पेट्रोलियम पदार्थों की दिनों-दिन बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए इस क्षेत्र में करियर की संभावनाएं भी उतनी ही ज्यादा हैं। पहले दरअसल, ऑइल ऐंड गैस इंडस्ट्री एक विशिष्ट फील्ड है, जिसमें खासतौर पर प्रशिक्षित युवाओं की जरूरत पड़ती है। इनमें इंजिनियर्स की मांग तो हमेशा बनी ही रहती है, अन्य क्षेत्रों के जानकारों के लिए भी भरपूर मौके होते हैं। इस क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए पेट्रोलियम टेक्नॉलजी से जुड़े कोर्स काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।
क्या है स्कोप
पहले इस क्षेत्र में जियॉलजिस्ट की काफी मांग थी, समय बदलने के साथ मकैनिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों ने इस इंडस्ट्री में अपनी धाक जमाई। करियर की अनेक संभावनाओं को देखते हुए पेट्रो केमिकल सेक्टर में प्रबंधन से लेकर इंजिनियरिंग तक के कोर्स शुरू हुए हैं। खास बात यह है कि प्रफेशनल्स की मांग हमेशा बनी रहती है। विशिष्ट क्षेत्र होने और प्रफेशनल्स की मांग के मुकाबले उपलब्धता कम होने से इस सेक्टर में सैलरी भी काफी आकर्षक दी जाती है। इंडियन ऑइल, भारत पेट्रोलियम, ओएनजीसी जैसी कई बड़ी कंपनियां पेट्रो प्रफेशनल्स को शानदार सैलरी पैकेज पर नौकरियों के ऑफर दे रही हैं। इस क्षेत्र में यूरोप के साथ ही खाड़ी देशों के भी दरवाजे खुले हैं।
कोर्स के लिए योग्यता
12वीं की परीक्षा भौतिक विज्ञान, गणित और रसायन विज्ञान से 50 प्रतिशत अंकों से पास करने के बाद आप पेट्रोलियम से जुड़े कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। केमिकल और पेट्रोलियम इंजिनियरिंग में बीई और बीटेक कर चुके छात्र पेट्रोलियम इंजिनियरिंग में एमटेक के लिए आवेदन कर सकते हैं। बीबीए में प्रवेश के लिए 12वीं किसी भी संकाय से उत्तीर्ण होना जरूरी है। पेट्रोलियम टेक्नॉलजी संबंधी एमएससी कोर्स में ऐडमिशन के लिए जिऑलजी (भूगर्भ विज्ञान), पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल, केमिकल, मैकेनिकल, पॉलिमर साइंस आदि में ग्रैजुएशन डिग्री होनी चाहिए। पेट्रोलियम सेक्टर की पढ़ाई के दौरान यह सिखाया जाता है कि किस तरह गणित, जिऑलजी और भौतिक विज्ञान के नियम, सूत्र और सिद्घांतों का प्रयोग ईंधन की खोज, विकास और उत्पादन में किया जा सकता है/ पेट्रोलियम से जुड़े कोर्स में ऐडमिशन आमतौर पर लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर होते हैं।
काम और पद
जियोफिजिसिस्ट: इनका काम धरती की आंतरिक और बाहरी संरचना का अध्ययन करना है। इस पद पर काम करने के लिए जिऑलजी, फिजिक्स, मैथ्स और केमिस्ट्री का बैकग्राउंड होना चाहिए।
ऑइल वेल-लॉग ऐनालिस्ट: इनका काम ऑइल फील्ड्स से नमूने लेना, खुदाई के दौरान विभिन्न मापों का ध्यान रखना और काम पूरा होने पर माप और नमूनों की जांच करना होता है।
ऑइल ड्रिलिंग इंजिनियर: इनका काम तेल के कुओं की खुदाई के लिए योजना बनाना होता है। इंजिनियर यह भी कोशिश करते हैं कि यह काम कम से कम खर्च में पूरा किया जा सके।
प्रॉडक्शन इंजिनियर: तेल के कुओं की खुदाई का काम पूरा होने के बाद प्रॉडक्शन इंजिनियर जिम्मेदारी संभालते हैं। ईंधन को सतह तक लाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका क्या है, इसका फैसला प्रॉडक्शन इंजिनियर ही करते हैं।
ऑइल रिजरवॉयर इंजिनियर: इंजिनियर रिजरवॉयर प्रेशर निर्धारित करने के लिए जटिल कंप्यूटर मॉडल्स और गणित के फॉर्म्युलों का प्रयोग करते हैं।
ऑइल फसिलिटी इंजिनियर: ईंधन के सतह पर आने के बाद इसे अलग करने, प्रोसेसिंग और दूसरी जगहों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ऑइल फसिलिटी इंजिनियर के कंधों पर होती है।
स्टडी कोर्स
पेट्रोलियम इंजिनियरिंग में छात्र जिऑलजी, भौतिकी और इंजिनियरिंग के सिद्वांतों द्वारा पेट्रोलियम की रिकवरी, डेवलपमेंट और प्रोसेसिंग के बारे में जानते हैं। इसके अलावा ड्रिलिंग, मकैनिक्स, पर्यावरण संरक्षण और पेट्रोलियम जैसे विषयों पर छात्रों की पकड़ बनाई जाती है। पेट्रोलियम इंडस्ट्री को मुख्य तौर पर दो भागों में बांट कर देख सकते हैं: अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम सेक्टर। अप स्ट्रीम सेक्टर में खोज, उत्पादन व तेल और प्राकृतिक गैसों का दोहन कैसे किया जाए, इसकी शिक्षा व ट्रेनिंग दी जाती है। डाउन स्ट्रीम सेक्टर में रिफाइनिंग, मार्केटिंग और वितरण से संबंधित पूरी जानकारी दी जाती है। एक पेट्रोलियम इंजिनियर को जिऑलजिस्ट, खोजकर्ता, इंजीनियर, पर्यावरण क्षेत्र के एक्सपर्ट के साथ काम करना पड़ता है।
प्रमुख संस्थान
-राजीव गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नॉलजी, रायबरेली
www.rgipt.ac.in
-लखनऊ यूनिवर्सिटी, लखनऊ
www.lkouniv.ac.in
पंडित दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी, गांधीनगर www.pdpu.ac.in
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
www.amu.ac.in
पुणे यूनिवर्सिटी
www.pune.net.in
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
www.itbhu.ac.in