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Spoken English Tips: करना चाहते हैं बेहतर इंग्लिश, तो इन 10 तरीकों से करें सुधार

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How To Improve English Speaking Skills: बोलने की प्रैक्टिस करना अंग्रेजी सीखने के सबसे मजेदार तरीकों में से एक है। एक बार जब आप थोड़ी सी भी अंग्रेजी बोल लेते हैं, तो फिर आपके स्किल में तेजी से सुधार करने के ढेर सारे तरीके हैं और साथ ही इस दौरान आप ढेर सारी मस्ती भी करते हैं। अपनी बोली जाने वाली अंग्रेजी में सुधार करने के लिए पढ़ें ये 10 टिप्स।

बोलें और सिर्फ बोलें (Speak Speak)
कॉन्फिडेंट रहें और जितना हो सके उतने लोगों से बात करें जितना आप कर सकते हैं। गलतियां करने में संकोच न करें। जितना अधिक आप प्रैक्टिस करेंगे उतना ही आप अपने प्रनंसीएशनऔर वोकेबलरी में बेहतर और अधिक कॉन्फिडेंट बनेंगे। याद रखें, बोलना एक म्यूजिकल इंस्टुमेंट या नया गेम सीखने जैसा स्किल है। एक ही तरीका है जिसे अपना कर आप इसमें बेहतर रिजल्ट पा सकते हैं और वह है बोलना।

तकनीक का प्रयोग करें (Use Technology)
भाषा सीखने के लिए स्मार्टफोन एक शक्तिशाली टूल्स हो सकता है। अपने आप को बोलते हुए रिकॉर्ड करने के लिए इसका उपयोग करें और फिर देखें कि आपकी अंग्रेजी अन्य लोगों को कैसी लगती है। अपने प्रैक्टिस करने के समय को व्यवस्थित करने के लिए अपने सभी पसंदीदा प्रोडक्टिविटी ऐप्स का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं और आपके द्वारा सीखे गए सभी नए शब्दों को नोट करें।
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सुनना (Listening)
शब्दों का उच्चारण सुनने के लिए समाचार बुलेटिन और अंग्रेजी में गाने सुनें। आप इस तरह से नए शब्द और भाव भी सीख सकते हैं। जितना अधिक आप सुनते हैं, उतना ही आप सीखते हैं। अपने उच्चारण का अभ्यास करने के लिए जो आप सुनते हैं उसे कॉपी करने का प्रयास करें और जानें कि वाक्य में कौन से वर्डस स्ट्रेस वाले हैं।

ऊंची आवाज में पढें (Read Out Loud)
अखबार या पत्रिका खुद पढ़िए। आप अपने पसंदीदा टीवी शो के लिए एक स्क्रिप्ट भी ढूंढ सकते हैं और उस पर अमल कर सकते हैं। यह उच्चारण करने की प्रैक्टिस करने का एक शानदार तरीका है क्योंकि आपको केवल यह सुनिश्चित करने पर फोकस करने की आवश्यकता है कि आपको अंग्रेजी अच्छी लगे और आपको सेंटेंस बनाने या ग्रामर के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।

हर दिन एक नया शब्द सीखिए (Learn A New Word Everyday)
एक शब्द चुनें जिस पर आप काम करना चाहते हैं और विभिन्न वाक्यों में प्रयोग कर उसकी प्रैक्टिस करें। शब्द का प्रयोग तब तक करें जब तक आप इसे सीख न लें और नियमित रूप से इसका प्रयोग करते रहें।
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फिल्में देखें (Watch Films)
अंग्रेजी में फिल्में देखें और नई शब्दावली और उच्चारण पर ध्यान दें। एक्टर्स की कॉपी करें और इसे एंज्वॉय करें।

दोस्त बनाएं (Make Friends)
अंग्रेजी बोलने वाले या अंग्रेजी बोलना सीखने वाले अन्य लोगों से दोस्ती करें और नोट्स की तुलना करें। उन चीजों के बारे में बात करें जो आपने सीखी हैं और विचारों का आदान-प्रदान करें।

अंग्रेजी में रोचक गतिविधियां करें (Do Interesting Activities In English)
अंग्रेजी में कुकिंग कोर्स करें या बुक क्लब में शामिल हों। आपको जो कुछ भी करने में मजा आता है, सुनिश्चित करें कि आप इसे करते हैं और इसे अंग्रेजी में कम्यूनिकेट करते हैं। जिन चीजों का आप आनंद लेते हैं, उनके बारे में बात करने के लिए अंग्रेजी का उपयोग करना प्रैक्टिस को एक पॉजिटिव एक्सपीरिएंस बना देगा।
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बहस करें (Have A Debate)
उन सभी विषयों पर बहस करें जिनमें आपकी रुचि मित्रों के साथ अंग्रेजी में हो। अपनी बात मनवाने के लिए अधिक से अधिक शब्दावली का उपयोग करने का प्रयास करें और अन्य तर्कों को ध्यान से सुनें ताकि आप उनके खिलाफ प्रभावी ढंग से बहस कर सकें।

शब्दकोश का उपयोग करें (Use A Dictionary)
ऑनलाइन शब्दकोशों में अक्सर ऑडियो उदाहरण होते हैं ताकि आप अपने उच्चारण की जांच कर सकें और बहुत सारे बेहतरीन शब्दकोश ऐप हैं जिन्हें आप अपने स्मार्टफोन पर हर जगह अपने साथ ले जा सकते हैं। हालांकि, सुनिश्चित करें कि इन उपकरणों पर बहुत अधिक निर्भर न हों। पहले शब्दों को कहने की कोशिश करें फिर बाद में देखें कि क्या आप सही थे।

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Independence Day Speech: स्वतंत्रता दिवस पर ऐसे तैयार करें अपनी स्पीच, ये हैं टिप्स

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Independence Day Speech In Hindi: स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाने वाला भारत का राष्ट्रीय त्योहार है और हम इसे बड़े उत्साह और देशभक्ति के साथ मनाते हैं। इस वर्ष हम अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। इस दिन हम उन महान योद्धाओं और स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति का सम्मान करते हैं जिन्होंने भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। जैसे-जैसे भारत का 75वां स्वतंत्रता दिवस नजदीक आ रहा है और शिक्षकों द्वारा अक्सर छात्रों को शुभ दिन के लिए भाषण तैयार करने के लिए कहा जाता है। यदि आप भी एक प्रभावशाली भाषण के बनाना चाहते हैं तो इन प्वाइंट्स को जरूर पढ़ें।

स्वतंत्रता दिवस का इतिहास (History Of Independence Day)
15 अगस्त वर्ष 1947 को भारत के इतिहास को स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया। इसी दिन देश के आजाद होने पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर झंडा फहराया था। तभी से प्रत्येक वर्ष देश के प्रधानमंत्री लाल लिखे पर झंडा फहराते है, राष्ट्रगान गाते है और सभी शहीद स्वतंत्रता सेनानियों को 21 तोपों से श्रद्धांजलि दी जाती है। देश के प्रधानमंत्री हर साल देशवासियों को अपने भाषण के द्वारा सम्बोधित करते है और सेना द्वारा अपना शक्ति प्रदर्शन और परेड मार्च करते है। स्वतंत्रता दिवस के दिन सभी भारतवासियों के मन में देशभक्ति की भावना के साथ-साथ पूर्ण जोश रहता है।

आजादी के बाद भारत देश अब तक बहुत उन्नति कर चुका है। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन सभी विद्यालय, कॉलिज, संस्थान, बाजार, कार्यालय और कारखाने आदि बंद रहते है। इस दिन सरकारी छुट्टी होती है। जगह-जगह पर झंडा फहराया जाता है। स्कूलों, कॉलिजों आदि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें सभी छात्र-छात्राएं भाग लेते है और देशभक्ति के गीत गाते है, कोई कविता सुनाता है तो कोई सांस्कृतिक गीतों पर नृत्य करते है।
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स्वतंत्रता दिवस भाषण के लिए 10 शॉर्ट लाइन (10 Short Lines for Independence Day Speech)
  1. भारत को 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिली।
  2. आजादी से पहले भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश था और उस अवधि के दौरान हमारे लोगों ने बहुत कुछ सहा है और अपने प्राणों की आहुति दी है।
  3. स्वतंत्रता के बाद जन्म लेने वाले लोगों को गर्व महसूस करना चाहिए क्योंकि वे स्वतंत्र भारत में जन्म लेने के लिए भाग्यशाली हैं। इसलिए उन्हें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को स्वीकार करना चाहिए।
  4. आजादी के बाद, हमें अपना संविधान मिला और हम अपने मौलिक अधिकारों का आनंद लेने में सक्षम हैं।
  5. हम सभी को एक भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए, और हमें अपने भाग्य की प्रशंसा करनी चाहिए कि हम स्वतंत्र भारत की भूमि में पैदा हुए हैं।
  6. 1857 से 1947 तक, इतिहास ने हमारे महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के कई विद्रोह और बलिदान को देखा है।
  7. हमें उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों जैसे महात्मा गांधी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और लाखों अन्य लोगों के बलिदानों को नहीं भूलना चाहिए, जिनके नाम भी ज्ञात नहीं हैं, लेकिन उन्होंने भारत को अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन से मुक्त करने के लिए संघर्ष किया।
  8. हमें गांधीजी के अहिंसा दर्शन जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की शिक्षाओं को याद रखना चाहिए और अपने जीवन में उसका पालन करना चाहिए।
  9. स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
  10. देश भर के लोगों द्वारा राष्ट्रगान गाया जाता है।

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Qualities of HR Manager: अच्छे एचआर मैनेजर के पास जरूर होनी चाहिए ये स्किल्स, ऐसे करें इंप्रूव

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How To Become HR Manager: एचआर (Human Resources) की जॉब बेस्‍ट करियर ऑप्‍शन में से एक माना जाता है। इसलिए प्रतिवर्ष हजारों छात्र इस क्षेत्र में आने के लिए जीतोड़ मेहनत करते हैं। एचआर मैनेजर का रोल केवल कंपनी के दायित्व ही संभालना नहीं, बल्कि कंपनी के एम्पलॉयी को बेहतर माहौल भी देना है। इसके लिए उम्‍मीदवारों में कई स्किल का होना जरूरी है। जब आप एचआर के लिए आवेदन करते है तो आपको मान लेना चाहिए, कि जिस जगह बैठकर आप आज बैठे कर इंटरव्‍यू दे रहे हैं, वहीं पर बैठ कर आपको इसके बाद सभी का साक्षात्कार भी लेना है। इसलिए उम्‍मीदवारों को इंटरव्‍यू के समय अपनी सभी क्षमता और स्किल को दिखाने की जरूरत होती है।

एचआर मैनेजर का कार्य (Work Of HR Manager)
एचआर का कार्य अपनी कंपनी अथवा संस्था के लिए अच्‍छे कर्मचारियों को भर्ती करने के अलावा उनकी भलाई से संबंधित कामों को देखना होता है। इसके अलावा भी एचआर अधिकारी विभिन्न प्रकार के काम अपनी कंपनी के लिए करता है। जैसे कि एचआर अधिकारी अपनी कंपनी में नए कर्मचारियों की भर्ती करने के साथ सैलरी, कंपनसेशन और छुट्टी की पॉलिसी, रूल्स एंड रेगुलेशन तथा कंपनी अथवा संस्था में नियमों का पालन करवाने की जिम्मेदारी भी पूरी करता है।
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एचआर मैनेजर में क्‍वालिटी (Quality in HR Manager)

कर्मचारियों के साथ रिलेशन
एचआर की अपने कंपनी के कर्मचारियों के साथ अच्छा रिलेशन बनाना जरूरी होता है। कर्मचारियों की काम से संबंधित परेशानियों का समाधान करना किसी भी एचआर का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए, यह गुण कंपनी और उसके कर्मचारियों के बीच अच्छे वातावरण को बढ़ावा देता है और काम करने के लिए अनुकूल बनाता है। कर्मचारियों के पैकेज और अन्य बातों का ध्यान रखना एचआर का काम होता है।

ऑन-बोर्डिंग स्कील्स
एचआर मैनेजर में स्‍कील्‍स का होना जरूरी है, यह वह प्रक्रिया है जो नए कर्मचारियों को कंपनी के प्रदर्शन, सामाजिक पहलूओं और कंपनी के मूल आधार से जल्दी मिलने-जुलने में मदद करती है। कंपनी जब एचआर की तलाश करती है तो वह ध्यान रखती है कि वह कंपनी की इस उम्मीद पर खरा उतरे। अगर आप किसी एचआर के साक्षात्कार के लिए जाते हैं तो आप अपने अनुभव के बारे में बात कर सकते हैं। इसके जरिए साक्षात्कारकर्ता आपकी क्षमता को जानता है और आप उनकी कंपनी के लिए बेहतर कर्मचारी है इसके लिए आश्वस्त हो जाता है।
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जरूरी स्किल्स
अगर आप किसी कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट में एचआर के पद के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो उसके लिए जरूरी है कि आपके पास पारस्परिक कौशल का गुण होना चाहिए। कंपनी साक्षात्कार के दौरान कर्मचारी में सुनने की क्षमता, शारीरिक वेशभूषा और उसके साकारात्मक व्यवहार को देखती हैं। इसके अलावा वह अपने कर्मचारी की भावनात्मकता को भी देखती है। अपने रिज्यूमें में अपने पिछले काम के अनुभव और कौशल का जिक्र जरूर करना चाहिए।

एचआर मैनेजमेंट में आप कई पदों पर नौकरी कर सकते हैं-
  • एचआर स्पेशलिस्ट
  • कंपनसेशन मैनेजर
  • एचआर जनरलिस्ट
  • एचआर रिक्रूटर
  • एम्पलॉयी रिलेशन्स मैनेजर
  • ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट मैनेजर
  • चेंज कंसलटेंट
  • टेक्निकल रिक्रूटर

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CAT Exam Tips: नॉन-इंजीनियर भी आसानी से पास कर सकते हैं कैट एग्जाम, अपनाएं ये ट्रिक्स

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Cat Exam Tips In Hindi: हर साल लाखों छात्र ग्रेजुएशन की परीक्षा पास कर कॉर्पोरेट जगत में अपना कॅरियर बनना चाहते हैं, इस सपने को पूरा करने के लिए मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) एक आकर्षक विकल्प है, लेकिन इसके लिए कैट(CAT) क्रैक करना जरूरी है। ऐसा माना जाता है कि कैट परीक्षा क्लियर करना इंजीनियर्स के लिए दूसरे उम्मीदवारों की तुलना में काफी आसान होता है। इस परीक्षा को पास कर वे टॉप बिजनेस स्कूलों में दाखिला ले सकते हैं। हालांकि अब स्थिति बदल रही है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे छात्रों ने इस परीक्षा में टॉप किया है, जिनका इंजीनियरिंग बैकग्राउंड नहीं था।

अब इस परीक्षा में हर साल नॉन इंजीनियरिंग के ऐसे करीब 40 फीसदी छात्र शामिल होते होते हैं। भारत में आई.आई.एम. द्वारा आयोजित कैट परीक्षा का सबसे अधिक महत्व है। इसलिए छात्रों के लिए परीक्षा उत्तीर्ण करना आसान नहीं होता है

कैट परीक्षा क्‍या है (what is CAT exam)
आई.आईएम. द्वारा आयोजित कैट अर्थात कॉमन एडमिशन टेस्ट एक कंप्यूटर आधारित परीक्षा है। जिसमें प्रत्येक वर्ष लाखों छात्र शामिल होते हैं। इस परीक्षा को पास करने के बाद छात्र देश के किसी भी टॉप कॉलेज में दाखिला लेकर एम.बी.ए कर सकते हैं। इस परीक्षा के लिए अधिकतम उम्र सीमा निर्धारित नहीं होती है।

नॉन इंजीनियर कैसे करें तैयारी
कैट की तैयारी करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता है, हालांकि नॉन इंजीनियरिंग वालों के लिए यह थोड़ा कठिन जरूर है। हालांकि अगर आप स्पष्ट बुद्धि और अत्यधिक दृढ़ संकल्प के साथ इसकी तैयारी करें तो आपको सफलता जरूर मिलेगी।
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कैट के पाठ्यक्रम की लें जानकारी
कैट की तैयारी शुरू करने से पहले इसके पाठ्यक्रम की पूरी जानकारी लें। आपको इसके लिए पिछले कुछ वर्षों में हुए कैट के प्रश्न पत्र का अध्ययन करना चाहिए। इसके साथ ही आप इंटरनेट की सहायता भी प्राप्त कर सकते हैं। कैट की तैयारी के लिए बाजार में उपलब्ध किसी अच्छे प्रकाशन की पुस्तक खरीदें। आपके घर या आस-पास कोई छात्र अथवा किसी कोचिंग संस्थान से सहायता प्राप्त करें जो कैट से संबंधित तैयारी में आपकी मदद कर सके या आपके सवालों को हल कर सके। आप रोजाना कम से कम 3 घंटे अध्ययन जरूर करें। रोजाना नियमित रूप से अखबार पढ़ें और न्यूज़ देखें।

शॉर्टकट्स सीखें
कैट की परीक्षा पूरी तरह से ऑब्जेक्टिव होती है, इसलिए उम्मीदवारों को सभी शॉर्टकट और ट्रिक्स की जानकारी रखनी चाहिए। जब आप ट्रिक और शॉर्टकट के साथ प्रश्न हल करते हैं तो आपके उत्तर सही होने की संभावना बढ़ जाती है। क्रिटिकल रीजनिंग सेक्शन के लिए उम्मीदवारों को खास ट्रिक्स की जानकारी होनी जरूरी है, जिससे वो प्रश्नों की गहराई में जाए बिना आसानी से कैलकुलेट करके सही उत्तर प्राप्त कर सकते हैं।

समय का प्रबंधन करें
यह ऐसी परीक्षा है जिसकी तैयारी के लिए समय प्रबंधन बहुत जरूरी है। परीक्षा में कई तरह के प्रश्न होते हैं इन प्रश्नों में से सबसे पहले उनको हल करें जिनको आप अच्छी तरह हल कर सकते हैं। जितने सवालों के जवाब आप जानते हैं उन सभी के जवाब देने के बाद उन प्रश्नों को हल करें जिनमें आपको अधिक समय लगने वाला है। इससे आपका कीमती समय व्यर्थ नहीं जाएगा। परीक्षा में बहुत विषयों से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाते हैं इसलिए प्रत्येक विषय को बराबर समय दें।
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निरंतर करें अभ्यास
कैट परीक्षा में बेहतर परसेंटाइल स्कोर पाने के लिए अभ्यास करना बहुत जरूरी है। जितना हो सके, डीआई और एलआर सेक्शन के हर प्रकार के प्रश्न को हल करने की प्रैक्टिस करें। जब आप रोजाना अभ्यास के साथ सभी महत्वपूर्ण विषयों को अच्छी तरह समझ लेंगे तो ऑपकी काफी परेशानी हल हो जाएगी। अंग्रेजी भाषा के सेक्शन के लिए, उम्मीदवारों को रोजाना अखबार पढ़ना चाहिए। इससे उनकी शब्दावली बेहतर होगी और साथ ही रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन और व्याकरण के प्रश्नों की प्रैक्टिस भी हो जाएगी।

न लें ज्‍यादा दबाव
भारतीय छात्रों में यह आदत बहुत देखी जाती है कि जब परीक्षा के कुछ दिन बचते हैं तो वे और भी अधिक समय तक अध्ययन करने लगते हैं। यह हमेशा सही नहीं होता। इस जैसे बड़े स्तर की परीक्षा के लिए आपका मस्तिष्क शांत होना चाहिए। इसलिए जब परीक्षा के दिन नजदीक आ जाए तो आप नई चीजों को याद करने की जगह पुरानी याद की हुई चीजों का रिवीजन करें।

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Skill Courses: इन कोर्सेज़ से होगी आपके करियर में अच्छी ग्रोथ, जानें इनके फायदे

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Upskilling Course 2021: कोविड महामारी की वजह से पूरे विश्‍व में मंदी छाई हुई है। कंपनियां या तो बंद हो रही हैं या फिर छटनी कर रही है। जिसके कारण लोग अपनी नौकरियां गवां रहे हैं और बेरोजगरों की तदत बढ़ रही है। इससे परेशान युवा अब स्‍टार्टअप व स्‍व-रोजगार की तरफ बढ़ रहा है। हालांकि युवाओं के मन में अब भी सवाल है कि वह कौन से बिजनेस शुरू करे, जिसमें सफलता मिले। इस समय ऐसे युवाओं की सबसे ज्‍यादा मदद कर रहा है अपस्किलिंग (Up skilling)। जिन युवाओं में यह स्किल है, वह आज सफलता की सीढि़यां चढ़ रहे हैं।

डिजिटल मार्केटिंग कोर्स (Digital Marketing Course)
कोविड ने एक समय पूरे विश्‍व को घरों में कैद कर दिया था, जिससे आज भी कई देश उबर नहीं पाए हैं, जिसमें भारत भी एक है। लोग अपने घरों से कार्य करने पर मजबूर हुए, इससे लोग डिजिटल दुनिया के और नजदीक आए। इस समय शॉपिंग से लेकर बिजनेस करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कंपनियों को अब ऐसे लोगों की जरूरत है, जो ऑनलाइन प्रमोशन कर सकें। इसलिए डिजिटल मार्केटिंग में कोर्स करना मार्केटिंग अपील वाले लोगों के लिए उपयुक्त है। ऐसे लोग कंपनियों को डिजिटल दुनिया में आगे बढ़ाने के साथ इस महामारी के बावजूद सम्मानजनक आरओआई हासिल करने में मदद कर सकते हैं। एक डिजिटल मार्केटिंग कोर्स में आमतौर पर कंटेंट मैनेजमेंट, मार्केटिंग एनालिटिक्स, सोशल मीडिया मार्केटिंग जैसे कार्य होते हैं।

इस कोर्स में जब एक बार आप दक्षता हासिल कर लेते हैं, तो आप आसानी से अपने खुद के व्यवसाय में परिवर्तित हो सकते हैं और वैश्विक ब्रांडों से जुड़ सकते हैं जो अपने डिजिटल कौशल में सुधार करना चाहते हैं।
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सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनर कोर्स (Soft Skills Trainer Courses)
आज के समय में सॉफ्ट स्किल्स रखने वाले लोगों की सबसे अधिक डिमांड है। कंपनियां हमेशा ऐसे पेशेवर लोगों की तलाश में रहती हैं, जिनके अंदर प्रस्तुति कौशल, नेतृत्व गुण हों, यदि आपके पास लोगों का कौशल है, तो एक सॉफ्ट स्किल कोर्स आपके पेशेवर दायरे को और मजबूत करेगा और लोगों के जीवन में बदलाव लाने में मदद करेगा।

डेटा साइंस कोर्स (Data Science Course)
आज के समय में यह सभी उद्योगों पर शासन करने वाला बड़ा भाई है। शीर्ष तकनीकी दिग्गजों से लेकर स्टार्टअप तक, आज हर कोई अपने व्यवसाय संचालन को अनुकूलित करने के लिए डेटा पर निर्भर है। एक डेटा विज्ञान पाठ्यक्रम न केवल आपको प्रासंगिक बनाएगा बल्कि आपको वर्तमान समस्या का समाधान प्रदाता बनने में भी मदद करेगा। जबकि एक तकनीकी पृष्ठभूमि होने से मदद मिलती है, गैर-तकनीकी पृष्ठभूमि वाले लोग भी अतिरिक्त काम कर सकते हैं और इसका अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
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कंटेंट क्यूरेशन (Content Curation)
आज का समय पूरी तरह से डिजिटल हो चुका है, ऐसे में दुनियाभर में सबसे ज्यादा कंटेंट का चलन हो रहा है, अगर आप यूट्यूब वीडियो नहीं बना सकते हैं, तो उस पर आप कंटेंट क्रिएट कर सकते हैं। इसका दायरा काफी बड़ा है, इस प्लेटफॉर्म पर आप सूई बनाने से लेकर हवाई जहाज कैसे बनाएं सबकी जानकारी है। आजकल हर इंसान नई चीजों के लिए इंटरनेट खंगाल रहा है। ऐसे में आप जिस चीज में जानकारी रखते हैंए वही कंटेंट बनाइए।

ग्राफिक डिजाइनिंग कोर्स (Graphic Design Courses)
अगर कला को प्रेम करते हैं और आपके पास यह क्षमता है कि आप एक तस्‍वीर से हजारों कहानी कह सकते हैं, तो आपके लिए ग्राफिक डिजाइनिंग का कोर्स सबसे उपायुक्‍त है। आज के समय हर क्षेत्र में कलात्मक प्रतिभा और ग्राफिक डिजाइनिंग जानने वाले लोगों की अत्यधिक मांग है क्योंकि वे ऑनलाइन अनुभवों को बेहतर बनाते हैं। इस क्षेत्र में आप चित्रण करना, मोशन डिजाइनिंग और बहुत कुछ सीख सकते हैं। ग्राफिक डिजाइनिंग कोर्स के साथ आप अपना फ्रीलांस करियर भी बना सकते हैं और बड़े ब्रांडों के साथ जुड़ सकते हैं।

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Jobs after Post Graduation: पीजी डिग्री के बाद इन फील्ड्स में बना सकते हैं करियर, मिलेगी हाई सैलरी

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Jobs After Master Degree: अच्‍छे करियर और जॉब ऑप्‍शन के लिए अब पोस्ट ग्रेजुएशन जरूरी हो गया है। ज्‍यादातर छात्र अब पोस्‍ट ग्रेजुएट होने के बाद ही जॉब की तलाश करते हैं, क्‍योंकि पोस्‍ट ग्रेजुएट होने के बाद सैलरी से लेकर अच्‍छी पोस्‍ट तक मिलने के चांस ज्‍यादा होते हैं। आज के समय में गवर्नमेंट सेक्टर से लेकर बैंकिंग सेक्टर की जॉब्स प्राप्त करने के लिए आईबीपीएस द्वारा आयोजित एग्जाम्स देना होता है, जिसके लिए पोस्‍ट ग्रेजुएट होना अनिर्वाय है, वहीं पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को ही एलआईसी, पीसीएस, आईएएस, रेलवे, पोस्टल सर्विस, पुलिस, मेडिसिन और डिफेंस में A क्‍लास जॉब मिलती है।

करियर ऑप्शन
बेराजगारों की बढ़ती तादाद के बीच आज के समय में सभी के लिए जॉब पाना मुश्किल हो गया है, लेकिन अगर आपने पोस्ट ग्रेजुएशन कर रखा है तो आपकी राह आसान हो जाएगी। आपको सरकारी नौकरियों के अलावा निजी सेक्‍टर में अच्‍छी जॉब मिल सकती है। आज के समय में ज्‍यादा दिनों तक वही सरवाइव कर सकता है, जो वेल-क्वालिफाइड हो। हालांकि, आपकी जॉब में सफलता आपके इंटरेस्ट और पैशन के साथ ही पोस्ट ग्रेजुएशन के विषय पर भी निर्भर करता है।

बैंकिंग सेक्टर (Job In The Banking sector)
अगर आप ने फाइनेंस और अककॉउंटेंस में अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की है तो आप बैंकिंग सेक्टर में अपना कैरियर बना सकते हो। इस सेक्‍टर में आप लोन मैनेजर, आपरेशन मैनेजर, कैशियर, ब्रांच ऑफिसर, सेल्‍स एंड मार्केटिंग मैनेजर जैसे कई अहम पदों पर रहकर अच्‍छी सैलरी पा सकते हैं। आज के समय में बैंकिग क्षेत्र काफी तेजी से बढ़ रही है, प्रतिवर्ष हजारों लोगों की इस सेक्‍टर में भर्ती होती है।
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आईटी इंडस्ट्री (Job in IT Industry)
टेक्नोलॉजी के डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे है। ऐसे में इस फील्ड में भी काफी सारे करियर ऑप्‍शन खुल हैं, प्रोस्‍ट ग्रेजुएट के लिए यह पसंदीदा क्षेत्र है। अगर आपने कंप्यूटर या टेक्नोलॉजी फील्ड में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है तो आईटी में आपको कई सारे करयिर विकल्प मिल सकते हैं। आप इस इंडस्ट्री में पीपीएल मैनेजर, सॉफ्टवेयर डेवलपर, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर कार्य कर सकते हैं।

सेल्‍स एंड मार्केटिंग (Jobs in Sales and Marketing)
कॉमर्स, फाइनेंस एंड अकाउंटेंसी में पोस्‍ट ग्रेजुएट छात्र सेल्स एंड मार्केटिंग क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं। यह क्षेत्र बहुत व्‍यापक है, हर कंपनी को इस क्षेत्र में अनुभव रखने वालों की जरूरत पड़ती है, यही कारण है कि कंपनियां इस क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को मोटी सैलरी देती हैं। इस सेक्टर में करियर का विकास इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितने बढ़िया और सफल मार्केटिंग स्ट्रेटेजिस्ट हैं।

डिजिटल मार्केटिंग (Jobs in Digital Marketing)
डिजिटल मार्केटिंग आज के समय में सभी कंपनियों के रीढ़ की हड्डी है, कोरोना के बाद कंपनियां इस क्षेत्र में जमकर पैसा लगा रही है, जिस तरह से कंपनियों का इस क्षेत्र में इन्‍वेस्‍ट बढ़ रहा है, उसी तरह जॉब के अवसर भी बढ़ रहे हैं। आज के समय में यह एक बड़ा बाजार बन गया है। अगर आपने टेक्नोलॉजी में पीजी किया है तो यह क्षेत्र आपके लिए ही है। इस फील्‍ड में आप डिजिटल मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव, डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर्स, एसईओ मैनेजर, ईमेल-मार्केटिंग मैनेजर, पीपीसी मैनेजर जैसे पदों पर कार्य कर सकते हैं।
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हासिल करें डॉक्टरेट की डिग्री (Earn a Doctoral Degree)
अगर आपने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं, तो आपके लिए बेहतर होगा कि आप रिसर्च के क्षेत्र में जाएं ओर डॉक्‍टरेट की डिग्री हासिल करें। डॉक्‍टरेट या पीएचडी करने में लगभग 2 से 3 वर्ष का समय लगता है। आप अपने विषय के अनुसार किसी यूनिवर्सिटी में आवेदन कर सकते हैं, या फिर किसी डॉक्टरेट डिग्री के लिए एंट्रेंस एग्जाम देने के लिए सीधे अप्लाई कर सकते हैं।

कैंपस रिक्रूटमेंट के अवसर (Campus Recruitment Opportunities)
लगभग सभी कॉलेजों में ग्रेजुएशन और पोस्‍ट ग्रेजुएशन के बाद कॉलेज की तरफ से जॉब प्लेसमेंट्स और कैंपस रिक्रूटमेंट मिलती है। इस तरह के कैंपस रिक्रूटमेंट पर ध्‍यान रखें, हो सकता है आपको अच्छी जॉब मिल जाए, अगर नहीं भी मिलती है, तो पोस्ट ग्रेजुएशन स्टडी के दौरान इंटर्नशिप कर सकते हैं। यह आने वाले समय में आपके अनुभव और करियर के लिए काफी फायदेमंद रहेगा।

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Financial Analyst: फाइनेंशियल एनालिस्ट कैसे बनें? क्या हैं जरूरी स्किल्स, कहां मिलेगी जॉब, जानें सबकुछ

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Financial Analyst Career: फाइनेंसियल एनालिस्ट एक ऐसा करियर विकल्‍प है, जिसको अपनान के बाद कोई भी छात्र अपने जीवन में फेल नहीं होता, हर व्‍यक्ति बेहतर मुकाम हासिल करता है। इस क्षेत्र में कई ऐसे करियर ऑप्‍शन हैं, जिसमें छात्र अच्‍छी जॉब हासिल कर सकते हैं। आज के समय में बैंकों के अलावा, केंद्र व राज्य सरकार के वित्‍त से विभाग, फाइनेशियल रिसर्च संस्थान, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, विभिन्न सरकारी शैक्षणिक के अलावा कई निजी कंपनियां इस क्षेत्र में जॉब उपलब्‍ध करवाती हैं।

फाइनेंसियल एनालिस्ट का कार्य (Work Of Financial Analyst)
फाइनेंसियल एनालिस्ट का कार्य बैंकों, ब्रोकरेज, धन प्रबंधन फर्मों और अन्य संगठनों के लिए स्टॉक, बांड और अन्य प्रतिभूतियों का विश्लेषण करना है। ये फाइनेंसियल एनालिस्ट आमतौर पर स्टॉक या बांड की एक संकीर्ण श्रेणी में विशेषज्ञता विकसित करते हैं। साथ ही आंतरिक वित्तीय आंकड़ों का विश्लेषण करते हैं और कंपनी के अधिकारियों द्वारा बजट और निवेश निर्णयों को सूचित करने के लिए वित्तीय योजनाएं, राजस्व और व्यय अनुमान, और अनुशंसाएं तैयार करते हैं।

  • निवेश विभागों में जोखिम का मूल्यांकन करना और संभावित नुकसान को सीमित करने में मदद करना।
  • अपनी कंपनी के निवेश पोर्टफोलियो के लिए उत्पादों, उद्योगों और क्षेत्रों के मिश्रण का चयन करते हैं।
  • डेटा का विश्लेषण करने और पूर्वानुमान विकसित करने के लिए स्प्रेडशीट और विशेष सॉफ्टवेयर पैकेज के साथ काम करना।
  • फंड मैनेजर विशेष रूप से हेज फंड या म्यूचुअल फंड के साथ काम करते हैं।
  • रेटिंग विश्लेषक कंपनियों या सरकारों की बॉन्ड सहित उनके ऋण का भुगतान करने की क्षमता का मूल्यांकन करते हैं।
  • जोखिम विश्लेषक निवेश निर्णयों में जोखिम का मूल्यांकन करते हैं और निर्धारित करते हैं कि अप्रत्याशितता का प्रबंधन कैसे करें और संभावित नुकसान को कैसे सीमित करें।
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फाइनेंसियल एनालिस्ट की स्किल्स (Financial Analyst Skills)
  • वित्तीय विश्लेषकों को लाभदायक निवेश खोजने में कई जानकारी को संसाधित करना होगा।
  • वित्तीय विश्लेषकों को ग्राहकों को स्पष्ट भाषा में उनकी सिफारिशों को समझाना होगा जो ग्राहक आसानी से समझ सकते हैं।
  • वित्तीय विश्लेषकों को सुरक्षा खरीदने, रखने या बेचने की सिफारिश प्रदान करनी चाहिए। फंड मैनेजरों को अलग-अलग ट्रेडिंग निर्णय लेने चाहिए।
  • फाइनेंसियल एनालिस्ट को विवरणों पर ध्यान देना चाहिए जब संभव निवेशों की समीक्षा करें क्योंकि छोटे तथ्यों में निवेश के स्वास्थ्य के लिए बड़े निहितार्थ हो सकते हैं।
  • वित्तीय प्रतिभूतियों के मूल्य का आकलन करते समय वित्तीय विश्लेषक गणितीय कौशल का उपयोग करते हैं।
  • फाइनेंसियल एनालिस्ट को वित्तीय डेटा का विश्लेषण करने, रुझानों को देखने, पोर्टफोलियो बनाने और पूर्वानुमान बनाने के लिए सॉफ़्टवेयर पैकेज का उपयोग करने में निपुण होना चाहिए।

फाइनेंसियल एनालिस्ट की योग्यता (Qualification of Financial Analyst)
फाइनेंसियल एनालिस्ट बनने से पहले छात्रों को गणित विषय के साथ स्नातक उत्तीर्ण होना चाहिए, इसके अलावा बिजनेस, एकाउंटिंग, फाइनेंस या स्टैटिस्टिक्स, इकनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन उत्तीर्ण होना चाहिए। आइसीएफआइ से सीएफए कार्यक्रम उत्तीर्ण उम्मीदवार भी फाइनेंसियल एनालिस्ट के आवेदन कर सकते हैं। चार्टर्ड एकाउंटेंसी, कॉस्ट एण्ड वर्क्स एकाउंटेंसी, कंपनी सेक्रेट्रीशिप जैसे पाठ्यक्रमों के बाद भी फाइनेंसियल के पद के लिए आवेदन किया जा सकता है।
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करियर की संभावनाएं (career prospects)
फाइनेंसियल एनालिस्ट के करियर का दायरा बहुत बड़ा है, इसमें विभिन्न क्षेत्रों जैसे बैंक, उद्योग, वित्त बाजार और प्रौद्योगिकी शामिल हैं। एक फाइनेंसियल एनालिस्ट एक फाइनेंसियल एनालिस्ट और एक स्वतंत्र वित्तीय निवेश दोनों की भूमिका चुन सकता है। आम नियोक्ताओं में से कुछ एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, आईडीबीआई बैंक, कैनरा बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एल एंड टी फाइनेंस लिमिटेड के अलावा वित्तिय विश्लेषक बैंकों, इंश्‍योरेंस कंपनियों, बीमा कंपनियों, म्‍यूचअल फंड, इंवेस्टमेंट में व्यवसाय करने वाली कंपनियों सहित कॉरपोरेट सेक्टर में कहीं पर भी जॉब कर सकते हैं।

फाइनेंसियल एनालिस्ट के लिए जॉब ऑप्‍शन (Job Options For Financial Analyst)
फ्रेशर उम्‍मीदवार के लिए, किसी फाइनेंशल फर्म, कंपनी या मार्केट में जॉब प्राप्त करना उसके करियर का बेसिक आधार होता है। कंपनी में फाइनेंसियल एनालिस्ट का रोल बहुत गतिशील है क्योंकि उनके लिए संगठन के अन्य डिपार्टमेंट्स के साथ सहयोग करना आवश्यक होता है और अगर जरूरी हो तो उन्हें सामने आकर कस्टमर के साथ बातचीत करनी पड़ती है। यहां कुछ ऐसे लोकप्रिय जॉब डेसिग्नेशन दिए जा रहे हैं जो फाइनेंस ग्रेजुएट अपना कोर्स पूरा करने के बाद ज्वाइन कर सकते हैं।

  1. फाइनेंस कंट्रोलर (Finance Controller)
  2. फाइनेंस ऑफिसर (Finance Officer)
  3. रिस्क मैनेजर (Risk Manager)
  4. क्रेडिट मैनेजर (Credit Manager)
  5. कैश मैनेजर (Cash Manager)
  6. रिस्क एंड इंश्‍योरेंस मैनेजर (Risk and Insurance Manager)
  7. फाइनेंस मैनेजर (Finance Manager)
  8. फाइनेंशल प्लानर (Financial Planner)
  9. फाइनेंशल एनालिस्ट (Financial Analyst)
  10. फाइनेंशल ऑडिटर (Financial Auditor)
  11. इंवेस्टमेंट बैंकिंग एनालिस्ट (Investment Banking Analyst)
  12. अकाउंटेंट (Accountant)

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GMAT Exam Tips: देना चाहते हैं जीमैट, तो जरूर जानें ये एग्जाम पैटर्न और योग्यता

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GMAT Latest Exam Pattern: विदेश की यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करना हर छात्र का सपना होता है। इसके लिए एग्‍जाम दुनियाभर में आयोजित की जाती है, जिनमें अच्छा स्कोर लाने वाले छात्र विदेश के कॉलेजों में एडमिशन लेते हैं, इन्‍हीं में से एक है GMAT एग्‍जाम। अगर आप अपनी हायर स्टडीज़ के लिए जीमैट देना चाहते हैं तो आपको इससे जुड़ी सभी जानकारियां यहां दे रहे हैं।

GMAT क्‍या है? (What is GMAT?)
GMAT का पूरा नाम Graduate Management Admission Test है। यह एक ऑनलाइन एग्‍जाम है, जिसको पास करने के बाद आप दुनियाभर के टॉप बिजनेस और मैनेजमेंट स्कूल्स में एडमिशन ले सकते हैं। इस परीक्षा को आप तभी दे सकते हैं जब आप ग्रेजुएशन के बाद बिजनेस या मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन करना चाहते हो। GMAT Scorecard को 110 देशों की यूनिवर्सिटी द्वारा मान्य किया गया है।

GMAT की योग्यता (Eligibility for GMAT)
जीमैट की परीक्षा देने के लिए किसी खास योग्यता की मांग नहीं की जाती, कोई भी व्यक्ति इस परीक्षा को दे सकता है, लेकिन एग्‍जाम हो जाने के बाद जिस यूनिवर्सिटी में आपको एडमिशन लेना है उसके बारे में आपको जरूर जानना होगा। आप सबसे पहले ये तय करें की आप किस यूनिवर्सिटी में जाना चाहते हैं, उस यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए कितना जीमैट स्‍कोर चाहिए होता है और उसकी योग्यता क्या होती है।
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GMAT के लिए कैसे अप्लाई करें (How to apply for GMAT in India)
जीमैट के लिए आप ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं, इसके लिए सालभर रजिस्ट्रेशन होते रहते हैं। सबसे पहले ये तय करें की आपको ग्रेजुएशन के बाद कौन सा कोर्स करना है, वो भी किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से, तभी इस एग्‍जाम को दें। यूनिवर्सिटी की क्या योग्यता है, कितनी फीस है ये सारी डीटेल्स चेक करें। एग्‍जाम देने के लिए आपकी उम्र भी 18 साल या उससे ज्यादा होनी चाहिए, अगर आपकी उम्र 13 से 17 साल के बीच में है तो आपके पेरेंट्स के हाथों लिखा हुआ लेटर आपको देना पड़ता है।

जीमैट एग्‍जाम फॉर्मेट(GMAT Exam Pattern and Syllabus)
  • जीमैट एक ऑनलाइन एग्जाम है जो साढ़े तीन घंटे का होता है इसमें एक सेक्शन खत्म होने पर आपको कुछ मिनट का ब्रेक भी मिलता है। इसमें कुल 4 सेक्शन होते हैं।
  • पहला सेक्शन विश्लेषणात्मक लेखन मूल्यांकन का होता है जो 30 मिनट का होता है, इसमें सिर्फ 1 ही प्रश्न होता है।
  • दूसरा सेक्शन इंटरग्रेटेड रीजनिंग का होता है जो 30 मिनट का होता है, इसमें कुल 12 प्रश्न पूछे जाते हैं
  • तीसरा सेक्शन मात्रात्मक तर्क का होता है जो 62 मिनट का होता है, इसमें कुल 31 प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • चौथा सेक्शन वरवल रीजनिंग का होता है, ये 65 मिनट का होता है और इसमें 36 प्रश्न पूछे जाते हैं।
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जीमैट की तैयारी कैसे करें (How to Prepare GMAT)
  • आप सबसे पहले जीमैट एग्‍जाम फॉर्मेट को समझें, जीमैट आपसे किस तरह के प्रश्न पूछ रहा है ये जानना जरूरी है।
  • ये जानने के लिए जब आप रजिस्ट्रेशन करते हैं तो आपको उनकी वेबसाइट पर फ्री स्‍टडी मटैरियल मिलता है, आप उसे स्टडी करें और पता करें कि किस तरीके से प्रश्न पूछे गए हैं। और फिर उसी तरीके से एग्‍जाम की तैयारी करें।
  • एग्‍जाम पैटर्न चेक करने के बाद ये देखें कि उस एग्‍जाम के हिसाब से आप कहाँ पर हैं, मतलब आपकी पढ़ाई में स्थिति कैसी है, फिर उस हिसाब से अपने सिलेबस को कवर करने की कोशिश करें।
  • इस एग्‍जाम के लिए आप सेल्फ स्टडी करें तो ज्यादा अच्छा है लेकिन यदि आपको पढ़ने में ज्यादा दिक्कत हो रही है तो आप कोचिंग भी ले सकते हैं।
  • जीमैट की तैयारी के लिए 3 से 6 महीने का समय पर्याप्त माना गया है, अगर आपको इससे ज्यादा समय लग रहा है तो आप कॉलेज के दिनों में ही इसकी तैयारी चालू कर दें।

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Data Scientist: नये जमाने का चमकता करियर है डाटा साइंस, लेकिन ध्यान रखें ये 5 टिप्‍स

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Data Science Career Scope: दुनिया में बढ़ती सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी के कारण आज के समय में छात्रों के लिए डाटा साइटिंस्‍ट बनना बेस्‍ट करियर ऑप्‍शन हो सकता है। आज के समय में यह क्षेत्र जॉब और सैलरी के मामले में टॉप 5 में गिना जाता है, वहीं आने वाला भविष्‍य भी इसी का होगा। अगर आप डाटा साइटिंस्‍ट बनना चाहते हैं और इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आज हम आपको देंगे ऐसे टिप्‍स, जिससे आप इस क्षेत्र में बेहतर करियर बना सके।

क्‍या है डाटा? (what is data?)
कंप्‍यूटर के माध्‍यम से भेजे जाने वाले किसी भी तरह की इनफार्मेशन को हम डाटा कह सकते हैं। डाटा की अलग-अलग डेफिनेशन हो सकती है, लेकिन मतलब एक ही होता है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की मेमोरी में डाटा फोटो, वीडियो, सॉफ्टवेयर, गेम्स आदि हो सकते हैं या डाटा ऐसे तथ्य हो सकते हैं जो किसी व्यक्ति के मस्तिष्क के अंदर संग्रहित होते हैं।

डाटा साइंस (Data Science)
डाटा साइंस हम उसे कह सकते हैं जिसके तहत किसी भी डाटा का विश्लेषण कर उसकी जानकारी निकाल सकें। आज के समय में कंप्यूटर विज्ञान का एक हिस्सा है, डाटा साइंस सांख्यिकी गणित, सांख्यिकी, सूचना सिद्धांत, सूचना प्रौद्योगिकी आदि जैसे कई क्षेत्रों में सिद्धांतों और तकनीकों का उपयोग करता है।
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डाटा साइटिंस्‍ट के स्किल (Data Scientist Skills)
डाटा साइटिंस्‍ट बनने के लिए आपके पास कई स्किल का होना जरूरी है, जिसमें से मुख्‍य रूप से मैथ, कंप्‍यूटर साइंस, मैनेजमेंट, अपीयर मैथ से डिग्री व डिप्‍लोमा जरूरी है। साथ ही आपको सांख्यिकीय मॉडलिंग और व्यवहार्यता की भी जानकारी होनी चाहिए। इसके अलावा आपको पाइथन, जावॉ, रा, सास, जैसी प्रोगामिंग लैंग्‍वेज की भी जानकारी होनी चाहिए।

डाटा साइटिंस्‍ट बनने के टिप्‍स (Tips to become a Data Scientist)-

नौकरी ढूंढते समय रखे ध्‍यान (Things to keep in mind while looking for a job)
आज के समय में हर बड़ी कंपनी को डाटा साइटिंस्‍ट की जरूरत पड़ती है। पढ़ाई पूरी होने के बाद जब आप नौकरी ढूंढने जाएं तो इस बात का ध्‍यान रखें कि उसी कंपनी में जॉब करें, जिसका मार्केट में नाम हो, इससे जहां आपको अच्‍छी सैलरी मिलेगी, वहीं कई चीजें सीखने को भी मिलेंगी, यहां से दूसरी कंपनी में जाने पर भी इस कंपनी का नाम आपके काम आएगा।

बेसिक से शुरूआत करें (Start with basic)
यदि आप इस क्षेत्र में अच्छा ज्ञान या अनुभव प्राप्त करने के साथ करियर बनाना चाहते हैं, तो बेसिक से शुरुआत करें, क्योंकि बेसिक से ही आप इस क्षेत्र को अच्छी तरह समझ सकते हैं, यदि आप सीधे एडवांस स्तर को समझना चाहते हैं, तो यह संभव नहीं है। यह आपको आगे चलकर नुकसान ही देगा।
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डिग्री का स्‍तर बढ़ांए (Raise the Degree)
डाटा साइटिंस्‍ट का जॉब जितना अच्‍छा है, उतना टफ भी। इस क्षेत्र में कार्य करने वाले करीब 88 फीसदी डाटा साइटिंस्‍ट के पास कम से कम मास्टर डिग्री है, वहीं 46 फीसदी के पास पीएचडी है। डाटा साइटिंस्‍ट बनने के लिए बहुत मजबूत शैक्षिक पृष्ठभूमि की आवश्यकता होती है।

इन क्षेत्र में लें डिग्री (Degree for Data Science)
डाटा साइंटिस्ट बनने के लिए आप कंप्यूटर साइंस, सोशल साइंस, फिजिकल साइंस और स्टैटिस्टिक्स में बैचलर डिग्री हासिल कर सकते हैं। इससे आपको अच्‍छी जॉब के चांस ज्‍यादा मिलेंगे। अध्ययन के सबसे आम क्षेत्र में गणित और सांख्यिकी 32 फीसदी, है, वहीं कंप्यूटर विज्ञान में 19 और इंजीनियरिंग में 16 फीसदी है। इनमें से किसी भी पाठ्यक्रम में डिग्री आपको बड़े डाटा को संशोधित करने और विश्लेषण करने के लिए आवश्यक स्किल देगी।
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सीखना जारी रखें (Keep Learning)
एक डाटा साइटिंस्‍ट वह है जो कच्चे डाटा से जानकारी निकालना जानता है, और उस जानकारी को व्यवसाय में उपयोग करने योग्य बनाता है। अधिकांश डाटा साइटिंस्‍ट डाटा इकट्ठा करने और सफाई करने में बहुत समय बिताते हैं, क्योंकि डाटा कभी भी साफ नहीं होता है। अगर आपको भी एक अच्‍छा डाटा साइटिंस्‍ट बनना है तो अपने डिग्री प्रोग्राम के दौरान आपने जो स्किल सीखा है, उसका प्रैक्टिस करते रहें। क्‍लास में सीखने के अलावा, आप ऐप बनाकर, ब्लॉग शुरू करके या डाटा विश्लेषण की खोज करके कक्षा में सीखी गई बातों का अभ्यास कर सकते हैं ताकि आप और अधिक सीख सकें।

जॉब के ऑप्‍शन (job options After Data Science Course)
इसका कोर्स करने के बाद आपके लिए कई जॉब ऑप्शन मौजूद हैं। जहां आप इंफॉर्मेशन ऑफिसर, डाटा एनालिस्ट, सॉफ्टवेयर टेस्टर, डाटा साइंटिस्ट, सीनियर इंफॉर्मेशन एनालिस्ट, सीनियर डाटा ऑफिसर, बिजनेस एनालिस्ट और सहायक एनालिस्ट के पद पर काम करके करियर बना सकते हैं। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर में भी रोजगार के बहुत चांस हैं। यहां आप बैंक, बीमा कंपनी, ई-कॉमर्स, टेलीकॉम, फाइनेंस, यूटिलिटी, हॉस्पिटल, कंस्ट्रक्शन प्लान, ऑयल या गैस कंपनी, मैन्युफेक्चरिंग कंपनी, ट्रांसपोर्टेशन जैसी बहुत सी जगहों पर रोजगार मिलने की संभावनाएं हैं।

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Career Options after NEET: नीट के बाद सिर्फ डॉक्‍टर ही नहीं, इन क्षेत्रों में भी बना सकते हैं करियर

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Best Career Options After NEET: हर मां-बाप का सपना होता है, कि उसका बेटा-बेटी बड़े होकर डॉक्‍टर-इंजीनियर बनें। बचपन में अपने बच्‍चों को डॉक्‍टर-डॉक्‍टर गेम खेलता देख सोचते हैं कि शायद उनका बच्‍चा डॉक्‍टर ही बनें। कुछ बच्‍चे इस सपने को हकीकत में भी बदल देते हैं। मेडिकल के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए नीट अहम पड़ाव है। इस परीक्षा को पास करने के बाद जहां कई स्टूडेंट्स मेडिकल क्षेत्र में ही काम करना पसंद करते हैं तो वहीं कई ऐसे भी हैं जो एमबीबीएस के बाद ऑल्टरनेट करियर ऑप्शन भी चुनते हैं। कहा जाता है कि एमबीबीएस के बाद छात्रों के पास लिमिटेड ऑप्शन होते हैं, लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि इस क्षेत्र में आप सिर्फ डॉक्‍टर ही नहीं बन सकते, बल्कि कई अन्‍य तरह से भी अपना करियर बना सकते हैं।

बीडीएस में करियर (Career In BDS)
नीट के बाद आप सिर्फ एमबीबीएस में ही करियर नहीं बना सकते, बल्कि बीडीएस कोर्स की डिग्री भी हासिल कर डेंटिस्ट बना जा सकता हैं। इस फील्ड में भी विकल्प पब्लिक क्लिनिक्स तक ही सीमित नहीं है, कई डेंटिस्ट अपने खुद के क्लीनिक शुरू कर अच्‍छा करियर बना सकते हैं।

एमडी, एमएस व डिप्‍लोमा (MD, MS and Diploma)
नीट के बाद यह एमबीबीएस के बाद सबसे ज्यादा चुने जाने वाले ऑप्शन्स में से एक है, जो छात्र अपने मेडिकल करियर को जारी रखना चाहते हैं, वे एमडी या एमएस या डिप्लोमा डॉक्टरों को पोस्टग्रेजुएट कोर्स करते हैं, यह कोर्स छात्रों को अपनी पसंद के क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन हासिल करने की फ्रीडम भी देता है।
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एमबीए का कोर्स (MBA course)
आज के समय में लोग डॉक्टर की डिग्री लेने के साथ मैनेजमेंट में भी डिग्री लेना चाहते हैं, ऐसे लोगों के लिए एमबीए बेहतर विकल्‍प है। कुछ लोग इसे एंटरप्रेन्योरल स्किल डेवलेप करने और हेल्थकेयर प्रतिष्ठानों के मैनेजमेंट में करियर के अवसरों का पता लगाने के लिए लेते हैं। इसके लिए एमबीए इन हेल्थकेयर एंड हॉस्पिटल मैनेजमेंट, एमबीए इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, एमबीए इन जनरल मैनेजमेंट, एमबीए इन हॉस्पिटल एंड हेल्थ मैनेजमेंट जैसे कोर्स मौजूद है।

एमएससी का कोर्स (MSc course)
एमबीबीएस के बाद छात्रों के पास एमएससी करना अच्‍छा विकल्प है, एमबीबीएस ग्रेजुएट्स इनमें से किसी भी क्षेत्र में मास्टर डिग्री प्राप्त कर सकते हैं, एयरोस्पेस मेडिसिन, एनाटॉमी, एनेस्थीसिया, बायोकैमिस्ट्री, डर्मेटोलॉजी, वेनेरोलॉजी एंड लेप्रोसी., फॉरेंसिक मेडिसन, जेरियाट्रिक, ईएनटी के अलावा कई अन्य क्षेत्र हैं।

संयुक्त चिकित्सा सेवा क्षेत्र (United Medical Services Area)
यूपीएससी रेलवे, नगर निगम जैसे सरकारी संस्थानों में चिकित्सा अधिकारियों के रूप में भर्ती के लिए हर साल जुलाई- अगस्त के महीने में संयुक्त चिकित्सा सेवा परीक्षा आयोजित करता है। उम्मीदवार एमबीबीएस की डिग्री के अंतिम वर्ष में उत्तीर्ण होने के बाद परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। यूपीएससी-सीएमएस से जुड़ी प्रतिष्ठा, गौरव और शक्ति भारतीय समाज में कहीं अधिक है। कुछ के लिए यूपीएससी के माध्यम से भर्ती प्राप्त करना लक्ष्‍य होता है। यह एक अच्छा विकल्प है, यदि आप सरकार के साथ एक स्थायी नौकरी चाहते हैं और यदि आप अस्पताल के प्रशासनिक कार्यबल का हिस्सा बनना पसंद करते हैं।
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डीएनबी कोर्स करना (DNB course)
एमबीबीएस के अलावा दूसरा विकल्प डीएनबी कोर्स करना है। डीएनबी कोर्स एक स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम है जो नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन द्वारा दिया जाता है, यह एमसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त है।

क्लीनिकल रिसर्च (Clinical Research)
जब रिसर्च के क्षेत्र की बात आती है, तो भारत अभी भी ग्रो कर रहा है और डेवलेप हो रहा है। इसके लिए क्लिनिकल रिसर्चर्स की बहुत जरूरत होती है। विभिन्न संस्थान जो रिसर्च के अवसर प्रदान करते हैं वे हैं इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च, सीसीएमबी, सेंट जॉन्स रिसर्च इंस्टीट्यूट, डब्‍ल्‍यूएचओ। इसके अलावा एम्स, पीजीआई, निमहंस, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च जैसे कई संस्थान पीएचडी डिग्री प्रदान करते हैं।

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Banking Courses: ये हैं बैंकिंग के टॉप डिमांड वाले कोर्स, जो दिलायेंगे बढ़िया जॉब

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Banking Courses: नौकरी के अवसरों की बात करें तो बैंकिंग एक प्रमुख क्षेत्र है जिसमें नौकरी के बेहतरीन अवसर है। यह एक बेहतरीन इंडस्ट्री है और हजारों छात्र अलग-अलग बैंकिंग कोर्स में हर साल दाखिला लेते हैं। यदि आप नंबर्स के साथ खेल सकते हैं और अच्छी फाइनेंशियल स्किल है तो बैंकिंग कोर्स आपके लिए बिल्कुल सही है। कॉमर्स, साइंस, आर्ट्स जैसी विभिन्न स्ट्रीम के छात्र बैंकिंग के फील्ड के बारे में जानने और के लिए उत्सुक रहते हैं। शॉर्ट-टर्म बैंकिंग कोर्स से लेकर बैंकिंग कोर्स में मास्टर्स तक, ऐसे कई कोर्स हैं जिन्हें आप चुन सकते हैं। यहां पढ़ें बैंकिंग कोर्स की पूरी लिस्ट-

12वीं के बाद बैंकिंग कोर्स (Banking Courses After 12th)
यहां 12वीं कॉमर्स के बाद बैंकिंग कोर्स की लिस्ट

  1. बीए इन बैंकिंग एंड फाइनेंस
  2. बीए इन बैंकिंग एंड फाइनेंशियल प्लानिंग
  3. बीए इन इंटरनेशनल फाइनेंस एंड बैंकंग
  4. बीबीए (Hons) फाइनेंस एंड बैंकिंग
  5. बीकॉम इन बैंकिंग
  6. बीएससी इन बैंकिंग एंड फाइनेंस
  7. बीएससी (Hons) इकोनॉमिक्स विद बैंकिंग
  8. बीएससी (Hons) इन मनी, बैंकिंग एंड फाइनेंस
  9. बैचलर ऑफ बिजनेस (बैंकिंग)
  10. बैचलर ऑफ बिजनेस (बैंकिंग एंड फाइनांस)
  11. बैचलर ऑफ बिजनेस एंड कॉमर्स (बैंकिंग एंड फाइनांस)
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ग्रेजुएशन के बाद बैंकिंग कोर्स की लिस्ट (List of Banking Courses after Graduation)
बैंकिंग में ग्रेजुएट को ईकामर्स, फाइनेंशियल सिक्योरिटी, ग्लोबल बैंकिंग सिक्योरिटी, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट आदि के बारे में भी पढ़ाया जाता है। यहां बीकॉम या ग्रेजुएशन के बाद बैंकिंग कोर्स के बारे में पढ़ें-

  1. एमबीए इन बैंकिंग एंड फाइनेंस
  2. एमबीए इन ग्लोबल बैंकिंग एंड फाइनेंस
  3. एमबीए इन इसलामिक बैंकिंग एंड फाइनेंस
  4. एमकॉम (बैंकिंग)
  5. एमएससी इन बैंकिंग एंड फाइनेंस
  6. एमएससी इन फाइनेंशियल सर्विस इन बैंकिंग
  7. एमएससी इन फाइनेंशियल बैंकिंग एंड इंश्योरेंस
  8. एमएससी इन बैंकिंग एंड रिस्क
  9. एमएससी इन बैंकिंग, फाइनेंस एंड रिस्क मैनेजमेंट
  10. एमएससी इन बिजनेस इकोनॉमिक्स, फाइनेंस एंड बैंकिंग
  11. एमएससी इन इंटरनेशनल बैंकिंग एंड फाइनेंस
  12. एमएससी इन ग्लोबल बैंकिंग एंड फाइनेंस
  13. एमएससी इन इस्लामिक बैंकिंग एंड फाइनेंस
  14. मास्टर ऑफ लॉ इन इंटरनेशनल बैंकिंग
  15. मास्टर ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस लॉ
  16. पीएचडी इन बैंकिंग /अकाउंटिंग /फाइनेंस /इकोनॉमिक्स /मैनेजमेंट स्टडीज
  17. पीएचडी इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन - बैंकिंग एंड फाइनेंस

स्नातक डिग्री कोर्स की अवधि आम तौर पर 3 या 4 वर्ष होती है और मास्टर डिग्री कोर्स न्यूनतम 2 वर्ष तक चलता है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि किसी विशेष कोर्स की अवधि विश्वविद्यालय से विश्वविद्यालय या कॉलेज से कॉलेज में अलग हो सकती है।
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डिप्लोमा/सर्टिफिकेशन (Diploma/Certification)
बैंकिंग और फाइनांस में डिप्लोमा और सर्टिफिकेशन प्रोग्राम स्टूडेंट्स के लिए इस क्षेत्र में उभरती स्पेशलाइजेशन के बारे में नई इंफॉर्मेशन और नॉलेज का पता लगाने के लिए डिजाइन किए गए हैं। इसके अलावा, वे बैंकिंग क्षेत्र के अधिकारियों और प्रोफेशनल्स को उनके खास वर्क प्रोफ़ाइल में एक्सपर्टीज हासिल करने में मदद करते हैं। यहां डिप्लोमा और सर्टिफिकेशन प्रोग्राम वाले बैंकिंग कोर्स के बारे में पढ़ें:

  1. ग्रेजुएट सर्टिफिकेशन ऑफ फाइनेंस एंड बैंकिंग
  2. ग्रेजुएट सर्टिफिकेशन इन बैंकिंग सिक्योरिटी
  3. डिप्लोमा इन बैंकिंग सर्विस मैनेजमेंट
  4. ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बैंकिंग ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बैंकिंग एंड फाइनेंस लॉ
  5. पोस्ट डिग्री डिप्लोमा इन इकोनॉमिक्स एंड ग्लोबल बैंकिंग

शॉर्ट टर्म बैंकिंग कोर्स (List of Short Term Banking Courses)
  1. शॉर्ट टर्म पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बैंकिंग ऑपरेशंस- पीजी डिप्लोमा - 3 महीने क्लास+ 3 महीने की इंटर्नशिप
  2. एमकॉम में बैंकिंग एंड फाइनेंस- एम.कॉम पीजी लेवल - 2 वर्ष
  3. मास्टर ऑफ वोकेशन इन बैंकिंग, स्टॉक और इनश्योरेंस - पीजी लेवल - 2 वर्ष
  4. पीजीडीएम इन बैंकिंग और फाइनेंस सर्विस - पीजी डिप्लोमा - 2 साल
  5. पीजीडीआरबी - पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रिटेल बैंकिंग - पीजी डिप्लोमा - 3 महीने की क्लास + 3 महीने की इंटर्नशिप
  6. पीजीडीएम इन बैंकिंग मैनेजमेंट - पीजी डिप्लोमा कोर्स - 2 साल
  7. एमबीए इन बैंकिंग एंड फाइनेंस - पीजी लेवल - 2 वर्ष
  8. प्रोफेशनल प्रोग्राम इन कमर्शियल बैंकिंग (पीपीसीबी) - एडवांस्ड सर्टिफिकेट - 2 महीने
  9. शॉर्ट टर्म पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन बैंकिंग - पीजी डिप्लोमा - 3 महीने की क्लास + 3 महीने की इंटर्नशिप
  10. एडवांस्ड सर्टिफिकेट इन बैंकिंग लॉ एंड लोन मैनेजमेंट - एडवांस्ड सर्टिफिकेट - 3 महीने

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Genetic Engineering: क्या है जेनेटिक इंजीनियरिंग? इस कोर्स के बाद कहां मिलेगी जॉब, कितनी सैलरी

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Genetic Engineering Courses: मेडिकल साइंस एक जरूरी फील्ड है, जो टेक्नोलॉजी में काफी आगे है। जब रिसर्चर ने बायोलॉजी को प्रोग्रेसिव टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ा, तो इसने बायोटेक्नोलॉजी के व्यापक क्षेत्र को बनाया और मेडिकल साइंस में क्रांति ला दी। नए उभरते क्षेत्रों के साथ, बायोलॉजी कई ब्रांच में उभरा है। बायोलॉजी की ऐसी ही एक ब्रांच है, जेनेटिक इंजीनियरिंग है जो बायोटेक्नोलॉजी और जेनेटिक के साइंस को मिक्स करती है। यह किसी विशेष जीव के जीन के सीधे हेरफेर की सुविधा के लिए बायोटेक्नोलॉजी का उपयोग करता है।

यदि आप इस बारे में उत्सुक हैं कि कैसे जेनेटिक और टेक्नोलॉजी हमारे मेडिकल साइंस को देखने के तरीके में क्रांति ला सकती है, तो आप दुनिया भर में ऑफर किए जाने वाले कई जेनेटिक इंजीनियरिंग कोर्स में से चुन सकते हैं।

जेनेटिक इंजीनियरिंग कोर्स का सिलेबस (Syllabus of Genetic Engineering Courses)

बायोकेमेस्ट्री (Biochemistry)
बायोकेमेस्ट्री को बायोलॉजी की ब्रांच के रूप में रिफर्ड (referred) किया जा सकता है जो किसी भी बायोलॉजिकल प्रोसेस के केमिकल एसपेक्टस से संबंधित है। ऑर्गेनिक मटेरियल के बजाय सिंथेटिक के आ जाने के कारण कंटेम्पररी रिसर्च में बायोकेमेस्टी साइंस की एक जरूरी ब्रांच है। इस बदलाव ने हेल्थ सेक्टर के साथ-साथ माइक्रोबायोलॉजी सेक्टर को भी प्रभावित किया है और बायोकेमेस्ट्री के क्षेत्र में महत्व (significance) लाया है।

इम्यूनोलॉजी (Immunology)
इम्यूनोलॉजी एक जीव की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) का अध्ययन है और यह कैसे परजीवियों (parasites) और अन्य रोग पैदा करने वाले जीवों (disease-causing organisms) से अपनी रक्षा करता है। इम्यूनोलॉजी माइक्रोबायोलॉजी का एक अनिवार्य हिस्सा है, क्योंकि कुछ घातक बीमारियां जिससे मानव शरीर ग्रस्त हैं, बैक्टीरिया, वायरस और अन्य सूक्ष्मजीवों के कारण होती हैं। इम्यूनोलॉजी इन जीवों से होने वाले नुकसान का पता करने में मदद करती है और इन बीमारियों का इलाज विकसित करने और भविष्य में उन्हें रोकने पर काम करती है।
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बायोइनफॉरमैटिक्स (Bioinformatics)
यह एक अंतःविषय (interdisciplinary) सब्जेक्ट है जो जैविक डेटा को समझने के लिए जीव विज्ञान, कंप्यूटर एप्लीकेशन और मैथ्स को जोड़ता है। इस क्षेत्र का उपयोग मुख्य रूप से जैविक डेटा का आकलन करने और रिसर्च करने के लिए वैध (valid) और आवश्यक (necessary) एलिमेंटस की पहचान करने के लिए किया जाता है।

नैनोटेक्नोलॉजी (Nanotechnology)
नैनोटेक्नोलॉजी एक अन्य अंतःविषय (interdisciplinary) फील्ड है जो जेनेटिक इंजीनियरिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और आणविक (molecular) या परमाणु पैमाने (atomic scale) पर पदार्थ के हेरफेर (manipulation) से संबंधित है। हेल्थ केयर में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं को देखने के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग में इस क्षेत्र का उपयोग किया जाता है। नैनो टेक्नोलॉजी और जेनेटिक इंजीनियरिंग दो प्रमुख क्षेत्र हैं जिन्होंने हेल्थ सेक्टर में सुधार के लिए गहन रूप से काम किया है।

जेनेटिक इंजीनियरिंग कोर्स के लिए योग्यता (Genetic Engineering Courses: Eligibility Criteria)
जेनेटिक इंजीनियरिंग में प्रोफेशनल डिग्री हासिल करने के इच्छुक व्यक्ति फिजिक्स, केमेस्ट्री, मैथ्स व बायोलॉजी के साथ अपने 10 + 2 साइंस के बाद बीटेक कोर्स कर सकते हैं। जेनेटिक इंजीनियरिंग में बीटेक में एडमिशन विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा इन-हाउस आयोजित प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से या देश भर में आईआईटी / एनआईटी और सीएफटीआई के लिए जेईई जैसी राष्ट्रीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के अंकों के माध्यम से किया जाता है।
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भारत में टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज (To p Genetic Engineering Colleges in India)
  1. एसआरएम विश्वविद्यालय चेन्नई, तमिलनाडु
  2. भारत विश्वविद्यालय चेन्नई, तमिलनाडु
  3. आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, पटना, बिहार
  4. जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र, बैंगलोर, कर्नाटक
  5. महात्मा ज्योति राव फूल विश्वविद्यालय, जयपुर, राजस्थान
  6. भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई, तमिलनाडु
  7. भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर, कर्नाटक
  8. कुवेम्पु विश्वविद्यालय, कर्नाटक
  9. मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, तमिलनाडु
  10. इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी स्कूल (सेट), शारदा विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा

कोर्स की फीस
यूजी, पीजी और डॉक्टरेट स्तर के लिए न्यूनतम और अधिकतम फीस
  1. यूजी - 6 लाख से 10 लाख रुपए
  2. पीजी - 99 हजार-7.5 लाख रुपए
  3. डॉक्टरेट - 3.6 लाख-5.04 लाख रुपए
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स्किल्स
  • साइंटिफिक मैथर्ड और नियमों की मजबूत समझ
  • पर्ल, पायथन
  • कंप्यूटर एडेड डिजाइन (सीएडी) का उपयोग करने की क्षमता
  • प्रॉब्लम सॉल्विंग और क्रिटिकल थिंकिंग
  • ग्राफिक्स या फोटो इमेजिंग
  • वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर प्रोग्राम
  • एक्सीलेंट मैथेमेटिकल, डिडक्टिव और इंडक्टिव तर्क, पढ़ना, लिखना और ओरल कंप्रिहेंसिव स्किल
  • लेजर स्पेक्ट्रोमीटर, प्रकाश प्रकीर्णन उपकरण (light scattering equipment), बायनाकुलर्स लाइट कंपाउंड माइक्रोस्कोप आदि का उपयोग करने की क्षमता।

जॉब प्रोफाइल और सैलरी (Job Profiles & Salary)
  • प्रोफेसर (Professor) 5–7.5 लाख तक
  • जेनेटिक इंजीनियरिंग (Genetic Engineering) 4–5.7 लाख
  • जेनेटिक्स्ट (Geneticist) 5–8.5 लाख
  • जेनोमिक्स (Genomics) 3.5–6.5 लाख
  • मेडिकल राइटर (Medical Writer) 2.5–6 लाख
  • इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी इंजीनियर (Information Security Engineer) 4–8 लाख

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Career After 12th: मैथ्स के साथ कॉमर्स से की है 12वीं, तो आपके लिए बेस्ट रहेंगे ये 10 कोर्स

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Best Courses After 12th Commerce: अगर हम 12वीं के बाद कॉमर्स बिना मैथ्स स्कोप की बात करें तो अकाउंटिंग और फाइनेंशियल सेक्टर में सरकारी क्षेत्र में फुलटाइम जॉब मिल सकती है। कॉमर्स स्ट्रीम में कोर्स करने वाले छात्र अत्यधिक सफल हो सकते हैं और लॉयर, कंपनी सेक्रेटरी, सांख्यिकीविद् statistician, बिजनेस एनालिस्ट और भी बहुत योग्य पदों तक पहुंच सकते हैं। बिजनेस हो या कंप्यूटर, मैथ्स ने हमारी जिंदगी को आसान बना दिया है। कॉमर्स के साथ मिलकर, यह एक बेहतर करियर विकल्प है और संभवतः इस क्षेत्र में सफलता का अनुपात किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में काफी अधिक है।

मैथ्स के साथ 12वीं के बाद कॉमर्स कोर्स के लिए जॉब सेक्टर (Job Sectors For Commerce Courses After 12th with Maths)
कॉमर्स के छात्र को 12वीं पास करने के बाद इन फील्ड में नौकरी पा सकते हैं
  • बैंक (Banks)
  • एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (Educational Institutes)
  • इनवेस्टमेंट बैंकिंग (Investment Banking)
  • मल्टीनेशनल कंपनीज (Multinational Companies)

कॉमर्स विद मैथ्स जॉब
कॉमर्स में कुछ पॉपुलर जॉब प्रोफाइल
  1. ऑडिटर (Auditor)
  2. चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (Chief Financial Officer)
  3. बिजनेस कंसल्टेंट Business (Consultant)
  4. प्रोडक्शन मैनेजर (Production Manager)
  5. चार्टड अकाउंटेंट (Chartered Accountant)
  6. कंपनी सेक्रेटरी (Company Secretary)
  7. बजट एनालिस्ट (Budget Analyst)
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Career Options After 12th Commerce With Maths
"वर्तमान में, कॉमर्स अपने व्यापक कैरियर के अवसरों के कारण भारत में छात्रों के बीच सबसे पॉपुलर स्ट्रीम में एक है। वर्तमान प्रोफेशनल सिनेरियो में, मैथ्स के साथ 12 वीं कॉमर्स के बाद करियर में काफी वृद्धि हुई है। कॉमर्स से संबंधित कई प्रोफेशनल और डिग्री कोर्स हैं जिनमें मैथ्स की आवश्यकता होती है और कई प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा ऑफर भी किए जा रहे हैं। यहां तक कि आर्ट्स और साइंस के छात्रों के लिए भी उतने करियर विकल्प नहीं हैं जितने मैथ्स के कॉमर्स के छात्रों के पास हैं। कॉमर्स के छात्रों के लिए सबसे अच्छा लाभ यह है कि वे आर्ट्स के छात्रों की तुलना में आर्टस और कॉमर्स दोनों कोर्स के लिए योग्य (eligible) हैं।

  1. मैनेजमेंट (Management)
  2. कोस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटिंग (Cost and Management Accounting)
  3. स्टॉकब्रोकिंग (Stockbroking)
  4. कॉमर्स (Commerce)
  5. चार्टेड अकाउंटेंसी (Chartered Accountancy (C.A))
  6. एक्टोरियल साइंस (Actuarial Science)
  7. इकोनॉमिक्स (Economics)
  8. कंपनी सेक्रेटरी (Company Secretary (C.S))
  9. फाइनेंस (Finance)
  10. बैंक पीओ (Bank PO)
  11. एंटरप्रेन्योरशिप (Entrepreneurship)
  12. स्टैटिस्टिक्स (Statistics)
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2021 में मैथ्स के साथ 12वीं कॉमर्स के बाद अन्य करियर ऑप्शन
  • एकाउंटिंग (Accounting)- इस फील्ड में छात्र सीए, आईसीडब्ल्यूए, बीकॉम (अकाउंटिंग), फाइनेंस एंड एकाउंटिंग में स्पेशलाइज्ड प्रोग्राम जैसे कोर्स कर सकते हैं।
  • सेक्रेटेरियल वर्क (Secretarial Work)- कंपनी सेक्रेटरी, सेक्रेटरी, कॉर्पोरेट सेक्रेटरी टॉप लेवल पर सीएस कोर्स का चुनाव कर सकते हैं।
  • बैंकिंग और फाइनेंस (Banking and Finance)- उम्मीदवार 12 वीं के बाद बैंक लिपिक परीक्षा (bank clerical exam) या स्नातक होने के बाद बैंक पीओ के लिए अपीयर हो सकते हैं। स्पेशल असिस्टेंट, सिंगल-विंडो ऑपरेटर, हेड कैशियर आदि के रूप में बैंकिंग नौकरियों के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।
  • बिजनेस लॉ (Business law)- छात्र बैचलर ऑफ लॉ कोर्स के लिए जा सकते हैं और वकीलों के साथ सहयोग कर सकते हैं।
  • प्रबंधन (Management)- मैनेजमेंट क्षेत्र में अपने कौशल को स्थापित करने के लिए, कोई भी बैचलर्स मैनेजमेंट (बीएमएस) में कोर्स ले सकता है। बैचलर ऑफ बिजनेस स्टडीज (बीबीएस) या बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए)।
  • कंप्यूटर और प्रोग्रामिंग (Computer and Programming)- कंप्यूटर में रुचि रखने वाले छात्र बी.कॉम (गणित) जैसे कोर्स कर सकते हैं। बीसीए, बी.एससी. कंप्यूटिंग और इंफॉर्मेशन सिस्टम और बाद में एक प्रोग्रामिंग कोर्स में।

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Top Tips To Crack IIT JEE: पहली बार में क्रैक करना है आईआईटी जेईई, तो बिना देर किए अपनाएं ये आसान टिप्स

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JEE Mains Exam Tips And Tricks: जेईई मेन्स के तीन चरणों की परीक्षा हो चुकी है एक आखिरी चौथे चरण की परीक्षा अगस्त में होते ही जेईई एडवांस परीक्षा आयोजित की जाएगी। अब तक हुए जेईई मेन्स की परीक्षा में अच्छे पर्सेंटाइल लाने वाले कैंडिडेट्स जेईई एडवांस्ड की तैयारी में जुट चुके हैं। साल भर की मेहनत तो बेहतर रिजल्ट का कारण है ही साथ ही परीक्षा से पहले अंतिम दिनों की मेहनत भी अत्यधिक मायने रख्ती है। आज हम आपको यहां बता रहे हैं जेईई मेन्स परीक्षा को क्रैक करने और IIT में एडमिशन पाने की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए जरूरी टिप्स।

ऐसे करें एग्जाम की तैयारी
  1. अपनी सिली मिस्टेक्स पर काम करने का प्रयास करें क्योंकि इससे आपके ओवरऑल स्कोर में सुधार होगा।
  2. मॉक टेस्ट लेने और पिछले वर्ष के प्रश्नों को ऑनलाइन हल करने से आपको विभिन्न प्वाइंटस को एनलाइज करने में मदद मिलेगी।
  3. सब्जेक्ट वाइज फॉर्मूला शीट (Physics-Chemistry-Maths) तैयार करें, ऐसा करके आप फॉर्मूले को रिवाइज करने करने के लिए हर समय अपने साथ रख सकते हैं।
  4. एक डेली टाइम टेबल तैयार करें और मुख्य रूप से रिवीजन और ऑनलाइन टेस्ट पर ध्यान केंद्रित करें क्योंकि ये टेस्ट आपके स्कोर को 40-50% तक सुधारने में मदद करते हैं।
  5. स्टडी के दौरान छोटे ब्रेक लें या संगीत सुनें क्योंकि यह कंसंट्रेशन पावर को बढ़ाता है।
  6. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परीक्षा नजदीक आने पर खुद को स्वस्थ और फिट रखें।
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जेईई एडवांस्ड फिजिक्स को क्रैक करने के टिप्स (Tips To Crack JEE Advanced Physics)
  • फॉर्मूले अच्छी तरह से सीखें: जैसे ही आप फिजिक्स का रिवीजन करते हैं, सभी फॉर्मूले को नोट कर लें और उन्हें अच्छी तरह से याद रखें।
  • स्कोरिंग टॉपिक पर कंसंट्रेट करें: एक बार आपके बेसिक चैपर को रिविजन करने के बाद, मॉर्डन फिजिक्स, वेव ऑप्टिक्स, अल्टरनेटिंग करंट, साउंड वेव्स (specifically Doppler’s effect) जैसे स्कोरिंग टॉपिक्स पर ध्यान केंद्रित करें। थर्मोडायनामिक्स पर अतिरिक्त ध्यान दें क्योंकि यह फिजिक्स और केमेस्ट्री के लिए सामान्य है।
  • डेलिगेट प्रैक्टिस: जेईई एडवांस पिछले वर्ष के क्वेश्चन पेपर को सॉल्व करना आवश्यक है। इन्हें सॉल्व समय फोकस्ड और कॉन्फिडेंट रहें।
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जेईई एडवांस्ड केमिस्ट्री क्रैक करने के टिप्स (Tips To Crack JEE Advanced Chemistry)
  • अपनी प्रिपरेशन को सिस्टमेटिक रूप से तैयार करें: फिजिक्स और इनऑर्गेनिक केमेस्ट्री से फंडामेंटल कॉन्सेप्ट को रिवाइज करना शुरू करें। अपने समय का एक बड़ा हिस्सा ऑर्गेनिक केमेस्ट्री की तैयारी में दे। लास्ट 5 दिनों के लिए क्वालिटेटिव एनालिसिस छोड़ दें क्योंकि इसमें मुख्य रूप से याद रखने की आवश्यकता होती है।
  • ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में शामिल मैकनिज्म पहली बार में जटिल लग सकता है। कठिन टॉपिक के लिए ज्यादा गहराई में न जाएं क्योंकि अंतिम दिनों में समय की कमी होती है। ऑर्गेनिक केमिस्ट्री के लिए छोटे नोट्स बनाने की जरूरत होती है।
  • रिएक्श्न की प्रैक्टिस करें: सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक्स, इक्वेशन, मैकनिज्म और रिलेटेड प्रॉब्लमस का रेगुलर प्रैक्टिस करें।
  • रेगुलर रिवीजन: केमिस्ट्री कई छात्रों को कंफ्यूज करने वाली लगती है। बेहतर रिटेंशन के लिए केमिस्ट्री का रेगुलर रिवीजन जरूरी है।

जेईई एडवांस मैथ्स को क्रैक करने के टिप्स (Tips To Crack JEE Advanced Maths
  1. कॉन्सेप्चुअल क्लियरिटी: पहले सभी चैप्टर्स के बेसिक कॉन्सेप्ट को रिवाइज करें। मैथ्स फॉर्मूला से भरा है। उन्हें अच्छी तरह से करने के लिए, फार्मूला के विभिन्न एप्लीकेशन की प्रैक्टिस करें।
  2. मॉक टेस्ट दें: फुल लेंथ वाले जेईई एडवांस मॉक टेस्ट देने से आपकी स्पीड और एक्यूरेसी में सुधार करने में मदद मिलती है।
  3. प्रैक्टिस क्वेश्चन को सॉल्व करें: प्रत्येक चैप्टर को रिवाइज करने के बाद जेईई एडवांस लेवल के प्रैक्टिस क्वेश्चन को सॉल्व करना आवश्यक है।
  4. पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को सॉल्व करें: जब आप जेईई एडवांस मैथ्स की तैयारी कर रहे हों तो जेईई एडवांस्ड पिछले साल के टेस्ट से प्रैक्टिस करना जरूरी है।

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Graphic Designing: ग्राफिक डिजाइनिंग में चाहिए अच्छी ग्रोथ? जरूर जानें ये टॉप ट्रेंड

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Graphic Designer Job Tips: यूजर बिहेवियर में अलग-अलग बदलाव के साथ, ग्राफिक डिजाइनिंग इंडस्ट्री डिजिटल ब्रांड एक्सपीरिएंस को सशक्त बनाने के लिए इमर्जिंग ट्रेंड्स और न्यू स्टाइल की खोज शुरू करता है। मार्केटिंग की दुनिया तेजी से बदल रही है। इसने ब्रांड को ग्राहकों से जुड़ने के लिए मार्केटिंग स्ट्रैटजी को अपनाने के लिए अडॉप्ट किया है। नतीजतन, यह क्रिएटिव डिजाइन एजेंसियों को एक सोशल डिजाइन डेवलप करता है और कस्टमर्स की जरूरतों पर जोर देता है।

ईजी डेटा विजुअलाइजेशन (Easy data visualization)
डेटा डिजिटलाइजेशन को ड्राइव करता है। बड़े कस्टमर बेस को हासिल करने और बनाए रखने की चाहत रखने वाले ब्रांड एक उन्नत बिजनेस बनाने के लिए कस्टमर डेटा प्वाइंटस पर पूंजी लगाते हैं। कस्टमर्स के लिए ब्रांडेड कंटेंट को कंज्यूम करना आसान बनाने के लिए, रचनात्मक डिजाइनिंग एजेंसियां ईजी डेटा विजुअलाइजेशन का उपयोग कर रही हैं। डेटा के विभिन्न रूप का उपयोग करने की जरूरत ने ग्राफिक डिजाइनरों की मांग को बढ़ा दिया है जो टेक्नीकल एनालिसिस के साथ कहानी कहने की कला को मिक्स करते हैं।

इस प्रवृत्ति के लंबे समय तक बने रहने की भविष्यवाणी की गई है क्योंकि मानव मस्तिष्क टेक्सट कंटेंट के बजाय डेटा के विज्युअल रिप्रेजेंटेशन से अधिक प्रभावित हो रहा है।

म्यूट किए गए रंग पैलेट (Muted colour palettes)
एक क्रिएटिव डिजाइन एजेंसी के लिए एक ब्रांड के लिए एक आइडियल कलर प्लान सेलेक्ट करना सबसे आवश्यक है लेकिन साथ ही यह चुनौतीपूर्ण कार्य है। यह विचारों को जीवन में उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ब्रांड डिजाइनिंग में म्यूट कलर और डुओटोन की चल रही लहर ग्राहकों का मन मोह लेने वाली है। म्यूट कलर टोन डिजाइन को एक नया रूप देने के सबसे आसान तरीकों में से एक के रूप में जाने जाते हैं। दूसरी ओर, डुओटोन एक काले और सफेद कॉम्बिनेशन का उपयोग करने की भूमिका को बदल देता है।

हालांकि वाब्रेंट और डार्क कलर्स का चलन पूरी तरह से गायब नहीं होने वाला है, लेकिन म्यूटेड कलर प्लेट्स पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। क्रिएटिव डिजाइनर ब्रांड को प्राकृतिक और ऑर्गेनिक वाइब देने के लिए इन कलर टोन का उपयोग करने की कला का लाभ उठाएंगे।
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ज्यामितीय आकार (Geometric shapes)
ज्यामितीय आकार हमेशा डिजाइन के शार्प और मार्डन लुक का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे सबसे स्ट्रेटेजिक एलिमेंट्स में से एक के रूप में जाने जाते हैं जो ब्रांड के लिए यूजर्स की आंखों को आकर्षित करना आसान बनाता है। चूंकि ज्यामितीय डिजाइन आसानी से किसी भी कलर प्लान के साथ जा सकते हैं - मोनोटोन, डुओटोन या म्यूट रंग पैलेट, यह समग्र डिजाइन को आकर्षक और प्रभावशाली बनाता है। क्लीन लाइन और शेप का उपयोग करने की प्रवृत्ति लगातार प्रभावशाली होती जा रही है।

फ्लैट आईकॉन और इल्युस्ट्रेशन (Flat icons and illustrations)
बहुत सी क्रिएटिव डिजाइन एजेंसियां डिजाइन एलिमेंट्स के स्टैंडर्ड च्वाइस के रूप में फ़्लैट आइकॉन और इलस्ट्रेशन का उपयोग कर रही हैं। फ्लैट डिजाइन, सरल शब्दों में - 2डी डायमेंशनल डिजाइन के रूप में जाना जाता है, ब्रांड को न्यूनतम और सरल तरीके से इंफॉर्मेशन को कम्यूनिकेट करने में मदद करता है। डिजिटल रूप से एक्टिव ब्रांडों द्वारा काम पर रखे गए कई कुशल ग्राफिक डिजाइनर फ्लैट आइकन और इल्युस्ट्रेशन को कम्यूनिकेशन का एक पावरफुल टूल्स मानते हैं।

इन एलिमेंट्स का उन ब्रांडों का ध्यान आकर्षित करने के लिए पूर्वानुमान लगाया जाता है जो रचनात्मक रूप से और कम शब्दों में मुश्किल अर्थों को कम्यूनिकेट करने के लिए सरल डिजाइन की तलाश करते हैं।
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ब्लर एंड ग्रेन (Blur and Grain)
2020 के सबसे लोकप्रिय रुझानों में से एक ग्रेडिएंट का इनोवेटिव प्रयोग था। 2021 में, रचनात्मक डिजाइनरों ने बैकग्राउंड पर टेक्स्ट को पॉप आउट करने पर जोर देना शुरू कर दिया है। यहीं से तस्वीर में धुंधलापन और दाने आते हैं। ब्रांडों द्वारा सोशल मीडिया के व्यापक उपयोग के कारण बाजार में इस प्रवृत्ति ने जोर पकड़ा है। धुंध और अनाज का प्रभाव यूनिक शैडो और विज्यूअल टेक्सचर बनाता है। यह डिजान को फ्रेश बनाए रखता है और टारगेट ऑडिएंश को ब्रांड के प्रचार चैनलों पर अधिक समय बिताने के लिए प्रेरित करता है। यह ग्राफिक डिजाइनिंग में फ्यूटरिस्टिक ट्रेंड होने जा रही है क्योंकि यह क्रिएटिव डिजाइनर को विभिन्न एलिमेंट्स के साथ प्ले करने की अनुमति देता है।

बॉटमलाइन (Bottom line)
ग्राफिक डिजाइनिंग इंडस्ट्री में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। टेक्नोलॉजी आगे बढ़ रही है और ब्रांड कस्टमर की जरूरतों और इच्छाओं के साथ अपने ब्रांडों के साथ प्रयोग करने के लिए तैयार रहते हैं। इन ट्रेंड्स के साथ मिश्रित न्यूनतम डिजाइन का उपयोग करने की प्रवृत्ति इंडस्ट्री का नेतृत्व करने और ग्राहक जुड़ाव को बढ़ावा देने वाली है।

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Automobile Engineering: क्यों अच्छा करियर ऑप्शन है ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, ये हैं हाई सैलरी वाली जॉब्स

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Automobile Engineering Course: ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग मैकेनिकल इंजीनियरिंग की एक विशेष ब्रांच है और कारों, वाहनों और उनके इंजन जैसे ऑटोमोटिव के डिजाइन और निर्माण creation के अध्ययन से संबंधित है। यह इंजीनियरिंग की वह ब्रांच है जो ऑटोमोबाइल के डेवलपमेंट, डिजाइनिंग, प्रोडक्शन, मैन्यूफक्चरिंग, टेस्टिंग, सर्विसिंग, मैनेजमेंट और कंट्रोल से संबंधित है। इसके कार्यान्वयन (implementation) के मुख्य फोकस क्षेत्र (prime focus areas) वाहन डिजाइन (vehicle design) कारों के उत्पादन में शामिल प्रक्रियाएं, मोटर इंजन के निर्माण और ईंधन प्रबंधन fuel management में हैं।

इसके अलावा, ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, परिवहन इंजीनियरिंग (Transportation Engineering) इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग और सुरक्षा इंजीनियरिंग (Safety Engineering) सहित विभिन्न प्रकार की इंजीनियरिंग का एक अंतःविषय संयोजन (interdisciplinary combination) है। एक कुशल ऑटोमोबाइल इंजीनियर बनने के लिए आपको निम्नलिखित स्किल में महारत हासिल करने की आवश्यकता है :

  1. ग्रेट और इनोविटव डिजाइनिंग स्किल (सीएडी जैसे किसी भी डिजाइन सॉफ्टवेयर का उपयोग करके)
  2. रिसर्च स्किल
  3. पेट्रोल और डीजल इंजन के काम करने का व्यापक ज्ञान (Extensive knowledge)
  4. तर्क कौशल (Argumentative Skills)
  5. डिटेल पर अटेंशन Attention to Detail
  6. प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल (Problem-solving skills)
  7. लंबे और ऑड आवर्स के लिए काम करने की इच्छा (Willingness to work for long and odd hours)
  8. मल्टी टास्किंग स्किल (Multi-tasking skills)
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ऑटोमोबाइल इंजीनियरिं ग कोर्स (Automobile Engineering Courses)
  • ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा / सर्टिफिकेट डिप्लोमा
  • मोटिव पावर टेक्निशियन में डिप्लोमा - ऑटोमोटिव (को-ऑप)
  • मेकाट्रोनिक्स और एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा
  • ग्रेजुएट सर्टिफिकेट इन इंडसट्रीयल ऑटोमेशन
  • ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग में न्यूजीलैंड सर्टिफिकेट

बैचलर लेवल
  • व्हीकल डायनमिक्स के डिजाइन और डेवलपमेंट में बैचलर्स प्रोग्राम
  • मोटर वाहन टेक्नोलॉजी में एसोसिएट ऑफ अप्लाइड साइंस
  • बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (ऑनर्स) ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग
  • मोटरस्पोर्ट्स में बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बीटेक)
  • मोटरस्पोर्ट्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंजीनियरिंग के साथ (ऑनर्स) ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग

मास्टर्स लेवल
  • मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग - इंस्ट्रुमेंटेशन कंट्रोल एंड ऑटोमेशन इंजीनियरिंग
  • ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग
  • सस्टेनेबल ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग में एमएससी
  • ऑटोमोटिव सिस्टम्स इंजीनियरिंग एमएससी
  • मास्टर ऑफ फिलॉसफी - ऑटोमोटिव इलेक्ट्रिक्स एंड इलेक्ट्रॉनिक्स
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योग्यता (Eligibility)
  • डिप्लोमा या बैचलर्स प्रोग्राम में एडमिशन के लिए आवेदन करने के लिए, आपको किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से एमपीसी विषयों के साथ संस्थान द्वारा निर्दिष्ट न्यूनतम योग (minimum aggregate specified) के साथ 10 + 2 पूरा करना होगा।
  • इस क्षेत्र में मास्टर डिग्री कोर्स का चयन करते समय, उम्मीदवारों के पास इंजीनियरिंग या ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के संबंधित क्षेत्र में स्नातक की डिग्री होनी चाहिए।
  • कुछ संस्थानों द्वारा पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम्स के लिए 1-2 साल के वर्क एक्सपीरिएंस की भी मांग की जाती है।
  • इस क्षेत्र में विदेशी शिक्षा (overseas education) प्राप्त करने के लिए, आवेदकों को आईईएलटीएस, टीओईएफएल, आदि जैसी परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है। इसके साथ ही, एसओपी (Statement of Purpose) और एलओआर (Letters of Recommendation) की भी आवश्यकता होती है।

करियर स्कोप (Career Scope)
ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग ग्रेजुएट के लिए मैकेनिकल और ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज में कैरियर के कई अवसरों हैं। इसके अलावा, एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर के रूप में, आपको टॉप ऑटोमोबाइल निर्माण कंपनियों के साथ काम करने और उच्च वेतन वाले पैकेज प्राप्त करने का मौका मिलता है। इस क्षेत्र में नौकरी के कुछ संभावित अवसरों में शामिल हैं:
  1. ऑटोमोबाइल डिजाइनर
  2. कार का मैकेनिक
  3. बाइक मैकेनिक
  4. क्वालिटी इंजीनियर
  5. मैकेनिकल डिजाइन इंजीनियर
  6. डीजल मैकेनिक
  7. सीनियर प्रोडक्शन इंजीनियर
  8. ड्राइवर इंस्ट्रुमेंटेशन इंजीनियर
  9. ऑटोमोबाइल टेक्नीशियन

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Improve Reasoning Skills: जॉब इंटरव्यू हो या कोई एग्जाम, ऐसे बढ़ाएं अपनी रीजनिंग स्किल्स

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Reasoning Tips And Tricks: हर कोई जानता है कि आज के समय में तार्किक सोच का क्‍या महत्‍व है, स्‍कूल-कॉलेज परीक्षा से लेकर जॉब इंटरव्‍यू तक, हर जगह आपकी तार्किक सोच व क्षमता का मूल्‍यांकन होता है। हालांकि सभी के लिए तार्किक क्षमता को विकसित करना आसान नहीं होता। किसी व्यक्ति के लिए तर्क क्षमता बढ़ती है उसकी एजुकेशन, उसके आसपास की दुनिया की नॉलेज और सोचने की क्षमता पर। आज हम आपको बताएंगे कि परीक्षा की तैयारी या जॉब इंटरव्‍यू से पहले अपनी तार्किक क्षमता को कैसे बढ़ांए।

तार्किक सोच कैसे काम करती है (How logical thinking works)
तार्किक सोच को कैसे विकसित किया जाए, यह समझने से पहले आपको इसके बारे में जानने की जरूरत है। यह एक विचार प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें, एक व्यक्ति को विशिष्ट अवधारणाओं और परिभाषाओं का उपयोग करना चाहिए। इस मामले में, विभिन्न प्रकार के अनुभव व जानकारी का उपयोग किया जाता है। इन सभी के आधार पर, एक व्यक्ति कुछ निष्कर्ष निकालने में सक्षम होता है। इसलिए, जिन लोगों में अभी तक व्यापक ज्ञान और व्यापक अनुभव नहीं है, उनसे समस्याओं को हल करते समय गलतियां हो जाती हैं।

तार्किक सोच क्‍यों जरूरी (Why logical thinking is necessary)
  1. निर्णय लेने, कार्यों को पूरा करने और निष्कर्ष निकालने में कम समय लगता है।
  2. किसी भी कार्य के दौरान गलती की संभावना कम हो जाती है।
  3. सभी विचार प्रक्रियाओं के स्तर में सुधार होता है।
  4. सीखने की प्रक्रिया या पेशेवर गतिविधि में प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है।
  5. करियर में सफलता मिलने के चांस बढ़ जाते हैं।
  6. मुश्‍किल दौर में भी आप बिना रूके आगे बढ़ सकते हैं।
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कैसे बढ़ाए तार्किक क्षमता (How to improve reasoning ability)

इनोवेशन करें
कभी भी नई चीजों को बनाने की कोशिश बंद न करें, यह तर्क क्षमता को बेहतर बनाने का एक शानदार तरीका है, लोगों को हमेशा नई चीजों को करने की कोशिश करना चाहिए, क्‍योंकि मन एक मांसपेशी है, इसपर जितना भार डालोगे, वह उतना ही विकसित होगी। ऐसी गतिविधियां चुनें, जो एक-दूसरे से बहुत अलग हों, जैसे अगर खाली बैठें हैं तो क्रॉसवर्ड, पहेलियाँ या सुडोकू को सुलझाने की कोशिश करें।

प्रतिदिन व्‍यायाम करें
व्यायाम का शारीरिक गतिविधि, मेमोरी और तर्क पर बहुत प्रभाव पड़ता है। कई अध्ययनों से संकेत मिलता है कि व्यायाम करने वाले लोगों का तार्किक शक्ति अधिक होता है, व्‍यायाम लोगों को एकाग्रता और सीखने की सुविधा प्रदान कर सकता है।

लिखें दैनिक डायरी
अगर आप दैनिक डायरी लिखने की आदत डाल लें तो यह आपकी सोच को सुधारने में मदद कर सकता है। डायरी प्रतिदिन के कार्यों को याद रखने में मदद करने के अलावा, आपके प्रतिबिंब और विचार को प्रोत्साहित करती है। डायरी आपको अधिक आत्मनिर्भर और जागरूक व्यक्ति बना सकती है, जो तर्क में सुधार कर सकता है।
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नॉवेल व बुक पढ़े
तर्क क्षमता व नॉलेज को सुधारनें के लिए प्रतिदिन नॉवेल व पुस्तकों को जरूर पढ़े। हालांकि, विशेष रूप से नॉवेल जरूर पढ़े, इसमें मौजूद फिक्‍शन आपकी सोच व रचनात्‍मकता को बेहतर बनाएगा।

निर्णय लेने से पहले सोचे
आप जब भी कोई कार्य करने जा रहे हैं, तो उसके उद्देश्य पर ध्यान दें। हम अपने जीवन में गुस्‍से व उत्‍तेजना के साथ कुछ ऐसे निर्णय जरूर लेते हैं, जो हमें नुकसान पहुंचाते हैं, इससे बचें। आप कॉलेज में हो या जॉब पर कोई भी निर्णय लेने से पहले एकबार जरूर सोचें, इससे आपको फायदा मिलेगा। साथ ही अपना लक्ष्‍य निर्धारित करें, जैसे परीक्षा में आप किस पोजिशन पर आना चाहते हैं, जॉब में हैं तो अगले पांच साल में कहां पहुंचना चाहते हैं। इन लक्ष्‍यों को पूरा करने में आने वाली समस्‍याओं को खुद तलाश कर हल करें, ऐसे प्रश्नों के जवाब में आपकी तर्क क्षमता में सुधार होगा।

पक्षपाती झुकाव को दूर करें
अगर आपके अंदर किसी भी तरह का पक्षपात है तो यह आपके तार्किक क्षमता को कमजोर करता है। तर्क क्षमता में सुधार करने के लिए सबसे पहले अपने आप में पक्षपात की पहचान करने की कोशिश करें। इससे उनका निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होती है, इससे आप न तो किसी को न्‍याय दिला सकते हैं और न ही खुद आगे बढ़ सकते हैं।

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Problem Solving Skills: क्या है प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल, कैसे सीखें, नहीं होगी जॉब की कमी

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How To Learn Problem Solving Skills: जब आप किसी भी कंपनी में इंटरव्‍यू देने जाते हैं, तो आपसे प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल से संबंधित प्रश्‍न जरूर पूछे जाते हैं। इन प्रश्‍नों के माध्‍यम से कंपनी यह जानना चाहती है कि यदि कंपनी के किसी काम में कुछ समस्या आती है तो आप उसे सुलझा सकते हो या नहीं। क्‍योंकि ऑफिस में हर दिन किसी न किसी समस्या का सामना करना ही पड़ता है।

चाहे किसी क्लाइंट की समस्या का हल ढूंढना हो या किसी कलीग की मदद करना। समस्याएं हर पेशेवर की जिंदगी का हिस्सा है। अंतर सिर्फ समस्या के स्वरूप का है। इसलिए अपनी प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल को पहचानना और उसे तराशना बेहद ज़रूरी हो जाता है।

प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल क्या है (What is problem solving skill)
यह एक ऐसी स्किल है जो अपनी व दूसरों की परेशानियों का हल ढूढ़ने में मदद करता है। इसका अर्थ यह हुआ की व्यक्ति परेशानियों का हल बड़ी जल्दी और आसानी से कर सकता है और ऐसे उपायों को अपनाता है जिससे उसे आ रही दिक्कतों का सामना करने में एक शक्ति मिले। सामान्य तौर पर देखा जाए तो हमें अपने जीवन में कई बार ऐसी परिस्‍थि‍ति और दिक्कतों से गुजरना पड़ता है। जब हम अकेले होते है और हमारे सुझाव देने वाले व्यक्ति हमसे हमारी बचकानी हरकतो की कोई उम्‍मीद नहीं करते, इस जगह हमें अपने स्वयं का निर्णय खुद लेना पड़ता हैं।

समस्या की जड़ तक पहुंचकर कारण समझे
किसी भी समस्‍या को हल करने के लिए सबसे पहले समस्या का मूल कारण पहचानें। जैसे अगर अन्य विभागों की तुलना में आपके विभाग की परफॉरमेंस खराब है, तो उसके कारण पता लगाएं। हो सकता है कि पहली नजर में आपको इसके लिए देर से काम पूरा करने वाले लोग नज़र आएं। लेकिन ट्रेनिंग का अभाव या ज़रूरत से ज्यादा वर्क लोड भी इसकी वजहें हो सकती हैं। इसलिए हमेशा समस्या की मूल वजह जानने की कोशिश करें। वजह जानने के बाद समस्या का विश्लेषण करें। जैसे क्या स्टाफ कम होने की वजह से कर्मचारियों पर वर्कलोड है या फिर कुछ कर्मचारी को अपग्रेड करने की ज़रूरत है। आपका विश्लेषणात्मक स्किल समस्या को समझने और असरदार तरीके से हल निकालने में मदद करेगा।
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प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल के लिए जरूरी स्किल्स (Skills for Problem Solving Skills)

कम्‍यूनिकेशन स्किल (Communication skills)
प्रायः देखा गया है की कुछ परिस्थिति ऐसी भी होतीं है जहां बातचीत के माध्यम से भी समस्या का हल निकला जाता है, बड़ी कंपनियां ऐसे कर्मचारी वर्ग की तलाश मे रहती है जिनका कम्‍यूनिकेशन मजबूत हो, ताकि आने वाले क्लाइंट या कस्टमर से समस्याओं को बहस के माध्यम से भी सुलझाया जा सके।

डिसीजन मेकिंग स्किल (Decision making skills)
इस स्किल को सबसे अधिक लोगो ने सही माना है क्योंकि व्यक्ति जब स्वयं निर्णय लेता है और उस निर्णय पर काम करता है तो उसे अंदर से साहस और आत्मविश्वास जैसे भावना का निर्माण होता हैं।

रिसर्च स्किल (Research skills)
कुछ व्यक्तियों की प्रवृति चीजों को ढूंढ कर तथा उसमे छुपे रहस्यों को जानकर संतुष्टि मिलती हैं। यही परिस्थिति उसे जब अपनी किसी समस्या का समाधान करने के लिए बोला जाए तो रिसर्च जैसी विधि को अपनाएगा और ऐसे तथ्य को सामने लाने की कोशिश करेगा जो सही हो।
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एनालि‍सिस स्किल (Analysis skills)
कई बार समस्या को देखने मात्र से ही उसका हल नहीं निकला जा सकता, समस्या इतनी गहरी होती है कि हमें उसमे छुपे राज को ढूंढना और समाधान निकालना शामिल होता हैं। इसमें एनालिसिस स्किल काम आती है।

टीमवर्क स्किल (Teamwork skills)
प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल में टीमवर्क को शामिल किया गया है कभी कभी कुछ ऐसी प्रॉब्लम होती है जिन्हे अकेले सुलझा पाना मुश्किल होता है या इसमें ज्यादा समय निकल जाता है लेकिन ऐसे में अगर सब मिलकर उस प्रॉब्लम पर काम करे तो उसको जल्दी ठीक किया जा सकता है।

इनडिपेंडेंट थिंकिंग स्किल (Independent thinking skills)
यह स्किल सबसे बढ़िया मानी गयी हैं, कई बार परिस्थिति ऐसी आ जाती है जब हम उसे समय पर छोड़ देते है ताकि समय के साथ कुछ चीजें बदल जाए, तो समस्‍या का समाधान अपने आप निकल जाता है। उदाहरण के रूप में देखें तो फैक्ट्री के मजदूरों को कुछ समय के लिए अगर छोड़ दिया जाता, तो वो जॉब के खुद ही अरजेसमेंट करने में सक्षम हो जाते हैं।

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Tips For Kids: पढ़ाई में नहीं लगता मन तो ऑनलाइन क्‍लास है ना... बस इन बातों का रखें ध्यान

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Learning Tips For Students In Hindi: कोविड-19 महामारी ने पिछले डेढ़ साल से लोगों की जीवनशैली को पूरी तरह बदल दिया है, बड़े जहां मेंटल स्ट्रेस से गुजर रहे हैं, वहीं बच्‍चों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है, स्‍कूल बंद होने के कारण बच्‍चे घरों में कैद होकर रह गए हैं और इससे उनके शिक्षा के स्‍तर पर बुरा प्रभाव पड़ा है। हालांकि इससे उबरने के लिए स्‍कूलों ने ऑनलाईन पढ़ाई शुरू करवाई है, लेकिन इससे बच्‍चों की समस्‍या हल होने की जगह और बढ़ गई है। ऐसे में बच्चों की स्टडी और लर्निंग स्किल को किस तरह से निखारा जाये, ये दिक्कत पेरेंट्स के साथ बनी हुई है। साथ ही ऑनलाईन क्‍लास लेते समय शिक्षकों को भी कई तरह की समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है।

इस तरह निखारें स्टडी और लर्निंग स्किल
आज के समय में ज्‍यादातर बच्‍चे ऑनलाइन क्‍लास ले रहे हैं, इस दौरान वे मोबाइल का गलत इस्‍तेमाल भी करते हैं। इसलिए बच्चों की स्टडी और लर्निंग स्किल को निखारने के लिए ज़रूरी है कि पेरेंट्स या घर के अन्य सदस्य बच्चों की क्लास खुद शुरू करें, बच्चे की पढ़ाई का समय तय करें और रोज़ाना उसकी क्लास लें, पढ़ाई की शुरुआत शॉर्ट लर्निंग सेशन से करें फिर धीरे-धीरे इसको आधा घंटा फिर एक घंटा इस तरह से बढ़ाएं, आप बच्चों को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से पढ़ाएं ताकि उनकी स्टडी और लर्निंग स्किल में निखार आ सके।
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सभी सवालों के दें जवाब
ऑनलाईन पढ़ाई के दौरान बच्‍चों के सभी प्रश्‍नों के उत्‍तर नहीं मिल पाते हैं, इसलिए आपको ध्‍यान देना पड़ेगा कि बच्चे के सवाल चाहें पढ़ाई से जुड़े हों या समाज और चीजों से, झुंझलाने की बजाय उसके सवालों का जवाब प्यार और धैर्य के साथ दें। तभी उसकी लर्निंग स्किल को निखारने में मदद मिलेगी। अगर बच्चा खुद से सवाल नहीं पूछता है, तो उसको सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें, साथ ही उससे खुद भी सवाल करें, इससे उसकी जिज्ञासा को बढ़ावा मिलेगा और उसकी जानकारी भी बढ़ेगी।
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  • 90 मिनट की कक्षा को 30-30-30 खंडों में विभाजित करें, जैसे विषयों पर चर्चा करने के 30 मिनट, ऑनलाइन क्‍लासवर्क पर 30 मिनट और वर्क की जांच करने और समझाने के लिए 30 मिनट।
  • कक्षा सामग्री जैसे स्लाइड, इन-क्लास पोल, और क्विज़, वीडियो को समय से पहले तैयार कर लें ताकि क्‍लास लेते समय किसी तरह की परेशानी न हो।
  • ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान छात्रों को रीयल-टाइम में संलग्न करने के लिए सहयोग टूल का उपयोग करें।
  • छात्रों के ज्ञान को बढ़ाने के लिए ऑफ-लाइन लर्निंग का उपयोग करें, जैसे कि प्री-रीडिंग चैप्टर, रिकॉर्डेड लेक्चर देखना, केस स्टडी, सिमुलेशन खेलना जैसी गतिविधियां दे।
  • ऑनलाइन क्‍लास के दौरान बच्‍चों को प्रेरित करने के लिए वीडियो दिखाएं, इससे उनको जानकारी भी मिलेगी और मन भी लगा रहेगा।
  • जटिल जानकारियों को व्यावहारिक तरह से समझाने के लिए छात्रों को केस स्टडीज, प्रोजेक्ट्स और सिमुलेशन से जानकारी दें।
  • ऑनलाइन क्‍लास के दौरान छात्रों को अपने सहपाठियों के साथ संवाद स्‍थापित करने के लिए स्‍पेस दें, इसके लिए ग्रुप डिस्‍कशन व ग्रुप असाइनमेंट को शामिल कर सकते हैं।
  • ऑनलाइन कक्षाओं में समय-समय पर पोल, क्विज़ और ब्रेकआउट को भी शामिल करें, इससे छात्रों की लर्निंग स्किल बढ़ाने के साथ जानकारी भी बढ़ेगी।
  • लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम और एनालिटिक्स टूल के माध्यम से छात्र के प्रदर्शन पर नज़र रखना, इससे वे अपने गैजेट का दुरूपयोग नहीं कर पाएंगे।
  • छात्रों की उपलब्धियों को बताने के लिए समय-समय पर उनकी प्रशंसा करने के साथ लीडरबोर्ड, पदक और पुरस्कार का उपयोग करें। इससे छात्रों का जुड़़ाव क्‍लास के साथ बना रहता है।

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Clinical Research Industry: अच्छी सैलरी के लिए बेहतरीन ऑप्शन है क्लिनिकल रिसर्च इंडस्ट्री, जानें जॉब प्रोफाइल

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Clinical Research Industry Jobs: आज के समय में जिस तरह से दुनिया विकसित हो रही है, उसी तरह नित्‍य नई बीमारियां भी लोगों को अपनी चपेट में ले रही हैं। यही कारण है कि आज के समय में क्लीनिकल रिसर्च इंडस्ट्री की वृद्धि में बड़ा उछाल आया है। खास कर कोरोना वायरस के बाद। इस समय वैश्विक दवा बाजार लगभग 427 बिलियन अमेरिकी डॉलर का माना जा रहा है। जिसमें से सालाना करीब 60.65 अरब अमेरिकी डॉलर रिसर्च पर खर्च किया जाता है।

इस वायरस ने पूरी दुनिया के साथ भारत को भी क्लीनिकल रिसर्च इंडस्ट्री के महत्‍व के बारे में बताया। यह वहीं इंडस्ट्री है, जिसने कोरोना वायरस के खिलाफ लडा़ई का नेतृत्‍व करने के साथ कई वैक्‍सीन लाकर लाखों लोगों की जान बचाई। आज के समय में भारत धीरे-धीरे क्लीनिकल रिसर्च इंडस्ट्री का हब बनता जा रहा है, इस समय पूरे विश्‍व में सबसे ज्‍यादा वैक्‍सीन भारत में ही बन रही है। इस इंडस्ट्री में जिस तरह से भारत आगे बढ़ रहा है, उसी तरह युवाओं के लिए करियर के मौके भी मिलते जा रहे हैं। बढ़ती बीमारियों के कारण आज के समय में क्लीनिकल रिसर्च को बढ़ावा देना जरूरत बन गई है, अगर आप ईमानदार हैं, आपमें प्रबंधन की योग्यता है, विश्लेषण की क्षमता है और अंकों तथा आंकड़ों के खेल में मजा आता है तो क्लीनिकल रिसर्च का फील्ड आपको आकर्षित कर सकता है।

इन क्षेत्र में है अवसर-

रिसर्च एंड डेवलपमेंट
भारत क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां नई-नई दवाइयों की खोज व विकास संबंधी कार्य किया जा रहा है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट की बात करें तो क्षेत्र में इजेनेटिक उत्पादों के विकास, एनालिटिकल आरएंडडी, एपीआई या बल्क ड्रग आरएंडडी क्षेत्र शामिल हैं।

ड्रग मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर
क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में ड्रग मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर खास शाखा है, जो छात्रों को आगे बढ़ने के बेहतर अवसर मुहैया कराती है। आप चाहें तो इस क्षेत्र में मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट, फार्माकोलॉजिस्ट, टॉक्सिकोलॉजिस्ट या मेडिकल इन्वेस्टिगेटर बन कर अपना भविष्य संवार सकते हैं। मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट जीन संरचना के अध्ययन और मेडिकल व ड्रग रिसर्च संबंधी मामलों में प्रोटीन के इस्तेमाल का अध्ययन करता है, जबकि फार्माकोलॉजिस्ट का काम इंसान के अंगों व उत्तकों पर दवाइयों व अन्य पदार्थो के प्रभाव का अध्ययन करना होता है।
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फार्मासिस्ट
फार्मासिस्ट दवाओं के वितरण की सबसे बड़ी शाखा है, इनपर दवाइयों और चिकित्सा संबंधी अन्य सहायक सामग्रियों के भंडारण और वितरण का जिम्मा होता है, जबकि रिटेल सेक्टर में फार्मासिस्ट को एक बिजनेस मैनेजर की तरह काम करते हुए दवा संबंधी कारोबार चलाने में समर्थ होना चाहिए।

क्लीनिकल रिसर्च
इस फील्‍ड की यह मुख्‍य शाखा है, कोई नई दवा ईजाद करने से पहले यह भी ध्यान रखा जाता है कि वह दवा लोगों के लिए कितनी सुरक्षित और असरदार हो सकती है। इसके लिए टीम गठित होती है और फिर क्लीनिकल ट्रायल होता है। भारत में क्लीनिकल के कारोबार में भी तेजी आई है। इतना ही नहीं, इसकी शौहरत अब पूरे विश्व में पहुंच चुकी है। यही कारण है कि कई नामी विदेशी कंपनियां क्लीनिकल रिसर्च के लिए भारत आ रही हैं। दवाइयों की स्क्रीनिंग संबंधी काम में नई दवाओं या फॉर्मुलेशन का पशु मॉडलों पर परीक्षण करना या क्लीनिकल रिसर्च करना शामिल है, जो इंसानी परीक्षण के लिए जरूरी है।

क्वालिटी कंट्रोल
नई-नई दवाओं के संबंध में अनुसंधान व विकास के अलावा यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत होती है कि इन दवाइयों के जो नतीजे बताए जा रहे हैं, वे सुरक्षित, स्थायी और आशा के अनुरूप हैं। यह काम क्वालिटी कंट्रोल के तहत आता है।
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करियर ऑप्शन
भारत में इस समय 30 हजार से भी अधिक रजिस्टर्ड फार्मास्युटिकल कंपनियां हैं। नए-नए उत्पादों के आने के कारण यह क्षेत्र आज सर्वाधिक संभावनाओं से भरा है। इस क्षेत्र में आप डॉक्टर प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, मेडिकल एडवाइजर, ड्रग डेवलपर और रेगुलेटरी अफेयर्स मैनेजर बन सकते हैं। वहीं पैरामेडिक्स, फार्मासिस्ट और लाइफ साइंस ग्रेजुएट मेडिकल राइटर्स, क्लीनिकल रिसर्च मैनेजर, क्लीनिकल रिसर्च एसोसिएट, फार्माकोविजिलेंस एक्जीक्यूटिव, ड्रग रिव्यूर जैसे अन्य पदों पर भी कार्य कर सकते हैं।

निम्नलिखित में से कि सी भी संस्थान के साथ जुड़कर क्लीनिकल रिसर्च में अपने लिए बेहतर करियर की तलाश कर सकते हैं:
  • इंस्टीट्युट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च (www.icriindia.com)
  • नेशनल इंस्टीट्युट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, मोहाली, चंडीगढ़ (www.niper.ac.in)
  • दिल्ली इंस्टीट्युट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस एंड रिसर्च (www.dipsar.in)
  • बॉम्‍बे कॉलेज ऑफ फार्मेसी (www.bcpindia.org)
  • जामिया हमदर्द, नई दिल्ली (www.jamiahamdard.edu)

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