
  7. अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स और टीम प्‍लेयर।
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एकेडेमिक क्वालिफिकेशन्स (Academic Qualifications for Fashion Designing)
अगर आप फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करना चाहते हैं तो कम से कम 12वीं पास करना जरूरी है। अगर आप डिप्लोमा लेवल कोर्से या अंडरग्रेजुएट लेवल कोर्सेज करना चाहते हैं तो आपका किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशनल बोर्ड से किसी भी विषय में 12वीं पास करना जरूरी है। वहीं पोस्टग्रेजुएट लेवल कोर्सेज के लिए किसी मान्यताप्राप्त यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की हो या कोई अन्य समान क्वालिफिकेशन हो।

प्रमुख फैशन डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट्स (Fashion Designing Institutes)
  1. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिजाइन
  2. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
  3. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी
  4. इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजीए बॉम्बे
  5. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ आर्ट एंड फैशन टेक्नोलॉजी
  6. जेडीडी इंस्टीट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
  7. आईईसी स्कूल ऑफ आर्ट एंड फैशन, नई दिल्ली

फैशन डिजाइनर
फैशन उद्योग में डिजाइनर का मुख्‍य कार्य होता है, सभी तरह के नए डिजाइन करना ही इनका कार्य है, बाजार में किसी भी फैशन का जन्‍म यही देते हैं, इनका मुख्य काम क्लोथिंग, फुटवियर, ज्वैलरी और एक्सेसरीज़ के ऑरिजिनल डिज़ाइन्स तैयार करना होता है।
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फैशन इलस्ट्रेटर
फैशन इलस्ट्रेटर को फैशन डिजाइनर की इच्छाओं और व्याख्याओं के बारे में प्राथमिक रेखाचित्र तैयार करना होता है। एक इलस्ट्रेटर को मानसिक रचनाओं और डिजाइनर के विचारों का पता होना चाहिए।

फैशन स्टाइलिस्ट
एक स्टाइलिस्ट को शो में बेहतरीन दृश्य प्रदान करने के लिए मेकअप, हेयरस्टाइल, ड्रेस कोड आदि का ध्यान रखना होता है।

फैशन सलाहकार
एक सलाहकार को रुझान और परिवर्तन के बारे में हमेशा पता होना चाहिए। उन्हें नियमित रूप से किसी उत्पाद के विकास के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत करते हैं। साथ ही सलाहकार को सक्रिय पर्यवेक्षक होने की आवश्यकता होती है, जो बदलते फैशन का जल्द अनुभव कर सकें।
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फैशन मर्चेंडाइजर
मर्चेंडाइजर के पास मार्केटिंग की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है। पिछले और नवीनतम रुझानों और सेल्स डेटा का विश्लेषण प्रमुख वितरणों में से एक है। मर्चेंडाइजर खरीदारों से विवरण एकत्र करके डिजाइनरों की मदद करता है। बाजार की मांग और उत्पादन प्रक्रियाओं की समझ के साथ- साथ फैशन व्यापारी, कपड़ो की बनावट आदि के बारे में फैशन मर्चेंडाइजर को पता होना चाहिए।

फैशन फोटोग्राफर
फैशन के साथ अगर आपको फोटोग्राफी का शौक है तो आप यहां अपना करियर बना सकते हैं। फैशन फोटोग्राफर्स किसी एक फैशन फर्म के साथ अनेक फर्म्स के लिए काम कर सकते हैं, इस पेशे में फ्रीलांसिंग फैशन प्रोजेक्ट्स की भी अच्छी संभावना है। फैशन की दुनिया में रचनात्मक और प्रभावी फैशन फोटोग्राफ्स से न केवल विभिन्न फैशन प्रोडक्ट्स की लोकप्रियता ही बढ़ती है बल्कि कस्टमर्स भी इन फैशन फोटोग्राफ्स के प्रभाव में आकर विभिन्न फैशन प्रोडक्ट्स खरीदने के लिए प्रेरित होते हैं।

फैशन राइटर
किसी भी फैशन मैगजीन्स, न्यूज़पेपर्स, वेबसाइट्स के लिए फैशन से संबंधित आर्टिकल्स लिखना इनका काम है, अधिकांश फैशन राइटर्स विभिन्न फैशन डिज़ाइन फर्म्स के एडिटोरियल डिपार्टमेंट्स में काम करते हैं। इस फील्ड में फ्रीलांसिंग में भी काफी बढ़िया स्कोप है, ये पेशेवर भारत और विदेशों में फैशन के लेटेस्ट ट्रेंड्स तथा विभिन्न फैशन आइकॉन्स से इंटरव्यू लेकर अपने आर्टिकल तैयार करते हैं।

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How To choose best School: बच्‍चों के लिए स्‍कूल चुनने से पहले इन बातों का रखें ध्‍यान

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How To Choose School For Your Child: हर मां-बाप की यही इच्छा होती है कि उसका बच्चा अच्‍छे स्‍कूल में पढ़कर अच्‍छी एजुकेशन हासिल करे, जिससे बड़ा होकर सफल करियर बना सके। हालांकि जब स्‍कूल में बच्‍चों को दाखिला कराने का समय आता है तो कई पैरेंटस् जानकारी के अभाव में बच्‍चों का दाखिला ऐसे स्‍कूलों में करा देते हैं, जहां न तो बच्‍चों को अच्‍छी शिक्षा मिल पाती है और न ही उनकी सुरक्षा, मानसिक विकास व अन्‍य सुविधा पर ज्‍यादा ध्‍यान दिया जाता है।

इसका असर जहां बच्‍चों पर पड़ता है तो कई बार पैरेंटस् को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। मसलन, आप सिर्फ नाम के चक्कर में बच्चे का एडमिशन किसी स्कूल में करवा दें और फिर वहां की फीस व अन्य खर्चे आपके बजट से बाहर हों तो कुछ वक्त बाद आपको बच्चे का स्कूल चेंज कराना ही पड़ेगा। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप बच्चे के लिए स्कूल का चयन करते समय बच्चे की पढ़ाई से लेकर अपनी आर्थिक स्थिति तक हर छोटी-बड़ी बात को ध्यान में रखें। तभी आप अपने बच्चे के लिए एक बेस्ट स्कूल चुन पाएंगी और उसे एक बेहतर भविष्य दे पाएंगी।

शार्टलिस्‍ट करें स्‍कूल
किसी भी स्कूल को चुनने से पहले आप ऐसे स्‍कूलों को शार्टलिस्ट करें, जो आपके शर्तों पर खरे उतरते हों। मसलनए आप यह देखें कि आपके घर के आसपास कौन-कौन से स्कूल हैं और उनका फीस क्या है। साथ ही अलग-अलग स्कूलों में क्या खासियत है। आजकल स्कूल में एडमिशन प्वाइंट सिस्टम के आधार पर होता है, इसलिए स्कूल चुनते समय पहली प्राथमिकता घर के पास की ही रखें। अधिकतर स्कूलों की मासिक फीस लगभग एक जैसी ही होती है, लेकिन हर स्कूल में अन्य खर्चे अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे कुछ स्कूलों में हर साल बच्चे के एडमिशन फीस या सालाना फीस के नाम पर एक मोटी रकम ली जाती है। इसलिए इन सभी बातों के बारे में पहले ही जान लेना आपके लिए अच्छा है।

स्कूल में टीचर केयरिंग हो
बच्चा जब पहली बार स्‍कूल जाता है तो उसे कइ्र दिककतों का सामना करना पड़ता है, जिस तरह घर में उसे मां का प्‍यार मिलता है, उसी तरह उसे स्कूल में उतना ही प्यार और लाड मिलना चाहिए। बच्चों के लिए स्कूल भी अपनी दूसरी मां की तरह लगना चाहिए जहां पर वह उठना-बैठना, बात करना और डिसिप्लिन आदि सीखता है। स्कूल में बच्चे को लाड- प्यार करने वाले टीचर होने चाहिए, जो बच्चों को डांटने मारने के बजाय प्यार से हैंडल करते हो।
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स्कूल और बोर्ड की जानकारी
जिस किसी भी स्कूल में आप अपने बच्चों का एडमिशन कराएं ध्यान रखें कि वह स्कूल राज्य या राष्ट्रीय एजुकेशन बोर्ड से संबंधित एवं मान्यता प्राप्त होना आवश्यक है। जो भी स्कूल बोर्ड ऑफ एजुकेशन से मान्यता प्राप्त होते हैं, उनका करिकुलम सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों से मिलता है। यदि आपको किसी कारणवश स्कूल बदलना है, तो याद रखें अगर पिछला स्कूल बच्चे का सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त था, तो स्कूल बदलने के दौरान भी सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल ही चुने जिससे बच्चों को करिकुलम बदलने से किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।

स्कूल की सुविधा देखें
किसी भी स्‍कूल में बच्‍चों का दाखिला कराने से पहले उस स्‍कूल में बच्‍चों को मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी जरूर ले लें। स्कूल में एजुकेशन के साथ मनोरंजन एवं एक्स्ट्रा करिकुलम के लिए व्यवस्थाएं मौजूद है या नहीं। बच्चों के लिए स्कूल में कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी, ऑडिटोरियम, प्ले ग्राउंड, स्विमिंग पूल, इंडोर गेम्स, मेडिकल की सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। इन सभी चीजों को इग्नोर करना नहीं चाहिए और बच्चों की सुविधा सर्वप्रथम देखनी चाहिए।

अच्छा करिकुलम जरूरी
स्‍कूल में बच्‍चों को पढ़ाई के साथ खेलकूद का भी अपना एक विशेष महत्व होता है। इसलिए ऐसे स्कूल का चयन करें जहां पर पढ़ाई के साथ-साथ एक्स्ट्रा करिकुलम भी करवाया जाता है, जैसे- स्कूल में स्पोर्ट्स, फिजिकल एक्टिविटी, ड्रामा, म्यूजिक, एंटरटेनमेंट, डिबेट, कविताएं या कहानियां जैसी एक्टिविटी भी एक्स्ट्रा करिकुलम के अंतर्गत करवानी जरूरी है। एक्स्ट्रा करिकुलम करवाने से छात्रों के अंदर मानसिक एवं शारीरिक रूप से विकास होता है। इन सभी चीजों से आपके बच्चों का पूरी तरीके से विकास होता है, इसलिए एक्स्ट्रा करिकुलम भी आपके बच्चों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण चीजों में से एक है।
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प्रशिक्षित और हाई पोस्टेड शिक्षक हो
जब आप अपने बच्चों को किसी भी स्कूल में दाखिला कराते हैं, तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है। बच्चों के पेरेंट्स पहले यह देखते हैं कि जिस भी स्कूल में वे अपने बच्चों का एडमिशन कराने वाले हैं उसमें एजुकेटेड टीचर हो जो आपके बच्चों का भविष्य सवारेंगे। एक प्रशिक्षित शिक्षक के होने से आपके बच्चों के विकास पर इसका अच्छा असर पड़ता है।

स्‍कूल में सुरक्षा बेहतर हो
जब बच्‍चा स्‍कूल जाता है तो मां-बाप को सबसे ज्‍यादा चिंता अपने बच्‍चों की सुरक्षा का होता है, हालांकि स्कूलों में उनको किसी भी तरीके का नुकसान होने का खतरा लगभग असंभव के बराबर रहता है, लेकिन जब किसी भी प्रकार खराब खबरें छात्रों के विषय में आती है, तो पेरेंट्स चिंतित हो जाते हैं। इसीलिए माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे को कैसे स्कूल में एडमिशन करवाना चाहिए जहां पर स्कूल में कैमरा हो और अनजान लोगों को स्कूल के अंदर आना संभव न हो, स्‍कूल वाहन से आते समय सुरक्षा का पूरा प्रबंध हो।

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High Demand Courses: 2021 में सबसे ज्‍यादा डिमांड में हैं ये 6 कोर्स, जानें कितनी होगी सैलरी

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Best Course After Graduation: कोरोना ने एजुकेशन के साथ जॉब्‍स के अवसरों पर भी बड़ा प्रभाव डाला है, यही कारण है कि अब हर जगह बदलाव नजर आ रहा है। कोरोना से पहले कई ऐसे क्षेत्र थे जहां पर सबसे ज्‍यादा रोजगार के अवसर मिलते थे, लेकिन अब वहां मंदी छाई है, वहीं कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर कोरोना के कारण सबसे ज्‍यादा डिमांड चल रहा है। मार्केट में हो रही इस उथल-पुथल के कारण, 12वीं पास छात्र अच्‍छे करियर ऑप्‍शन कोर्स के चुनाव को लेकर उलझन में नजर आ रहे हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence)
वर्ष 2021 में सबसे ज्‍यादा डिमांड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है। यह डिमांड पिछले कुछ सालों से लगातार बढ़ रहा है और कोरोना के बाद भी इसपर कोई असर नहीं पड़ा है। इसका कारण है कि मैन्युफैक्चरिंग से लेकर सॉफ्टवेयर कंपनियों, ई.कॉमर्स कंपनियों, मोबाइल कंपनियों और मेडिकल डायग्नोसिस आदि के क्षेत्र में, हर ओर इस स्किल के जानकारों की मांग देखी गई। आइटी के वर्किंग प्रोफेशनल्स ने अपनी री-स्किलिंग के लिए इन कोर्सेज में सबसे ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कोर्स करने के लिए कंप्यूटर साइंस, आइटी, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन में डिग्री होना आवश्यक है। कई आइआइटी संस्थानों में आजकल यह कोर्स ऑफर हो रहा है।

साइबर सिक्युरिटी (Cyber Security)
साइबर सिक्युरिटी भी बीते कई सालों से टॉप पर ट्रेंड कर रहा है और लगातार बढ़ रही है। आइटी फर्म्स से लेकर कॉरपोरेट कंपनियों, लॉ फर्म्स, पब्लिक-प्राइवेट बैंक, टेलीकॉम कंपनियों तथा स्कूल-कॉलेजों में इन्हें बड़ी संख्या में नौकरियां मिलीं। बढ़ती मांग को देखते हुए इस साल भी 12वीं के बाद एथिकल हैकिंग कोर्सेज में नामांकन अधिक हो रहा।
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डाटा एनालिटिक्स (Data Analytics)
कंपनियां किसी भी बिजनेस में हों, लेकिन आज के समय में उनके लिए बिग डाटा बहुत जरूरी हो गया है। इस डाटा के जरिए कंपनियां पूर्वानुमान लगाकर अपनी सेल्स स्ट्रेटेजी में सुधार करके तेजी से आगे बढ़ सकती हैं। इसीलिए यह कोर्स भी युवाओं के बीच काफी डिमांडिंग है। इसकी एक वजह यह भी रही कि अभी इस क्षेत्र में स्किल गैप होने के कारण छात्रों के लिए मौके अधिक हैं। भारत के अलावा डाटा साइंटिस्ट की मांग आजकल अमेरिका में बहुत ज्यादा है। साथ ही, यह टॉप हाई पेइंग नौकरियों में से है, जहां लोगों को लाखों में सैलरी मिलती है। डाटा एनालिटिक्स का कोर्स करने के लिए गणित, स्टैटिस्टिक्स और कंप्यूटर एप्लिकेशन का बैकग्राउंड होना जरूरी है।

डिजिटल मार्केटिंग (Digital Marketing)
कोरोना ने मार्केटिंग के जरिए को पूरी तरह बदल दिया है, आज के समय में सभी कंपनियां डिजिटल मार्केटिंग पर ध्‍यान दे रही हैं। कंपनियों के मार्केटिंग की सारी प्लानिंग फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर जैसी सोशल साइटों को ध्यान में रखकर ही तैयार हो रही हैं। इसलिए इस साल भी बिजनेस कंपनियों में सोशल मीडिया मैनेजर और ऑनलाइन कंटेंट क्रिएटर्स जैसे प्रोफेशनल्स की मांग रही। युवाओं में इस कोर्स को लेकर आकर्षण की एक वजह यह रही कि पिछले कई सालों से यह एक कमाऊ फील्ड के तौर पर देखा जा रहा है।
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लॉजिस्टिक की फील्ड (Field Of Logistics)
आज के समय में लॉजिस्टिक के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं और दिनों दिन इस क्षेत्र में ग्रोथ के अवसर भी बढ़ रहे हैं, यही कारण है कि यह क्षेत्र आज काफी डिमांड में है, खासकर महामारी काल में लॉजिस्टिक का क्षेत्र बूम पर है। दरअसल किसी भी सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए लॉजिस्टिक के क्षेत्र पर लोगों की डिपेंडेंसी भी काफी बढ़ी है। इसलिए इस फील्ड में करियर बनाना काफी अच्छा साबित हो सकता है। 12वीं पास करने के बाद लॉजिस्टिक में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स किया जा सकता है या फिर बीबीएस या एमबीए भी किया जा सकता है। अपने स्किल के मुताबिक आप बिजनेस लॉजिस्टिक, सप्लाई चेन मैनेजमेंट, शिपिंग एंड ट्रांसपोर्टेशन मैनेजमेंट आदि फिल्ड में करियर बना सकते हैं।

नर्सिंग में डिप्लोमा (Diploma In Nursing)
कोरोना ने इस क्षेत्र को और डिमांडिंग बना दिया है, पिछले एक साल में लाखों लोगों को इस क्षेत्र में जॉब्‍स मिली हैं। बारहवीं करने के बाद अगर आप भी मेडिकल लाइन में जाना चाहते हैं तो आप डिग्री या डिप्‍लोमा कोर्स कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए इंट्रेंस टेस्ट भी देना पड़ सकता है। क्योकि कई जगहों पर प्रवेश परीक्षा के आधार पर तो कहीं मेरिट के आधार पर ही एडमिशन दिया जाता है। हर कॉलेज में एडमिशन के आधार अलग होते हैं, ये कोर्स करके आप अच्‍छा करियर बना सकते हैं।

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Career In Media: बदल रही है मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री, ऐसे मिलेगी अच्छी जॉब के साथ हाई सैलरी

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Career In Media And Communication: मीडिया और इंटरटेनमेंट जगत में काम के तरीके लगातार बदल रहे हैं। इसमें सबसे ज्‍यादा बदलाव कोरोना के कारण आया है। कोरोना के कारण इस क्षेत्र में जहां हजारों लोगों की नौकरियां गई हैं, वहीं इसका स्‍वरूप भी बदल गया है। पहले जहां सिनेमा हॉल में लोग मूवी दिखने जाते थे, वहीं अब लोग अपने घरों में कैद होकर ऑनलाईन प्‍लेटफार्म पर आ गए हैं। जिसके कारण ही आज एंटरटेनमेंट के क्षेत्र में भारी बदलाव हुआ है। आज के समय में वर्चुअल इवेंट्स और कॉन्सर्ट्स, ऑनलाइन गेमिंग, फ्री एंटरटेनमेंट सब्सक्रिप्शन, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली ब्लॉकबस्टर मूवी आदि के कारण एंटरटेनमेंट का क्षेत्र बहुत कम समय में व्‍यापक हो गया है।

आज ऑनलाईन प्‍लेटफार्म पर अंग्रेजी और हिंदी के अलावा क्षेत्रिय दर्जनों भाषाओं में कंटेंट उपलब्‍ध है। इस क्षेत्र में हो रहे इस बदलाव के कारण यहां नौकरियों के अवसर भी बढ़ हैं।

मीडिया और मनोरंजन उद्योग का भविष्‍य (Future of the media and entertainment industry)
मीडिया और मनोरंजन उद्योग में वृद्धि की संभावनाओं पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2030 तक भारतीय मनोरंजन और मीडिया सेगमेंट 10 फीसदी की ज्‍यादा दर से बढ़ेगा और 100 अरब डॉलर तक हो जाएगा। कोरोना वायरस महामारी के कारण ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, इंटरनेट विज्ञापन, वीडियो गेम और ई-स्पोर्ट्स सेगमेंट बूस्‍ट कर रहे हैं। भारत में ओटीटी वीडियो में सबसे ज्यादा वद्धि की उम्मीद है और इस उद्योग में 2024 तक इसकी हिस्‍सेदारी 5.2 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है। इंटरनेट विज्ञापन में भी भारी वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एडमिशन के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा सिनेमा बाजार बना रहेगा।
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इन क्षेत्र में जॉब्‍स ऑप्‍शन (Job options in media field)

एनिमेशन (Animation)
एनिमेशन देश और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली आईटी एनैबल्ड सर्विसेज में से एक है। नैस्कॉम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 तक सिर्फ भारत में एनिमेशन उद्योग में काम करने वाले प्रोफेशनल्स की संख्या करीब 7 लाख से अधिक है। एनिमेशन इंडस्ट्री में विजुअलाइजर, इंक व पेंट आर्टिस्ट, स्पेशल इफेक्ट पर्सन, कैरेक्टर एनिमेटर और मॉडलिंग आर्टिस्ट के रूप में प्रोफेशनल्स की जरूरत होती है।

गेमिंग (Gaming)
मल्टी मीडिया की यह ब्रांच आज सभी वर्ग के लोगों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। ऑनलाइन प्‍लेटफार्म पर हमें सैकड़ों ऐसे गेम मिल जाते हैं, जिन्‍हें हम घर बैठे खेल सकते हैं। इसके लिए भी विजुअलाइजर, इंक व पेंट आर्टिस्ट, स्पेशल इफेक्ट पर्सन, कैरेक्टर एनिमेटर की जरूरत पड़ती है।

कार्टून फिल्में (Cartoon movies)
भारत में आज सैकड़ों कार्टून फिल्‍में बनती हैं, कुछ वर्ष पहले तक भारत में कार्टून फिल्में विदेश से बनकर आती थीं और यहां डब की जाती थी। मगर देश में ट्रेंड लोगों की बढ़ती संख्या के कारण अब देश में ही इनका निर्माण होने लगा है। ऐसी फिल्मों में 2डी और 3डी एनिमेशन तथा साउंड इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया जाता है।
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इंटरैक्टिव मल्टीमीडिया एवं वेब इंडस्ट्री (Interactive Multimedia and Web Industry)
इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के तेजी से आगे बढ़ने से संचार की एक नई कला सामने आई है। इससे ग्लोबल कम्युनिटी से संपर्क का दरवाजा खुल गया है। इसका सबसे बडा माध्यम इंटरनेट है, जिसकी पहुंच दुनिया के कोने-कोने तक हो गई है। ई-कॉमर्स और इंटरैक्टिव पोर्टल्स ने भी मल्टीमीडिया विशेषज्ञों के लिए खूब संभावनाएं जगाई हैं। इस फील्ड में एंट्री के लिए वेब इंजीनियरिंग का कोर्स करना जरूरी होता है।

एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री (Entertainment industry)
आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, विज्ञापन फिल्मों और टीवी सीरियल्स में भी मल्टीमीडिया के मास्टर अपने जौहर खूब दिखा रहे हैं। लगातार बढ़ते ओटीटी प्‍लेटर्फाम और चैनलों और उनके लिए बनाए जाने वाले प्रोग्राम्स की भारी डिमांड देखते हुए इस क्षेत्र में डिजाइनर, गेम्स डिजाइन स्पेशलिस्ट, एनिमेटर आदि की खूब मांग है।

पब्लिशिंग इंडस्ट्री (Publishing industry)
मल्टीमीडिया का फायदा पब्लिशिंग इंडस्ट्री भी जमकर उठा रही है। चाहे न्यूज पेपर्स, मैगजीन्स, बुक्स हों या फिर ऑनलाइन मैगजीन्स, सभी में कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी, इंटरनेट, वेबसाइट्स आदि का जमकर इस्तेमाल हो रहा है।

फैशन व इंटीरियर डिजाइनिंग (Fashion & Interior designing)
बदलते दौर में नित नए फैशन की डिमांड होती है। इस डिमांड को मल्टीमीडिया की बदौलत ही पूरा करना संभव हो पा रहा है। इंटीरियर डिजाइनिंग में भी इसकी मदद ली जा रही है।

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Masters in Public Health: क्‍या है मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ? जानें कितने हैं जॉब ऑप्शन

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Career Tips: कोरोना काल में अगर आप स्वास्थ्य के साथ समाज व देश सेवा करना चाहते हैं तो मास्टर इन पब्लिक हेल्थ कोर्स (MPH) आपके लिए है, यह 2 साल का पूर्णकालिक पाठ्यक्रम है। यह कोर्स लगभग सभी यूनिवर्सिटी में दी जाती है। इस कोर्स में प्रवेश के लिए Relevant entrance exam है जो सभी राज्य, विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जाती है। पाठ्यक्रम में आवेदन करने के लिए, उम्मीदवारों को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से 60 फीसदी की न्यूनतम स्कोर के साथ स्वास्थ्य विज्ञान के किसी भी विषय में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। जिसमें डॉक्टर, फार्मा स्नातक, विज्ञान स्नातक और अन्य स्नातक डिग्री होल्‍डर शामिल हैं।

क्‍या है मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ (What is Master of Public Health)
मास्टर इन पब्लिक हेल्थ सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित क्षेत्रों में अध्ययन किया जाने वाला दो वर्षीय पीजी कोर्स है। जो रिसर्च और शिक्षण के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह पाठ्यक्रम 2 वर्ष का है जिसे 4 सेमेस्टर में विभाजित किया गया है। यह पाठ्यक्रम बीमारी को नष्ट करने के तरीके पर भी मार्गदर्शन करता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य में पीजी करने के बाद छात्रों को सार्वजनिक स्वास्थ्य और इसकी महत्ता की प्रासंगिकता में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करने का मौका मिलता है।

कोर्स की तैयारी करने के टिप्स (Course preparation tips)
  1. मास्टर इन पब्लिक हेल्थ कोर्स करने के लिए उचित व्यावहारिक ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।
  2. इस क्षेत्र में प्रिजंटेशन स्किल अच्‍छी होनी चाहिए, क्योंकि यह कोर्स एक पोस्टग्रेजुएशन डिग्री है, ऐसे बहुत से हालात हैं जहां व्यक्ति को अपने कामों को प्रस्तुत करना पड़ता है, जिसमें अच्‍छी प्रिजंटेशन स्किल आपको फायदा पहुंचाएगी।
  3. स्वास्थ्य के महत्व को जानना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि एमपीएच पाठ्यक्रम ज्यादातर स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाने के बारे में है।
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एमपीएच के लिए योग्‍यता (Qualification for MPH)
स्नातक स्तर पर 60 फीसदी का न्यूनतम कुल स्कोर होना आपके लिए फ़ायदेमंद होगा।
राज्य डेंटल काउंसिल के साथ स्थायी पंजीकरण अनिर्वाय है।
स्वास्थ्य व विकास क्षेत्र में कार्य अनुभव होना चाहिए।

एमपीएच में इसकी मिलेगी शिक्षा (Education in MPH)
एमपीएच कोर्स के दौरान छात्रों को अर्थशास्त्र, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, पर्यावरण, वित्तीय लेखा और रिपोर्टिंग, प्रबंधन के लिए सांख्यिकीय सार्वजनिक स्वास्थ्य का परिचय, विपणन और ई-कॉमर्स, व्यापार संचार, व्यापार कानून, वित्तीय प्रबंधन, मानव संसाधन प्रबंधन और संगठनात्मक व्यवहार, स्वास्थ्य नीति, योजना, महिला और बाल स्वास्थ्य, लिंग मुद्दे, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और क्रॉस सांस्कृतिक जागरूकता, महामारी विज्ञान और लोक स्वास्थ्य प्रशासन, मानव जीव विज्ञान और सार्वजनिक स्वास्थ्य रसायन विज्ञान और शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य की जानकारी दी जाती है।
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यह होता है कार्य
मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ कोर्स में छात्रों को चोट, ब्लड की रोकथाम, संचारी और गैर संचारी रोगों, स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्रभावित करने वाले अन्य मुद्दों के बारे में सामुदायिक जागरूकता को बढ़ावा देने में बेहतर भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। पाठ्यक्रम विभिन्न स्वास्थ्य खतरों और कवर करने के लिए क्षेत्रों के आधार पर कई विशेषज्ञता प्रदान करता है। छात्र अपनी रुचि और कार्य अनुभव के अनुसार विशेषज्ञता का चयन कर सकते हैं।

करियर के अवसर (Career Opportunities)
मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ कोर्स के बाद उम्मीदवार निजी क्षेत्रों में काम करना चुन सकते हैं या सरकारी क्षेत्र में भी नौकरियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधन विश्लेषक
  • स्वास्थ्य संचार विशेषज्ञ
  • अनुसंधान वैज्ञानिक
  • स्वास्थ्य संसाधन पेशेवर
  • प्रोफेसर- सार्वजनिक स्वास्थ्य
  • सार्वजनिक संबंध अधिकारी
  • वरिष्ठ तकनीकी विशेषज्ञ- सार्वजनिक स्वास्थ्य
  • पर्यावरण स्वास्थ्य और सुरक्षा विशेषज्ञ

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Career In Maths: मैथ्स में हैं एक्सपर्ट, तो इन 8 फील्ड में बना सकते हैं बेहतरीन करियर

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Career In Maths After Graduation: छात्रों के बीच गणित विषय को कठिन विषय समझा जाता है, इसका नाम सुनते ही बहुत से छात्र दूर भागते हैं। परंतु यदि प्रारंभ से ही गणित विषय को सही प्रकार से हैंडिल किया जाए तो आपकी गणित पर अच्छी पकड़ हो सकती है। गणित विषय का अर्थ केवल जोड़ना, घटाना, गुणा और भाग देना नहीं है। इस विषय में उच्च शिक्षा लेकर करियर की अपार संभावनाएं हैं। गणित विषय मनुष्य की ज्ञान की एक उपयोगी तथा आकर्षक शाखा है। इसमें अध्ययन के कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है। भारत में प्राचीन काल से ही गणित की एक सुदृढ़ परंपरा रही है। प्राचीन काल के कई गणितज्ञों आर्यभट्ट, वराह मिहिर, महावीराचार्य, ब्रह्मगुप्त, श्रीधराचार्य इत्यादि ने तथा आधुनिक काल में डॉ गणेश प्रसाद, प्रोफ़ेसर बीएन प्रसाद, श्रीनिवास रामानुजन इत्यादि ने गणित की सुदृढ़ नींव रखी है।

इकोनॉमिस्‍ट
एक इकोनॉमिस्‍ट आर्थिक रुझानों का अन्वेषण करके मूल्यांकन करता है। भविष्य को लेकर पूर्वानुमान जारी करता है। वह विभिन्न विषयों जैसे महंगाई, कर, ब्याज दर, रोजगार का स्तर आदि का डेटा संग्रह करता है। उस पर अनुसंधान करता है और विश्लेषण करता है। अर्थशास्त्री बनने के लिए गणित विषय को जरूरी माना जाता है। एक अर्थशास्त्री बनने के लिए अर्थशास्त्र में बैचलर डिग्री होना और गणित पर अच्छी पकड़ होना आवश्यक है। इसके बाद अर्थशास्त्र, इकोमेट्रिक्स, ऐप्लाइड इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री होना चाहिए।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर
सॉफ्टवेर इंजीनियरिंग के छात्रों के करियर की नीव शुरू ही गणित के ज्ञान से होती है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का काम सॉफ्टवेयर डिजाइन करना और उसे डेवलप करना होता है। इस काम में छात्रों को कम्यूटर साइंस के साथ-साथ मैथ्स की थ्योरी और उनके सिद्धांतों का प्रयोग करना पड़ता है। इस क्षेत्र में एक्सपर्ट छात्रों के लिए बहुत अच्छे विकल्प मौजूद है तथा अगले 10 वर्षों में इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं आने वाली हैं जो छात्रों के हित में मददगार साबित होंगे।
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स्टैटिस्टिक्स
गणित पर जिनको महारत हासिल है उनके लिए स्टैटिस्टिक्स में कैरियर बनाना बहुत अच्छा विकल्प है। सांख्यिकीविद को डाटा का विश्लेषण करना, परिणामों को पाइ चार्ट्स, बार ग्राफ, टेबल के रूप में प्रस्तुत करने का काम करना होता है। हेल्थ केयर, शिक्षा सहित कई क्षेत्रों में सांख्यिकीविद की काफी मांग होती है। सांख्यिकीविद बनने के लिए आपके पास मैथमेटिक्स स्‍टैटिस्टिक्स में स्नातक की डिग्री या फिर स्टैटिस्टिक्स में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री होनी चाहिए।

चार्टर्ड एकाउंटेंट
चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने का पहला रूल ही गणित में दक्ष होना है। क्‍योंकि चार्टर्ड एकाउंटेंट यानि कि सीए का पूरा काम एकाउंटिंग, ऑडिटिंग और टैक्सेशन से जुड़ा होता है। अर्थवय्वस्था में तेजी से वृद्धि के चलते फाइनेंस और एकाउंट से जुड़े क्षेत्रों में करियर के काफी स्कोप जुड़ते जा रहे हैं जो गणित में रूचि रखने वाले छात्रों के लिए एक अच्छा करियर विकल्प का मार्ग है।

ऑपरेशन रिसर्च एनालिस्ट
इससे जुड़े काम को एप्लाइड मैथ्स और फॉर्मल साइंस की एक शाखा के रूप में ही समझा जाता है। इसमें आधुनिक लॉजिकल विधियों जैसे की स्टैटिस्टिकल एनालिसिस और मैथमेटिकल ऑप्टिमाइजेशन का प्रयोग किया जाता है। ऑपरेशन रिसर्च एनालिस्ट इन्हीं आधुनिक विधियों कि मदद से मैनेजर को सही निर्णय लेने और समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव प्रदान करते है।
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बैंकिंग
अगर आपकी गणित में अच्छी पकड़ है तो आप बैंकिंग क्षेत्र में आप एकाउंटेंट, कस्टमर सर्विस, फ्रंट डेस्क, कैश हैंडलिंग, एकाउंट ओपनिंग, करंट एकाउंट, सेविंग एकाउंट, लोन प्रोसेसिंग ऑफिसर, सेल्स एग्जीक्यूटिव, रिकवरी ऑफिसर के प्रोफाइल्स के लिए भी कोशिश कर अपना भविष्य बना सकते है क्यूंकि इन सभी में मैथमेटिकल स्किल्स का होना जरूरी है।

मैथमेटिशियन
अगर आप मैथ को दिल से प्‍यार करते हैं और इसमें सबसे ज्‍यादा माहिर हैं, तो मैथमेटिशियन बनना आपके लिए सबसे बेस्‍ट होगा। यह ऐसे प्रोफेशनल्स होते हैं जो मैथ्स के बुनियादी क्षेत्र का अध्ययन या रिसर्च संबंधी कार्य करते हैं। इसके अलावा ये लॉजिक, ट्रांसफार्मेशन, नंबर आदि समस्याओं का निर्धारण करते हैं। इस क्षेत्र में भी मैथ्स का ज्ञान होना बहुत ज़रूरी है तथा इस क्षेत्र में छात्र अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हैं।

कम्प्यूटर सिस्टम एनालिस्ट
कम्प्यूटर सिस्टम एनालिस्ट आईटी टूल्स का उपयोग करते हुए किसी भी एंटरप्राइजेज को लक्ष्य पूरा करने में मदद पहुंचाते हैं। यदि आपको गणित का ज्ञान नहीं तो आप आगे नहीं बढ़ सकते और इसी के विपरीत यदि आपका गणित के प्रति रुझान है तो आप आसानी से अपने काम को पूरा कर सकते हैं। ज्यादातर सिस्टम एनालिस्ट अपना काम कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर के जरिए करते हैं तथा इसे ठीक तरह से समझने के लिए गणित पहली नींव है।

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Career Tips: बनाना चाहते हैं Software Engineering में करियर? 10वीं के बाद भी मौका, जानें कैसे

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Software Engineering Course: यदि आप सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में करियर बनाने पर विचार कर रहे हैं तो हो सकता है कि आपने पहले ही कुछ कोड लिखने में अपना हाथ आजमा लिया होगा। इसका जवाब हां है तो बहुत अच्छा और यदि नहीं - तो अब कोड लिखना शुरू करने का समय आ गया है। लेकिन यदि आप यह सोच कर असमंजस में हैं कि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग आपके लिए सही है या नहीं या फिर अन्य प्रश्न मन में आ रहे हैं।

कैसे पता चलेगा कि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग मेरे लिए है? (How do I know if software engineering is for me?)
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के बारे में ऐसा नहीं सोचें कि यह बड़ी डरावनी चीज है जो उन लोगों के लिए रिजर्व है जो मैथ्स में बहुत अच्छे हैं और जिनके पास टेक्नीकल एक्सपीरिएंस है। यह कोडिंग प्रॉब्लम सॉलविंग के बारे में है। यदि आपके पास लॉजिकल माइंडसेट है, प्रॉब्लम सॉल्व करने और निरंतर सीखने का आनंद ले सकते हैं तो यह कोर्स आपके लिए बहुत बेहतरीन साबित हो सकता है। एक बात जो बहुत जरूरी है वह यह कि जब तक आप कोशिश नहीं करेंगे तब तक आप कुछ भी नहीं जान पाएंगे। आपके द्वारा सोची जा सकने वाली लगभग हर भाषा में कोडिंग की मूल बातें सीखने के लिए ढेर सारे मुफ्त रिसोर्सेज उपलब्ध हैं।
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अनुभव कैसे मिल सकता है? (How can I get experience?)
किसी फुलटाइम रोल का एक्सपरिएंस होना जरूरी नहीं है एक्सपीरिएंस हमेशा एक बोनस के जैसा होता है। क्या आपने पर्सनल प्रोजेक्ट शुरू करने पर विचार किया है? यह आपके लिए या आपके किसी परिचित के लिए एक वेबसाइट बनाना, टू-डू-लिस्ट ऐप बनाना या टिक-टैक-टो गेम बनाना हो सकता है। इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अपनी प्रोग्रेस को ट्रैक करना और एक पोर्टफोलियो बनाना शुरू करना है।

खुद से कोडिंग का अभ्यास करने के लिए कैसे तैयार हूं? (How am I meant to practice coding by myself?)
इस सवाल के जवाब आम धारणा के विपरीत, कोडिंग एक टीम स्पोर्ट है। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो कोड करना सीख रहा है या एक डेवलपर के रूप में काम कर रहा है, तो उनके साथ प्रोग्राम पेयर करें। गूगल पर जाएं और अपने आस-पास कोडिंग मीट-अप खोजें। यह आपके डेवलपमेंट में तेजी लाने और कोड के रूप में संचार करने में सहज होने का एक शानदार तरीका है।
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मुझे लगता है कि मैं अब इसे गंभीरता से लेने के लिए तैयार हूं, मुझे क्या करना चाहिए? (I think I’m ready to take this seriously now, what should I do?)
  1. इस प्रश्न का आपके मन में आने का सीधा मतलब यह है कि आपको कोड सीखने में मजा आ रहा है और आप अपने करियर की शुरुआत करना चाहते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि आप एकेडमिक और प्रोफेशनल माहौल में सीखते हैं जो आपको सफलता के लिए तैयार करेगा। जॉब के लिए अप्लाई करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
  2. पर्सनल प्रोजेक्ट के बारे में बात करते समय, केवल उस पर ध्यान केंद्रित न करें जो आपने बनाया था। आपने अनुभव से जो सीखा वह अधिक मूल्यवान है। क्या ठीक रहा? आपने किन चुनौतियों का सामना किया और कैसे? आप अगली बार क्या अलग करेंगे? साक्षात्कार के चरण में भी इस दृष्टिकोण को अपनाएं ताकि आप नियोक्ता को एक अच्छा विचार दें कि आपने अपने कौशल को कैसे लागू किया है।
  3. केवल कोड के बारे में बात करते हुए खोएं नहीं। आपके पास यह दिखाने के लिए क्या अनुभव है कि आप एक आत्मविश्वासी कम्यूनिकेटर हैं जो सीखने के लिए प्रतिबद्ध है और प्रॉब्लम सॉल्विंग में कुशल है।
  4. चीजों को न जानने से निराश न हों। रिक्रूटर्स आपसे किसी विशेष भाषा के बारे में सब कुछ जानने की उम्मीद नहीं करते हैं। जब आप किसी अपरिचित चुनौती का सामना करते हैं तो आप जो करते हैं वह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि आप जानते हैं।

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Study Engineering Abroad: ये हैं 5 जरूरी टिप्स जो विदेश के सही इंजीनियरिंग कॉलेज चुनने में करेंगे मदद

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Tips To Study Engineering Abroad: दूसरे देश में रहना और पढ़ाई करना आपके पर्सनल डेवलपमेंट के लिए बेहद फायदेमंद एक्सपीरिएंस हो सकता है। अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना और अपने परिवार और दोस्तों से अलग रह कर आप इंडिपेंटेंड रहने के स्किल सीखते हैं। इसके अलावा, विदेश में पढ़ाई करने से आपको कई तरह के नए लोगों से मिलने और नई संस्कृतियों का अनुभव करने, नई दोस्ती बनाने और तेजी से ग्लोबलाइज्ड वर्ल्ड में अपने क्षितिज का विस्तार करने का अवसर मिलता है। विशेष रूप से इंजीनियरिंग छात्रों के लिए, उनके इंडस्ट्री में इंटरनेशनल नेटवर्क बनाने का अवसर प्राइसलेस है।

उपलब्ध कार्यक्रमों की विविधता (Variety of available programs)
चाहे आप सिविल या मैकेनिकल इंजीनियरिंग जैसे अधिक क्लासिकल फील्ड में रुचि रखते हों, या कुछ नए और अधिक अत्याधुनिक जैसे फोटोवोल्टिक्स और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में रुचि रखते हों, आपकी उंगलियों पर विविधता (variety) होना हमेशा अच्छा होता है। कोई भी यह अंदाजा लगा सकता है कि इंजीनियरिंग संस्थान कितने अच्छे प्रोग्राम ऑफर करते हैं। बड़े इंजीनियरिंग स्कूलों द्वारा दी जाने वाली क्रॉस-डिसिप्लिनरी एक्सचेंज और टॉप क्लास की सुविधाओं तक पहुंच आपके ओवरसिज स्टडी एक्सपीरिएंश (overseas study experience) में वैल्यू एड करने के मामले में अमूल्य (priceless) है।
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उद्योग कनेक्शन (Industry connections)
एक इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी या संस्थान चुनते समय, उन लोगों की तलाश करें जो इंडस्ट्री के साथ गहरे और मजबूत संबंध प्रदर्शित करते हैं। ये कनेक्शन इंडस्ट्री-स्पॉन्सर्ड कैरियर डेवलपमेंट और नियमित रूप से आयोजित नेटवर्किंग प्रोग्रामों, स्कूल सुविधाओं और विभिन्न रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए धन और दान (money and donations) के साथ-साथ स्कूल में स्टाफ की स्थिति और निकायों (bodies) के रूप ले सकते हैं जो इंडस्ट्री में विभिन्न ऑर्गनाइजेशन द्वारा स्पॉन्सर्ड हैं। एक अच्छी तरह से जुड़ा इंजीनियरिंग संस्थान इंडिकेट करता है कि यह करेंट रियल वर्ल्ड के डेवलपमेंट के संपर्क में है और बेस्ट प्रैक्टिस इंडस्ट्री नॉलेज से लैस है।

कॉलेज की प्रतिष्ठा और रैंकिंग (College reputation and ranking)
रैंकिंग सब कुछ नहीं है, लेकिन यह स्टूडेंट्स को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण (quality education) प्रदान करने में स्कूल के ओवरऑल परफॉर्मेंस का एक बड़ा इंडिकेटर हो सकता है। केवल एक इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी की ओवरऑल रैंकिंग को न देखें, उस स्पेसिफिक फील्ड (specific fields) में विश्वविद्यालय की रैंकिंग पर भी ध्यान दें, जिसमें आपकी रुचि है, उदाहरण के लिए इलेक्ट्रिकल या केमिकल इंजीनियरिंग। कभी-कभी, विशेष फैसलिटीज या स्पेशलाइजेशन के कारण कुछ खास सेक्शन में इंजीनियरिंग कॉलेज या यूनिवर्सिटी एक्सिलेंस प्राप्त करते हैं। यदि आपने यूनिवर्सिटी की सिर्फ ओवरऑल रैंकिंग को देखा है, तो आप ऐसे स्कूल में स्टडी का मौका चूक सकते हैं जो आपकी रुचि के क्षेत्र में सबसे बेहतर हो।
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कैंपस लाइफ और वाइब्स (Campus life and vibes)
इंजीनियरिंग की पढ़ाई एक लंबी और कठिन जर्नी हो सकती है साथ ही कुछ मजेदार और सोशल एक्टिविटी के साथ असाइनमेंट वाली भी। कैंपस लाइफ सभी एजुकेशनल मटेरिअल्स के बाहर एक यूनिवर्सिटी में होने वाली हर चीज को रिफरेंस (referenced) करता है इसमें सोशल नाइट, क्लब और सोसाइटी, स्पोर्ट्स, मार्केट, फूड और प्लेस का जेनरल वाइब्स शामिल है। आपके पास विदेश में अध्ययन करने का एक अच्छा एक्सपीरिएंस हो यह सुनिश्चित करने के लिए जांचें कि इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी में और क्या हो रहा है।

इनोवेशन (Innovation)
महान इंजीनियरिंग संस्थान कभी भी स्थिर नहीं रहते हैं, ये हमेशा कुछ नया करने और कंटेंट देने और नई रिसर्च चुनौतियों का सामना करने के तरीके को बदलने की तलाश में रहते हैं। इस दुनिया में जहां परिवर्तन और व्यवधान पहले की तरह तेज हो रहे हैं, आपको एक ऐसे स्कूल पर विचार करना चाहिए जो आपको भविष्य के वर्किंग प्लेस में फलैक्सिबल और फ्रैंडली होने के लिए जरूरी स्किल से लैस करेगा। सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में, छात्रों के लिए विश्व-रिकॉर्ड तोड़ने वाली सोलर कार, सनस्विफ्ट और ब्लूसैट प्रोग्राम जैसे स्पेस टेक्नोलॉजी की खोज करने वाले स्टूडेंट्स के लीडरशिप वाले प्रोजेक्ट में शामिल होने के अवसरों की एक विस्तृत श्रृंखला (wide range) मौजूद है।

कुल मिलाकर, फॉरेन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी तरह से पुरस्कृत (rewarding) और विकासात्मक अनुभव (developmental experience) है जो कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है।

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NEET 2021: नीट एग्जाम जल्द, जानिए कम समय में कैसे होगी तैयारी

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NEET Preparation: नीट परीक्षा तिथि की घोषणा की जा चुकी है, जो 12 सितंबर को होगी। अब जब परीक्षा में कुछ दिनों का समय शेष है. तो छात्रों की तैयारी भी काफी जोरो शोरों से करनी पड़ रही है। नीट सबसे कठिन प्रवेश परीक्षाओं में से एक है। ऐसे में इसकी तैयारी के लिए आखिरी के तीन सप्‍ताह अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाते है। आज जो हम आपको बताने जा रहे हैं, वह नीट की तैयारी के सबसे महत्वपूर्ण तैयारी टिप्स में से एक है अंतिम समय में अच्छी तरह से बनाया गया स्टडी रूटीन जो आपको नीट क्रैक करने में मदद करेगा।

प्रश्नों पर आधारित रिवीजन
आखरी समय में तैयारी करते समय ध्‍यान रखें कि भौतिकी या रसायनशास्त्र के विशेष चैप्टर, टॉपिक, यूनिट को रिवाइज करने के लिए, उस से रैंडम बहुवैकल्पिक प्रश्नों को चुनें और 45 मिनटों में उन्हें हल करें। रसायनशास्त्र, भौतिकी और जीवविज्ञान के सभी चैप्टर्स के रिवीजन के लिए यही रणनीति दुहराएं। इससे वास्तविक परीक्षा का माहौल बन जाएगा। नीट के लिए विषय-विशेष तैयारी करते समयए तीन घंटों को भौतिकी, रसायनशास्त्र और जीवविज्ञान के बीच बांटें और उनके बहुवैकल्पिक प्रश्नों को हल करें। यह संयोजन छात्रों को आखिरकार ठोस परिणाम देने में मदद करेगा।

कॉम्प्रिहेंसिव रीविज़न
प्रश्न आधारित रीविजन के बाद, एनसीईआरटी की संबंधित किताबों, मॉड्यूल्स और तैयारी के आरंभिक चरणों में पढ़े गए नोट्स से रिवाइज करें। महत्वपूर्ण बिन्दुओं को एक पेज के डायग्राम या नोट्स में लिख लें और जरूरत पड़े तो अंतिम सप्ताह में इन्हें नियमित रूप से देखें।
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टाइम के अनुसार मॉक टेस्‍ट दें
परीक्षा की समय-सीमा के अनुसार यानि दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे के भीतर ही, फुल-लेंथ मॉक टेस्ट्स देने की प्रैक्टिस करें। ऐसा करने से आपका बॉडी क्लॉक परीक्षा के दिन के समय के अनुकूल हो जाएगी और उसी के अनुसार आपकी सतर्कता एवं एकाग्रता के स्तर को बनाए रखेगी।

परफॉर्मेंस एनालिसिस
प्रत्येक मॉक टेस्ट के बाद अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करें। कमजोर विषयों पर गौर करें और रिविजन के समय उन पर अधिक ध्यान दें। बार-बार होने वाली गलतियों जैसे कि यूनिट्स को भूल जाना आदि, पर ध्यान देना। परीक्षा से एक सप्ताह पहले, इन नोट्स को पढ़ें ताकि परीक्षा में यही गलतियां फिर से न हो जाएं।

स्टडी आवर्स
परीक्षा से पहले आखिरी के कुछ सप्‍ताह में आदर्श स्टडी रूटीन बनाने के लिए यह ध्यान में रखें कि छोटे- छोटे ब्रेक के साथ हर दिन पढ़ने के लिए 14 घंटों का समय अवश्य निकालें। लगातार पढ़ाई करने से छात्रों को अपनी अध्ययन दिनचर्या को नियमित बनाने, अनुशासनहीनता के कारण होने वाले तनाव को कम करने में मदद मिलेगी और सिर्फ एक महीने में नीट सिलेबस को दुहराने के लिए पर्याप्त समय मिल पाएगा।

समय का बंटवारा करें
पढ़ाई के लिए समय का बंटवारा करते समय ध्‍यान रखें कि, सिलेबस को नीट सैंपल पेपर प्रैक्टिस और पेपर में होने वाली गलतियों के विश्लेषण के बीच बांटें। यदि समय हो तो, आप नीट प्रश्नों की कॉन्सेप्चुअल क्लैरिटी पर भी काम कर सकते हैं।
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स्टडी मटेरियल
अंतिम समय में बेकार के स्टडी मटेरियल्स को हल करने का प्रयास न करें। परीक्षा की तैयारी करने के लिए मटेरियल्स की कोई सीमा नहीं है, इसलिए तैयारी के लिए बचे आखिरी दिनों में, छात्रों को सिर्फ एनसीईआरटी किताबें पढ़नी चाहिए जिससे प्रत्येक टॉपिक पर अच्छी और गहरी समझ मिलती है। इसके अलावा, वे रीविजन नोट्स और कोचिंग मॉड्यूल्स की मदद ले सकते हैं।

ध्यान भटकाने वाली वस्‍तुओं से दूरी
परीक्षा तैयारी के समय ध्‍यान रखें की आपका ध्यान भटकाने वाले तत्वों जैसे सोशल मीडिया, गेम्स आदि से दूरी बना लें। इन माध्यमों का कुछ हद तक प्रयोग मात्र रिफ्रेश्मेंट या स्ट्रेस बस्टर्स के रूप में करें। इसके अलावा, इन तत्वों को सीमित करना जितना महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण है इस प्रकार के तत्वों का स्वेच्छा और खुशी के साथ प्रयोग किया जाना। आपको हल्के शारीरिक व्यायाम जैसे योग या ध्यान के लिए भी समय निकालना चाहिए ताकि आपकी थकान दूर हो सके और तरोताजा एवं शांत बने रहें।

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Career After Science: 12वीं में PCB लेने के मतलब सिर्फ इंजीनियर बनना ही नहीं, ये भी हैं बेस्ट ऑप्‍शन

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Career After Science: छात्रों के बीच एक आम धारणा है कि 12वीं में मैथ्‍य (PCM) लेने का मतलब है इंजीनियरिंग करना और साइंस (PCB) लेने का मतलब है डॉक्टर बनना, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर बच्चा सिर्फ इंजीनियर या डॉक्टर बनना चाहता है। कई बच्‍चे ऐसे भी हैं जो अलग फील्ड में जाना चाहते हैं।

बन सकते हैं पायलेट
अगर आप बचपन से उड़ते हुए प्‍लेन को देख कर मंत्रमुग्‍ध हो जाते हैं और इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आप पायलट पाठ्यक्रम भी चुन सकते है। इसका कोर्स प्राइवेट कॉलेज भी करवाते है। हवाई यात्रा सस्ती होने के साथ, विमान उद्योग तेज गति उन्न्नति कर रहा है और वाणिज्यिक पायलटों की आवश्यकता भी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। यदि आप आकाश में उड़ना चाहते हैं और पायलट बनना कहते है तो यह कोर्स आपके लिए परफेक्ट है।

मर्चेंट नेवी
यह कोर्स आज के समय में बेहतर ऑप्शंस है। इसमें आप मरीन इंजीनियरिंग, नॉटिकल साइंस, शिप मेंटेनेंस आदि कोर्स कर सकते हैं। यह देश में सबसे अधिक सैलरी देने वाले कोर्सेज में से एक है। इसमें आपको कई देशों का सफर करने का मौका मिलता है तथा देश की सेवा करने का भी मौका मिलता है। काफी युवा छात्र मर्चेंट नेवी को अपना करियर बनाते है यह छात्रों की एक मनपसंद फील्ड है।
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एनीमेशन का फील्‍ड
अगर आप क्रिएटिव हैं तो एनीमेशन के फील्‍ड में जा सकते हैं। 12वीं के बाद एनीमेशन की फील्ड में करियर बनाने का सपना काफी छात्रों का होता है। एनीमेशन की फील्ड काफी ज्यादा क्रिएटिव और मनोरंजक फील्ड है। इसमें छात्रों को कुछ नया करने को मिलता है। आज कल के समय में एनिमेटेड मूवीज, कार्टून्स काफी ज्यादा लोकप्रिय है ऐसे में एनीमेशन की फील्ड में बहुत कुछ कर दिखने का मौका है। कुछ साल पहले तक, केवल निजी संस्थान थे जो एनीमेशन के लिए प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम प्रदान करते थे, परन्तु अब काफी इंस्टीटूट्स खुल गए है जो एनीमेशन का कोर्स करवाते है तथा नौकरी भी दिलाते है।

वीडियो गेम
कोरोना के बाद वीडियो गेम उद्योग बूस्‍ट पर चल रहा है। भारत में आज कई इंटरनेशन व नेशनल कंपनियां इस फील्‍ड में काम कर रही हैं। इस फील्ड में आपको कंप्यूटर लैंग्वेज पढ़ाई जाएगी और ग्राफ़िक डिजाइनिंग के बारे सिखाया जाता है। इस फील्ड में भी बहुत ज्यादा क्रिएटिविटी की जरुरत है। इस फील्ड में वेतन भी बहुत अच्छा है तथा भविष्य भी बहुत बढ़िया है।

एप डेवलपर
इस समय डिजिटल दुनिया में सब कुछ ऑनलाइन होता जा रहा है ऐसे में एप डेवलपर का भविष्य बहुत ही अच्छा है। आप एप डेवलपिंग का कोर्स ज्वाइन कर के अपना करियर इस फील्ड में बना सकते है। इसमें वेतन भी बहुत ज्यादा मिलता है। आजकल सभी लोग अपना व्यवसाय ऑनलाइन करते जा रहे है ऐसे में सभी अपना एप बनवाते है और अपने बिज़नेस को या प्रोडक्ट तो प्रमोट करते है इसलिए यह भी एक बहुत अच्छा करियर ऑप्शन है।
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सॉफ्टवेयर डेवलपर
आज के समय में यहां सैकड़ों आर्इटी फर्म हैं और दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। और ये आईटी फर्म एक बढ़िया 7 फिगर सैलरी देती है अपने सॉफ्टवेयर डेवलपर को। अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल ये सभी कम्पनीज सॉफ्टवेयर डेवलपर हायर करती है और अच्छा वेतन देती है। आजकल तो सभी बैंक्स भी ऑनलाइन हो गए है और लगभग सभी ऑफिसेस भी अपना सॉफ्टवेयर डेवेलप करवाते है। ऐसे में ये एक ऐसा करियर है जिसमे कभी पीछे नहीं मुड़ना पड़ेगा। सभी आईटी फर्म्स सॉफ्टवेयर डेवलपर को रखती है और अच्छा वेतन देती है।

बीसीए भी है ऑप्‍शन
अगर आप 12 वीं के बाद करियर ऑप्‍शन देख रहे हैं तो आपके लिए बीसीए एक बढ़िया करियर ऑप्शन हो सकता है। अगर आपको कंप्यूटर में इंटरेस्ट है तो बीसीए आपके लिए बढ़िया चुनाव रहेगा। बीसीए करने के बाद आप किसी अच्छी आईटी कंपनी में जॉब कर सकते है और अगर आप बीसीए के बाद पोस्ट ग्रेजुएट एमसीए भी कर लेंगे तो कंप्यूटर की फील्ड में एक अच्छा करियर बना सकते है तथा उच्च वेतन की नौकरी भी मिल सकती है।

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Career Tips: बनना चाहते हैं Exhibition Designer, ये हैं बेस्ट कोर्स और जॉब

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Exhibition Designer Course: बाजार में प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गई है कि उत्पादक और विक्रेता को ग्राहकों के लिए खुद ही उत्पाद का प्रमोशन करना पड़ रहा है। अब यदि उत्पादक द्वारा व्यक्तिगत रूप से ग्राहकों से संपर्क स्थापित किया जाए तो इससे वक्त एवं पैसे दोनों की बहुत अधिक बर्बादी होती है और अपेक्षित लाभ भी नहीं मिल पता है। ऐसे में ट्रेड, फैशन, टूरिज्म, हेरिटेज, टेक्नोलॉजी आदि की एग्जिबिशन्स के माध्यम से एक ही स्थान पर लाखों उपभोक्ताओं का ध्यान खींचा जा सकता है तथा उन्हें उत्पाद खरीदने के लिए आकर्षित भी किया जा सकता है। बाजार की इसी मांग को देखते हुए आज उत्पाद की एग्जिबिशन्स का महत्व काफी बढ़ गया है। ऐसे एग्जिबिशन का आयोजन करने के लिए आज के समय में एग्जिबिशन डिजाइनिंग स्पेशलिस्ट की डिमांड काफी बढ़ गई है।

एग्जिबिशन डिजाइनिंग का क्‍या है कार्य
एग्जिबिशन डिजाइनर का कार्य आर्ट गैलरी, मार्केट प्लेस, मेलों, एक्सपो आदि में लगने वाली एग्जिबिशन्स को डिजाइन करना है। इसमें प्लानिंग करना, बजट बनाना, विभिन्न टीमों के साथ समन्वय स्थापित करना और प्रदर्शनी के लिए निर्माण करवाना तथा साज-सज्जा करना होता है। लेआऊट डिजाइन बनाना, प्लानिंग करना और प्रदर्शनी वाली वस्तुओं को सुव्यवस्थित करना भी एग्जिबिशन डिजाइनर का ही काम होता है। एग्जिबिशन डिजाइनर उक्त प्रदर्शनी किस प्रकार के लोगों के लिए लगाई जा रही है, उनकी सोच को समझते हुए वे अपने कार्य को अंजाम तक पहुंचाते हैं।

प्रदर्शनी के लिए बजट और समय का भी एग्जिबिशन डिजाइनरों को विशेष ध्यान रखना होता है। साथ ही एग्जिबिशन डिजाइनर अपने क्लाइंट के विचारों को समझकर उन्हें कस्टमरों तक बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत करते हैं।
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किस तरह का कोर्स करें
एक सफल एग्जिबिशन डिजाइनिंग के तौर पर करियर बनाने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जिससे उम्मीदवार इस क्षेत्र की बारीकियों को बेहतर ढ़ंग से समझ सके। एग्जिबिशन डिजाइनिंग में करियर बनाने हेतु चार वर्षीय ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम इन डिजाइनिंग का कोर्स किया जा सकता है। इस कोर्स हेतु न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता किसी भी विषय समूह से बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण होना है। इस कोर्स के अतिरिक्त इंटीरियर डिजाइनिंग या इवेंट मैनेजमेंट के पाठ्यक्रम भी किए जा सकते हैं। इंटीरियर डिजाइनिंग तथा इवेंट मैनेजमेंट के पाठ्यक्रमों में भी एग्जिबिशन डिजाइनिंग विस्तार से सिखाई जाती है।

एग्जिबिशन डिजाइनिंग के कोर्स के तहत कलर थैरेपी, डिजाइन टेक्नोलॉजी, ड्रॉइंग टेक्निक, डिजाइन प्रैक्टिस आदि विषय भी पढ़ाए जाते हैं। इस क्षेत्र में टेक्निकल ड्राइंग स्किल तथा डिजाइन सॉफ्टवेयर में अनुभव आपके काम को आसान बनाता है।

इन स्किल की पड़ती है जरूरत
एग्जिबिशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के साथ ही आपके भीतर बेहतर डिजाइन तथा कलात्मक स्किल होना बहुत जरूरी है। इसके अतिरिक्त आपके सोचने की क्षमता भी रचनात्मक होनी चाहिए, ताकि आप एग्जिबिशन की थीम को शानदार तरीके से प्रस्तुत कर सकें जिससे आपके क्लाइंट को उसके द्वारा निर्धारित गोल को अचीव करने में सफलता मिल सके। इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको सबसे अलग हमेशा कुछ न कुछ नया सोचते रहना होगा। इसके लिए आपको देश तथा दुनिया में हो रही गतिविधियों के बारे में पता होना चाहिए, ताकि आप कुछ नई थीम का उपयोग करके अपनी प्रदर्शनी को सबसे अलग एवं सुंदर बना सकें।

इस क्षेत्र में आपको लगातार अपने क्लाइंट और अपनी पूरी टीम के साथ संवाद करते रहना पड़ता है, इसलिए आपका कम्युनिकेट कौशल अच्छा होने के साथ ही आपको सेल्स की भी थोड़ी जानकारी होनी चाहिए।
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करियर व जॉब्‍स
इस क्षेत्र में करियर ऑर जॉब्‍स की बात की जाए तो एग्जिबिशन के बढऩे के साथ ही इस क्षेत्र में जॉब्‍स के कई अवसर मिलते हैं। एग्जिबिशन डिजाइनर को स्थाई या अस्थाई तौर पर कई तरह के संस्थानों में रोजगार मिलता है। इसमें आर्ट गैलरी, म्यूजियम, ऐतिहासिक स्थल, साइंस सेंटर, इंटरप्रेटिव सेंटर, थिएटर या टेलीविजन प्रोडक्शन कंपनी, आर्किटेक्चरल डिजाइन फर्म, अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियां या इवेंट कंपनियां, ट्रेड शो एंड कन्वेंशन, पार्क आदि की जिम्मेदारी संभालने वाली सरकारी एजेंसियां शामिल हैं।

इस क्षेत्र में फिल्म और थिएटर सेट भी डिजाइन करने का अवसर प्राप्त होता है। साथ ही सरकारी और निजी सेक्टर के संगठन, ट्रेवल और टूरिज्म इंडस्ट्री, म्यूजियम, कल्चरल इंस्टीट्यूट, हेरिटेज संगठन, एनजीओ, सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्र के कार्पोरेट तथा विजुअल मर्चेंडाइजिंग विभागों में एग्जिबिशन डिजाइनरों की भारी मांग है।

एग्जिबिशन डिजाइनिंग कराने वाले प्रमुख संस्थान
  1. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पालडी, अहमदाबाद
  2. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, रायबरेली, श्रीनगर, कांगड़ा, मुंबई, नई दिल्ली
  3. सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पुणे
  4. मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, अहमदाबाद
  5. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन इंडिया, नई दिल्ली
  6. एपीजे इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, नई दिल्ली

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Work From Home: काम के बीच बच्चों को ऐसे सिखायें नयी चीजें, पढ़ाई में लगेगा मन, बोरियत होगी दूर

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निश्चित ऑनलाइन कक्षाओं, गृहकार्य, गतिविधियों और खेलने के बाद भी बचे हुए समय के बीच करने के लिए बहुत कुछ है। वर्क फ्रॉम होम सेटअप में आपका अक्सर सुबह जल्दी या देर रात में काम करने का मन करता हैं, जब आपके बच्चे सो रहे होते हैं। तब आपको कई कार्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। किसी कामकाजी माता-पिता के लिए समय नियोजन का एक विवेकपूर्ण तरीका हो सकता है। लेकिन बच्चों के लिए, आपको अपने ऑन-स्क्रीन शेड्यूल से पहले उनको प्राथमिकता देते हुए देखना ही उनके लिए सही है। वर्क फ्रॉम होम में काम के दबाव के बीच आप कैसे अपने बच्चों के लिए समय निकाल सकते हैं, उनमें अच्छी आदतें डाल सकते हैं, उनके साथ-साथ अपनी बोरियत भी दूर कर सकते हैं और पढ़ाई में उनकी मदद कर सकते हैं? इस बारे में बता रहे हैं एक्सपर्ट राघव पोदार, जो पोदार शिक्षा के अध्यक्ष भी हैं।

अधिकांश बच्चों के पास बड़े होने तक स्वतंत्र रूप से अपने शेड्यूल को व्यवस्थित करने के लिए अपनी सोच नहीं होती हैं और इसलिए उन्हें अपने समय की योजना बनाने और प्राथमिकता देने पर मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। कम उम्र से ही बच्चों को समय नियोजन सिखाने से उन्हें इसे अपनी जिंदगी में अप्लाई करने में मदद मिलती है, जो उन्हें आजीवन सफलता के लिए तैयार करती है। छोटे बच्चों के साथ, आपको उनकी ज़रूरतों पर ध्यान देना होगा, नहीं तो वे उपेक्षित महसूस कर सकते हैं। लेकिन मान लीजिए कि आपका एक बड़ा बच्चा है जो कुछ अतिरिक्त जिम्मेदारी ले सकता है। उस स्थिति में, आप उन्हें छोटे बच्चों की देखभाल करने या घर के कामों को पूरा करने के लिए कुछ निर्देशों के साथ वह काम करने को कह सकते हैं।

आज एक उग्र महामारी के कारण, तनाव के साथ घर से काम करने की नई सामान्य प्रवृत्ति के कारण आपके बच्चों को स्कूल न जाने के करण मानसिक थकावट, होने लगी है। यह महसूस करना आवश्यक है कि घर से काम करना न केवल आपके लिए बल्कि बच्चों के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। वे होमबाउंड हो चुके हैं।

एक उम्र में जब वे यह भी नहीं जानते कि अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त किया जाए, कि उन्हें अकेलापन लग रहा है। उनके लिए भी स्थिति नई है। उनकी पूरी दुनिया उलट गई है, जिससे सभी चीजें भ्रमित और जटिल हो गई हैं। उन कठिन चीजों को सरल बनाने के लिए उनके साथ आपका होना अनिवार्य है। क्योंकि आप घर रहते हुए भी अपने काम में व्यस्त हैं, तब आपके बच्चे केवल यह जानते हैं कि आप घर पर हैं - या यह उनके खेलने का समय है! यह नाश्ते का समय है! या पढ़ने के लिए एक किताब है या मां के फोन पर फिर से गेम खेलने का समय है।

क्या करें और क्या न करें?
आपकी स्थिति के आधार पर हम देखते हैं कि आप एक दिन में अपने कार्यालय के काम, बच्चे का पालन-पोषण और यहां तक कि स्कूली ऑनलाइन शिक्षा के साथ-साथ घर के कामों का भी सामना कर रहे हैं। कभी-कभी एक साधारण दृष्टिकोण हमें चीजों को अधिक सरल तरीके से नियोजित करने में मदद कर सकता है। अपने बच्चे को शारीरिक रूप से आपके आस-पास होने के साथ अकेला महसूस न होने दें। घर के चारों ओर सैर करें, कुछ किताबें पढ़ें, या रसोई में एक साथ काम करते हुए पारिवारिक पार्टी करें। आपके द्वारा बच्चे के साथ बिताए कुछ ही गुणवत्ता वाले पल भी उन्हें तरोताजा महसूस करा सकते हैं। यह आगे डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन और एंडोर्फिन के हैप्पी हार्मोन को फिर से शरीर में भरने में मदद करेंगे, जो बच्चों की स्वस्थ मानसिकता को विकसित करते हैं ताकि उच्च कोटि की सोच कौशल का विकास हो सके।

अगर आपके बच्चे स्कूल जाने वाले छात्र हैं, तो माता-पिता को इस भाग्यशाली अवसर का लाभ उठाना चाहिए कि बच्चों को कैसे सफल बनाया जाए। अपने दैनिक कार्यक्रम की योजना बनाकर, एक अच्छा प्लान तैयार करें, जिससे दिन और सप्ताह के लिए लक्ष्य निर्धारित करके उन्हें समय के पाबंद होने में उनकी मदद करें।

यदि संभव हो, तो एक स्थायी होम-स्कूलिंग वाले पैरेंट्स बनने का विकल्प न चुनें। यह संभव है कि आपका स्कूल-आयु वर्ग का बच्चा किसी प्रकार के वर्चुअल स्कूल में भाग ले रहा होगा। अच्छी बात है कि वह अपने साथियों और शिक्षक के साथ बातचीत करता है। लेकिन मुद्दा यह है कि आपके बच्चे को अभी भी आपके प्यार और देखभाल की जरूरत है। इसलिए आप शिक्षक न बनें। उसके पास अपना एक शिक्षक है। महत्वपूर्ण बात यह है आप माता-पिता हैं शिक्षक नहीं।

बेशक, आपका काम आपकी प्राथमिकता है, लेकिन अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए लक्ष्य तय नहीं किया जा सकता है। सीखने में उनका समर्थन करें और उन्हें प्रोत्साहित करें। लेकिन विभिन्न विषयों के बारे में अधिक व्याख्या न करें।

सुनिश्चित करें कि बच्चे के पास आवश्यक आधुनिक तकनीक और साधन के साथ काम करने के लिए आवश्यक स्थान है, लेकिन हर पल उनकी निगरानी न करें। शिक्षकों को अपना काम करने दें। जब बच्चा क्लास कर रहा है, तब आप अपने अन्य काम कर सकते हैं।

तकनीक हमेशा एक बुरी चीज नहीं होती है। बच्चों को व्यस्त रखने और उनके सीखने को आकार देने में मदद करने के लिए कई ऑनलाइन संसाधन हैं। जब आप सोफे पर उनके बगल में काम करते हैं तो आपके बच्चों को व्यस्त रखने के लिए फिल्में हैं। अपने बच्चे के लिए बोरियत की भावना के बिना आप दोनों को व्यस्त रखने के लिए यह एक उत्कृष्ट गतिविधि हो सकती है। नए जमाने की शिक्षा और शारीरिक गतिविधियों के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाए रखने के लिए, आपको एक दिन में खेल, पढ़ने और आपस में मिलने की व्यवस्था करने के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता है।

माता-पिता को अपने बच्चों के लिए एक अच्छा उदाहरण स्थापित करके रोल मॉडल बनने की जरूरत है। बच्चे हर दिन अपने आस पास के वातावरण को देखकर सीखते हैं, इसलिए माता-पिता के लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि वे अपने बच्चों के सामने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। सिर्फ पढ़ने या खेलने के अलावा, बागवानी जैसी गतिविधियों में शामिल होना, बिल्डिंग ब्लॉक्स से कुछ नवीन शिल्प बनाना, या मिट्टी और यहां तक कि घर के काम भी बच्चों को कुछ नया करने में व्यस्त रखने के लिए अच्छे हो सकते हैं।

बच्चों के साथ घर से काम करने जैसी चुनौतियां अंततः सभी के लिए अच्छी हो सकती हैं। आपके बच्चे अधिक यथार्थवादी होकर आज़ादी के कुछ पाठ सीख सकते हैं। दिन भर आसपास रहने से आपके बंधन मजबूत हो सकते हैं और आपसी संबंधो में सुधार हो सकता है।

न्यू नॉर्मल इकोसिस्टम में अपने काम को नए तरीके से करने के कारण अनुकूल बदलाव और विकास हो सकता है। अपने बच्चे की भावनात्मक जरूरतों पर ध्यान दें। इस दौरान आपके बच्चों को अतिरिक्त प्यार, स्नेह और ध्यान की आवश्यकता हो सकती है। उन्हें एक नई दिनचर्या में समायोजित करने में कठिनाई हो सकती है या उससे वह अत्यधिक उत्तेजित महसूस कर सकता है। सुनिश्चित करें कि हर दिन कुछ नया और रोमांचक करना एक साहसिक कार्य है।

विश्राम करने में मदद करने के लिए अपने घर में मधुर और सुखदायक संगीत बजाएं। अपने बच्चों को खुद का मनोरंजन करने और खुद को व्यस्त रखने के लिए प्रोत्साहित करें, लेकिन बुद्धिमानी से अपने समय का प्रबंधन करने में उनकी मदद करें।

बच्चे हर दूसरी छोटी चीज के बारे में भी चिंतित हो सकते हैं जो वे देखते या सुनते हैं, इसलिए अपने स्क्रीन समय को सीमित करें। अपने दृष्टिकोण में विनम्र रहें और स्पष्ट सीमाएं, उम्मीद, परिणाम और अनुमान निर्धारित करें।

प्रत्येक गुजरते दिन के साथ, उन्हें विभिन्न शारीरिक और मानसिक कार्यों के बारे में पता चलता है। उनके लिए आदतों को चुनना आसान होता है (चाहे वह अच्छी हो या बुरी)। माता-पिता को हमेशा बच्चे को स्वस्थ वाक्यांशों जैसे थैंक यू, यू आर वेलकम और एक्सक्यूज़ मी का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। पहले की उम्र में इन वाक्यांशों के साथ उनका मार्गदर्शन करने से उन्हें अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाने में मदद मिलेगी।

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