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10वीं के बाद स्ट्रीम का चुनाव, इन बातों पर दें ध्यान

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सीबीएसई समेत ज्यादातर राज्य बोर्डों ने 10वीं की परीक्षा के नतीजे जारी कर दिए हैं। अब 11वीं क्लास में दाखिले की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। 11वीं में दाखिला छात्रों के जीवन में एक अहम पड़ाव होता है। इसमें आप जिस स्ट्रीम और विषय का चुनाव करते हैं, भविष्य में वह आपकी करियर का नींव बनता है। ऐसे में स्ट्रीम का चुनाव काफी अहमयित रखता है। आइए आज आपको बताते हैं कि 11वीं में स्ट्रीम का चुनाव कैसे करें...

आम राय
आम राय है कि परीक्षा में आए नंबरों से तय होता है कि किसी को विज्ञान, कॉमर्स और ह्यूमैनिटीज में से क्या लेना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि औसत से ज्यादा आने पर साइंस लेना चाहिए। अगर औसत नंबर हों तो कॉमर्स बेहतर विकल्प है और औसत से भी कम होने पर सिर्फ आर्ट्स या ह्यूमैनिटीज ही विकल्प बचता है। वैसे यह पूरी तरह से सही नहीं है।

नेतृत्व
कुछ लोग आगे बढ़कर किसी ग्रुप का नेतृत्व करना चाहते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं जो नेतृत्व नहीं करना चाहते। उनको लगता है कि नेतृत्व करने के साथ कई जोखिम हैं। वे किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। ये चीजें स्ट्रीमों के चुनाव में भी मायने रखती है। अगर आप साहसिक हैं और जोखिम से खेलना चाहते हैं तो विज्ञान आपके लिए बेहतर रहेगा। नहीं तो कॉमर्स और आर्ट्स का विकल्प तो है ही आपके पास।

दिलचस्पी
जिस विषय में आपकी दिलचस्पी होगी, आप उसमें अच्छा परफॉर्मेंस करेंगे। किसी के कहने पर न जाएं। आप देखें कि आपकी किस विषय में दिलचस्पी है। जाहिर सी बात है कि जिस विषय में दिलचस्पी होगी, उस पर आपका ध्यान ज्यादा होगा। आप दिल लगाकर तैयारी करेंगे। इससे आपका परफॉर्मेंस बेहतर होगा।

परफॉर्मेंस
साइंस या ह्यूमैनिटीज आकर्षक स्ट्रीम लगती है, सिर्फ इसलिए उसका चुनाव न करें। कोई भी स्ट्रीम लेने से पहले देखें कि आप उसमें कितने सक्षम हैं। आपका उस संबंधित स्ट्रीम में अब तक कैसा परफॉर्मेंस रहा है। अगर किसी स्ट्रीम या विषय में अब तक आपका परफॉर्मेंस बेहतर नहीं रहा है, इसका मतलब है कि आपको उसमें दिक्कत है। ऐसे में आपको आगे भी दिक्कत आ सकती है।

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कैसे बन सकते हैं प्रफेसर और टीचर, जानें सबकुछ डीटेल में

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नई दिल्ली
कॉलेज में टीचर या स्कूल में टीचर! यह ऐसा जॉब है जहां सुकून है, इज्जत है, कुछ नया करने का जज्बा है और पैसा भी है। ऐकडेमिक बनने के ख्वाब का कई स्टूडेंट्स पीछा करते हैं, मगर कई लोगों की नजर ही इस दिलचस्प फील्ड में सही वक्त पर नहीं जाती, जबकि बचपन से वे अपनी क्लासरूम में अपने टीचर को देखते हैं।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (SRCC) की प्रिंसिपल प्रफेसर सिमरित कौर बताती हैं, टीचिंग एक ऐसा फील्ड है, जहां पर हर लेवल का स्कोर मायने रखता है। कई स्टूडेंट्स को यह पता नहीं होता, जबकि 12वीं से ही उन्हें यह पता होना चाहिए।

प्रफेसर बनने के लिए
प्रफेसर कौर बताती हैं, अगर प्रफेसर बनना है, तो सबसे पहले ग्रैजुएशन, फिर पोस्ट ग्रैजुएशन करें और इसके बाद नैशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (NET) दें, जो यूजीसी करवाती है। नेट में अगर आप मेरिट में हैं, तो जूनियर रिसर्च फेलोशिप कैटिगरी में आएंगे। आपको फैलोशिप मिलेगी और पीएचडी करनी होगी। रिसर्च की बहुत अहमियत है, पीएचडी के बिना करियर ऊपर नहीं जा पाएगा। इसके बाद असिस्टेंट प्रफेसर से शुरुआत करें, बाद में आप असोसिएट प्रफेसर बनेंगे और आखिर में प्रफेसर।

डॉ. सिमरित कहती हैं, किसी भी यूनिवर्सिटी या कॉलेज में किसी टीचर को अपॉइंट करने के लिए तीन चीजें देखी जाती हैं - पहला, ऐकडेमिक रेकॉर्ड यानी 12वीं, यूजी, पीजी की पर्सेंटेज और नेट, दूसरा जनरल अवेयरनेस और तीसरा रिसर्च में आपका काम, आपकी दिलचस्पी। अगर 12वीं में अच्छा स्कोर नहीं है मगर यूजी, पीजी में बढ़िया किया है तो मुश्किल नहीं आएगी। पढ़ाई किसी भी कॉलेज, यूनिवर्सिटी से हो, मगर ये तीनें चीजें जरूरी हैं।

स्कूल टीचर बनने के लिए
अगर आप स्कूल टीचर बनना चाहते हैं, तो ग्रैजुएशन के बाद ही खिड़की खुलती है। डॉ. कौर कहती हैं, बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) का एंट्रेंस देकर और दो साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद आप ट्रेंड ग्रैजुएट टीचर (TGT) बन सकते हैं। अगर आप 11वीं और 12वीं क्लास के टीचर बनना चाहते हैं, तो एमएड (मास्टर ऑफ एजुकेशन) की पढ़ाई कर सकते हैं।

एक्सपर्ट एक्सपीरियंस
डीयू के एलएसआर, दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट से पढ़ीं प्रफेसर सिमरित कौर बताती हैं, मेरी तो बचपन से ही टीचिंग में दिलचस्पी थी। मेरे मास्टर्स के दोस्त सब बैंकिंग का एग्जाम दे रहे थे मगर मैंने अपने पैशन का ही पीछा किया। स्टूडेंट्स को यही सलाह है कि पैशन को फॉलो करें, देखा-देखी किसी करियर को ना अपनाएं।

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पढ़ें: करियर से जुड़े अहम सवाल और उनका जवाब

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सवाल: एमए में हिस्ट्री लेना सही रहेगा या जिऑग्रफी ?
प्रिया बिश्नोई, नई दिल्‍ली
जवाब: दोनों ही सब्जेक्ट का अपना अलग-अलग महत्त्व है। इसी के अनुसार इनमें करियर निर्माण के मौके भी मिलते हैं। इनमें से किसी में भी एमए के बाद पीएचडी करते हैं तो कॉलेज टीचिंग/रिसर्च में करियर बना सकते हैं। हमारी सलाह है कि आप विषय चयन रुचि किस सब्जेक्ट में ज्यादा है, इसी पर करें।

सवाल: 10 मैंने इसी साल 12वीं की है। क्या बीएससी करने के बाद IIT के बीटेक कोर्स में ऐडमिशन संभव है?
अंकित शुक्ला, नई दिल्‍ली
जवाब: बीएससी करने के बाद दोबारा ग्रैजुएशन स्तर के कोर्स में ऐडमिशन की कोशिश समझदारी नहीं कही जा सकती। बेहतर यही रहेगा कि आप बीएससी की बजाय बीटेक कोर्स में अभी ऐडमिशन पाने की कोशिश करें। अगर ऐसा संभव नहीं हो तो किसी अन्य प्रफेशनल कोर्स के बारे में सोचें।

पूछें सवाल
पढ़ाई या करियर के बारे में आपका कोई सवाल है? अंग्रेजी या हिंदी में educationnbt@gmail.com पर मेल करें। आपके सवालों के जवाब हमारे एक्सपर्ट देंगे। सवाल के साथ अपने शहर का नाम अवश्य लिखें।

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RRB JE एग्जाम 2019 आज से शुरू, जानें परीक्षा से जुड़ी अहम बातें

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RRB JE Exam Date 2019 CBT 1: Railway Recruitment Board (RRB) ने आज से जूनियर इंजिनियर (RRB Junior Engineer 2019) परीक्षा की शुरुआत कर दी है। बता दें कुछ दिनों पहले ही आरआरबी ने परीक्षा के ऐडमिट कार्ड (RRB JE Admit Card 2019) जारी किए थे। आज से स्टेज वन कंप्यूटर आधारित एग्जाम की शुरुआत हो रही है। पेपर देने से पहले कुछ जरूरी बातें हैं जिन्हें ध्यान में रखकर ही आवेदक परीक्षा केन्द्र पहुंचे।

परीक्षा केन्द्र में इन चीजों को साथ लेकर जाएं

कॉल लैटर- बिना कॉल लैटर के आपको परीक्षा केन्द्र में प्रवेश नहीं मिलेगा। कॉल लैटर पर आपका नाम, जन्मतिथि, परीक्षा केन्द्र का नाम और परीक्षा की तारीख आदि की जानकारी होती है।

पहचान पत्र- अपने साथ कोई फोटो पहचान पत्र साथ लेकर जरूर जाएं क्योंकि कॉल लैटर पर दी गई आपकी डीटेल और पहचान पत्र की डीटेल को मिलाकर ही आपकी पहचान होगी कि सही कैंडिडेट एग्जाम दे रहा है। इसके लिए आप अपने साथ मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस साथ ले जा सकते हैं।

फोटो- अपना साथ एक कलर फोटोग्राफ (35mmx45mm) साथ लेकर जाएं। जो फोटो आपने कॉल लैटर पर लगाई है वहीं फोटो लेकर जाएं।

इन चीजों को साथ न ले जाएं

कैंडिडेट अपने साथ किसी भी तरह का इलेक्ट्रिक गैजेट साथ लेकर न जाएं इन्हे साथ ले जाने पर परीक्षा केन्द्र में प्रवेश नहीं मिलेगा।

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क्लिनिकल साइकॉलजी में बनाएं करियर, खूब है स्कोप

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क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट लोगों को अपने विचार और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करता है। वह अपने क्लायंट् के विचार और व्यवहारों को पहले समझता है और फिर उनकी मनोचिकित्सीय समस्या को दूर करता है। अगर आप चाहते हैं कि लोगों की मनोचिकित्सीय कठिनाई दूर करें और आपके पास अच्छा कम्यूनिकेशन एवं सुनने का स्किल है तो यह आपके लिए आदर्श जॉब हो सकती है।

आपको क्या पढ़ना चाहिए?
इसकी अंडरग्रैजुएट डिग्री में छात्रों को साइकॉलजी की बुनियादी चीजें पढ़ाई जाती हैं। उनको इंटर्नशिप और स्वंयसेवा के अवसर प्रदान करके क्लिनिकल कार्य के लिए तैयार किया जाता है। अगर अंडरग्रैजुएट कोर्स में साइकॉलजी मुख्य विषय नहीं है फिर भी ग्रैजुएट प्रोग्राम में अलग-अलग डिसिप्लिन की छात्रों को दाखिला मिल जाता है। दो सालों की मास्टर डिग्री करने के बाद कई तरह की क्लिनिकल साइकॉलजी के मैदान में प्रैक्टिस कर सकते हैं। उसमें शादी और परिवार से संबंधित समस्याओं में काउंसिलिंग करना या उद्योग और संगठनात्मक मनोचिकित्सा से संबंधित समस्याओं से निपटने में लोगों की मदद करना शामिल है।

काम क्या करना पड़ता है?
क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट को किसी खास क्लायंट ग्रुप के साथ काम करना होता है। उनमें पढ़ने और कुछ सीखने में असमर्थ लोग एवं बच्चे शामिल होते हैं। उनको हॉस्पिटल या अन्य जगहों पर भी काम करना पड़ता है। उनको साइकोमीट्रिक टेस्ट, इंटरव्यू और व्यवहारों के प्रत्यक्ष अवलोकन के माध्यम से कई क्लायंट की जरूरतों, योग्यताओं और व्यवहार का आकलन करना होता है। इसके बाद वह क्लायंट के लिए उपचार का सुझाव देता है जिसमें थेरापी, काउंसिलिंग आदि शामिल होते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं जैसे चिंता, अवसाद, व्यसन, सामाजिक और व्यक्तिगत समस्याओं से निपटने के लिए थेरापी और उपचार का सुझाव देता है।

करियर की संभावना
अकसर क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट अपनी खुद की क्लिनिक चलाता है या ग्रुप प्रैक्टिस करता है। क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट के तौर पर आप अस्पतालों में भी जॉब कर सकते हैं। वहां आपको बच्चे, कैंसर के मरीज या बुजुर्गों को देखना होता है।

इसके अलावा आप फरेंसिक फील्ड में भी करियर बना सकते हैं। इस तरह के प्रफेशनल्स को क्लिनिकल फरेंसिक साइकॉलजिस्ट कहा जाता है जो अपराधियों के आकलन और जांच में स्पेशलाइजेशन रखता है। अदालत काम कैसे करता है और कानूनी प्रक्रियाओं की जानकारी जरूरी होती है।

क्लिनिकल स्पोर्ट्स साइकॉलजिस्ट खिलाड़ियों को डील करता है। खिलाड़ियों को मनोचिकित्सीय समस्याओं से उबरने और अपने लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने में क्लिनिकल स्पोर्ट्स साइकॉलजिस्ट की भूमिका अहम होती है।

कोर्स
चाइल्ड साइकॉलजिस्ट (Child Psychologist)
फरेंसिक साइकॉलजिस्ट (Forensic Psychologist)
अस्पताल में सीनियर साइकॉलजिस्ट (Senior Psychologist in hospital setting)
डोमेस्टिक वायलेंस साइकॉलजिस्ट (Domestic Violence Psychologist)
चाइल्ड अब्यूज साइकॉलजिस्ट (Child Abuse psychologist)
हेल्थ साइकॉलजिस्ट (Health Psychologist)
मिलिट्री साइकॉलजिस्ट (Military Psychologist)
प्रिजन साइकॉलजिस्ट (Prison Psychologist)
सब्सटेंस अब्यूज साइकॉलजिस्ट (Substance Abuse Psychologist)
मूड डिस्ऑर्डर साइकॉलिजस्ट (Mood Disorder Psychologist)
स्पोर्ट्स साइकॉलजिस्ट (Sports Psychologist)
रिसर्च साइकॉलजिस्ट (Research Psychologist)
प्रफेसर ऑफ साइकॉलजी (Professor of Psychology)

स्किल
क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट बनने के लिए आपमें निम्न योग्यताएं होनी चाहिए
शानदार कम्यूनिकेशन और सुनने की स्किल
संकट में फंसे लोगों के लिए दया और उनको उबरने में मदद करने का कौशल
ईमानदारी और निष्ठा
तनावपूर्ण स्थिति में भी शांत रहने की योग्यता
टीम के साथ अच्छी तरह काम करने की योग्यता
समस्या हल करने और फैसले लेने का जबर्दस्त कौशल

प्रमुख संस्थान
University of Mumbai
Delhi University
NIMHANS, Bangalore
Ambedkar University, Delhi
Gauhati University, Assam
Department of Psychology, Ranchi University
Ranchi , Jharkhand

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एम्स: MBBS एंट्रेंस कल से, रिवाइज कर लें ये टॉपिक

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देश भर के एम्स में अंडरग्रैजुएट मेडिकल कोर्सों में दाखिले के लिए एंट्रेंस टेस्ट 25 और 26 मई, 2019 को होगा। परीक्षा का आयोजन कंप्यूटर मोड में किया जाएगा। ऐडमिट कार्ड ऑफिशल वेबसाइट aiimsexams.org पर जारी कर दिया गया है। आइए आपको बताते हैं कि अंत समय में क्या स्ट्रैटिजी बनानी चाहिए और किन टॉपिकों को रिवाइज करना चाहिए...

एग्जाम पैटर्न
सेक्शन: फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायॉलजी और जीके ऐंड करंट अफेयर्स और लॉजिकल थिंकिंग ऐंड ऐप्टिट्यूड
मार्क्स: कुल 200 नंबरों के सवाल पूछे जाएंगे। हर गलत जवाब के लिए एक तिहाई मार्क्स काटा जाएगा
सवालों की संख्या: सवालों की संख्या 200 होगी और हर सवाल के लिए एक नंबर मिलेगा
परीक्षा का समय: परीक्षा कुल 210 मिनट यानी 3.5 घंटे चलेगी
परीक्षा का माध्यम: कंप्यूटर आधारित परीक्षा (सीबीटी) मोड

अहम टॉपिक
सभी विषय के अलग-अलग अहम टॉपिक इस तरह से हैं...
फिजिक्स: Laws of motion, Work, Energy & Power, System of particles & Rotational Motion, Mechanical properties of Fluids, Oscillations, Electrostatic potential and Capacitance, Current Electricity, Electric Charges and Field and Semiconductors

केमिस्ट्री: Organic Chemistry: Some basic principles & Techniques, Hydrocarbon, Haloalkanes and Haloarenes, Alcohols, phenols and ethers, Aldehydes, ketones and carboxylic acids, Amines (Organic Compound containing nitrogen), Chemical Bonding and Molecular structure, The p-block elements, Co-ordination Compounds, Equilibrium Thermodynamics and Electrochemistry

बायॉलजी: Biological Classification, Morphology of Flowering Plants, Biomolecules, Body Fluids & Circulation, Plant Kingdom, Photosynthesis in Higher Plants, Respiration in Plants, Excretory Products & their Elimination, Neural Control & Coordination, Human Reproduction, Principles of Inheritance & Variation, Molecular Basis of Inheritance, Organisms and Populations, Ecosystem, Evolution: Theories & Evidences and Human Health & Disease

इसके अलावा आपको क्वान्टिटेटिव ऐप्टिट्यूड और लॉजिकल थिंकिंग के सवालों की भी प्रैक्टिस करनी चाहिए। आमतौर पर परीक्षा में इस सेक्शन पर आधारित 10 सवाल होते हैं।

जनरल नॉलेज पर ध्यान दें: हालांकि ज्यादातर छात्र इसको प्राथमिकता नहीं देते हैं लेकिन इससे अच्छा स्कोर हासिल होता है। इसलिए छात्रों को करंट अफेयर्स से अवगत होना चाहिए और अपने इतिहास के ज्ञान को भी बढ़ाना चाहिए।

नेगेटिव मार्किंग पर ध्यान दें: ध्यान रखें कि एग्जाम में नेगेटिव मार्किंग काफी अहमियत रखती है। आपको हर सही सवाल के लिए 1 नंबर मिलेगा लेकिन गलत होने 1/3 नंबर कट जाएगा। इसलिए जिन सवालों को लेकर पूरा भरोसा हो, उनका ही जवाब दें।

सीबीटी की प्रैक्टिस करें: एम्स एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा कंप्यूटर आधारित परीक्षा है। इसलिए सीबीटी मोड से अपरिचित छात्रों के लिए यह थोड़ा चिंताजनक होता है। आपके लिए बेहतर रहेगा कि एग्जाम से पहले सीबीटी मोड का अभ्यास कर लें।

एग्जाम की स्ट्रैटिजी तैयार करें: परीक्षा क्रैक करने के लिए सही रणनीति बहुत जरूरी है। पेपर में पहले उस सेक्शन को करें जिस पर पकड़ मजबूत है। इसके अलावा जिस सेक्शन, जैसे फिजिक्स, में ज्यादा उलझाने वाले सवाल होते हैं उसको बाद में हल करें। अगर आप इस तरह के सेक्शन को पहले हल करने बैठेंगे तो उसी में उलझ कर रह सकते हैं और बाकी सवालों को छूटने का खतरा रहता है। एक चीज और ध्यान में रखें बायॉलजी सेक्शन में आपके परफॉर्में को ज्यादा महत्व दिया जाता है। इसलिए कोशिश करें कि पहले बायॉलजी के पेपर को सॉल्व कर लें।

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JEE अडवांस्ड 2019: पिछले 10 सालों में इन टॉपिक से खूब आए सवाल, जरूर दें ध्यान

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जेईई अडवांस्ड 2019 का एग्जाम कल यानी 27 मई को है। अब वैसे एक दिन में आप कुछ नया तो नहीं कर सकते लेकिन जो कुछ पढ़ चुके हैं, उनको अच्छे से रिवाइज जरूर कर सकते हैं। ऐसे में उन टॉपिकों को रिवाइज करना ज्यादा सही रहेगा, जिससे पिछले सालों में खूब सवाल पूछे गए हैं। आइए आज आपको ऐसे ही कुछ टॉपिक के बारे में बताते हैं...

फिजिक्स
पिछले 10 सालों में कमोबेश 30 सवाल ray optics and optical instruments से पूछे गए। उसके बाद laws of motion and work, energy and power से 26 साल और system of practices and rotational motions से 25 सवाल पूछे गए।

केमिस्ट्री
aldehydes, ketones and carboxylic acids से पिछले 10 सालों में 40 बार से ज्यादा सवाल पूछे गए हैं। केमिस्ट्री में जिन 5 टॉपिकों से ज्यादा सवाल पूछे गए उनमें coordination compounds, the p-blick elements, chemical kinetics and nuclear chemistry और thermodynamics शामिल हैं।

गणित
गणित में अब तक conic sections से सबसे ज्यादा सवाल पूछे गए। उसके अलावा Application of derivatives, linear programming and probability और differential equations से खूब सवाल पूछे गए।

आपको बता दें कि देश के आईआईटीज और प्रमुख इंजिनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा दो चरणों पर आधारित होती है। पहला चरण जेईई मेन का होता है जिसको क्लियर करने के बाद जेईई अडवांस्ड देना होता है। परीक्षा का आयोजन नैशनल टेस्टिंग एजेंसी करेगी। जेईई अडवांस्ड के स्कोर पर छात्रों को आईआईटीज में दाखिला मिलेगा।

इस साल 11.47 लाख छात्रों ने जेईई मेन की परीक्षा दी थी। उनमें से 2.45 छात्र जेईई अडवांस्ड देने के लिए उत्तीर्ण हुए। उत्तीर्ण हुए छात्रों में से सिर्फ 1.73 लाख ने अपना पंजीकरण कराया। 2018 में 2.31 लाख छात्र जेईई मेन में उत्तीर्ण हुए थे जिनमें से 1.65 लाख ने अडवांस्ड के लिए उत्तीर्ण किया था। वैसे परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या में और कमी हो सकती है क्योंकि कुछ छात्र परीक्षा देने नहीं जाते हैं।

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वेदिका स्कॉलर प्रोग्राम: महिलाओं के लिए खास है यह कोर्स, जानें डीटल में

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नई दिल्ली
वेदिका स्कॉलर्स प्रोग्राम फॉर विमिन एक अनूठा कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम महिलाओं को समर्पित है। इसके तहत महिलाओं के अंदर कला, सोच एवं संवाद को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनमें प्रबंधन की क्षमता को भी विकसित किया जाता है। साथ ही महिलाओं के व्यक्तिगत विकास पर कार्यक्रम के तहत ध्यान दिया जाता है। यहां जो पेशेवर काडर तैयार किए जाते हैं, उन पर बड़ी-बड़ी कंपनियों ने भरोसा जताया है और उनको हायर करने को प्राथमिकता दी है।

विश्व स्तर की फैकल्टी
वेदिका स्कॉलर्स प्रोग्राम में विश्व स्तर की फैकल्टी अपनी सेवा देती हैं। यहां पढ़ाने वाली फैकल्टी में वेलोग शामिल हैं जिनको हार्वर्ड, येल यूनिवर्सिटी, आईआईएम जैसी संस्थानों और प्रमुख अकादमियों की प्रवेश परीक्षाओं में चुना गया है। इसके अलावा यहां 'शैडो ए विमिन लीडर' नाम का एक अनूठा प्रोग्राम चलाया जाता है। उस प्रोग्राम के तहत हर वेदिका स्कॉलर को छह हफ्ते के लिए एक वरिष्ठ महिला नेता के साथ मिलकर काम करने का एक खास अवसर प्राप्त होता है। स्कॉलर को लीसेस्टर कैसल बिजनेस स्कूल, डी मोंटफोर्ट यूनिवर्सिटी से ग्लोबल एमबीए की डिग्री हासिल करने का भी विकल्प मिलता है।

वेदिका प्रत्येक स्कॉलर को प्लेसमेंट आश्वासन के साथ व्यापक और व्यक्तिगत प्लेसमेंट में भी मदद करता है। एफएमसीजी, टेक्नॉलजी, फाइनैंशल सर्विसेज, हेल्थकेयर जैसे क्षेत्र के स्टार्टअप और स्थापित बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्लेसमेंट मुहैया कराया जाता है।

इच्छुक महिलाएं स्नातक डिग्री या स्नातक के अंतिम वर्ष में बिना किसी शुल्क के आवेदन कर सकती हैं। अगस्त 2019 में शुरू होने वाले 5वें बैच के लिए प्रवेश अभी खुले हैं। सीट पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर भरी जाएंगी।

वेबसाइट: www.vedicascholars.com

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Journalism और Mass Communication कोर्स के बाद मीडिया इंडस्ट्री में ये हैं शानदार करियर विकल्प

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Journalism and Mass Communication Jobs: युवाओं के बीच मास कम्यूनिकेशन और जर्नलिज़म का कोर्स एक आकर्षक करियर विकल्प बनकर उभरा है। जर्नलिज़म और मास कम्यूनिकेशन में अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनो डिग्री हासिल की जा सकती है । इसके अलावा कुछ संस्थान सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी करवाते है। देश के कई बड़े संस्थान आज मास कम्यूनिकेशन और जर्नलिज़म का कोर्स करवाते हैं यहां हम आपको यह कोर्स करने के बाद करियर के विकल्पों के बारे में बता रहे हैं।

Journalism jobs
जर्नलिज़म या मास कम्यूनिकेशन में डिग्री हासिल करने के बाद आप न्यूज इंडस्ट्री का रूख कर सकते हैं इसमें आपके पास तीन विकल्प होंगे पहला प्रिंट मीडिया, दूसरा टीवी इंडस्ट्री और तीसरा विकल्प जो तेजी से उभर कर सामने आ रहा है वो है डिजिटल जर्नलिज़म। आप पत्रकारिता के तीनों रूपों के लिए अप्लाई सकते हैं। फ्रैशर को 12-18 हजार रुपए तक की सैलरी मिल जाती है। इसके बाद सैलरी आपकी योग्यता और अनुभव पर निर्भर करता है।

Public Relations Jobs
Journalism and Mass Communication कोर्स करने के बाद कई युवा पब्लिक रिलेशन कंपनीज़ का रूख भी करते हैं। यहां अट्रैक्टिव सैलरी पैकेज के साथ बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ काम करने का मौका मिलता है। इसके अलावा लगभग प्रत्येक बड़ी सरकारी कंपनी में पीआरओ या पब्लिक रिलेशन ऑफिसर होता है। इसके लिए अलग से भर्ती निकलती हैं। सरकारी कंपनियों ने पीआरओ को शुरुआत में ही अच्छा पैकेज मिल जाता है।

रेडियो जॉकी (How can I become a radio jockey?)
अगर आपके अंदर रचनात्मकता है और आप बोलने में माहिर हैं तो आप रेडियो जॉकी के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। इस क्षेत्र में सैलरी पैकेज काफी अच्छा मिलता है। लगभग हर बड़े शहर में अलग-अलग रेडियो स्टेशन होते हैं। जहां रेडियो जॉकी की वेकन्सी निकलती रहती है। आजकल रेडियो जॉकी के अलग कोर्स होने लगे हैं लेकिन मास कम्यूनिकेशन और जर्नलिज़म कोर्स को भी प्राथमिकता दी जाती है।

एडवरटाइजिंग (What kind of jobs are there in advertising)
एडवरटाइजिंग का क्षेत्र काफी विशाल है अगर आपके अंदर प्रतिभा है तो सैलरी की कोई सीमा नहीं है। कई लोग तो कुछ साल एडवरटाइजिंग एजेंसी में काम करने के बाद खुद की एजेंसी खोल लेते हैं। इस काम के लिए क्रिएटिव माइंड होना सबसे जरूरी है।

शिक्षण (Journalism And Mass Communication Teaching Jobs)
जर्नलिज़म और मास कम्यूनिकेशन का कोर्स करने के बाद आप शिक्षण के क्षेत्र में भी हाथ आजमा सकते हैं। देश में तेजी से मास कम्यूनिकेशन और जर्नलिज़म के संस्थानों की संख्या बढ़ रही है। यहां जर्नालिज़म डिग्रीधारकों की काफी डिमांड रहती है। अगर आपके पास इस क्षेत्र का थोड़ा बहुत अनुभव है और आपके पास इस कोर्स की डिग्री है तो आप आसानी से शिक्षक की नौकरी प्राप्त कर सकते हैं।

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रोजमर्रा की चीजों से जीवन भर हम सीखते हैं मैथ्स

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आज स्टूडेंट सब्जेक्ट में रूचि से ज्यादा एग्जाम के डर से मैथ्स सीख रहे हैं। अगर मैथ्स के सब्जेक्ट में ऐक्टिविटीज और खेलों को शामिल करें तो मैथ्स की जटिल गुत्थिओं को स्टूडेंट बड़ी आसानी से सुलझा सकते हैं और इसे सीखना उनके लिए एक सुखद अनुभव बन सकता है। विजुअल मीडियम से सीखना हमेशा आसान रहा है इसीलिए अगर मैथ्स के फॉर्म्युलों को विजुअल प्रेजेंटेशन के साथ समझाया जाए तो यकीनन फायदा हो सकता है।

टेक्नॉलजी के इस्तेमाल से शिक्षा को सरल, मजेदार, प्रासंगिक, इन्टरैक्टिव और व्यक्तिगत बनाया जा सकता है। टेक्नॉलजी के जरिए शिक्षकों, विडियो और इन्टरैक्टिव्स को एकसाथ लाकर छात्रों को व्यक्तिगत शिक्षा प्रदान की जा सकती है। बड़े डेटा एनालिटिक्स सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर बच्चा अपने तरीके और स्पीड से सीखे। इनोवेटिव तरीके और अडवांस टेक्नॉलजी से बनाए गए लर्निंग प्रोग्राम्स यह सुनिश्चित करते हैं कि बच्चे मैथ्स न केवल समझे बल्कि उसे जीवन भर याद रखे। लर्निंग ऐप बायजूज की डायरेक्टर और टीचर दिव्या गोकुलनाथ मानती हैं कि मैथ्स को रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़कर सीखा और सिखाया जाए तो यह डर का नहीं बल्कि इन्जॉय करने वाला सब्जेक्ट है।

तो क्या मैथ्स को अधिक मजेदार और वास्तविक बनाया जा सकता है? आइए जानते हैं...

मैथ्स ज्यादा वास्तविक हैः मैथ्स को रियल लाइफ के उदाहरणों से आसानी से समझा जा सकता है। इसे रोजमर्रा के मजेदार अनुभवों के साथ जोड़ें। जैसे किराना सामान खरीदते समय, शॉपिंग करते समय, फल-सब्जियां खरीदते हुए आप मैथ्स का प्रयोग करते हैं। हर बार जब आप किसी प्रॉडक्ट की कीमत गिनते हैं या वस्तु का वजन करते हैं या सेल में मिल रही छूट का अनुमान लगाते हैं और फाइनल प्राइस कैलकुलेट करते हैं तो आप अपनी खरीदारी में मैथ्स का इस्तेमाल कर रहे होते हैं।

ट्रैवलिंग में मैथ्स का रोमांचः गाड़ी में पेट्रोल-डीजल कितना लगेगा, कितनी दूरी तय करनी है, टोल के लिए कितना खर्च होने वाला है... यह सब कुछ आप कैलकुलेशन की मदद से ही जान सकते हैं। जब गूगल मैप्स और GPS नहीं थे तब ट्रैवलर्स कागज पर नक्शों, एटलस और सड़क पर बने संकेतों की मदद से ही अपने डेस्टिनेशन पर पहुंचते थे। इन सभी में मूल गणितीय सिद्धांतों का ही उपयोग किया जाता है।

विज़ुअलाइजिंग है मंत्रः जटिल गणितीय सिद्धांतों को जब आप एक विज़ुअल के रूप में देखते हैं और उनकी कल्पना करते हैं तब आप उन्हें आसानी से समझ सकते हैं। जैसे एक गोल आकार को समझाने के लिए पिज्जा या केक का उदाहरण हो सकता है। जब आप इसे टुकड़ों में काटते हैं तब आप फ्रैक्शन्स सीखते हैं।

जब कोई स्टूडेंट इस फार्म्युले से मैथ्स सीखता है तब वह मैथ्स कॉन्सेप्ट 'क्या' हैं यह सीखने के साथ-साथ ये कॉन्सेप्ट 'क्यों' और 'कैसे' हैं, यह भी सीखता है और स्टूडेंट को मैथ्स कॉन्सेप्स समझने में मदद मिलती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो मैथ्स स्टूडेंट की पर्सेनेलिटी को निखरता है। उसके अंदर क्रिऐटिविटी, क्रिटिकल थिंकिंग, रीजनिंग, प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसे गुणों को बढ़ावा देता है।

'मैथ्स सिर्फ एक सब्जेक्ट नहीं है, यह सोचने का एक तरीका है...' मैथ्स आपको समस्याओं को सुलझाने के लिए तार्किक दृष्टिकोण प्रदान करता है। इसलिए स्टूडेंट को मैथ्स को केवल के सब्जेक्ट के रूप में नहीं बल्कि एक लाइफ स्किल के तौर पर देखना और सीखना चाहिए जो उनमें प्रॉब्लम सॉलविंग की क्षमता को इम्प्रूव करने में मदद करता है।

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UPSC: CS प्रीलिम्स कल, साथ न ले जाएं ये चीजें

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देश भर में 2 जून, 2019 को सिविल सर्विसेज की प्रीलिमिनरी परीक्षा का आयोजन होगा। लाखों की संख्या में अभ्यर्थी प्रीलिम्स की परीक्षा देंगे। परीक्षा देने से पहले कुछ काम की बातों पर ध्यान देना जरूरी है। आइए आपको उनके बारे में बताते हैं...

ई-ऐडमिट कार्ड
अभ्यर्थियों का ई-ऐडमिट कार्ड आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। उसे वहां से डाउनलोड करना होगा। परीक्षा देने के लिए छात्रों को अपने आवंटित परीक्षा केंद्र पर ई-ऐडमिट कार्ड का प्रिंट आउट दिखाना होगा। अभ्यर्थियों को अपने साथ उस असल फोटो पहचान प्रमाण पत्र को लाना होगा जिसका नंबर ई-ऐडमिट कार्ड पर दर्ज हो। छात्रों को पहले ही इसलिए ई-ऐडमिट कार्ड का प्रिंटआउट ले लेना चाहिए और फोटो आईडी कार्ड संभाकर रख लेनी चाहिए।

ऐडमिट कार्ड पर साफ फोटो न हो तो
उन अभ्यर्थियों को अपने साथ दो फोटोग्राफ लेकर जाना होगा जिनके ई-ऐडमिट कार्ड पर उनका फोटो साफ दिख नहीं रहा है या फोटो की जगह हस्ताक्षर आ रहा है। उनको पहले वचन देना होगा। उसके बाद फोटो आईडी कार्ड के साथ परीक्षा दे सकेंगे।

समय पर पहुंचें
अभ्यर्थियों को यह बात दिमाग में डाल लेनी चाहिए कि परीक्षा शुरू होने से 10 मिनट पहले एंट्री बंद हो जाएगी। सुबह का सत्र 9.30 बजे से शुरू होगा। उसके लिए 9.20 पर परीक्षा भवन में जाने पर रोक होगी। ठीक इसी तरह शाम का सेशन 02.30 बजे से शुरू होगा जिसके लिए 02.20 के बाद परीक्षा भवन में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।

निर्धारित परीक्षा केंद्र पर ही दे सकेंगे परीक्षा
भ्यर्थियों को यह ध्यान देना होगा कि अपने निर्धारित परीक्षा केंद्र के अलावा किसी और केंद्र पर परीक्षा देने की अनुमति नहीं मिलेगी। इसलिए अभ्यर्थियों को परीक्षा की निर्धारित तारीख से एक दिन पहले परीक्षा केंद्र जाकर देख लेना चाहिए। इससे किसी तरह की कन्फ्यूजन दूर हो जाएगी। रास्ता भी देख लेंगे और अगले दिन समय पर परीक्षा केंद्र पर पहुंच सकेंगे।

बॉल पेन
अभ्यर्थियों को ओएमआर आंसर शीट और अटेंडेंस लिस्ट ब्लैक बॉल पॉइंट पेन से भरनी होगी। इसलिए उनको अपने साथ ब्लैक बॉल पॉइंट पेन लेकर जानी चाहिए।

तलाशी
परीक्षा हॉल/कमरों में जाने से पहले अभ्यर्थियों की तलाशी ली जाएगी। इसलिए अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र पर तलाशी के समय से पहले पहुंचना चाहिए।

ये चीजें साथ नहीं ले जा सकेंगे
अभ्यर्थियों के पास मोबाइल फोन (स्विच ऑफ करके भी नहीं), पेजर या कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या प्रोग्राम योग्य डिवाइस या स्टोरेज मीडिया जैसे पेन ड्राइव, स्मार्ट वॉच आदि, कैमरा या ब्लूटूथ डिवाइस या कोई अन्य सहायक उपकरण।

सामान्य कलाई घड़ी को परीक्षा भवन में ले जाने की अनुमति होगी। लेकिन उन घड़ियों को ले जाने की अनुमति नहीं होगी जिसमें खास उपकरण लगे हों और उसका संचार उपकरण के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके। स्मार्ट वॉच पर सख्ती से पाबंदी है और अभ्यर्थियों को परीक्षा भवन में उसे ले जाने की अनुमति नहीं होगी।

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पेट्रोकेमिकल में बनाएं सॉलिड करियर

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पेट्रोलियम पदार्थों की दिनों-दिन बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए इस क्षेत्र में करियर की संभावनाएं भी उतनी ही ज्यादा हैं। पहले दरअसल, ऑइल ऐंड गैस इंडस्ट्री एक विशिष्ट फील्ड है, जिसमें खासतौर पर प्रशिक्षित युवाओं की जरूरत पड़ती है। इनमें इंजिनियर्स की मांग तो हमेशा बनी ही रहती है, अन्य क्षेत्रों के जानकारों के लिए भी भरपूर मौके होते हैं। इस क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए पेट्रोलियम टेक्नॉलजी से जुड़े कोर्स काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं।

क्या है स्कोप
पहले इस क्षेत्र में जियॉलजिस्ट की काफी मांग थी, समय बदलने के साथ मकैनिकल क्षेत्र के विशेषज्ञों ने इस इंडस्ट्री में अपनी धाक जमाई। करियर की अनेक संभावनाओं को देखते हुए पेट्रो केमिकल सेक्टर में प्रबंधन से लेकर इंजिनियरिंग तक के कोर्स शुरू हुए हैं। खास बात यह है कि प्रफेशनल्स की मांग हमेशा बनी रहती है। विशिष्ट क्षेत्र होने और प्रफेशनल्स की मांग के मुकाबले उपलब्धता कम होने से इस सेक्टर में सैलरी भी काफी आकर्षक दी जाती है। इंडियन ऑइल, भारत पेट्रोलियम, ओएनजीसी जैसी कई बड़ी कंपनियां पेट्रो प्रफेशनल्स को शानदार सैलरी पैकेज पर नौकरियों के ऑफर दे रही हैं। इस क्षेत्र में यूरोप के साथ ही खाड़ी देशों के भी दरवाजे खुले हैं।

कोर्स के लिए योग्यता
12वीं की परीक्षा भौतिक विज्ञान, गणित और रसायन विज्ञान से 50 प्रतिशत अंकों से पास करने के बाद आप पेट्रोलियम से जुड़े कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। केमिकल और पेट्रोलियम इंजिनियरिंग में बीई और बीटेक कर चुके छात्र पेट्रोलियम इंजिनियरिंग में एमटेक के लिए आवेदन कर सकते हैं। बीबीए में प्रवेश के लिए 12वीं किसी भी संकाय से उत्तीर्ण होना जरूरी है। पेट्रोलियम टेक्नॉलजी संबंधी एमएससी कोर्स में ऐडमिशन के लिए जिऑलजी (भूगर्भ विज्ञान), पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल, केमिकल, मैकेनिकल, पॉलिमर साइंस आदि में ग्रैजुएशन डिग्री होनी चाहिए। पेट्रोलियम सेक्टर की पढ़ाई के दौरान यह सिखाया जाता है कि किस तरह गणित, जिऑलजी और भौतिक विज्ञान के नियम, सूत्र और सिद्घांतों का प्रयोग ईंधन की खोज, विकास और उत्पादन में किया जा सकता है/ पेट्रोलियम से जुड़े कोर्स में ऐडमिशन आमतौर पर लिखित परीक्षा और इंटरव्यू के आधार पर होते हैं।

काम और पद

जियोफिजिसिस्ट: इनका काम धरती की आंतरिक और बाहरी संरचना का अध्ययन करना है। इस पद पर काम करने के लिए जिऑलजी, फिजिक्स, मैथ्स और केमिस्ट्री का बैकग्राउंड होना चाहिए।

ऑइल वेल-लॉग ऐनालिस्ट: इनका काम ऑइल फील्ड्स से नमूने लेना, खुदाई के दौरान विभिन्न मापों का ध्यान रखना और काम पूरा होने पर माप और नमूनों की जांच करना होता है।

ऑइल ड्रिलिंग इंजिनियर: इनका काम तेल के कुओं की खुदाई के लिए योजना बनाना होता है। इंजिनियर यह भी कोशिश करते हैं कि यह काम कम से कम खर्च में पूरा किया जा सके।

प्रॉडक्शन इंजिनियर: तेल के कुओं की खुदाई का काम पूरा होने के बाद प्रॉडक्शन इंजिनियर जिम्मेदारी संभालते हैं। ईंधन को सतह तक लाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका क्या है, इसका फैसला प्रॉडक्शन इंजिनियर ही करते हैं।

ऑइल रिजरवॉयर इंजिनियर: इंजिनियर रिजरवॉयर प्रेशर निर्धारित करने के लिए जटिल कंप्यूटर मॉडल्स और गणित के फॉर्म्युलों का प्रयोग करते हैं।

ऑइल फसिलिटी इंजिनियर: ईंधन के सतह पर आने के बाद इसे अलग करने, प्रोसेसिंग और दूसरी जगहों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ऑइल फसिलिटी इंजिनियर के कंधों पर होती है।


स्टडी कोर्स
पेट्रोलियम इंजिनियरिंग में छात्र जिऑलजी, भौतिकी और इंजिनियरिंग के सिद्वांतों द्वारा पेट्रोलियम की रिकवरी, डेवलपमेंट और प्रोसेसिंग के बारे में जानते हैं। इसके अलावा ड्रिलिंग, मकैनिक्स, पर्यावरण संरक्षण और पेट्रोलियम जैसे विषयों पर छात्रों की पकड़ बनाई जाती है। पेट्रोलियम इंडस्ट्री को मुख्य तौर पर दो भागों में बांट कर देख सकते हैं: अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम सेक्टर। अप स्ट्रीम सेक्टर में खोज, उत्पादन व तेल और प्राकृतिक गैसों का दोहन कैसे किया जाए, इसकी शिक्षा व ट्रेनिंग दी जाती है। डाउन स्ट्रीम सेक्टर में रिफाइनिंग, मार्केटिंग और वितरण से संबंधित पूरी जानकारी दी जाती है। एक पेट्रोलियम इंजिनियर को जिऑलजिस्ट, खोजकर्ता, इंजीनियर, पर्यावरण क्षेत्र के एक्सपर्ट के साथ काम करना पड़ता है।

प्रमुख संस्थान
-राजीव गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नॉलजी, रायबरेली www.rgipt.ac.in

-लखनऊ यूनिवर्सिटी, लखनऊ www.lkouniv.ac.in

पंडित दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी, गांधीनगर www.pdpu.ac.in

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी www.amu.ac.in

पुणे यूनिवर्सिटी www.pune.net.in

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी www.itbhu.ac.in

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डीयू के ये वोकेशनल कोर्स करके खुलेगा जॉब का रास्ता

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डीयू में वोकेशनल प्रोग्राम इतने हिट हैं कि कटऑफ आसमान छूती है और तेजी से सीटें भरने लगती हैं। वोकेशनल स्ट्रीम मे अगर स्टूडेंट ग्रैजुएशन करता है तो जल्द जॉब भी मिलती है और कई स्टूडेंट्स तो अपना काम शुरू कर लेते हैं। टीचर्स का कहना है कि ये अंडरग्रैजुएट कोर्स प्रफेशनल हैं, जो स्टूडेंट्स की फील्ड बेस्ड स्किल को बढ़ाते हैं, उसे हुनरमंद बनाते हैं।

इस साल बीए वोकेशनल स्टडीज में ईडब्ल्यू कोटे के बाद 590 से ज्यादा सीटों के लिए एडमिशन होगा। कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज के प्रिंसिपल डॉ. इंद्रजीत का कहना है कि सबसे ज्यादा डिमांड ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट कोर्स की रहती है। इसकी पहली कटऑफ पिछले साल 91% थी। इसके बाद स्टूडेंट्स की पसंद मार्केटिंग मैनेजमेंट ऐंड रिटेल बिजनस (पिछले साल कटऑफ 90.5%) है। इन दोनों कोर्स की कटऑफ ज्यादा रहती है। इनके बाद टूरिज्म मैनेजमेंट और मैनेजमेंट ऐंड मार्केटिंग ऑफ इंश्योरेंस का नंबर आता है, जिसमें पिछले साल 90% में एडमिशन का चांस मिला था।

कोर्स इतने पॉपुलर हैं कि पिछले साल तीसरी लिस्ट में 7 में से 5 कोर्स के लिए सीटें फुल हो गई थीं। डॉ डागर बताते हैं, प्लेसमेंट देखी जाए, तो वोकेशनल स्ट्रीम के स्टूडेंट्स को सबसे बढ़िया रिस्पॉन्स मिलता है। साथ ही, आजकल ज्यादातर स्टूडेंट्स इसके बाद एमबीए कर रहे हैं, जिसके बाद उनकी तरक्की कई गुना ऊपर हो जाती है। इन सभी के लिए 12वीं में कम से कम 40% नंबर जरूरी हैं। बेस्ट 4 में एक लैंग्वेज और तीन इलेक्टिव सब्जेक्ट शामिल करना जरूरी है।

यहां हैं सबसे ज्यादा कोर्स : कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज वोकशनल कोर्सेज का अड्डा कहा जा सकता है। यहां बीए वोकेशनल स्टडीज के 7 कोर्स पढ़ाए जाते हैं। वोकेशनल स्ट्रीम से जिस स्टूडेंट्स ने 12वीं की पढ़ाई की है, उनके लिए इनमें सीट पाना आसान है। वैसे, दूसरी स्ट्रीम के स्टूडेंट्स को भी इनमें ऐडमिशन मिल सकता है। इन सभी प्रोग्राम के लिए स्टूडेंट्स डीयू पोर्टल पर जाकर 14 जून तक ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं।

कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज में बीए (वोकेशनल) के सात कोर्स हैं - टूरिज्म मैनेजमेंट, ऑफ मैनेजमेंट ऐंड सेक्रेटैरियल प्रैक्टिस, मैनेजमेंट ऐंड मार्केटिंग ऑफ इश्योरेंस, स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइज, मटीरिल्स मैनेजमेंट, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट और मार्केटिंग मैनेजमेंट ऐंड रिटेल बिजनस। पिछले साल इनके लिए कटऑफ 85% से लेकर 91% तक गई थी।

यहां भी वोकेशनल कोर्स
डीयू में पिछले दो साल से चार कॉलेजों में 7 वोकेशनल कोर्स भी चल रहे हैं। ये सभी कोर्स स्किल डिवेलपमेंट मिनिस्ट्री के नैशनल स्किल क्वालिफिकेशन के तहत यूजीसी ने डिजाइन किए हैं। कालिंदी कॉलेज में बीए वोकेशनल - प्रिंटिंग टेक्नॉलजी और बीए वोकेशनल-वेब डिजाइनिंग इनमें शामिल हैं। रामानुजन कॉलेज में बैंकिंग ऐंड फाइनेंशल सर्विसेज ऐंड इश्योरेंस सेक्टर (बैंकिंग ऑपरेशंस) और बीए वोकेशनल-आईटी (सॉफ्टवेयर डिवेलपमेंट के लिए भी अच्छा रिस्पॉन्स है। जीजस ऐंड मैरी कॉलेज में भी बीए-हेल्थ केयर मैनेजमेंट और रिटेल मैनेजमेंट ऐंड आईटी की काफी मांग है।

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NEET 2019: सफल मेधावियों ने बताए सक्सेस मंत्र

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लखनऊ
नीट में सफलता पाने के लिए किसी ने आठ तो किसी ने छह घंटे पढ़ाई की। सफलता में एनसीईआरटी किताबों का भी अहम योगदान रहा। ये कहना है लखनऊ के मेधावियों का। मेधावियों के मुताबिक, अपनी बेहतरीन स्ट्रैटिजी और लगन के दम पर ही उन्होंने डॉक्टर बनने के लिए पहला लक्ष्य पार किया है। पेश है मेधावियों के सक्सेस मंत्र:

ध्रुव कुशवाहा 8वीं रैंक
मैंने 11वीं से ही तैयारी शुरू कर दी। सुबह स्कूल और शाम को कोचिंग करता था। घर आकर दो से तीन घंटे रिवीजन किया। तैयारी के लिए एनसीईआरटी बुक्स पढ़ीं। अब 8वीं पर केजीएमयू में ऐडमिशन मिल जाएगा।

अंशिका वर्मा 21वीं रैंक
मैं अपनी सफलता का श्रेय श्रीसांई इंटर कॉलेज लखपेड़ाबाग के शिक्षकों को देती हूं। मेरा लक्ष्य न्यूरो सर्जन बनकर दुर्घटनाओं के शिकार लोगों की जान बचाना है।

शिखर गुप्ता 45वीं रैंक
फिजिक्स पर ज्यादा ध्यान दिया। नियमित स्कूल के साथ कोचिंग की। फिर घर आकर रिवीजन किया। छुट्टियों में हर विषय को अच्छी तरह तैयार करता था, जिससे पेपर हल करने में दिक्कत नहीं हुई। मेरी पहली पसंद केजीएमयू और दूसरी मौलाना आजाद कॉलेज है।

जय तिवारी 88वीं रैंक
मैंने सफलता के लिए 10 साल के अनसॉल्ड क्वेश्चन पेपर लगाए, जिससे पहले प्रयास में सफलता मिली। मुझे न्यूरोलॉजिस्ट बनना है।

विनीत हर्ष 63वीं रैंक
बायॉलजी को मजबूत करने के लिए एनसीईआरटी बुक्स से तैयारी की। नियमित मॉक टेस्ट दिए। मौलाना आजाद मेडकिल कॉलेज मेरी पहली पसंद है, लेकिन मैंने एम्स का एग्जाम भी दिया है। 12 जून को उसका भी रिजल्ट आना है।


सहर्ष शुक्ला 184वीं रैंक
मुझे दूसरे प्रयास में सफलता मिली है। पहले फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायॉलजी में तीनों की तैयारी में कमी रह गई थी। इसके बाद अपनी स्ट्रैटिजी चेंज की। एनसीईआरटी बुक्स से तैयारी शुरू की। हर विषय पर ध्यान दिया। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज मेरी पहली पसंद है।

सूर्यदेव वर्मा 901वीं रैंक
मैंने अपनी बहन अंशिका की मदद से कड़ी मेहनत कर सफलता पाई। इसके अलावा एनसीईआरटी बुक्स का भी सहारा लिया। मैं कार्डियोलॉजिस्ट बनकर आगे समाज की सेवा करना चाहता हूं।

शशांक प्रजापति 1478वीं रैंक
नीट में मेरा दूसरा प्रयास था। आठ घंटे नियमति पढ़ाई से सफल हुआ हूं। मुझे केजीएमयू से एमबीबीएस करना है।

विशेष सचान 1517वीं रैंक
पहले प्रयास में अच्छी तैयारी नहीं हो पाई थी। दूसरे प्रयास में एनसीईआरटी बुक्स से तैयारी शुरू की। रेगुलर टेस्ट प्रैक्टिस की। 10 साल के अनसॉल्व पेपर लगाए। रैंक के आधार पर केजीएमयू में ऐडमिशन मिल जाएगा।

आनंदित त्रिपाठी 1991वीं रैंक
मैंने सितंबर में एनडीए क्लीयर किया, लेकिन मेडिकल में अनफिट हो गया। इसके बाद नीट पर पूरा फोकस किया। जो वीक पॉइंट थे, उसे दूर किया। आगे केजीएमयू या आर्म फोर्सेस मेडिकल कॉलेज पुणे में दाखिला लेना है।

उस्मान जावेद 1919वीं रैंक
पहले प्रयास में रैंक नहीं मिली थी। फिर दोबारा तैयारी शुरू की। बायॉलजी पर ज्यादा मेहनत की। हर विषय पर रिवीजन किया। आठ से 10 घंटे पढ़ाई के बाद दूसरे प्रयास में सफलता मिली। इसमें एनसीईआरटी की बुक्स काफी मददगार रहीं।

वैशाली सिंह 1459वीं रैंक
साल 2016 में इंटर करने के बाद से नीट की तैयारी शुरू कर दी थी। इस बार शुरू से ही कॉन्सेप्ट क्लियर रखा, जिससे तीसरी बार में सफलता मिली।

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7 जुलाई को CTET का एग्जाम, इन टॉपिक्स की जमकर कर लें तैयारी

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7 जुलाई को सीटेट का एग्जाम है। चंद दिनों में ही इसका ऐडमिट कार्ड भी आने वाला है। सीटेट के एग्जाम को लेकर छात्रों में मन में तरह-तरह के सवाल होते हैं। मसलन, कैसे तैयारी करें, कौन से टॉपिक्स महत्वपूर्ण हैं, सबसे पहले किस विषय को तरजीह दें, आदि। ये सवाल जायज भी हैं। हर साल लाखों छात्र सीटेट की परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन सभी इसमें उत्तीर्ण नहीं हो पाते। चूंकि अब इस एग्जाम में ज्यादा दिन नहीं बचे हैं, इसलिए सुनियोजित तरीके से तैयारी करनी जरूरी है। यहां कुछ टिप्स बताए जा रहे हैं जो आपके काम आएंगे:

1- सबसे पहले तो सीटेट एग्जाम के सिलेबस को अच्छी तरह से चेक कर लें और देखें कि कौन सा विषय आपको आसान और सबसे मुश्किल लग रहा है। इस आधार पर सबसे पहले आसान विषयों की तैयारी पहले कर लें। इससे दो फायदे होंगे। एक तो आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और दूसरा, आपका आधा सिलेबस जल्दी ही तैयार हो जाएगा और आप मुश्किल विषयों पर आसानी से फोकस कर पाएंगे।

2- सीटेट के एग्जाम के लिए एनसीईआरटी की किताबों को ही तरजीह दें। विभिन्न सैंपल पेपर्स और अनसॉल्व्ड पेपर्स से भी तैयारी कर सकते हैं, लेकिन एनसीईआरटी को ज्यादा तवज्जो दें। हर साल सीटेट के एग्जाम में कुछ सवाल नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क और एनसीईआरटी से भी पूछे जाते हैं।

3- कम से कम पिछले 3-4 सालों के दौरान सीटेट की परीक्षा में पूछे गए सवालों की अच्छी तरह से तैयारी कर लें। कई बार बीते साल से भी कुछ प्रश्न पूछ लिए जाते हैं।

4- कम वक्त में बेहतर तैयारी के लिए मॉक टेस्ट आपकी मदद करेगा। इससे आपको अपनी तैयारी का स्तर भी पता चल जाएगा और जहां कमी होगी उसे आप सुधार भी पाएंगे।

5- दिन भर का एक शेड्यूल बना लें और सभी विषयों के लिए समय बांट लें। सप्ताह में एक बार एक प्रश्नपत्र तैयार करके निर्धारित समय में हल करने की कोशिश करें।

6- करंट अफेयर्स और मैथ्स के फॉर्म्युले, राजनीति जैसी चीजों पर अच्छी पकड़ रखें। सभी फॉर्म्युले एक जगह लिख लें और रोजाना याद करें।

7- इसके अलावा Child Development And Pedagogy सेक्शन की अच्छी तरह से तैयारी कर लें। इससे भी कई महत्वपूर्ण सवाल हर साल पूछे जाते हैं।

8- एग्जाम में समय कम रह गया है इसलिए नए टॉपिक्स की तैयारी करने के बजाय जो अब तक पढ़ा है उसी का बेहतर तरीके से रिवीजन करें। चूंकि इस एग्जाम में किसी तरह की नेगेटिव मार्किंग नहीं है इसलिए कोई भी सवाल न छोड़ें।

दो शिफ्ट में होगी परीक्षा

सीटेट का एग्जाम 7 जुलाई को दो शिफ्ट में आयोजित किया जाएगा। पहली शिफ्ट की शुरुआत सुबह 9.30 से हो जाएगी। अभ्यर्थियों को सुबह 8 बजे एग्जामिनेशन हॉल में पहुंचना होगा। 9.15 तक टेस्ट बुकलेट बांट दी जाएगी। पहली शिफ्ट का एग्जाम 12 बजे खत्म हो जाएगा। वहीं दूसरी शिफ्ट का एग्जाम दोपहर 2 बजे से शाम 4.40 बजे तक होगा।

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DU में लेना है ऐडमिशन, जान लें पूरा प्रोसेस और ये 4 बातें

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शायद ही ऐसा कोई स्टूडेंट होगा जिसकी ख्वाहिश दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने की नहीं होगी। लेकिन डीयू में ऐडमिशन पाना इतना आसान भी नहीं है। हर साल डीयू की कट-ऑफ इतनी हाई चली जाती है कि ऐडमिशन मिलना तक मुश्किल हो जाता है। इस साल डीयू के एंट्रेस एग्जाम 30 जून से शुरू हो रहे हैं। छात्र एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे होंगे।

यहां कुछ टिप्स बताए जा रहे हैं जो आपको डीयू में ऐडमिशन पाने में मदद कर सकते हैं:
1- सबसे पहले तो डीयू के उन कॉलेजों की लिस्ट बना लें जिनमें आप ऐडमिशन लेना चाहते हैं। इसके बाद पिछले 3-4 सालों की डीयू की कट-ऑफ चेक करें। इससे आपको एक रफ आइडिया मिल जाएगा कि हर साल डीयू की औसत कट-ऑफ कितनी जाती है और आपके उस कट-ऑफ में शामिल होने के कितने चांस हैं।

2- अब डीयू में ऐडमिशन के लिए फॉर्म भरें। यह फॉर्म आप जितनी जल्दी भर सकते हैं उतनी जल्दी भर दें क्योंकि सीटें सीमित होती हैं और वे बहुत जल्दी भर जाती हैं। फॉर्म भरने में देरी करने पर हो सकता है कि आपको ऐडमिशन ही न मिले।

पढ़ें: डीयू में बदली डेट, अब ऑनलाइन एंट्रेंस होगा 30 जून से

3- फॉर्म भरने से पहले प्रॉस्पेक्टस को अच्छी तरह से पढ़ लें और जो भी आपकी पसंद का कॉलेज हो उसका फॉर्म भर दें। आप चाहे तो एक से अधिक कॉलेजों का फॉर्म भर सकते हैं ताकि डीयू कॉलेज में ऐडमिशन पाने का चांस मिस न हो।

4- दिल्ली यूनिवर्सिटी में विभिन्न प्रकार के कोर्स हैं और हर कोर्स के लिए ऐडमिशन का प्रोसेस एकदम अलग है। ऐडमिशन तीन तरह से होता है-मेरिट, एंट्रेंस एग्जाम और स्पोर्ट्स कोटा।

मेरिट सिस्टम
सभी बीए और बीएससी कोर्स में ऐडिमशन मेरिट के आधार पर होता है। इसके लिए छात्रों को एक फॉर्म भरना पड़ता है। इस फॉर्म में छात्रों को उन कोर्सेज के बारे में भी जानकारी देनी होती है जिनमें वह रुचि रखते हैं। इसके बाद कट-ऑफ आने पर छात्र उसके हिसाब से अपना कॉलेज चुन सकते हैं। हर कॉलेज की कम से कम 5-8 कट-ऑफ लिस्ट आती हैं।

यह भी पढ़ें: डीयू: ये 5 कोर्स हर बार रहते हैं टॉप पर, इंग्लिश ऑनर्स बीए से अधिक पॉप्युलर

एंट्रेंस एग्जाम
यह सिस्टम वोकेशनल कोर्सेज जैसे ही मास कम्यूनिकेशन, जर्नलिजम या फिर मैनेजमेंट कोर्सेज पर लागू होता है। इसमें एंट्रेस एग्जाम के लिए अलग से फॉर्म भरना पड़ता है। एंट्रेस एग्जाम क्लियर करने के बाद कट-ऑफ के आधार पर कॉलेज चुना जाता है।

स्पोर्ट्स कोटा

जो छात्र राज्य या राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी होते हैं उन्हें स्पोर्ट्स कोटा के तहत बिना किसी मेरिट या एंट्रेंस टेस्ट के कॉलेज में आसानी से ऐडमिशन मिल जाता है। इसके लिए आपके पास राज्य या फिर राष्ट्रीय स्तर का सर्टिफिकेट होना चाहिए।

वहीं बता दें कि इस साल डीयू के एंट्रेस एग्जाम पहले 22 जून से 1 जुलाई के बीच होने वाले थे, लेकिन अब ये 30 जून से शुरू होंगे। ऐडमिशन कमिटी के मुताबिक, पूरा शेड्यूल जल्द ही जारी कर दिया जाएगा। गुरुवार यानी 6 जून तक डीयू में 2 लाख 40 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स यूजी प्रोग्राम के लिए रजिस्टर कर चुके थे। वहीं, 1 लाख 37 हजार लोगों ने फीस जमाकर कर प्रोसेस पूरी कर ली थी।

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प्लैनेट कैंपस सेमिनार: 'ग्रैजुएशन उस कोर्स में करें जिस फील्ड में आप आगे बढ़ना चाहते हैं'

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नई दिल्ली
'कॉलेज नहीं, दिलचस्पी देखिए और कोर्स चुनिए', दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज में हुए एनबीटी प्लैनेट कैंपस सेमिनार में हर एक्सपर्ट ने स्टूडेंट्स को यही सलाह दी। इस हाउसफुल सेमिनार में कई एक्सपर्ट्स ने स्टूडेंट्स को डीयू यूनिवर्सिटी के हर ऑप्शन की जानकारी दी। शुक्रवार को हुए इस सेमिनार में बतौर स्पीकर हंसराज कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. रमा, डीयू के ओएसएडी-ऐडमिशंस डॉ. सुकांत दत्ता और डीयू से ही ऐकडेमिक काउंसलिंग के मेंबर डॉ. रसाल सिंह मौजूद थे। इनके अलावा बतौर स्पीकर करियर काउसंलर परवीन मल्होत्रा पहुंचीं।

डॉ. रमा ने स्टूडेंट्स को बताया कि यह भी ध्यान रहे कि अगर डीयू में कटऑफ में नंबर ना आए, तो सिर्फ डीयू ही ऑप्शन नहीं है, आपके सामने कई यूनिवर्सिटी हैं। उन्होंने कहा, डीयू का फॉर्म भरने से सबसे पहले इन्फर्मेशन बुलेटिन आराम से पढ़ें और फिर इत्मिनान से फॉर्म भरें। डॉ. सुकांत दत्ता ने बताया कि इस बार स्टूडेंट्स को ऐडमिशन कैंसल करने का मौका कम मिलेगा, इसलिए सोच समझ कर ऐडमिशन लें। जितनी कटऑफ लिस्ट होंगी, उनसे एक कम बार ही ऐडमिशन कैंसल किया जा सकता है यानी अगर 5 लिस्ट हैं, तो 4 बार ही कैंसिलेशन होगा। कैंसिलेशन की फीस भी 1,000 रुपये है। डॉ. रसाल सिंह ने स्टूडेंट्स को इकनॉमिकली वीकर सेक्शन कोटा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अगर सर्टिफिकेट नहीं बना है तो आप अपनी ऐप्लिकेशन की रसीद का नंबर फॉर्म में लिख सकते हैं। उन्हें सेमिनार के खत्म होने के बाद भी स्टूडेंट्स ने घेरे रखा।

परवीन मल्होत्रा ने स्टूडेंट्स को बताया कि जिन कुछ करियर को लेकर आप टेंशन में लेते हैं, उनमें से 70% में तो 5-6 साल बाद स्कोप ही नहीं रहेगा। ऑटोमेशन और आर्टिफिशल एज में जॉब इंडस्ट्री बदलेगी और कुछ ही सालों में 60% करियर नए होंगे इसलिए टेंशन ना लें। न्यू एज करियर्स के कई स्कोप आपके सामने होंगे,बस अपना हुनर बढ़ाइए और ग्रैजुएशन उसमें करें, जिस फील्ड में आप आगे बढ़ना चाहते हैं। करियर के लिए आप कितने फिट हैं, यह जरूर देखें। परवीन ने स्टूडेंट्स के सवालों का सेशन खत्म होने के बाद भी ठहरकर जवाब दिया, स्टूडेंट्स की कई परेशानियों का हल निकाला। सभी एक्सपर्ट्स ने कहा कि कोर्स पर फोकस रखिए, क्योंकि कॉलेज को स्टूडेंट्स ही बढ़िया बनाते हैं और आपको खुद ही पढ़ाई करनी है।

सेमिनार के 5 टॉप सवाल
सवाल: अगर पहली कटऑफ में पॉलिटिकल साइंस में मेरा ऐडमिशन नहीं होता है तो क्या मुझे किसी दूसरे कोर्स में ऐडमिशन लेना चाहिए?
जवाब: नहीं, दूसरी कटऑफ का इंतजार करें। हो सकता है तीसरी, चौथी लिस्ट में भी आपको कहीं ना कहीं चांस मिल जाए। अगर 12वीं का स्कोर कम है तभी इसके बारे में सोचें, वो भी तब जब आपकी दिलचस्पी उस कोर्स में हो। वरना या तो बीए में पॉलिटिकल साइंस के साथ ऐडमिशन ले लें या किसी और यूनिवर्सिटी या ओपन स्कूल में कोशिश करें।

सवाल: म्यूजिक में दिलचस्पी है तो क्या बीए म्यूजिक ऑनर्स करूं या बीएससी?
जवाब: अगर आप म्यूजिक में ही करियर बनाना चाहते हैं तो बीए म्यूजिक ऑनर्स। वरना बीएससी में ऐडमिशन ले कर किसी प्राइवेट इंस्टिट्यूट से म्यूजिक में कोई छोटा कोर्स कर सकते हैं, सीख सकते हैं।

सवाल: मुझे बीकॉम ऑनर्स में ऐडमिशन लेना चाहिए या फ्रेंच ऑनर्स में?
जवाब: लैंग्वेज में अलग से कोई करियर ऑप्शन इस वक्त इंडस्ट्री में ज्यादा नहीं हैं। आप बीकॉम ऑनर्स के साथ साथ अलायंस फ्रांसेज से फ्रेंच में कोर्स कर सकते हैं।

सवाल: इकनॉमिक्स ऑनर्स करूं या बीएमएस?
जवाब: यह निर्भर करता है कि क्या आप क्या ग्रैजुएशन के बाद ही जॉब इंडस्ट्री में जाना चाहते हैं? अगर हां, तो बीएमएस करें। बीएमएस आपको प्रफेशनल फील्ड में तो इकनॉमिक्स ऑनर्स आपको फाइनैंस की दुनिया में ले जाएगा। दोनों बढ़िया कोर्स है।

सवाल: मैं सीबीएसई बोर्ड से हूं और मेरा 12वीं का री-इवैल्यूशन का रिजल्ट नहीं आया है तो क्या करूं?
जवाब: आप जैसे ही अपना रोल नंबर फॉर्म में डालेंगी तो आपके नंबर खुद भर जाएंगे। इसके नीचे एक ऑप्शन मिलेगा जिसमें री-इवैल्यूशन का जिक्र है। आप इसे टिक करें, कोई दिक्कत नहीं आएगी।

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क्या कामयाबी की राह में रोड़ा बन रहा है सोशल मीडिया?

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आज के टाइम में यंगस्टर्स के सबसे फेवरिट टाइमपास की अगर बात करें, तो वह निश्चित रूप से सोशल मीडिया ही होगा। यही वजह है कि आजकल शायद ही ऐसा कोई यंग स्टूडेंट होगा, जिसके पास अपना स्मार्टफोन ना हो और उसमें फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप और टिक टॉक जैसे सोशल मीडिया ऐप ना हों। यह तो हुई आम यंगस्टर्स की बात, लेकिन बात अगर टॉपर्स की करें, तो उनकी राय इस मामले में थोड़ा हटकर है। हाल ही में आए नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट (नीट) के तमाम टॉपर्स के यूं तो अपने-अपने सक्सेस के फंडे हैं, लेकिन कईं नीट टॉपर्स ने अपनी सफलता में खुद सोशल मीडिया से दूर रहने को भी एक महत्वपूर्ण वजह बताया है। वहीं पैरंट्स भी अपने बच्चों के सोशल मीडिया पर ज्यादा टाइम बिताने से परेशान हैं। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे अपने बच्चे के मोबाइल फोन पर काफी समय बिताने से परेशान हाउसवाइफ सुनीता कहती हैं, 'मेरा बेटा पढ़ाई में अच्छा है, लेकिन आजकल वह मोबाइल पर सोशल मीडिया में डूबा रहता है। प्रतियोगी परीक्षा में कामयाबी हासिल करने के लिए उसे पढ़ाई पर पूरा फोकस करने की जरूरत है। मैं अपने बेटे को लेकर बेहद चिंतित हूं कि सोशल मीडिया पर इतना टाइम देने के बाद वह कामयाबी कैसे हासिल कर पाएगा।'

सोशल मीडिया से दूर रह मिली सक्सेस
नीट एग्जाम में सफलता हासिल करने वाले टॉपर्स न सिर्फ सोशल मीडिया से दूर रहे, बल्कि कई का तो यह भी कहना है कि उनके पास अपना स्मार्टफोन भी नहीं है। मसलन नीट में नंबर वन रैंक हासिल करने वाले जयपुर के नलिन खंडेलवाल ने कहा कि सफलता की चाहत में वह सोशल मीडिया से दूर रहा करते थे और रोजाना आठ घंटे पढ़ाई करते थे। यहां तक की उनके पास अपना स्मार्टफोन भी नहीं है। वहीं नीट में पांचवीं रैंक हासिल करने वाले मेरठ के अनंत जैन का भी कुछ यही फंडा है। स्कूल की पढ़ाई के साथ मेडिकल की तैयारी करने वाले अनंत ने अपनी सफलता को सुनिश्चित करने के लिए मोबाइल और टीवी से दूरी बनाए रखी। वहीं नीट में आठवीं रैंक हासिल करने वाले लखनऊ के ध्रुव कुशवाहा ने भी अपनी सफलता का राज सोशल मीडिया से दूर रहकर पढ़ाई पर फोकस करने को दिया।

फायदेमंद भी हो सकता है सोशल मीडिया
अपनी यूपीएससी की तैयारी के दौरान मैं सोशल मीडिया पर लगातार ऐक्टिव था, लेकिन सिर्फ लिमिटेड प्लेटफॉर्म पर ही। लगातार पढ़ाई के बाद जब मैं शॉर्ट ब्रेक लेता था, तो उस दौरान फेसबुक या वॉट्सऐप देख लिया करता था। मैं कोई फनी विडियो देखता था या फिर देख लिया करता था कि मेरे फ्रेंड्स क्या कर रहे हैं। हालांकि यह सब मैं 10-15 मिनट के लिए ही करता था। इस तरह से सोशल मीडिया मेरे लिए रिफ्रेशर का काम करता था। हालांकि मैं अपनी पढ़ाई और सोशल मीडिया में बैलेंस बनाने में कामयाब रहा। लेकिन अगर किसी स्टूडेंट को लगता है कि सोशल मीडिया उसकी पढ़ाई को नुकसान पहुंचा रहा है, तो उसे अवॉइड करना चाहिए। वरना अगर आप सोशल मीडिया को सही तरीके से मैनेज कर पाएं, तो यह आपकी पढ़ाई में फायदेमंद ही साबित होगा।-अक्षत जैन, यूपीएससी टॉपर

दुधारी तलवार है सोशल मीडिया
सोशल मीडिया महज एक टूल है, जो कि अपने आप में बुरा नहीं है। दरअसल, यह एक दुधारी तलवार की तरह है। अगर आप सोशल मीडिया का सही उपयोग नहीं करेंगे, तो इसमें आपका टाइम वेस्ट होगा। वहीं यह बेहतर तैयारी में भी आपकी मदद कर सकता है। अपनी यूपीएससी की तैयारी के दौरान मैंने फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट को डिएक्टिवेट कर दिया था। मुझे लगा था कि इनका फायदे की बजाय नुकसान ज्यादा होगा। लेकिन दूसरी ओर मैंने यूट्यूब, वॉटसऐप और टेलिग्राम को अपने फोन में रखा, क्योंकि इन पर बने कुछ पढ़ाई से जुड़े ग्रुप्स से मुझे तैयारी में मदद मिली। हालांकि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते वक्त गलत और सही के बीच के बैलेंस को बनाए रखना बेहद मुश्किल है।-श्रेयांस कुमट, यूपीएससी टॉपर

समझदारी से करें सोशल मीडिया का इस्तेमाल
अपनी यूपीएससी की तैयारी के दौरान मैंने इस माध्यम का अत्यधिक सीमित प्रयोग किया। वॉट्सऐप, टि्वटर और इंस्टाग्राम का तो मैं कतई प्रयोग नहीं करता था, केवल अपने ग्रुप के दोस्तों से जुड़ने के लिए फेसबुक पर कभी-कभी ऐक्टिव रहता था। हालांकि परीक्षा के दौरान तो वह भी बंद ही रखता था। मेरा मानना है कि अगर यह माध्यम आपकी तैयारी में मददगार साबित नहीं हो रहा है, तो इससे यथासंभव बचा जाए। हालांकि समान लक्ष्य वाले लोग अगर इसकी सहायता से जुड़ पाएं और सकारात्मक उपयोग हो, तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता है। बेहतर होगा कि अगर हम अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए इस तकनीक का प्रयोग करें, जो अपने आप में न तो बुरी है न ही अच्छी, दरअसल, इसको इस्तेमाल करने का तरीका ही इसे अच्छा-बुरा बनाता है।-गंगा सिंह, यूपीएससी टॉपर

सोशल मीडिया का करें सीमित प्रयोग
यूं तो सोशल मीडिया का सीमित उपयोग अच्छी बात है, लेकिन किसी परीक्षा की तैयारी के दिनों में इनका प्रयोग न करना या बहुत ही सीमित करना ही ठीक रहता है। परीक्षा के दिनों में समय प्रबंधन को सोशल मीडिया बिगाड़ सकता है। हालांकि पिछले 4-5 वर्षों में सरकार के बहुत सारे मंत्रालय और आयोग इत्यादि सोशल मीडिया में ऑफिशल अकाउंट्स के जरिए काफी एक्टिव हैं, जिनसे यूपीएससी की तैयारी करने वाले परीक्षार्थियों को भी उपयोगी जानकारी मिलती है। लेकिन हम सोशल मीडिया पर सिर्फ वहीं तक सीमित रहे और दूसरी जगह समय खराब न करें, ऐसा करना बेहद मुश्किल है। इसलिए परीक्षाओं की तैयारी के दौरान सोशल मीडिया से दूर रहना ही बेहतर है और अगर उपयोग करना ही है, तो बेहद महत्वपूर्ण जानकारी के लिए ही करें। -देव चौधरी, यूपीएससी टॉपर

आपका मददगार भी है सोशल मीडिया
सोशल मीडिया का अगर आप समझदारी से इस्तेमाल करें, तो यह परीक्षा की तैयारी में आपका मददगार भी हो सकता है। अपनी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान यूं तो मेरा सारा फोकस पढ़ाई पर ही रहता था। लेकिन पढ़ाई से ब्रेक लेने के दौरान मैं फेसबुक और वॉट्सऐप पर भी नजर मार लिया करता था। इससे मुझे अपने दोस्तों से जुड़ने में मदद मिलती थी और मैं थोड़ा रिफ्रेश हो जाता था। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, तो सोशल मीडिया आपके लिए बेहद मददगार भी हो सकता है। बेशर्ते की आप उसका सही इस्तेमाल करें। आजकल आपको फेसबुक पर यूपीएससी की तैयारी से जुड़े ग्रुप्स और यूट्यूब पर जानकारों के विडियोज से भी परीक्षा से जुड़ी काफी जानकारियां मिल सकती हैं, जो कि आपके लिए मददगार हो सकती है। -निशांत जैन, यूपीएससी टॉपर

'दिन में आधा घंटा बहुत है'
एजुकेशनल अपलिफ्टमेंट काउंसलर डॉ. प्रकृति पोद्दार बताती हैं कि एक दिन में आधा घंटा किसी बच्चे के सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहने के लिए पर्याप्त है। वह कहती हैं, 'आजकल बच्चे सोशल मीडिया पर कुछ ज्यादा ही वक्त बिताते हैं, जो उनके विकास में बाधक है। आजकल तो बच्चे होमवर्क करते हुए भी मोबाइल पर लगे रहते हैं। एग्जाम देने वाले बच्चों के लिए तो यह सबसे बड़ा डिस्ट्रैक्शन है। अगर कोई टॉपर इसे चला भी रहा है, तो उन्होंने भी इसे बहुत सीमित ही इस्तेमाल किया होगा, न कि पूरा-पूरा दिन इस पर लगे रहे होंगे।' वह आगे कहती हैं, 'वीकडेज में बच्चों को आधे घंटे से ज्यादा मोबाइल वगैरह नहीं इस्तेमाल करना चाहिए। वीकेंड्स पर यह समय बढ़कर एक घंटा हो सकता है।' बकौल डॉ. प्रकृति, सोशल मीडिया को पूरी तरह बंद करना सही नहीं होगा, क्योंकि इसके लिए आपको उन्हें हर वक्त मॉनिटर करना होगा, जो कि आसान नहीं है।'

'आपके ऊपर निर्भर है फायदा-नुकसान'
प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार इस बारे में कहते हैं, 'सोशल मीडिया बाधा बन रहा है या नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि आपको जानकारी किस तरह की चाहिए। अगर आप यूपीएससी एस्पिरेंट हैं, तो जिस तरह देश-दुनिया से अपडेट रहने की जरूरत होती है, उसमें सोशल मीडिया मदद कर सकता है। लेकिन जब मेडिकल एग्जाम की बात आती है, तो उसकी पढ़ाई में सोशल मीडिया पर मदद नहीं मिल सकती। ये सोशल मीडिया के अलग-अलग लेयर्स हैं। लेकिन जिस तरह आज स्टूडेंट्स के पास मोबाइल है, वह दोधारी तलवार की तरह है। इसमें क्या होता है कि बच्चों को इस पर अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं है। वह तो बस इस दुनिया में जीना चाहते हैं और सही-गलत जो जानकारी मिलती है, उसे ही सच मान लेते हैं, उसे ही एक दुनिया मान लेते हैं। अगर हम सामान्य छात्र की बात करें, तो हां सोशल मीडिया बाधा तो बन रहा है।' इस बाधा को कैसे दूर किया जा सकता है? जवाब में आनंद कुमार कहते हैं, 'जरूरत है कि स्कूल इसे गंभीरता से लें और इसके बारे में स्टूडेंट्स को जानकारी दें। जिस तरह हम स्कूल में लिटरेचर पढ़ाते हैं, तो सही गलत के बारे में जानकारी विकसित होती है और हम उसकी अहमियत समझते हैं, उसी तरह हमें सोशल मीडिया को भी स्कूल की पढ़ाई का हिस्सा बनाना चाहिए। सोशल मीडिया को पूरी तरह बंद कर देना सही ऑप्शन नहीं है, क्योंकि इससे बच्चे के देश-दुनिया को देखने-समझने का नजरिया तो व्यापक हो ही रहा है।'

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होटल मैनेजमेंट में खूब है स्कोप, जानें कैसे बनाएं करियर

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सवाल: क्या मैं 12वीं क्लास के बाद ही होटल मैनेजमेंट कर सकती/सकता हूं? यह कितने साल का कोर्स है? क्या ग्रैजुएशन के बाद भी इस फील्ड में जा सकते हैं?
जवाब: आप 12वीं के तुरंत बाद होटल मैनेजमेंट कर सकते हैं। यह 3 से 4 साल का कोर्स है। कुछ जगह वन इयर का कोर्स भी होता है और उसे ग्रैजुएशन के बाद कर सकते हैं।

सवाल: क्या इस फील्ड में जाने के लिए किसी खास स्ट्रीम से 12वीं पास होना जरूरी है?
जवाब: ऐसी कोई पाबंदी नहीं है, आप साइंस या कॉमर्स से पढ़ाई करने के बाद भी यह कोर्स कर सकते हैं। जब आप होटल मैनेजमेंट के कोर्स के एंट्रेंस के लिए बैठते हैं तो यह अलिजिबिलिटी नहीं होती कि साइंस या मैथ्स की पढ़ाई की हो, 12वीं में आए नंबर भी मायने नहीं रखते। कोई नंबर नहीं पूछता, कॉमन एंट्रेस टेस्ट और पर्सनल इंटरव्यू पास करना होता है।

सवाल: होटल मैनेजमेंट के लिए कौन से कॉलेजों या इंस्टिट्यूट बेस्ट हैं? अच्छे सरकारी इंस्टिट्यूट के नाम भी बताएं।
जवाब: गुरुनानक इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कोलकाता, यह बहुत अच्छा है और भोपाल का जेएलयू स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी ऐंड टूरिजम भी काफी अच्छा है।

सवाल: इस फील्ड में जॉब के लिए कहां-कहां स्कोप है?
जवाब: इसके बाद अपना खुद का काम शुरू कर सकते हैं। किसी होटल में जॉब कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर ब्लॉगर या यूट्यूबर बन सकते हैं। कहीं काम करते हुए अनुभव के आधार पर आप इंटरनैशनल ऑर्गेनाइजेशन जॉइन कर सकते हैं। इसके अलावा मीडिया में जाना चाहें तो जा सकते हैं। जैसे बड़े-बड़े शोज होते तो वहां भी शेफ की जरूरत होती है, खाने का शूट होता है, विज्ञापन जगत में जा सकते हैं।

सवाल: मैं कैसे पता करूं कि इस फील्ड के लिए मेरा ऐप्टिट्यूड है कि नहीं?
जवाब: आपकी रुचि और पैरंट्स का सपोर्ट होना जरूरी है। किसी इंस्टिट्यूट के बारे में पता करना भी आसान है, इंटरनेट पर देख लें। और यह ऐसी ट्रेड नहीं है जहां पर आपको बहुत सारी चीजें याद करके इंटरव्यू में बोलनी हैं। किसी भी अन्य कोर्स की तुलना में इसमें जाना आसान होता है। तो किसी भी अन्य कोर्स में दाखिले के मुकाबले मैं लोगों को होटल मैनेजमेंट करने के लिए सलाह देता हूं।

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डीयू: ऐडमिशन से जुड़ी सारी कन्फ्यूजन दूर करें

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नई दिल्ली
दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिलों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है। छात्रों की कोर्स, करियर और विषय आदि से जुड़ी कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए हम एक सीरीज चला रहे हैं। इस सीरीज के तहत छात्रों के सवालों का डीयू के एक्सपर्ट जवाब देते हैं। आज इसी कड़ी में अरबिंदो कॉलेज के प्रिंसिपल विपिन अग्रवाल छात्रों के कन्फ्यूज को दूर कर रहे हैं...

अगर आपके मार्क्स 80 फीसदी से ऊपर हैं तो वॉट्सऐप नंबर 8287458706 पर सवाल पूछें

सवाल: दो साल का टीचिंग डिप्लोमा करने के बाद, कॉमर्स फील्ड में कौन सा प्रोफेशनल कोर्स करना अच्छा रहेगा?
अनुपम
जवाब: टीचिंग में डिप्लोमा करने के बाद अपनी रुचि के मुताबिक ही कोर्स करें।

सवाल: फैशन और मॉडलिंग में करियर बनाने के लिए, कौन सा कोर्स करना चाहिए?
रिया
जवाब: फैशन टेक्नॉलजी का कोर्स कर सकते हैं।

सवाल: सिविल सर्विसेज में जाना है, रेगुलर कॉलेज में ऐडमिशन लूं या SOL में?
रोहित
जवाब: सिविल सर्विसेज की तैयारी के साथ रेगुलर कोर्स करना बेहतर होगा।

सवाल: क्या EWS में इनकम सर्टिफिकेट जरूरी है?
जवाब: इनकम सर्टिफिकेट के क्राइटेरिया को फॉलो करें।

मार्क्स 60-90 फीसदी के बीच हैं तो 8287418908 पर सवाल पूछें

सवाल: क्या हम वेस्ट 4 में वोकल संगीत को ऐड कर सकते हैं?
दीपक
जवाब: वोकल संगीत को एऐड कर सकते हैं, लेकिन 2.5% मार्क्स कम हो जाएंगे।

सवाल: क्या बीए ऑनर्स फ्रेंच के लिए 12वीं में फ्रेंच का होना जरूरी है?
पूजा
जवाब: 12वीं में फ्रेंच होना जरूरी नहीं है।

सवाल: क्या डीयू फरेंसिक कोर्स करवाता है?
राज
जवाब: फरेंसिक कोर्स नहीं होता है, लेकिन आप आईपी यूनिवर्सिटी से ये कोर्स कर सकते हैं।

सवाल: ओबीसी सर्टिफिकेट ऑउ्ट ऑफ दिल्‍ली का है तो कोई परेशानी तो नहीं होगी ?
जवाब: कोई परेशानी नहीं होगी।

मार्क्स 60 फीसदी से नीचे हैं तो 8287424361 पर सवाल पूछें

सवाल: ओबीसी कैटेगरी से 12वीं में 47% मार्क्स के बाद क्या डीयू में एंट्रेंस के लिए अप्लाई कर सकते हैं?
समर
जवाब: 47% मार्क्स के साथ आप योग्य नहीं है।

सवाल: बीकॉम में 52% मार्क्स के साथ अकाउंटिंग या बैंकिंग में करियर कैसे बनाएं?
पायल
जवाब: अकाउंटिंग या बैंकिंग के कुछ स्पेशल कोर्स होते हैं।

सवाल: राजस्थान यूनिवर्सिटी में कॉरेस्पॉन्डेंस से बीसीए और डीयू से बीए रेगुलर दोनों एक साथ कर सकते हैं?
आदिल
जवाब: एक साथ दो डिग्री कोर्स नहीं कर सकते।

सवाल: रजिस्ट्रेशन कराने के बाद EWS सर्टिफिकेट बाद में लगाया जा सकता है?
कोयल
जवाब: रजिस्ट्रेशन के बाद नहीं लगा सकते हैं।

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