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हिंदी की तरह आसान है मराठी, ऐसे करें तैयारी

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नवीन पांडे, मुंबई
मुंबई स्टेट बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में भाषा के तीन प्रश्न-पत्र होते हैं। हिंदी माध्यम स्कूल से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी प्रथम भाषा के रूप में हिंदी, द्वितीय व तृतीय भाषा के रूप में अंग्रेजी और मराठी का चयन करते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, हिंदी की तरह मराठी का प्रश्न-पत्र भी आसान होता है। इसमें सिर्फ विद्यार्थियों को एकाग्र मन से तैयारी करने की जरूरत नहीं है।

स्कूलों में भाषा के हर पाठ को पढ़ाया जाता है, जो विद्यार्थी नियमित रूप से कक्षा में बैठे होंगे, वे मराठी के पाठ्यपुस्तक के हर पाठ से अवगत होंगे। उन्हें सिर्फ परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए प्रश्न-पत्र के आधार पर तैयारी करने की जरूरत है। जो विद्यार्थी कक्षा में नियमित नहीं रहे अथवा सालभर कक्षा में उपस्थित रहने के बावजूद मराठी पर ध्यान नहीं दे पाए, उन्हें भी परीक्षा की तैयारी को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे विद्यार्थी एनबीटी के एक्सपर्ट साधना आरोटे द्वारा दिए गए सुझाव और बोर्ड की परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के आधार पर तैयारी करके अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। द्वितीय अथवा तृतीय भाषा के रूप में मराठी पढ़ने वाले विद्यार्थी इस विषय को कठिन मानते हैं, जबकि यह सही नहीं है। विद्यार्थियों को इसके लिए तनाव लेने की जरूरत नहीं है।

पाठ्यपुस्तक पढ़ना जरूरी
विद्यार्थियों को मराठी की पाठ्यपुस्तक को जरूर पढ़ना चाहिए। इससे उसे पाठ समझने में आसानी होगी और मराठी का ज्ञान भी बढ़ेगा। अगर विद्यार्थी मराठी भाषा को समझ गया, तो प्रश्न-पत्र में पूछे गए हर प्रश्न का उत्तर लिख सकता है।

80 अंक का होता है पेपर
मराठी का प्रश्न-पत्र 80 अंक का होता है। इसमें कुल पांच विभाग होते हैं। इसमें भी हिंदी भाषा के ही समान गद्य विभाग से 20, पद्य विभाग से 16, पूरक पठन (स्थूलवाचन) से 4, व्याकरण से 10 और रचना विभाग से 30 अंक के प्रश्न पूछे जाते हैं।

परिच्छेद वाले उत्तर होते हैं आसान
पहला प्रश्न गद्य विभाग से आता है। यह प्रश्न 20 अंकों के लिए पूछा जाता है। इसमें अ, ब, क तीन उप-प्रश्न होते हैं, जिसमें 8-8 अंकों के दो पठित परिच्छेद और 4 अंक के लिए एक अपठित परिच्छेद आते हैं। अगर विद्यार्थी पिछले कुछ वर्षों के बोर्ड की परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के आधार पर तैयारी करें, तो उन्हें पहले प्रश्न से अच्छे अंक मिल सकते हैं। इसमें विद्यार्थियों को अधिकतर प्रश्न के उत्तर परिच्छेद को पढ़कर देने होते हैं। अगर विद्यार्थियों ने इस प्रश्न के लिए आखिरी दिनों में भी तैयारी की है तो भी पहले प्रश्न से उसे आसानी से बढ़िया अंक मिल सकते हैं।

पद्य विभाग से डरने की जरूरत नहीं
अक्सर देखा गया है कि मराठी विषय में पद्य की तरफ विद्यार्थियों की रुचि कम ही होती है। इसीलिए वे पद्य पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखने से बचते हैं। विद्यार्थियों को ऐसा करने से बचना चाहिए। परीक्षा में हर प्रश्न व अंक महत्वपूर्ण होता है। विद्यार्थियों को चाहिए कि वह पद्य विभाग से दिए गए पद्यांश को एक से दो बार पढ़ें और फिर उसका अर्थ समझें। इससे उत्तर लिखना आसान हो जाएगा। पद्यांश पढ़ने के बाद विद्यार्थी आत्मविश्वास से उत्तर लिख सकते हैं। इसीलिए किसी भी प्रश्न को छोड़ने से पहले एक बार उसे अवश्य पढ़ें। प्रस्तावनाधारित प्रश्नों के लिए प्रत्येक कविता के कवि की जानकारी, जो कि पाठ्य-पुस्तक में दी गई होती है, उसमें कवि को मिले हुए पुरुस्कार, उपाधि एवं उनके कविता संग्रह, कथासंग्रह के नाम पूछे जाते हैं। इस प्रश्न के लिए पिछले दो वर्षों के प्रश्न-पत्र पढ़ने से ऊपर के प्रश्नों के स्वरूप का अंदाजा लग जाता है।

स्वमत जरूर लिखें
विद्यार्थियों को परीक्षा में स्वमत वाले प्रश्नों का उत्तर जरूर लिखना चाहिए। इसमें विद्यार्थियों को अपनी बुद्धि और विवेक का उपयोग कर उत्तर लिखना होता है। इसीलिए इन प्रश्नों का उत्तर लिखने से परहेज न करें। परीक्षा में एक-एक प्रश्न महत्वपूर्ण होता है।

पूरक पठन (स्थूलवाचन)
इस विभाग से परीक्षा में चार अंक के लिए प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें तीन उपप्रश्न होते हैं, विद्यार्थियों को किन्ही दो उपप्रश्न का उत्तर लिखना अनिवार्य होता है।

व्याकरण की तैयारी अच्छे से करें
प्रश्न-पत्र के चौथे विभाग में 10 अंक के लिए व्याकरण विभाग से प्रश्न होते हैं। इसमें समास, वाक्य परिवर्तन, शब्द संपत्ति, विरामचिह्न, शुद्ध वाक्य लिखने एवं वाक्यप्रचार आदि से प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों के लिए पिछले दो-तीन वर्षों के प्रश्न-पत्र देखने से लाभ होगा। इसमें गलती करने पर अंक कट जाते हैं।

उपयोजित लेखन से 30 अंक
विभाग पांचवें यानी उपयोजित विभाग में 30 अंक के लिए प्रश्न पूछे जाते हैं। इनके उत्तर सरल होते हैं। विद्यार्थियों को चाहिए कि वह इस विभाग का उत्तर लिखने के लिए पर्याप्त समय बचाकर रखें। इसमें पत्रलेखन, कथालेखन, गद्य आकलन, सवांद-लेखन, विज्ञापन-लेखन एवं सारांश लेखन आदि पर प्रश्न होते हैं।

काम के टिप्स
• हर हाल में प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखने की कोशिश करें। कोई प्रश्न छोड़े नहीं।
• आकृतिबंध या शब्दजाल जिस प्रकार की आकृति में दिया है, उसी प्रकार से बनाकर लिखें।
• उत्तरपुस्तिका में पेंसिल का इस्तेमाल न करें।
• एक शब्द वाला उत्तर अधोरेखित करें।
• अधोरेखित करने के लिए भी पेन का इस्तेमाल करें।
• उत्तरपुस्तिका में प्रत्येक विभाग नए पन्ने से शुरू करें।
• उत्तरपुस्तिका में काट-छांट न करें, साफ-सुथरा लिखें।
• परीक्षा में प्रश्नों को लिखने की आवश्यकता नहीं हैं। प्रश्न व उपप्रश्न क्रमांक लिखकर सीधे उत्तर लिखें।
• व्याकरण विभाग में प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखकर अधोरेखित करना सही होगा।
• कथालेखन में शीर्षक एवं तात्पर्य लिखना न भूलें।
• पत्रलेखन में लिफाफा बनाना न भूलें। प्रश्न में दी गई जानकारी का पूरा उपयोग करें।
• जो प्रश्न आसान प्रतीत होते हैं, वह पहले हल करें। मराठी के प्रश्नपत्र में हिंदी शब्दों के उपयोग से बचें।
• शब्दों पर शिरोरेखाएं देना न भूलें। अधिकतर विद्यार्थी परीक्षा में शिरोरेखाएं नहीं देते हैं।
• आत्मविश्वास पूर्वक उत्तर लिखें।
• प्रश्न को आसान समझकर जल्दबाजी में उत्तर न लिखें। बल्कि परिच्छेद को पढ़ने के बाद उत्तर लिखें।
• कोई प्रश्न कठिन नहीं होता है, इसलिए विद्यार्थियों को परीक्षा में डरने की जरूरत नहीं है। मन को शांत रख उत्तर सोचें।
• कवि का परिचय, महत्वपूर्ण शब्द, याद न रहने वाले उत्तरों का पर्चा एक बार पढ़ लें।
• प्रश्न का क्रमांक, उपप्रश्न, विभाग ये सब साफ तरीके से लिखें।

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