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Career Tips: ट्रेवल एंड टूरिज्म में कई करियर ऑप्शन, मिलती है हाई सैलरी

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Travel And Tourism Career Scope: होटल मैनेजमेंट, एविएशन, क्रूज इंडस्ट्री जैसे विभिन्न क्षेत्रों में ट्रेवल और टूरिज्म में करियर की अपार संभावनाएं हैं। ट्रेवल और टूरिज्म इंडस्ट्री में एक प्रोफेशनल को ऐसे स्किल की आवश्यकता होती है जो जल्द ही क्रिएटिव थिंकिंग, इनसाइट्स परफेक्शंस, को बड़े पैमाने पर डेवलप कर सके। वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म काउंसिल (डब्ल्यूटीटीसी) के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का महत्व पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है और आने वाले दशक में इसके और भी अधिक तक पहुंचने की उम्मीद है।

एविएशन (Aviation)
ट्रेवल एंड टूरिज्म में एविएशन सबसे पॉपुलर जॉब में से एक है क्योंकि यह दुनिया भर में काम करने और ट्रेवल करने के कई अवसर देता है। एयर ट्रांसपोर्ट लाखों लोगों को सोशल ट्रेड्स में रोजगार देता है और यह टूरिज्म इंडस्ट्री को भी बढ़ाता है, जो कुछ पॉपुलर ट्रेवल डेस्टिनेशन को बूस्ट करने में एक प्राइम इकॉनामिक्स डिटरमिनेशन है। भारत में एविएशन इंडस्ट्री दक्षिण एशिया में एयरलाइन ट्रैफिक के कुल शेयरों का लगभग 69% हिस्सा रखता है। इस फील्ड में टिकट देने वाले कर्मचारियों से लेकर ग्राउंड क्रू तक कई अवसर हैं।
एवरेज सैलरी- 2-4 लाख

ट्रेवल एजेंट (Travel Agent)
यह ट्रेवल और टूरिज्म में सबसे पॉपुलर जॉब में से एक है। इसमें ट्रेवलर्स के जर्नी प्रोग्राम बनाने के लिए ट्रेवल एजेंट के पास बेहतर मैनेजमेंट और बजट स्किल की आवश्यकता होती है। ट्रेवल एजेंट पर्यटकों के लिए बेस्ट ट्रिप खोजने के लिए बजट और टूर पैकेज प्लान बनाते हैं। वे रिसॉर्ट्स की बुकिंग और अपने कस्टमर्स के लिए कस्टमाइज वेकेशन पैकेज बनाने के लिए रिस्पांसिबल होते हैं। स्मार्ट बजटिंग और टाइम मैनेजमेंट स्किल के साथ दुनिया भर में ट्रेवल डेस्टिनेशन का नॉलेज आपको एक ट्रेवल एजेंट बनने के लिए जरूरी है।
एवरेज सैलरी- 2.9 लाख
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टूर गाइड (Tour Guide)
नई जगहों को एक्सप्लोर करने के जुनून के साथ कहानी कहने की कला एक टूर गाइड को औरों से अलग करता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, एक टूर गाइड विभिन्न टूरिज्म डेस्टिनेशन से टूरिस्टों को नेविगेट करने और उन्हें हर टूरिज्म अट्रैक्शन की हिस्ट्री और रिलेवेंस के बारे में बताता है। टूर गाइड की नौकरी के लिए आपको विभिन्न टूरिस्ट प्लेसेज के इतिहास को दिलचस्प रूप से प्रस्तुत करना होगा। टूर गाइड पर्यटन स्थलों की ट्रेडिशन और हेरिटेज को बनाए रखते हैं और सोशल कस्टम-कल्चर का विस्तार से वर्णन करते हैं। ट्रेवल और टूरिज्म टूर गाइड एक अट्रैक्टिव जॉब में से एक माना जाता है, यह करियर आपको नई भाषाओं, संस्कृतियों और एक्सपीरियंस के मौके देता है।
एवरेज सैलरी- 2.9 लाख

एक्जीक्यूटिव शेफ (Executive Chef)
एक्जीक्यूटिव शेफ किचन कर्मियों की देखरेख करते हैं और एक रेस्तरां के लिए एडमिनिस्ट्रेटिव डिसिजन लेते हैं। एक अंतरराष्ट्रीय शेफ के रूप में काम करते हुए, आप दुनिया भर में यात्रा कर सकते हैं और दुनिया भर में अनगिनत व्यंजनों की खोज भी कर सकते हैं। ट्रेवल और टूरिज्म में अत्यधिक क्रिएटिव और डिमांड वाली नौकरियों में से एक के रूप में, एक एक्जीक्यूटिव शेफ को नए व्यंजन बनाने के लिए एक एक्सपेरिमेंटल माइंड और अट्रैक्टिव रूप से पेश करने के लिए एक आर्टिस्टिक आई की जरूरत होती है।
एवरेज सैलरी- 5-8.2 लाख
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क्रूज शिप डायरेक्टर (cruise Ship Director)
एक क्रूज डायरेक्टर क्रूज का एडमिनिस्ट्रेटर होता है जो क्रूज पर इंटरटेनमेंट, लीजर और कल्चरल ईवेंट्स के लिए रिस्पांसिबल होता है। वह कॉर्पोरेट के प्राइमरी फेस के रूप में काम करता है। क्रूज डायरेक्टर अक्सर पब्लिक डिक्लेरेशन देते नजर आते हैं।
एवरेज सैलरी- 10 लाख

पीआर मैनेजर (PR Manager)
एक पीआर मैनेजर पूरे ब्रांड की छवि और प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए विशिष्ट रणनीतियों की योजना बनाते हैं। इन योजनाओं को लागू करने के साथ-साथ ब्रांड टोन स्थापित करने, कंपनी की प्रतिष्ठा को मैनेज करने और डेवलप करने में मदद करते हैं। वे कंपनी के प्रवक्ता के रूप में भी काम करते हैं। इन्हें अपने ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर में ट्रेवल करने के कई मौके मिलते हैं। जनसंपर्क में एक सफल कैरियर बनाने के लिए आपको मार्केटिंग, मीडिया रीलेशंस, सोशल मीडिया, ब्रांड मैनेजमेंट आदि सहित विभिन्न फील्ड में स्पेशलाइजेशन की आवश्यकता होती है।
एवरेज सैलरी- 5-10 लाख

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Jobs For Women: महिलाओं के लिए बेस्ट मानी जाती हैं ये जॉब्स, जानें पूरी डीटेल

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Job Opportunities For Women: मॉर्डन टेक्नोलॉजी के आने के साथ-साथ प्रोपर एजुकेशन और कम्युनिकेशन ने हर महिला को अपनी आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करने के लिए काफी स्पेस दिया है, जैसा पहले कभी नहीं था। इसलिए, यदि आप उन महिलाओं में से एक हैं जो अपने सपने को पूरा करना चाहती हैं और अगली कॉर्पोरेट लीडर बनने की इच्छा रखती हैं, तो आपके लिए ऐसा करने का मौका है।

एयर होस्टेस के रूप में करियर
यह एक ग्लैमर से भरा करियर ऑप्शन है, जो भारतीय महिलाओं के बीच बहुत ही ज्यादा पॉपुलर है। यदि आप दूसरों से बात करना पसंद करते हैं और एक आकर्षक व्यक्तित्व के साथ-साथ अच्छा कम्युनिकेशन स्किल हैं, तो यह पेशा आपके लिए ही बना है। एक एयर होस्टेस होने के नाते, आप विभिन्न स्थानों और देशों की यात्रा करने, होटलों में रहने का आनंद लेने और हर दिन नए लोगों से बात करने, मिलने का एक्सपीरिएंस लेंगे। इस पेशे में काम करने के लिए 100% कमिटमेंट, डेडिकेशन और साहस के साथ कड़ी मेहनत जरूरी है।

जरूरी योग्यता
भारत में कई संस्थान हैं जो उम्मीदवारों को डिप्लोमा और शॉर्ट-टर्म कोर्स और ट्रेनिंग प्रदान करते हैं। एयर होस्टेस ट्रेनिंग के लिए एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस जैसे एयर सर्विस करियर्स 19 से 25 वर्ष की आयु की युवा लड़कियों को 157.5 सेमी की न्यूनतम ऊंचाई के साथ भर्ती करते हैं। अधिकांश संस्थानों में, आवश्यक बुनियादी शैक्षणिक योग्यता 12 वीं पास है। हालांकि कुछ संस्थान ग्रेजुएशन की डिग्री भी मांगते हैं। आकर्षक और विनम्र व्यक्तित्व वाली स्मार्ट और आत्मविश्वासी लड़कियां एयर होस्टेस के प्रोफेशन से जुड़ती हैं। इन गुणों के साथ-साथ इस पेशे में बेहतर कम्युनिकेशन स्किल की भी मांग है।

एजुकेशनल इंस्टीट़्यूट
भारत में कई शैक्षणिक संस्थान हैं जो एयर होस्टेस प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।
  • वाईएमसीए, नई दिल्ली
  • स्काईलाइन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, हौज खास, दिल्ली
  • फ्रैंकफिन इंस्टीट्यूट ऑफ एयर होस्टेस ट्रेनिंग, नई दिल्ली

रोजगार की संभावनाएं: एयर होस्टेस की सफल ट्रेनिंग के बाद, कैंडिडेट पब्लिक और प्राइवेट एयरलाइंस जैसे एयर इंडिया, इंडिगो, ब्रिटिश एयरवेज आदि में नौकरी पा सकते हैं।
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एडवर्टिजमेंट में करियर
एडवर्टिजमेंट प्रोफेशन ग्लैमरस फील्ड के रूप उभरा है, जो एक तरफ ढेर सारी मस्ती और रचनात्मकता की गारंटी देता है और दूसरी तरफ प्रसिद्धि और पहचान की गारंटी भी देता है। इस पेशे में आपको अपने आस-पास क्या हो रहा है, इसके बारे में जागरूकता पैदा करने में सक्षम होना चाहिए और फिर आकर्षक विज्ञापनों के साथ टारगेट ऑडिएंस को शामिल करना चाहिए। एडवरटाइजिंग करियर में ऑल राउंड क्रिएटिविटी, यूजर बिहेवियर की समझ और ब्रांडिंग स्किल की आवश्यकता होती है।

योग्यता: स्नातक स्तर पर एडवर्टिजमेंट कोर्स में शामिल होने के लिए योग्यता मानदंड 12 वीं पास है और पीजी स्तर के लिए, आपको किसी भी विषय में स्नातक होना आवश्यक है। ऐसे कई संस्थान हैं जो स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर एडवर्टिजमेंट कोर्स कराते हैं। एडवर्टिजमेंट में करियर शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका एडवर्टिजमेंट एजेंसी से जुड़ना है। अपने जुनून और कौशल के आधार पर, आप किसी भी एडवर्टिजमेंट एजेंसी के क्रिएटिव या मैनेजमेंट डिपार्टमेंट में शामिल हो सकते हैं। एडवर्टिजमेंट में सफल करियर बनाने के लिए, आपको धैर्यवान और शांत स्वभाव के साथ-साथ बहुत अच्छे कल्पनाशील और विज़ुअलाइजेशन स्किल की जरूरत होती है। आपके पास इस फील्ड में दबाव और लिमिटेड टाइम पीरिएड में काम करने की क्षमता भी होनी चाहिए।

एजुकेशनल इंस्टीट़्यूट
  • भारतीय विद्या भवन, (मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, दिल्ली)
  • सेंटर फॉर मास मीडिया, वाईएमसीए, नई दिल्ली
  • भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी), नई दिल्ली
  • केसी कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट, मुंबई
  • मुद्रा संचार संस्थान, अहमदाबाद। (एमआईसीए)
  • नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, मुंबई
  • सेंट जेवियर्स कॉलेज ऑफ कम्युनिकेशंस, मुंबई

रोजगार की संभावनाएं: एडवर्टिजमेंट की पढ़ाई पूरी करने के बाद आप विज्ञापन एजेंसियों, रेडियो चैनलों, मीडिया हाउस, ई-कॉमर्स स्टोर, एफएमसीजी कंपनियों और पीआर एजेंसियों में नौकरी पा सकते हैं। प्रोडक्ट एडवर्टिजमेंट और ब्रांडिंग के मामले में एडवर्टिजमेंट की लोकप्रियता रोजाना बढ़ती जा रही है और ऑर्गनाइजेशन लगातार क्लाइंट सर्विसिंग, अकाउंट मैनेजमेंट, पब्लिक रिलेशन, सेल्स प्रमोशन, आर्ट डायरेक्शन और कॉपी राइटिंग के क्षेत्र से प्रोफेश्नल्स की तलाश कर रहे हैं।
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फैशन डिजाइनिंग में करियर
इकोनॉमिक डेवपमेंट और मॉर्डन वैल्यूज में वृद्धि ने हमारी जीवन शैली को प्रभावित किया है। आज हर कोई अपारेल, फूड, ट्रैवल, एजुकेशन और रिलेशनशिप के मामले में एक सोफिस्टिकेटेड लाइफ स्टाइल अपनाना चाहता है। इसी ट्रेंड को देखते हुए पिछले कुछ समय से फैशन डिजाइनिंग सबसे हॉट करियर ऑप्शन के रूप में उभरा है। दुनिया का हर दूसरा व्यक्ति ग्लैमरस और आकर्षक तरीके से कपड़े पहनना चाहता है और इस वजह से फैशन डिजाइनर अब भारी डिमांड में हैं।

योग्यता: किसी प्रतिष्ठित संस्थान से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के लिए बेसिक एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया 12वीं पास है। 10+2 के बाद आप दो तरह के कोर्स कर सकते हैं और वे हैं फैशन टेक्नोलॉजी में बैचलर्स और फैशन डिजाइनिंग में बैचलर्स। अपनी रुचि के क्षेत्र के आधार पर, आप इन कोर्स को आगे बढ़ा सकते हैं। इन कोर्स की समय अवधि 4 वर्ष है। इस पेशे में शामिल होने के लिए आपको अत्यधिक कल्पनाशील होना चाहिए और बेहतरीन मास्टरपीस तैयार करने के लिए फैब्रिक, कलर और स्टाइल के सम्मिश्रण के लिए एक आर्टिस्टिक व्यू होनी चाहिए।

एजुकेशनल इंस्टीट़्यूट
  • सीईपीजेड इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, मुंबई
  • जे डी इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (विभिन्न शहर)
  • राष्ट्रीय फैशन डिजाइन संस्थान, कलकत्ता
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैश्न टेक्नोलॉजी नई दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, बंगलौर, हैदराबाद और गांधीनगर
  • पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन, नई दिल्ली
  • सोफिया पॉलिटेक्निक, मुंबई

रोजगार की संभावनाएं: यदि आप क्रिएटिव हैं और फैशन की अच्छी समझ रखते हैं, तो इस पेशे में आपके पास करने के लिए बहुत कुछ है। एक कुशल और प्रतिभाशाली फैशन डिजाइनर एक स्टाइलिस्ट या डिजाइनर के रूप में अपारेल कंपनियों, एक्सपोर्ट हाउसेज और रॉ मटेरियल्स इंडस्ट्रीज में नौकरी पा सकता है। इस पेशे की सबसे अच्छी बात यह है कि आप कुछ वर्षों का कार्य अनुभव प्राप्त करने के बाद अपना खुद का फैशन बुटीक खोल सकते हैं। फैशन डिजाइनिंग ग्रेजुएट के लिए विजुअल मर्चेंडाइजिंग, कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग और फैशन राइटिंग अन्य करियर विकल्प हैं।

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Career In Food Technology: क्या है फूड टेक्नोलॉजी? जानें कैसे बनाएं करियर और कितनी होगी सैलरी

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How To Start A Career In Food Technology: फूड टेक्नोलॉजी फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में में रॉ मटेरिअल्स को फूड और अन्य रूपों में बदलने के लिए फिजिक्स, कैमिकल या माइक्रोबायोलॉजी टेक्नीक्स और प्रोसेस के ट्रांसॉर्मिंग से संबंधित है। फूड प्रोसेसिंग का मतलब रॉ मटेरिअल्स को फूड प्रोडक्ट्स में बदलना या फूड को अन्य रूपों में ढालना है। बीई/बी. टेक इन फूड टेक्नोलॉजी 4 साल का प्रोग्राम है। फूड टेक्नोलॉजी विभिन्न कैमिकेल प्रोसेस से संबंधित है जो फूड प्रोडक्ट को मार्केट के लिए तैयार करता है। आप बीई/बी.टेक कोर्स पूरा करने के बाद फूड टेक्नोलॉजी में एम.टेक कर सकते हैं।

फूड टेक्नोलॉजी ग्रेजुएट्स के लिए जॉब रोल (Job Roles for Food Technology Graduates)

  • फूड टेक्नोलॉजिस्ट
  • न्यूट्रिशनल थेरेपिस्ट
  • प्रोडक्ट / प्रोसेस डेवलपमेंट साइंटिस्ट
  • क्वालिटी मैनेजर
  • रेगुलेटरी अफेयर्स ऑफिसर
  • साइंटिफिक लेबरोट्री टेक्नीशियन
  • टेक्नीकल ब्रेवर
  • प्रोडक्शन मैनेजर
  • पर्चेजिंग मैनेजर
  • रिसर्च साइंटिस्ट (life sciences)
  • टॉक्सिलॉजिस्ट
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सैलरी: फूड टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग करने के बाद एक फ्रेशर ग्रेजुएट प्रति वर्ष न्यूनतम 3 लाख रुपए कमाता है।

एडमिशन के लिए योग्यता (Eligibility for Admission in Food Technology)
फूड टेक्नोलॉजी में बी.टेक कोर्स करने के लिए एक छात्र के पास 10+2 में फिजिक्स, कैमेस्ट्री और मैथ्स में 50 प्रतिशत अंक होने चाहिए। मास्टर लेवल के कोर्स करने के इच्छुक छात्रों को बी.ई./बी. टेक. फूड साइंस / फूड साइंस और टेक्नोलॉजी / फूड टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट / फूड टेक्नोलॉजी / फूड प्रोसेस इंजीनियरिंग / फूड इंजीनियरिंग / डेयरी इंजीनियरिंग / डेयरी टेक्नोलॉजी / एग्रीकल्चर और फूड इंजीनियरिंग / डेयरी और फूड इंजीनियरिंग में, किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से न्यूनतम कुल स्कोर के साथ 45 - 50% होने चाहिए।

फूड टेक्नोलॉजी में कोर्स (Course in Food Technology)
भारत में फूड टेक्नोलॉजी में दो प्रमुख कोर्स उपलब्ध हैं। ये फूड टेक्नोलॉजी में बी.टेक और फूड टेक्नोलॉजी में एम.टेक हैं।

फूड टेक्नोलॉजी के लिए एंट्रेस एग्जाम (Entrance Exam For Food Technology)
फूड टेक्नोलॉजी में बी.टेक के लिए एंट्रेस एग्जाम
  • CFTRI: सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट एंट्रेस एग्जाम : सीएफटीआरआई, मैसूर द्वारा एमएससी फूड टेक्नोलॉजी में एडमिशन के लिए आयोजित
  • IICPT: इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ क्रॉप प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी एंट्रेंस एग्जाम
  • AIJEE: फूड टेक्नोलॉजी और बायोकैमिकल साइंस में बी.टेक कोर्स में छात्रों को एडमिशन देने के लिए ऑल इंडिया ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम आयोजित की जाती है। कोर्स में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों को जेईई state Joint Entrance Exams या एआईजेईई All India Joint Entrance Exam पास करना होता है।
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भरत में टॉप फूड टेक्नोलॉजी कॉलेज (Top Food Technology Colleges in India)
  • सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट (CFTRI)
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी इंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट (NIFTEM)
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कोर्प प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी (IICPT)
  • नेशनल एग्री-फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (NABI)
  • फूड एंड ड्रग टॉक्सिक्लोजी रिसर्च सेंटर (FDTRC)
  • नेश्नल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन (NIN)
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिक्लोजी रिसर्च (IITR)
  • इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (IARI)
  • डिपार्टमेंट ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, पांडिचेरी यूनिवर्सिटी
  • इंटरनेशनल लाइफ साइंस इंस्टीट्यूट - इंडिया (ILSI)

फूड टेक्नोलॉजी में करियर (Career In Food Technology )
  • ऑर्गेनिक केमिस्ट के रूप में, फूड टेक्नोलॉजिस्ट उन तरीकों पर सलाह देते हैं जिनके द्वारा रॉ मटेरिअल्स को प्रोसेसिंग फूड में परिवर्तित किया जाना है।
  • बायोकेमिस्ट के रूप में, वे फेलेवर, टेक्सचर, स्टोरेज और क्वालिटी में सुधार का सुझाव देते हैं।
  • होम इकोनॉमिस्केट रूप में, वे डायटेटिक्स सांइस और न्यूट्रिशंस एक्सपर्ट बन जाते हैं और वे कंटेनरों पर निर्देशों के अनुसार फूड और रेसिपी का टेस्ट करते हैं।
  • इंजीनियरों के रूप में वे प्रोसेसिंग सिस्टम की प्लानिंग, डिजाइन, इंप्रुविंग और मेंटेनिंग का काम करते हैं।
  • रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में, वे उपज में सुधार, फ्लेवर, न्यूट्रिटिव वैल्यू और पैकेज्ड फूड की जेनरल एक्सेप्बलिटी के संबंध में प्रयोग करते हैं।
  • मैनेजर और अकाउंटेंट के रूप में, वे प्रोसेसिंग वर्क की निगरानी के अलावा एडमिनिस्ट्रेश्न और फाइनांस की सुपरवाइजिंग करते हैं।
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प्राइवेट नौकरी
कई प्राइवेट सेक्टर के ऑरग्नाइजेशन बी.टेक फूड टेक्नोलॉजी में स्नातकों की भर्ती करते हैं। शुरुआत में छह महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण अवधि पूरी करने के बाद उन्हें उच्च ग्रेड में पदोन्नत किया जाता है। ट्रेनिंग के पीरिएड में ही उम्मीदवार 15,000/- प्रति माह तक कमा सकते हैं। ट्रेनिंग के बाद पोस्ट और सैलरी में वृद्धि होती है।

सरकारी नौकरी
बी.टेक फूड टेक्नोलॉजी में स्नातक विभिन्न सरकारी संगठनों, लैब आदि में नौकरी पा सकते हैं। भारतीय खाद्य निगम के तहत काम करने वाली कई फर्में इस क्षेत्र में स्नातकों की भर्ती करती हैं। प्रारंभ में उन्हें प्रशिक्षु के रूप में भर्ती किया जाता है। प्रशिक्षण अवधि में ही वे 20,000/- प्रति माह कमा सकते हैं। ट्रेनिंग पीरियड छह माह की होती है। शुरुआती ट्रेनिंग के बाद उन्हें उनकी क्षमताओं के आधार पर उच्च ग्रेड में पदोन्नत किया जाता है। वेतनमान में भी वृद्धि होती है। ग्रेजुएट्स उन लैब में भी नौकरी के लिए प्रयास कर सकते हैं जहां फूड प्रोडक्ट का क्वालिटी टेस्ट किया जाता है।

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Sports Scholarships: ये हैं भारत की टॉप 7 स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप, जानें कौन-कैसे कर सकता है अप्लाई

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Sports Scholarship 2021 India: स्पोर्ट्स अलग-अलग कल्चर को एक साथ लाते हैं, देशों के बीच की खाई को पाटते हैं। आजकल, एकेडमिक्स में एक्सीलेंस को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि स्पोर्ट्स जैसे एक्स्ट्रा करिकुलर को पीछे छोड़ दिया जाता है। लेकिन, कुछ यूनिवर्सिटी और ऑर्गनाइजेशन स्पोर्ट्स को अत्यधिक महत्व देते हैं ये एक टैलेंटेड खिलाड़ी को स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप के जरिए अपने सपनों को प्रोफेशनल तौर पर आगे बढ़ाने का बेहतर मौका देते हैं। ये छात्रों को एक विशेष स्पोर्टस में अपने टैलेंट को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जो भारत को स्पोर्ट्स के फील्ड में हमारा अगला इमरजिंग पर्सनालिटी भी देता है।

स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (SAI) और नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (NSNIS), पटियाला
स्कॉलरशिप: रु.6600/- प्रति वर्ष

पंजाब के पटियाला में स्थित, नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान भारत सरकार द्वारा स्थापित एशिया के सबसे बड़े खेल संस्थानों में से एक है। यह देश में स्पोर्ट्स को डेवलप करने और लोगों को स्पोर्ट्स से संबंधित विभिन्न विषयों में ट्रेनिंग देने के लक्ष्य के साथ भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की अकादमिक फ्रेंचाइजी है। खेल को बढ़ावा देने और छात्रों को उनके सपनों को पाने में मदद करने के अपने बेहतर उद्देश्य में, संस्थान ने प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप के साथ सम्मानित करने की एक नई योजना शुरू की है। मुख्य स्कॉलरशिप में राज्य और राष्ट्रीय स्तर की स्कॉलरशिप, छात्रों के लिए स्कॉलरशिप और महिलाओं के लिए विशेष स्कॉलरशिप शामिल हैं।
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रिलायंस फाउंडेशन यूथ स्पोर्टस, नवी मुबई (Reliance Foundation Youth Sports, Navi Mumbai)
स्कॉलरशिप: INR 2,00,000/- तक

रिलायंस फाउंडेशन यूथ स्पोर्ट्स स्कूल और कॉलेज के खिलाड़ियों के लिए एक देशव्यापी स्पोर्टस प्लेटफॉर्म है जिसे 2015 में लॉन्च किया गया था। उनका फोकस स्पोर्ट्स के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के बीच लीडरशिप क्वालिटी एनकरेज करने और लर्निंग को प्रोत्साहित करना है। यह प्लेटफार्म इमरजिंग टैलेंट को प्रोत्साहित करता है और उन्हें भारत का अगला सबसे बड़ा चैंपियन बनने के लिए प्रोत्साहित करता है। वे विभिन्न स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप व प्रोग्राम भी ऑफर करते हैं। जैसे यंग चैंप्स प्रोग्राम जो इमर्जिंग टैलेंट के लिए एक फुल टाइम रेसिडेंसीयल प्रोग्राम है। आरएफवाईएस 29 अगस्त को हॉकी के दिग्गज ध्यानचंद के जन्मदिन के अवसर पर अपना ऑफिशियल स्पोर्ट्स डे भी मनाता है।

एसआरएम यूनिवर्सिटी, कट्टनकुलथुरो (SRM University, Kattankulathur)
स्कॉलरशिप: शिक्षण शुल्क में 50% तक की छूट

एसआरएम यूनिवर्सिटी, भारत के टॉप प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में से एक, छात्रों को स्पेार्ट्स में उन्हे इनकरेज और सपोर्ट करने के लिए प्रतिष्ठित स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप प्रदान करता है। वर्ष 2014 में, लगभग 108 छात्रों को एक स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप से सम्मानित किया गया था, जो एक यूनिवर्सिटी द्वारा दी गई स्कॉलरशिप की सबसे अधिक संख्या है। सिलेक्शन के लिए हर साल ट्रायल आयोजित किए जाते हैं, जिसका जजमेंट सम्मानित कोचों और संबंधित लोगों द्वारा किया जाता है, जो योग्य उम्मीदवारों को अवार्ड सेरेमनी में स्कॉलरशिप प्रदान करते हैं।
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दिल्ली यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली (Delhi University, New Delhi)
दिल्ली यूनिवर्सिटी (आमतौर पर डीयू के रूप में जाना जाता है) के मुख्य लाभों में से एक यह है कि यह कॉलेजों को उपलब्ध सीटों की संख्या के आधार पर स्पोर्ट्स कोटा के तहत भरी जाने वाली सीटों की संख्या तय करने की स्वतंत्रता देता है। ये स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप नए कैंडिडेट को सेलेक्शन ट्रायल के आधार पर दी जाती है। इंटरनेशनल लेवल के स्पोर्ट्स आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले छात्रों के लिए, स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप बिना किसी स्पोर्ट्स ट्रायल के डायरेक्ट दिया जाता है। शॉर्टलिस्ट किए गए कैंडिडेट्स की लिस्ट बाद में स्पोर्ट्स स्कॉलरिशप से संबंधित अन्य प्रक्रियाओं के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी स्पोर्ट्स काउंसिल (DUSC) को भेजी जाती है।

गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन, बेंगलुरु द्वारा पेस स्कॉलरशिप (Pace Scholarship by GoSports Foundation, Bangalore)
भारत की नेक्स्ट जेनरेशन के स्पोर्ट्स पुरुषों और महिलाओं को इम्पावर बनाने के लिए गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन द्वारा पेस स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप प्रदान की जाती है। यह स्कॉलरशिप हर साल जनवरी के महीने में दी जाती है। इस स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप का एकमात्र उद्देश्य फाइनांशियल सपोर्ट नहीं है, वे कम ख्याति प्राप्त प्रतिभाओं को भी फंड देते हैं और उन्हें इंटरनेशनल लेवल के ईवेंट्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। किदांबी श्रीकांत, दीपा करमाकर और शरथ गायकवाड़ विभिन्न ओलंपिक और पैरालंपिक चैंपियन हैं, जिन्हें इस फाउंडेशन द्वारा फंड दिया गया था।

इस प्रतिष्ठित स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप को पाने के लिए एक एथलीट के लिए मूल पात्रता अपने संबंधित खेल में नेशनल लेवल का चैंपियन होना है। गोस्पोर्ट्स एडवाइजरी बोर्ड राहुल द्रविड़ और अभिनव बिंद्रा जैसे विभिन्न खेल दिग्गजों को फाउंडेशन की उभरती प्रतिभाओं के एडवाइजर और मेंटोर के रूप में भी नियुक्त करता है।
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डियन ऑयल स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप, नई दिल्ली (Dean Oil Sports Scholarship, New Delhi)
स्कॉलरशिप: स्कॉलर 12,000-16,000 रुपए, एलीट स्कॉलर : 15,000-19000 रुपए

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL), भारत की सबसे बड़ी पब्लिक सेक्टर और प्रमुख तेल कंपनी है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। वे तीन साल की अवधि के लिए स्पोर्ट्स स्कॉलशिप और स्पॉन्सरशिप ऑफर करके तीन दशकों से स्पोर्ट्स के महत्व को बढ़ावा दे रहे हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को अवसर प्रदान करना है। वे दो श्रेणियों के आधार पर स्कॉलरशिप प्रदान करते हैं जो हैं:
1 स्कॉलर्स इन स्पोर्ट्स 2 एलीट स्कॉलर्स इन स्पोर्ट्स
IOCL, भुवनेश्वर, ओडिशा में आयोजित खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (KIUG) के पहले एडिशन के लिए प्रमुख स्पॉन्सर भी था।

एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया, नई दिल्ली (Airport Authority of India, New Delhi)
स्कॉलरशिप: 12,000 रुपए / - प्रति माह।

एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) एक ऐसा ऑर्गनाइजेशन है जो सिविल एविएशन मिनस्ट्री के तहत काम करता है जो पूरे भारत में सिविल एविएशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए रिस्पॉन्सिबल है। वे विभिन्न स्तरों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले होनहार खिलाड़ियों के लिए एएआई स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप स्कीम देते हैं। यह स्कॉलरशिप योजना स्पोर्ट्स के स्टैंडर्स को बढ़ाती है और युवा खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करती है। वे खिलाड़ियों को उनके परफॉर्मेंस और वैकेंसी की उपलब्धता के आधार पर स्थायी रोजगार भी देते हैं।

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Career In Content Marketing: क्या है कंटेंट मार्केटिंग, इसमें कैसे बनायें करियर, कितनी कमाई

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career after 12th class: कंटेंट मार्केटिंग भारत में तेजी से बढ़ता करियर है। डिजिटल मीडिया के विश्व स्तर पर बढ़ने के कारण इसका उपयोग अक्सर एडवर्टिजमें और मार्केटिंग में किया जाता है। हर बिजनेस, ऑर्गनाइजेशन अटेंशन के सेंटर में रहने की कोशिश करता है। अधिकांश डिजिटल कम्यूनिकेशन कंटेट मार्केटिंग पर निर्भर करता है।

कंटेंट मार्केटिंग क्या है? (What is Content Marketing?)
यदि आप कंफ्यूज हैं कि कंटेंट राइटर कैसे बनें और कंटेंट मार्केटर कैसे बनें, तो आपको पता होना चाहिए कि दोनों अलग हैं। यदि आप कंटेंट मार्केटिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि यह क्या है। कंटेंट मार्केटिंग ऐसी जानकारी साझा कर रहा है जो कस्टमर को उपयोगी, रोचक जानकारी देकर आकर्षित करती है जो उनकी रुचि बढ़ाती है या उनकी समस्या को हल करने में मदद करती है, कंटेंट मार्केटिंग ब्लॉग, वीडियो, सोशल मीडिया पर रुझान, समाचार पत्र, लाइव स्ट्रीम, ई-सेमिनार, ईमेल के रूप में होता है।

एक कंटेंट मार्केटर क्या करता है? (What does a Content Marketer do?)
एक कंटेंट मार्केटर की विभिन्न रोल होते हैं। कंटेंट मार्केटिंग में करियर कैसे बनाया जाए, इसे समझने के लिए कंटेंट मार्केटर की ड्यूटीज को जानना जरूरी है। एक कंटेंट मार्केटर की भूमिका में मुख्य रूप से 3 चरण शामिल होते हैं।
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कंटेंट क्रिएशन (Content Creation)
कंटेंट क्रिएशन का मतलब टारगेट ऑडिएंश के लिए जरूरी जानकारी के साथ अपडेट डेटा का चित्रण है। एक अच्छे करियर कंटेंट मार्केटिंग के लिए लेखक को सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (एसईओ) से अच्छी तरह सुसज्जित होना चाहिए। कंटेंट को पढ़ने के लिए मनोरंजक बनाने के लिए कंटेंट में अच्छी मात्रा में वीडियो, पिक्चर्स, इन्फोग्राफिक्स, इल्युस्ट्रेशन होने चाहिए। कंटेंट को हेडिंग और सबहेडिंग में भी डिवाइड किया जाना चाहिए जिससे पढ़ना और आसान हो जाता है।

कंटेंट डिस्ट्रिब्यूशन (Content Distribution)
यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि आपके द्वारा बनाई गई कंटेट सही ऑडिएंश तक पहुंचे। अगर कंटेंट की पहुंच को व्यूज नहीं मिलते हैं तो इसका कोई फायदा नहीं होगा। कंटेंट डिस्ट्रिब्यूशन आमतौर पर प्लेटफार्म, क्वेश्चन और आंसर साइटों, सोशल मीडिया द्वारा किया जाता है।

स्टैटिस्टिक (statistic)
स्टैटिस्टिक का ध्यान रखना कंटेंट मार्केटर की एक और महत्वपूर्ण भूमिका है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि एनालिटिक्स हाई हैं। प्रक्रिया कैसे चल रही है, इसकी तुलना करने के लिए कंटेंट मार्केटर द्वारा वीकली या मंथली रिपोर्ट को ट्रैक में रखा जाना चाहिए।
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कंटेंट मार्केटिंग में करियर के लिए आवश्यक योग्यता (Required Qualifications for a Career in Content Marketing)

रिसर्च स्किल (Research Skill)
कंटेंट बनाने के लिए स्रोतों से डेटा एकत्र करने, प्रमुख बिंदुओं की पहचान करने, बिंदुओं को नोट करने और उनके आसपास की कंटेंट की प्लानिंग बनाने के लिए बहुत अधिक रिसर्च की आवश्यकता होती है। विभिन्न प्रकार के मार्केटिंग रिसर्च हैं जिन्हें करने की आवश्यकता है। एक उचित और अच्छी तरह से रिसर्च की गई कंटेंट हमेशा यूजर्स के लिए अधिक अट्रैक्टिव होती है।

एसईओ और अन्य टेक्नीकल स्किल (SEO And Other Technical Skills)
SEO महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपकी कंटेंट के सर्च पेज के टॉप पर होने की संभावना को बढ़ाता है। कंटेंट मार्केटिंग में करियर बनाने के लिए आपको SEO की समझ होनी चाहिए। SEO के कुछ सिग्नीफिकेंट कंपोनेंट रेगुलर इंटर्वल पर कीवर्ड की रेलेवेंट इनपुट, उपयुक्त पेज टाइटल का उपयोग, इमेज, मेटा-डिस्क्रिप्शन और वीडियो हैं। टेक्नीकल स्किल जैसे HTML, CSS का नॉलेज और एनालिटिक्स और एल्गोरिदम की समझ। ये स्किल आपको अन्य कंटेंट राइटरों से आगे बढ़ने में मदद करेंगे। इसमें आप अक्सर वर्डप्रेस और सीएमएस के साथ भी काम करेंगे। इसलिए उनमें एक्सपीरिएंस होना अच्छा है।

डिजाइन और क्रिएटिव स्किल (Design and Creative Skills)
एक कंटेंट मार्केटर के रूप में, आपको अपने कंटेंट में बहुत सारे इमेजेज और वीडियो जोड़ने की आवश्यकता हो सकती है। यह आपके कंटेंट को आकर्षक बनाएगा और पाठक को आकर्षित करेगा। यह निश्चित रूप से आपके ब्रांड को कंटेंट मार्केटिंग में बढ़ावा देगा। इसलिए कंटेंट मार्केटिंग में करियर बनाने के लिए सही डिजाइन और क्रिएटिव स्किल्स का होना जरूरी है।
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राइटिंग स्किल और ग्रामर (Writing Skills and Grammar)
यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि आपका कंटेंट ग्रामेटिकल गलत नहीं है और आपके टारगेट ऑडिएंश को समझने के लिए आवश्यक उपयुक्त राइटिंग स्किल है। अच्छी राइटिंग और रीडिंग स्किल होने से किसी भी कंटेंट में मिस्टेक को चेक करने में बहुत मदद मिलती है।

सोशल मीडिया ऑप्टिमाइज़ेशन (Social Media Optimization)
यदि आप कंटेंट मार्केटिंग में एक सफल करियर बनाना चाहते हैं तो सोशल मीडिया ऑप्टिमाइजेशन का नॉलेज इंपोर्टेंट है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि आपके कंटेंट का कोई मूल्य नहीं है यदि वह उपलब्ध नहीं है या दर्शकों तक नहीं पहुंची है। कई सोशल एप्लीकेशन का नॉलेज आपको एल्गोरिदम को समझने में मदद करता है और आपको अपने कंटेंट को प्रमोट करने के लिए आइडिया देता है।

टॉप संस्थान ( Top Institute)
  1. आईआईएम स्किल (IIM Skills)
  2. उडेमी (Udemy)
  3. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ई-कॉमर्स एंड डिजिटल मार्केटिंग (IIEDM)

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Career After M.Tech: एम टेक के बाद कहां मिलते हैं जॉब ऑप्शन, अच्छा सैलरी पैकेज

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Jobs After M.Tech: भारत में इंजीनियरिंग युवा छात्रों के बीच सबसे लोकप्रिय और डिमांड वाला करियर ऑप्शन है। एम.टेक के बाद करियर के बारे में बात करें, तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आपको अपनी रुचि के साथ ही आप आगे क्या करना चाहते हैं यह पता होना चाहिए। आज हम आपको बता रहे हैं एम.टेक के बाद करियर के विभिन्न अवसरों के बारे में।

एम.टेक करने के बाद करियर के अवसरों को 4 भागों में बांटा जा सकता है-
  1. पीएचडी जैसे रिसर्च डिग्री कर सकते हैं।
  2. एम.टेक पूरा करने के बाद नौकरी कर सकते हैं।
  3. एक शिक्षक के रूप में इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ा सकते हैं।
  4. अपना खुद का ऑर्गनाइजेशन शुरू कर सकते हैं।

पीएचडी- एम.टेक के बाद डॉक्टरेट की डिग्री (PhD- Doctoral Degree After M.Tech)
यदि आप टीचिंग के पेशे में आना चाहते हैं या रिसर्च और डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन में काम करना चाहते हैं, तो आपको अपनी रुचि के क्षेत्र में एम.टेक के बाद पीएचडी करनी चाहिए। आपने एम.टेक के बाद पीएचडी करने का फैसला कर लिया है, तो आपका टीचिंग या रिसर्च में करियर बना सकते हैं। भारत में हायर एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन और आईआईटी और एनआईटी जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों को ग्रांट दिया है। टीचिंग प्रोफेशन में नौकरी चुनौतीपूर्ण होती है। अपनी रुचि के आधार पर आपको एम.टेक के बाद अपना करियर चुनना होगा।
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एम.टेक पूरा करने के बाद नौकरी करना (Job After M.Tech)
चलन को देखते हुए आपको एम.टेक के बाद वही जॉब प्रोफाइल मिल सकता है जो बी.टेक के बाद मिलता है। हालांकि, नौकरी की भूमिका अधिक जिम्मेदारियों के वाली होगी और वेतन पैकेज भी तुलनात्मक रूप से अधिक होगा। हायर कोर्स करने के कारण आपके पास तकनीकी चीजों की समझ बेहतर होगी। आप सभी कार्यों को प्रोडक्टिव तरीके से पूरा करने में सक्षम होंगे। एम.टेक के बाद आप रिसर्च और डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन, मैन्युफैक्चरिंग फर्मों और आईटी कंपनियों में प्रोजेक्ट मैनेजर, रिसर्च एसोसिएट और सीनियर इंजीनियर के रूप में आसानी से नौकरी पा सकते हैं।

टीचिंग प्रोफेशन में नौकरी (Jobs In Teaching Profession)
आम तौर पर अधिकांश छात्र एम.टेक पूरा करने के बाद एकेडमिक नौकरियों के लिए जाते हैं। आज भारत में हायर एजुकेशन के लिए एकेडमिक क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। यही वजह है कि डीम्ड यूनिवर्सिटीज, शैक्षणिक संस्थानों और कॉलेजों में शिक्षकों और प्रोफेसरों की मांग बढ़ गई है। एम.टेक के बाद टीचिंग प्रोफेशन में शामिल होने के लिए छात्रों को कम्यूनिकेशन और प्रेजेंटेशन स्किल के महत्व को ध्यान में रखना चाहिए। शिक्षक बनने के लिए ये स्किल महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, आपको पढ़ाने का पैशन होना चाहिए और छात्रों से निपटने के लिए पेशेंस और शांत होना जरूरी है। इसके अलावा, आपको संबंधित विषय में तालमेल रखने के लिए पुस्तकों और पत्रिकाओं को पढ़ने की आदत बनाने की जरूरत होगी।

अपना खुद का ऑर्गनाइजेशन शुरू कर सकते हैं
एम.टेक करने के बाद एंटरप्रन्योर बनना चाहते हैं? बहुत कम एम.टेक ग्रेजुएट अपना खुद का ऑर्गनाइजेशन शुरू करने की इच्छा रखते हैं। हालांकि, अच्छी खबर यह है कि एम.टेक डिग्री के आधार पर वेंचर कैपिटलिस्ट से फंडिंग और इनवेस्टमेंट के मामले में आपको पूरा सपोर्ट मिलेगा। यदि आपमें डेडिकेशन के साथ काम करने का पैशन है और आपमें सही बिजनेस सेंस है, तो आप एक सफल एंटरप्रेन्योर बन सकते हैं।
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पीएचडी में स्पेशलाइजेशन (Specialization in PhD)
एम.टेक में स्पेशलाइजेशन का एरिया पीएचडी में आपके अध्ययन का एरिया तय करेगा। उदाहरण के लिए, यदि आपने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एम.टेक किया है, तो पीएचडी में स्पेशलाइजेशन का आपका एरिया मैकेनिकल इंजीनियरिंग से संबंधित होगा। फिर भी, रिसर्च का वास्तविक एरिया इंस्टीट्यूट कमिटी के रिलेटेड डिपार्टमेंट द्वारा स्टूडेंट्स के नॉलेज और योग्यता के आधार पर तय किया जाता है। आजकल, पीएचडी में इंटर-डिसिप्लिनरी अप्रोच पॉपुलर हो रहा है। इसका मतलब है कि कैंडिडेट दो पीएचडी स्पेशलाइजेशन का ऑप्शन चुन सकते हैं।

फैलोशिप (Fellowship)
प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों जैसे एनआईटी, आईआईटी और आईआईएससी बैंगलोर में पीएचडी छात्रों के लिए अलग-अलग फंडिंग नीतियां हैं। फैलोशिप 19,000 रुपये से 24,000 रुपए प्रति माह तक दी जाती है। आमतौर पर, इसके लिए समय अवधि 3 वर्ष होती, जिसे आवश्यकता के अनुसार बढ़ाया जा सकता है।

स्कॉलरशिप (Scholarship)
सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, यूजीसी, एआईसीटीई और सीएसआईआर पीएचडी छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान करते हैं। महिला वैज्ञानिकों के लिए भी अलग से स्कॉलरशिप योजनाएं हैं। उपरोक्त सरकारी संस्थानों के अलावा, सेल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी निजी कंपनियां भी इंडस्ट्री से रिलेटेड प्रॉब्लम में स्पेशलाइजेशन वाले पीएचडी छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान करती हैं। इसके अलावा, कई निजी कंपनियां भी देश में रिसर्च और डेवलपमेंट एक्टिविटीज को बढ़ाने के लिए इनवेस्ट और कंट्रीब्यूट करती हैं।

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International Business: जानें क्या है इंटरनेशनल बिजनेस? ऐसा है एंट्रेंस एग्जाम

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International Business Management: इंटरनेशनल बिजनेस के क्षेत्र में कोर्स का उद्देश्य दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं के प्रति कैंडिडेट्स के नॉलेज को बढ़ाना है। ग्लोबलाइजेशन के युग में चीन, जापान और भारत जैसे देश और कई अन्य देश ट्रेड रिलेशंस और मौद्रिक सहायता के मामले में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इंटरनेशनल बिजनेस कोर्स का मूल यह सुनिश्चित करना है कि कैंडिडेट्स यह समझें कि आज के बिजनेस एनवायरमेंट में अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे पर कैसे निर्भर हैं और एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।

इंटरनेशनल बिजनेस कोर्स के लिए एलिजिबलिटी क्राइटेरिया (Eligibility Criteria for International Business Course)

अंडर-ग्रेजुएट डिग्री
अंडर ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन 10+2 पूरा करने के बाद लिया जा सकता है। हर स्ट्रीम के कैंडिडेट एडमिशन ले सकते हैं। इंटरनेशनल बिजनेस में अंडर-ग्रेजुएट कोर्स करने के लिए कैंडिडेट को 10+2 में न्यूनतम 50 प्रतिशत मार्क्स होने जरूरी हैं।

पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री
पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स के लिए, कैंडिडेट के पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या कॉलेज से किसी भी विषय में न्यूनतम 50 प्रतिशत कुल अंकों के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।

डाक्टरेट डिग्री
डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने के लिए, उम्मीदवार के पास समान डोमेन में किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए। इसके बाद संबंधित विश्वविद्यालय या संस्थान की एंट्रेंस एग्जाम दें जो इंटरनेशनल बिजनेस में पीएच.डी. कोर्स कराते हैं।
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इंटरनेशनल बिजनेस एंट्रेंस एग्जाम (International Business Entrance Exam)
यह बेसिक लेवल है जिस पर कैंडिडेट का टेस्ट लिया जाता है कि वह कोर्स करने के लिए एकेडमिक रूप से फिट है या नहीं। चूंकि इंटरनेशनल बिजनेस भी एक प्रोफेशनल कोर्स है, इसलिए विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों की अपनी एमबीए प्रवेश परीक्षा होती है जो प्रवेश पाने के इच्छुक कैंडिडेट की रैंक का पता लगाती है। हम आपको बता रहे हैं उन पॉपुलर एंट्रेंस एग्जाम के बारे में जिनके माध्यम से आप इंटरनेशनल बिजनेस कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं।

अंडर-ग्रेजुएट डिग्री
एनएमएटी (यूजी): एनएमआईएमएस मैनेजमेंट एप्टीट्यूड टेस्ट अंडरग्रेजुएट
GGSIPU CET: गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट
डीयू जेट: दिल्ली यूनिवर्सिटी ज्वाइंट एंट्रेंस टेस्ट
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बीबीए एंट्रेंस टेस्ट
सेट: सिम्बायोसिस एंट्रेंस टेस्ट

पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री
  • कैट (CAT)
  • जैट (JET)
  • सीएमएटी (CMAT)
  • आईआईएफटी (IIFT)
  • एसएनएपी (SNAP)

डॉक्टरेट डिग्री
डिपार्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज आईआईटी दिल्ली एंट्रेंस एग्जाम
दिल्ली विश्वविद्यालय, फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंट्रेंस एग्जाम
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड एंट्रेंस एग्जाम
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जाम
नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एंट्रेंस एग्जाम
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भारत में टॉप इंटरनेशनल बिजनेस कॉलेज (Top International Business Colleges in India)
एनआईआरएफ रैंकिंग के अनुसार, ये टॉप 10 संस्थान हैं जिनका इंटरनेशनल बिजनेस में कोर्स कराते हैं।
  1. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद
  2. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बैंगलोर
  3. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट कलकत्ता
  4. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट लखनऊ
  5. इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे
  6. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट कोझिकोड
  7. इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी खड़गपुर
  8. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड दिल्ली
  9. जेवियर लेबर रिलेशंस इंस्टिट्यूट जमशेदपुर
  10. मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट गुडगांव

इंटरनेशनल बिजनेस में कोर्स (Courses In International Business)
इंटरनेशनल बिजनेस के क्षेत्र में विभिन्न कोर्स हैं जिन्हें 10+2 पूरा करने के बाद किया जा सकता है।

अंडर ग्रेजुएट डिग्री: अंडर ग्रेजुएट डिग्री को आमतौर पर इंटरनेशनल बिजनेस में B.B.A या इंटरनेशनल बिजनेस में B.B.M के रूप में जाना जाता है। अंडर ग्रेजुएट कोर्स की अवधि 3 वर्ष है।

पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री: पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर, इंटरनेशनल बिजनेस कोर्स या तो मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (आईबी में एमबीए) डिग्री या मास्टर ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस (एमआईबी) होती है। इस कोर्स की अवधि 2 साल है।

डॉक्टरेट डिग्री: पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स पूरा करने के बाद आप इंटरनेशनल बिजनेस में पीएच.डी. कर सकते हैं। आम तौर पर डॉक्टरेट प्रोग्राम की अवधि 3-4 वर्ष या विश्वविद्यालय के दिशानिर्देशों के आधार पर होती है।
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इंटरनेशनल बिजनेस में MBA के रूप में आपको निम्न पदों पर काम मिलता है :

  1. एक्सपोर्ट मैनेजर एंड एक्जीक्यूटिव
  2. ग्लोबल बिजनेस मैनेजर
  3. इंटरनेशनल बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर
  4. इंटरनेशनल फाइनांस मैनेजर
  5. इंटरनेशनल लॉजिस्टिक मैनेजर
  6. इंटरनेशनल बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर
  7. इंटरनेशनल फाइनांस मैनेजर
  8. इंटरनेशनल बिजनेस कंसल्टेंट
  9. इंटरनेशनल ब्रांड मैनेजर

एक्सपीरिएंस के आधार पर ऐसी होती है सैलरी
  • एक वर्ष से कम (नए फ्रेशर्स)अनुभव - 2-3 लाख
  • 1-4 साल का अनुभव - 3-6 लाख
  • 5-9 साल अनुभव - 7-13 लाख
  • 10-20 साल अनुभव - 15 लाख से ज्यादा

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Career In Physiotherapy: 12वीं के बाद फीजियोथेरेपी में कैसे बनायें करियर, कहां मिलेगी जॉब

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Career In Medical Field: फिजियोथेरेपी एक चुनौतीपूर्ण प्रोफेशन है। इसमें भारत या विदेश में काम करने के लिए कैरियर ऑप्शन की भरमार है। एक फिजियोथेरेपिस्ट की नौकरी में प्रोफेशनल्स के लक्षण होते हैं जो प्रीवेंटिव, रेस्टोरेटिव और रिहैबिलेटिव के रूप में काम करता है। वह हेल्थ सेंटर या वैलनेस सेंटर में ट्रेनर के रूप में अपनी भू्मिका निभाता है। इसके अलावा अपने सामने की परिस्थितियों के आधार पर विभिन्न रोल में अपनी सेवाएं देता है। जानें फिजियोथेरेपी में करियर और डिमांड के बारे में।

जल्दी शुरू करें
फिजियोथेरेपी किसी भी गेम या स्पोर्टस की तरह है। देर से शुरू करने वालों की तुलना में जल्दी शुरुआत के फायदे हैं, इसलिए यदि आप एक फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में काम करना चाहते हैं तो कम उम्र में ही इसकी शुरुआत करें। एक शेप और फ्लैक्सिबल बॉडी बनाने के लिए जल्दी शुरू करना फायदेमंद होता है। मानव शरीर रचना विज्ञान और हड्डियों, मांसपेशियों और नर्व के बारे में जानना शुरू करें - यह आपको बाद के स्टेप्स में सब्जेक्ट को समझने में मदद करेगा। बाद में आप पेडियाट्रिक, जिरियाट्रिक, ऑर्थोपडिक्स, स्पोर्ट्स फिजिकल थेरेपी, न्यूरोलॉजी, इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी और कार्डियो पल्मोनरी चिकित्सा आदि सहित किसी भी क्षेत्र में विशेषज्ञ हो सकते हैं।

वेतन
फिजियो थेरेपी में योग्यता रखने वाले छात्रों को नौकरी पाने के लिए कम्यूनिकेश्न, क्रिटिकल थिंकिंग स्किल और टीम वर्क जैसे सॉफ्ट स्किल्स की भी आवश्यकता होती है। फिजियोथेरेपी में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद एक व्यक्ति 5000 से 10,000 तक वेतन कमा सकता है। हालांकि वेतन पैकेज अलग-अलग कंपनी में भिन्न होता है। साथ ही कैंडिडेट ने किस कॉलेज से कोर्स किया है इस पर भी निर्भर करता है। शुरुआत में वेतन पैकेज कम होता है लेकिन अनुभव के बाद बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
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डिमांड
भारत में फिजियोथेरेपिस्ट की कमी है। क्योंकि लोगों में इस पेशे के स्कोप और प्रोस्पेक्टस के बारे में ज्यादा जागरूकता नहीं है। इसके अलावा, फिजियोथेरेपिस्ट में क्वालिटी एजुकेशन के इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण है। एक बार जब मेन स्ट्रीम में इस प्रोफेशन के बारे में जागरूकता फैल जाए, तो इसकी मांग वर्तमान की अपेक्षा कहीं ज्यादा होगी।

मार्केट वॉच
जैसे-जैसे विभिन्न हेल्थ सेंटर, फिटनेस सेंटर, वैलनेस सेंटर, स्पा आदि बड़े पैमाने पर सामने आ रहे हैं, फिजियोथेरेपी में करियर की संभावनाएं पॉजिटिव दिख रही हैं। फिजियोथेरेपी में अपना कोर्स पूरा करने के बाद छात्रों को मैमथ रिसॉर्ट्स यूएसए, ताज ब्लू डायमंड, सन एंड सैंड्स, एंबेसडर अजंता, मगरपाटा क्लब एंड रिसॉर्ट्स और कई अन्य सहित टॉप ब्रांडों से ऑफर लेटर मिलते हैं। प्रमुख रिक्रूटर्स हॉस्पिटल हैं जो अल्टरनेटिव मेडिकल सर्विस देने का प्रयास करते हैं। फिजियोथेरेपी विभिन्न बीमारियों को ठीक करने के लिए सबसे उपयुक्त और सफल अल्टरनेटिव मैथ्ड में से एक है।

रोजगार की संभावनाएं
मशीनीकरण और डेस्क लाइफस्टाइल के कारण, लोगों को मस्कुलर स्केलेटल प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है, जिसमें पीठ दर्द, कंधे और गर्दन में अकड़न, घुटने के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस आदि शामिल हैं। डिसऑर्डर को ठीक करने में, फिजियोथेरेपिस्ट मेन स्ट्रीम के डॉक्टरों के लिए बहुत बेहतर काम करते हैं। फिजियोथेरेपी को एक हेल्थ प्रोफेशन माना जा सकता है जिसे परेशानी को ठीक करने के तरीके के रूप में लागू करके मोबिलिटी और जीवन की क्वालिटी को बेहतर किया जाता है।

फिजिकल थेरेपिस्ट के पास अस्पतालों, नर्सिंग होम, रेसीडेंशियल होम, रिहैबिलिटेशन सेंटर, प्राइवेट ऑफिसों जैसे प्राइवेट प्रैक्टिस या प्राइवेट क्लीनिक आदि में नौकरी के पर्याप्त विकल्प हैं। इसके अतिरिक्त, फिजियोथेरेपी में योग्यता वाले कैंडिडेट आउट पेशेंट क्लीनिक, कम्युनिटी हेल्थ केयर सेंटर, हेल्थ क्लब, स्पेशल स्कूल और सीनियर सिटिजन सेंटर आदि में काम कर सकते हैं। इसके अलावा विभिन्न स्पोर्ट्स सेंटर, टीचिंग, विदेशों में काम करने वाले विभिन्न कंपनियों आदि के साथ काम कर सकते हैं।
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इंस्टीट्यूट
भारत में कई फिजियोथेरेपी कॉलेज और संस्थान हैं जो बैचलर और मास्टर डिग्री कोर्स कराते हैं। भारत में टॉप 10 फिजियोथेरेपी कॉलेज इस प्रकार हैं:
  • पं. दीन दयाल उपाध्याय इंस्टीट्यूट फोर फिजिकली हैंडीकैप्ड
  • स्कूल ऑफ फिजियोथेरेपी, एस एस जी हॉस्पिटल
  • अपोलो कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी
  • निजाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च
  • पटना मेडिकल कॉलेज
  • अमर ज्योति इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोथेरेपी
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोथेरेपी एंड कम्यूनिकेशन डिसऑर्डर

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NEET 2021 Exam: नीट की है तैयारी तो अपनाएं ये टिप्स एंड ट्रिक्स

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How To Prepare For NEET Exam: अगर कोई छात्र मेडिकल की पढ़ाई करना चाहता है, तो उसके लिए NEET (नेशनल एलिजिबिलिटी कम इंट्रेस एग्जामिनेशन) परीक्षा में शामिल होना जरूरी है। NEET Physics Kota के डायरेक्टर, प्रशांत शर्मा ने नीट एग्जाम से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताया है। नेशनल मेडिकल काउंसिल एक्ट 2019 के मुताबिक, NEET एक कॉमन टेस्ट होगा जिसके अभ्यर्थी ही मेडिकल की पढ़ाई कर सकते हैं। इस परीक्षा का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA की तरफ से किया जाता है। NTA के एक स्वतंत्र संस्था है जो भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) के तहत आता है।

NEET एग्जाम से होता है मूल्यांकन
NEET परीक्षा के आधार पर ही किसी छात्र की शिक्षा का मूल्यांकन किया जाता है। इसी स्कोर के आधार पर किसी छात्र को देश या विदेश के मान्यता प्राप्त मेडिकल स्कूल में दाखिला मिलता है। नीट के पास अभ्यर्थियों को ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ( AIIMS), जवाहरलाल इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (JIPMER) पुडुचेरी समेत देश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिलता है।

यही वजह है कि नीट की परीक्षा बहुत कठिन मानी जाती है और हर साल कॉम्पिटिशन बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना के कारण इस साल ज्यादातर बोर्ड परीक्षाएं कैंसिल कर दी गई है। ऐसे में एंट्रेंस टेस्ट और ज्यादा कठिन होने वाला है। अगर किसी छात्र को इस परीक्षा में आगे रहना है, तो उसकी तैयारी उसी हिसाब से होनी चाहिए, साथ में स्ट्रैटिजी भी बहुत जरूरी है। अगर लिस्ट में आगे रहना है और अपने लिए जगह सुरक्षित करना है, तो ज्यादा से ज्यादा मार्क्स के साथ-साथ हर सब्जेक्ट के लिए मिनिमम पासिंग स्कोर भी जरूरी है।
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NEET 2021 परीक्षा का पैटर्न
नीट 2021 में बायोलॉजी 360 नंबर का, फिजिक्स 180 नंबर का और केमेस्ट्री 180 नंबर का होगा। बायोलॉजी में कुल 90 सवाल होंगे। इसके अलावा फिजिक्स और केमेस्ट्री में 45-45 सवाल होते हैं। हर सवाल 4-4 नंबर का होगा। इन तीनों विषयों में फिजिक्स को सबसे कठिन माना जाता है। नीट की परीक्षा में फिजिक्स के थ्योरी और न्यूमेरिकल्स, दोनों सेक्शन से सवाल पूछे जाते हैं। ऐसे में इसकी तैयारी स्मार्ट तरीके से करने की जरूरत है। इस आर्टिकल में आपको उन टिप्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे कम समय में फिजिक्स की बेहतर तैयारी की जा सकती है। इसका फायदा NEET की परीक्षा में भी मिलेगा।

फिजिक्स में किस तरह करें स्मार्ट तैयारी

पहले फिजिक्स के सिलेबस को अच्छे से समझें
किसी भी परीक्षा की तैयारी से पहले उसके सिलेबस को अच्छे से समझना बेहद जरूरी होता है। अगर यह काम नहीं किया तो इस बात का पता नहीं चल पाता है कि पढ़ना क्या है और छोड़ना क्या है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के मुताबिक NEET की परीक्षा के लिए फिजिक्स का सेक्शन 29 चैप्टर कवर करता है। इसमें 11वीं और 12वीं दोनों के टॉपिक शामिल हैं। नीट के जानकारों का कहना है कि अगर सिलेबस का 70 फीसदी भी तैयार कर लिया जाता है तो फिजिक्स में 100 फीसदी मार्क लाया जा सकता है।
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किस टॉपिक से पूछे जाते हैं ज्यादा सवाल?
  • मैग्नेटिक इफेक्ट ऑफ करेंट एंड मैग्नेटिज्सम होल्ड - 6 फीसदी
  • सिस्टम ऑफ पार्टिकल एंड रिगिड बॉडी होल्ड - 6 फीसदी
  • लॉ ऑफ मोशन एंड थर्मोडायनामिक्स - 7 फीसदी
  • करेंट इलेक्ट्रिसिटी - 6 फीसदी

एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऊपर के दिए गए चैप्टर की स्पेशल तैयारी करने की जरूरत है। इसके अलावा न्यूमेरिक्ल्स सवालों का ज्यादा हल करना है। इससे फिजिक्स सेक्शन में बेहतर स्कोर आने की पूरी संभावना बनती है।

इंटर-लिंक्ड टॉपिक में क्रम यानी सीक्वेंस का विशेष ध्यान रखें
छात्र को संबंधित टॉपिक में सीक्वेंस का विशेष खयाल रखना चाहिए। इससे कम समय में बेहतर तैयारी होती है। उदाहरण के तौर पर इलेक्ट्रोस्टेटिक विद न्यूटन लॉ ऑफ मोशन एंड वर्क और पावर एनर्जी (11वीं से) की तैयारी साथ-साथ करनी चाहिए। इसके साथ-साथ मैग्नेटिज्म विद सर्कुलर मोशन (11वीं से) और वेब ऑप्टिक्स विद वेब मोशन (11वीं सें) की तैयारी भी करें।
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स्टडी मटेरियल का चयन सही तरीके से करें
किसी भी परीक्षा की तैयारी के लिए स्टडी मटीरियल का सही होना बेहद जरूरी होता है। आपकी तैयारी में स्टडी मटीरियम का बड़ा योगदान होता है। अच्छे स्टडी मटीरियल की मदद से कम समय में बेहतर स्कोरिंग संभव है। नीट 2021 की तैयारी करने वाले छात्र फिजिक्स की तैयारी में इन स्टडी मटीरियल की मदद लें।

  • डीसी पांडे का ऑब्जेक्टिव फिजिक्स
  • ऑब्जेक्टिव NCERT (फिजिक्स) MTG
  • Halliday, Resnick and Walker का फंडामेंटल फिजिक्स.
  • 11वीं और 12वीं का NCERT फिजिक्स बुक
  • HC वर्मा का कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स
  • फंडामेंटल फिजिक्स के लिए प्रदीप का बुक
  • जनरल फिजिक्स के लिए IE Irodov
  • यूनिवर्सल सेल्फ स्कोरर फिजिक्स
अगर कोई छात्र मेडिकल की तैयारी कर रहा है, तो उसे फिजिक्स की तैयारी के लिए ऊपर दिए गए किताबों की तैयारी जरूर करनी चाहिए। इससे उसका कॉन्सेप्ट क्लियर होगा और कम समय में ज्यादा तैयारी होगी जिससे स्कोरिंग में मदद मिलेगी।

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Tips For Job: पाना चाहते हैं मनचाही नौकरी, तो जरूर अपनायें ये 7 बेहतरीन जॉब टिप्स

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How To Get A Job: इंडिया में हर साल लाखों युवा अपनी पढ़ाई पूरी कर अच्‍छी नौकरी के तलाश में दर-दर की ठोकरे खाते हैं, किसी की किस्‍मत साथ देती है, तो किसी की नहीं। एजुकेशन पूरी करने के बाद अगर आप भी ठोकर खाने की जगह अच्‍छी नौकरी और मोटी सैलरी के साथ अपने करियर की शुरूआत करना चाहते हैं, तो आपको बेहतर तरीके से तैयारी करने के साथ कुछ ऐसी जानकारियों की भी जरूरत पड़ेगी, जिससे आप अच्‍छी नौकरी पा सकें।

अपने पसंदीदा क्षेत्र को चुनें
जॉब्‍स ढ़ूढ़ने से पहले आप उस क्षेत्र को चुनिये जिसमें आपको नौकरी करनी है। आपको क्या करना अच्छा लगता है, यह आप से बेहतर कोई नहीं जानता। उसके हिसाब से अपनी नौकरी का क्षेत्र चुनें। आपका चुना हुआ क्षेत्र ऐसा होना चाहिए जिसमें आप अपना करियर बना सकें। खुशी से काम कर सकें। एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकें। अच्छा पैसा, कम या आसान काम देखकर नौकरी ना करें। इससे कुछ सालों बाद आपका उत्साह कम होता जायेगा और आपको आपनी नौकरी से निराशा होने लगेगी।

अच्‍छा रिज्‍यूम बनाएं
जब आप किसी कंपनी में जॉब अप्‍लाई करते हैं, तो सबसे पहले एक रिज्‍यूमे की जरूरत पड़ती है। रिज्यूम आपका वह चेहरा होता है जिसके आधार पर नौकरी देने वाली कम्पनी यह तय करती है कि आप उस नौकरी के लिए उपयुक्त हैं कि नहीं। रिज्यूमे में आपकी शिक्षा और आपके व्यक्तित्व से जुड़ी सभी जानकारी मौजूद होती है। इसलिए रिज्‍यूम में बिल्कुल सही और सत्य बातें ही लिखनी चाहिए। रिज्यूमे में कम शब्दों में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश करें। रिज्यूमे ज्यादा से ज्यादा दो पेज का होना चाहिए। क्‍योंकि इंटरव्‍यू के समय दो पेज से ज्यादा के रिज्यूमे को कम पढ़ा जाता है या सही तरह से नहीं पढ़ पाते हैं जिससे आपकी बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारियाँ बिना पढ़ी रह सकती हैं।
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कंपनियों की लिस्‍ट बनाएं
जॉब सर्च शुरू करने से पहले आप ऐसी कंपनियों की लिस्‍ट बनाएं, जो आपके क्‍वा‍लिफि‍केशन और आपके क्षेत्र से जुड़ी नौकरियां देती हों। जैसे अगर आपने इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की है, तो ऑटो मोबाइल सेक्‍टर में मौजूद टॉप कंपनियों की लिस्‍ट बना सकते हैं। वहीं अगर आपने आईटी से अपनी एजुकेशन पूरी की है, तो आईटी कंपनियों की लिस्‍ट बनाएं। इससे आपको फायदा यह होगा कि आप इन कंपनियों को लगातार ट्रैक कर सकते हैं, जैसे ही किसी कंपनी में जॉब निकले तो तुरंत अप्‍लाई कर सकते हैं।

अपना बेहतर नेटवर्क बनाएं
आज के समय मे जॉब के लिए सबसे जरूरी नेटवर्क होता है। इसलिए अपने ऑफिस, आस पास रिश्तेदारी में, कॉलेज में ऐसे लोगों से संपर्क बनायें जो अभी कहीं पर जॉब कर रहे हैं। अपनी एजुकेशन के हिसाब से उनसे जॉब के बारे में चर्चा करें। और हो सके तो उनको अपना रेज्‍यूमे भी उनको दे दें। जब भी कभी उनकी कम्पनी या संस्था में कोई नौकरी होगी तो वो आपकी मदद कर सकते हैं।

सोशल मीडिया पर एक्टिव रहें
सोशल साइट्स पर एक्टिव होने का मतलब सिर्फ खुद की फोटोज डालना नहीं होता बल्कि आपको आस-पास घटने वाली घटनाओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए। उस पर आपकी एक मजबूत पकड़ होनी चाहिए। अब जॉब देते समय ज्‍यादातर कंपनियां आपकी सोशल मीडिया पेज भी देखती हैं। साथ ही कई ऐसी कंपनियां है जो सोश मीडिया पर ऑब्‍स पोस्‍ट करती हैं।
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स्पेशलिस्ट बनें
आज के समय में लोग ज्‍यादा जॉब्‍स ऑप्‍शन के लिए बहुत सारी चीजें जानना बहुत जरूरी समझते हैं, कई बार यह फायदा पहुंचाती है तो कई बार यह भारी नुकशान भी कर देती है। इसलिए किसी एक क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन लाना जरूरी है ताकि अगर उस फील्ड में किसी को कुछ मदद चाहिए तो आप कर सकें। इस तरह आप उस क्षेत्र में सबसे बेहतर हो सकते हैं।

इंटर्नशिप को लें सीरियस
आज कल एक नौकरी के लिए आवेदन करने से पहले उम्मीदवारों को वर्क अनुभव के लिए इंटर्नशिप करना अनिवार्य हो गया है। इंटर्नशिप के दौरान ही वे नई जानकारी हासिल करते हैं, हालांकि ज्‍यादातर युवा इंटर्नशिप को सीरियस नहीं लेते और नौकरी का मौका गवां देते हैं, ऐसे में फ्रेशर्स को सलाह दी जाती है कि इंटर्नशिप के दौरान वह मस्ती- मजाक को छोड़कर काम पर अच्छे से ध्यान दें। ताकि आसानी से मनचाही संस्थान में नौकरी मिल सके।

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Mock Test Preparation: किसी भी एग्जाम से पहले मॉक टेस्‍ट क्‍यों जरूरी है? जानें कैसे मिलेंगे अच्छे मार्क्स

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Mock Test Preparation: किसी भी परीक्षा से पहले छात्र पूरी मेहनत के साथ परीक्षा की तैयारी करते हैं, अधिकतर छात्र तैयारी के लिए जहां कोचिंग सेंटर में दाखिला लेते हैं, वहीं कई छात्र ऐसे भी होते हैं, जो सेल्‍फ प्रिपरेशन कर परीक्षा देना पसंद करते हैं। हालांकि आज के समय में परीक्षा से पूर्व एक तरीका जो दोनों में कॉमन है वह मॉक टेस्‍ट है। उम्‍मीदवार चाहे वह कोचिंग में तैयारी कर रहे हों या फिर सेल्‍फ स्‍टडी वह मॉक टेस्‍ट जरूर देते हैं।

परीक्षा के दबाव को दूर करता है
ऐसे बहुत से उम्‍मीदवार हैं जो ज्ञानी और प्रतिभावान हैं, लेकिन परीक्षा के समय वह इसके दबाव में पूरी तरह बिखर जाते हैं और सफलता हासिल नहीं कर पाते। इसका प्रमुख कारण होता है अभ्‍यास में कमी। एक वास्‍तविक परीक्षा जैसे पर्यावरण में अपने आप का परीक्षण व अभ्‍यास करने से आपके भीतर वा‍स्‍तविक परीक्षा के समय पड़ने वाले दबाव को कम किया जा सकता है। इसमें साथ देता है मॉक टेस्‍ट, जो आपके आत्‍मविश्‍वास को बढ़ाता है। ध्‍यान रहे कि मॉक टेस्‍ट में असली परीक्षा की तरह ही निगेटिव मार्किंग किया जाता है, इससे आप समय पर पकड़ बनाने के साथ यह भी तय कर सकते हैं कि क्‍या लिखना है और क्‍या छोड़ना है।

प्रश्‍न पत्र की सही जानकारी
स्टूडेंट्स को परीक्षा की तैयारी के लिए पेपर पैटर्न का होना बहुत आवश्यक हैं। इससे स्टूडेंट्स को प्रश्न, मार्क्स, हर सेक्शन में कितनें प्रश्न हैं और मार्किंग स्कीम क्या होती हैं की पूरी जानकारी मिल जाती है। साथ ही मॉक टेस्ट जैसे कि प्रश्‍न पत्र, सैंपल पेपर और ऑनलाइन टेस्ट सीरीज़ की मदद से स्टूडेंट्स अपनी तैयारी का पता लगा सकते है इससे उन्हें अनुमान हो जाता हैं की उन्हें परीक्षा में में सफलता पाने के लिए और कितनी तैयारी करनी होगी।
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पैटर्न की समझ के साथ तेजी से सीखना
मॉक टेस्‍ट आपको तेजी से सीखने और अवधारणाओं को बेहतर ढंग से अवशोषित करने में मदद करता है। इसके अलावा आप अपनी गलतियों से भी बहुत कुछ सीखते रहते हैं। गुणवत्ता वाले मॉक टेस्‍ट के अभ्यास से आपको परीक्षा पैटर्न को बेहतर तरीके से जानने में सहायता मिलेगी। क्योंकि जब आपको परीक्षा पैटर्न की बेहतर समझ होगी तो आपको आपकी वास्तविक स्थिति भी पता चल जाएगी कि आपकी तैयारी का क्या स्तर है।

गलतियों से सीखने का मौका
सभी टॉपर्स प्रैक्टिस मॉक टेस्ट या टेस्ट सीरीज के महत्व पर सहमत हैं, क्योंकि इनका अभ्यास आपको परीक्षा में आने वाले अप्रत्याशित प्रश्नों को समझने और उन्हें हल करने की क्षमता का विकास करता है। एक सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि मॉक टेस्ट से आपको समय प्रबंधन और परीक्षा के समय के दबाव से निपटने में मदद मिलती है। ये आपको वास्तविक परीक्षा देने के दौरान संभवतरू हो सकने वाली गलतियों का एहसास करने में भी सहायता करते हैं। प्रारंभ में आप अपनी गलतियों से सीख सकते हैं किन्तु वास्तविक परीक्षा में उन्हें दोहरा नहीं सकते हैं।
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उच्च अंक प्राप्त करने के लिए
असफलता या उच्च अंक प्राप्त न कर पाने का एक प्रमुख कारण यह भी हो सकता है कि उम्‍मीदवार परीक्षा के समय पर्याप्त रूप से सतर्क नहीं है या परीक्षा के समय उसका मस्तिष्क लगातार दो घंटों के लिए उपयोग करने में सक्षम नहीं होता है। इस क्षमता को विकसित करने की आवश्यकता है कि आप लंबी अवधि के लिए अध्ययन करने का अभ्यास करें और ध्यान रहे कि इसकी पूरी तैयारी करें।

स्‍पीड बढ़ाने में फायदा
जो सभी स्टूडेंट्स मॉक टेस्ट नहीं सिर्फ प्रैक्टिस करते हैं, वे अक्सर टेस्ट में काफ़ी दिक्कतों का सामना करते हैं। जैसे कि उन्हें टेस्ट के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं होती और वे टेस्ट देते समय बेकार की परेशानी में अपना कीमती समय गवां देते हैं। जबकि जो स्टूडेंट्स काफ़ी मात्रा में मॉक टेस्ट से तैयारी करते है उनकी पेपर सोल्व करने की स्पीड बढती हैं। वे कम से कम समय में ज़्यादा प्रशन सोल्व करना सीख जाते हैं जिससे वे अपना पूरा पेपर दिए गए समय में कर लेते हैं, और साथ ही उन्हें हर विषय से प्रश्‍न सोल्व करने की जानकारी होती हैं इसलिए उनके सभी उत्तर सही होने की संभावना बढ़ जाती हैं।

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RRB Exam Tips: आरआरबी ग्रुप डी एग्जाम के लिए फायदेमंद होंगी ये टिप्स, ऐसे पहली बार में होंगे पास

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RRB Group D Exam Preparation Tips: आराआरबी ग्रुप-डी की परीक्षा लंबे इंतजार के बाद इस साल 15 दिसंबर से शुरू होने वाला है। रेलवे भर्ती बोर्ड ने इसके लिए आवेदन प्रक्रिया पिछले साल फरवरी माह में शुरू की थी, लेकिन कोरोना के कारण परीक्षा रूकी रही। यदि आपने भी आरआरबी ग्रुप-डी के लिए आवेदन किया है तो अपनी तैयारियां पूरी कर लें। बता दें कि ग्रुप-डी के लिए रेलवे की ओर से 1,03,769 पदों पर वैकेंसी निकली है, जिसके लिए करीब 2.5 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों ने आवेदन किए हैं।

पहले सिलेबस को जाने
परीक्षा कोई भी हो, सबसे पहले उसके सिलबेस को अच्छी तरह से जान लेना बहुत जरूरी होता है। सिलेबस की अच्छी जानकारी और समझ होने के बाद आप मजबूती से तैयार कर सकेंगे। कुछ लोग बिना सिलेबस को जाने-समझे तैयारी करने लगते हैं, जिससे एग्जाम के वक्त उन्हें काफी समस्या होती है, क्योंकि कई आवश्यक टॉपिक उनसे मिस हो जाते हैं। ऐसे में उम्मीदवारों को यह सलाह दी जाती है कि वे सिलेबस को अच्छे से पढ़ें और समझें।

प्लानिंग के साथ तैयारी करें
आरआरबी ग्रुप-डी की परीक्षा 100 अंक की होगी, जिसके लिए प्रश्न भी 100 होंगे। प्रत्येक प्रश्न 1-1 अंक के होंगे। इसके लिए कुल 90 मिनट का समय दिया जाएगा। इसमें जनरल साइंस से 25, मैथ्स से 25, जनरल इंटेलीजेंस एंड रीजनिंग से 30, बजनरल अवेयरनेस एंड करेंट अफेयर से 20 प्रश्न पूछे जाएंगे। बता दें कि परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग होगी, जिसमें प्रत्येक गलत उत्तर के लिए एक तिहाई अंक काट लिए जाएंगे। यानी 3 गलत जवाब पर 1 अंक काट लिए जाएंगे। इसलिए आपको तैयारी पूरी प्लानिंग के साथ करनी है।
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गलत जवाब न दें
जैसे की बताया गया है कि इस परीक्षा में 100 प्रश्न पूछे जाते हैं और इसमें नेगेटिव मार्किंग भी होती है, इसलिए आपको गलत जवाब देने से बचना होगा। यदि आप किसी प्रश्न में 100% कन्फर्म नहीं है तो आप उसे छोड़ कर आगे बढ़ जाएं। बर्बाद होगा और गत उत्‍तर पर नंबर भी कटेगा। क्‍योंकि आपको प्रत्येक प्रश्न के लिए महज 30-35 सेकंड का समय मिलेगा इसलिए आपको खुद को कम समय में सही जवाब देने के लिए तैयार करना होगा।

एनसीईआरटी के किताब से करें गणित की तैयारी
इस परीक्षा में गणित सेक्शन के प्रश्न बेसिक लेवल के आते हैं, लेकिन कई बाद छात्र इसके लिए भारी भरकम किताबों से पढ़ने लगते हैं। बाद में कॉन्सेप्ट क्लियर नहीं रहता है और परीक्षा से पहले सब भूलने लगते हैं। इसलिए सबसे अच्छा है कि आप एनसीईआरटी की किताब से तैयारी करें। साथ ही पुराने नोट्स की मदद भी लें।
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करंट अफेयर्स से स्‍कोर करें
परीक्षा में करंट अफेयर्स से करीब 20 प्रश्न पूछे जाते हैं। यह विषय स्कोरिंग के लिए सबसे सही विषय है। आपको इसके लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है, बल्कि पिछले 1-2 साल के मुख्य घटनाओं को ध्यान में रखना है। इसके लिए आपको रोजाना न्यूज़ पेपर, मैगज़ीन पढ़ने की आवश्यकता है। रोजाना एक नियम के अनुसार आपको यह काम करना होगा। आप आसानी से 20 में से 20 अंक हासिल कर सकते हैं।

पुराने पेपर करें सॉल्व
किसी भी परीक्षा की बेहतर तैयारी करने का सबसे सही तरीका है पुराने प्रश्नपत्रों को सॉल्व करना। इससे आप पेपर के सही पैटर्न को जान सकेंगे। साथ ही विषयवार तैयारी भी कर सकेंगे। पुराने पेपर को सॉल्व करने से आपकी प्रैक्टिस भी हो जाएगी। वहीं पुराने प्रश्नों को हल करते वक़्त आप खुद की क्षमता का भी आकलन कर सकतें हैं। प्रैक्टिस से यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि कैसे प्रश्न में आपको कितना समय लग रहा है।

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Financial Engineering में है बेहतर करियर ऑप्शन, जानें कैसे मिलेगी अच्छी नौकरी

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Career In Financial Engineering: पिछले कुछ वर्षों में, फाइनांशियल इंडस्ट्री के नेचर में भारी बदलाव आया है और फाइनांस प्रोफेशनल्स की आवश्यकता नए ग्रोथ और ट्रेंड के अनुसार सबसे आगे है। इस कोर्स का मुख्य फोकस रिस्क और क्रेडिट इनवेस्टमेंट में निहित है। यह एक मल्टीडिसिप्लीनरी फील्ड है जिसमें फाइनांशियल एनालिसिस और मॉडलिंग, इंजीनियरिंग टेक्निक्स, मैथमेटिकल टूल्स और सॉफ्टवेयर ट्रेनिंग शामिल है।

फाइनांशियल इंजीनियरिंग
"फाइनांशियल इंजीनियरिंग सेविंग, इनवेस्टमेंट, उधार लेने, उधार देने और रिस्क मैनेजमेंट के बारे में निर्णय लेने के लिए साइंस-बेस्ड मैथेमेटिकल मॉडल का एप्लीकेशन है।" यह वर्णन बोस्टन विश्वविद्यालय के नॉर्मन और एडेल बैरन मैनेजमेंट के प्रोफेसर, प्रो जवी बोडी के अनुसार है। मास्टर इन साइंस या मास्टर्स इन फाइनेंशियल इंजीनियरिंग (एमएफई) आपको नई क्वांटेटिव रोल के लिए तैयार करेगा जैसे कि रिस्क मॉडल और ट्रेडिंग डायरेक्टली, लाइब्रेरी कंट्रोल, मॉडल वैलिडेशन, रिस्क मैनेजमेंट और प्रोग्रामिंग।

फाइनांशियल इंजीनियरिंग का म हत्व
  • यह स्टडी का वह फील्ड है जो पोर्टफोलियो के कुल रिस्क का आकलन करके इनवेस्टमेंट में रिस्क को कम करने में मदद करता है।
  • कोर्स फाइनांशियल मार्केट को जरूरतों और चाहतों के मिलान के सरल माध्यमों से अधिक सक्रिय और कुशल बनाने में भी सहायता करता है।
  • कोर्स बिजनेस के प्रोडक्ट और संपत्ति का फाइनेंशियल एनालिसिस देने में मदद करता है।
  • यह कंपनी की स्ट्रैटजी को आगे बढ़ाने में भी मदद करता है।
  • मार्केट के भविष्य के बिहेवियर की भविष्यवाणी और विश्लेषण करने के लिए पाठ्यक्रम रियल टाइम की इकोनॉमिक उत्तेजना भी पैदा करता है।
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सब्जेक्ट और कोर्स
  1. अंडरग्रेजुएट कोर्स (UG) - बीटेक फाइनांशियल इंजीनियरिंग
  2. पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स (PG) - एमएस इन फाइनांशियल इंजीनियरिंग, एमटेक फाइनांशियल इंजीनियरिंग, एमएस इन कंप्यूटेशनल फाइनांस, एमएस इन मैथेमेटिकल फाइनांस, एमएस इन फाइनांशियल मैथ्मेटिक्स एंड क्वांटेटिव फाइनांस
  3. पीएचडी कोर्स - फाइनांशियल इंजीनियरिंग
  4. सर्टिफिकेशन कोर्स - रिस्क मैनेजमेंट अस्योरेंस, इंफोर्मेशन सिस्टम ऑडिटर, सर्टिफिकेशन इन क्वांटिटिव फाइनांस, मशीन लर्निंग फोर ट्रेडिंगइंट्रेस्ट रेट मॉडल्सरेनफॉर्समेंट लर्निंग इन फाइनांस

फाइनांशियल इंजीनियरिंग में मास्टर्स कराने वाले विश्व के टॉप यूनिव्रसिटी, कॉलेज
  • जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
  • यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, बर्केले
  • वाशिंगटन यूनिवर्सिटी
  • स्टोनी ब्रुक यूनिवर्सिटी
  • नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी
  • बारूच कॉलेज
  • यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया लॉस एंजिल्स
  • मिशिगन यूनिवर्सिटी
  • यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस एट अर्बाना-शैंपेन

भारत में टॉप यूनिवर्सिटी
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी - खड़गपुर
  • क्वांटइंस्टी क्वांटिटेटिव लर्निंग प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्वांटिटेटिव फाइनांस, मुंबई
  • जीडी गोयनका एजुकेशन सिटी, हरियाणा
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करियर पाथ
इस क्षेत्र में मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाले उम्मीदवार के पास फाइनांस इंडस्ट्री में कैरियर बनाने के विभिन्न ऑप्शंस होते हैं। बड़ी कंपनियों में ये हाई-लेवल पोजीशन में भर्ती किए जाते हैं। फाइनांशियल इंजीनियरिंग करने के इच्छुक कैंडिडेट के पास करियर विकल्प कुछ इस तरह के होते हैं-
  1. एग्जीक्यूशन
  2. फाइनांस रेगुलेशन
  3. कॉरपोरेट फाइनांस
  4. पोर्टफोलियो मैनेजमेंट
  5. ट्रेडिंग
  6. डेरिवेटिव प्राइसिंग
  7. रिस्क मैनेजमेंट
  8. स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स
  9. वैल्यूएशन ऑफ ऑप्शन
  10. मार्केट एनालिस्ट
  11. रिस्क एनालिस्ट

जरूरी स्किल
पायथन, जावा, सी++ और स्काला जैसी भाषाओं में कोडिंग स्पेशलाइजेशन के बेसिक स्किल के अलावा, आपके पास कम्यूनिकेशन और एनालिटिकल स्किल भी होना चाहिए।
कैंडिडेट को लाइनर अल्जेब्रा, स्पेसिअल ज्यामेट्री, स्टोकेस्टिक कैलकुलस और डेफरेंसियल इक्वेशंस की समझ होनी चाहिए।
कैंडिडेट इंडस्ट्री में नवीनतम डेवलपमेंट के साथ बने रहें। कैंडिडेट्स को फ्यूचर फाइनांशियल मॉडल के निर्माण के लिए लगातार पढ़ने, क्रंच करने और सूचनाओं को लागू करने का आदी होना चाहिए।

वेतन
2020 के अनुसार फाइनांशियल इंजीनियरों का औसत वेतन 58 लाख है जबकि एक फाइनांस इंजीनियर का औसत वेतन लगभग 79 लाख प्रति वर्ष है। अगर हम सही गणना करें, तो एक फाइनांस इंजीनियर प्रति घंटे लगभग 11 हजार कमाता है। कुछ आंकड़ों के अनुसार, आप कुछ और वर्षों का अनुभव प्राप्त करने के बाद कहीं भी 1 करोड़ से ढ़ाई करोड़ के बीच कमा सकते हैं। फाइनेंशियल इंजीनियरिंग एक डायनेमिक फील्ड है जिसमें आपको लगातार खुद को अपडेट करते रहना जरूरी है।

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Maths Practice Tips: तेज दिमाग के लिए जरूरी है मैथ्स प्रैक्टिस, इन तरीकों से बनेगा पसंदीदा विषय

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Basic Maths Tips: 14 से 18 साल के स्टूडेंट्स पर हुए रिसर्च में यह बात सामने आई है। रिसर्चर के अनुसार जो स्टूडेंट्स टीनएज में मैथ्स पढ़ना छोड़ देते हैं या इस सब्जेक्ट से दूरी बना लेते हैं उनके दिमाग के खास हिस्से पर उसका असर होता है। दिमाग का जो हिस्सा सोचने-समझने की क्षमता के लिए जिम्मेदार होता है वहां खास किस्म के केमिकल गामा- अमीनोब्यूट्रिक एसिड में कमी देखी गई है।

रिसर्च के दौरान स्टूडेंट्स को दो ग्रुप में बांटा गया। पहले ग्रुप में ऐसे छात्र थे जिन्होंने मैथ्स विषय लिया था जबकि दूसरे ग्रुप में ऐसे छात्र जिन्होंने मैथ्स सब्जेक्ट नहीं लिया था। करीब 19 महीने छात्रों के दिमाग की जांच की गई। जांच में सामने आया कि जिन छात्रों ने मैथ्स से दूरी बनाई थी उनके दिमाग में 19 महीने बाद भी सोचने-समझने की क्षमता के लिए जिम्मेदार माना जाने वाला रसायन कम मात्रा में मिला। वहीं मैथ्स के छात्रों में यह केमिकल पर्याप्त मात्रा में था।

मैथ्स का असर फजिकल डेवलपमेंट पर भी
रिसर्चर रोउ कोहेन के अनुसार मैथ्स का छात्रों पर शारीरिक और मानिसक रूप से भी असर पड़ता है। टीनएज बहुत खास उम्र होती है क्योंकि इस उम्र में ब्रेन का विकास होने के साथ सोचने-समझने की क्षमता भी डेवलप होती है। लेकिन इस दौर में कई छात्र मैथ्स से दूरी बना ले ते हैं इसलिए जरूरी है कि छात्रों को मैथ्स मेंरुचि हो। मैथ्स में रुचि पैदा करने के लिए कुछ जरूरी टिप्स
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मैथ्स को समझें
अक्सर मैथ्स को लेकर लोगों के मन में इस तरह का डर बना दिया जाता है कि जिन लोगों को गणित पढ़ने में रुचि रहती है वे भी सुनी-सुनाई बातों के चलते मन में एक डर का भाव बना लेते हैं कि मैथ्स तो सबसे कठिन सब्जेक्ट है जिसे पढ़ने के लिए बहुत तेज दिमाग का होना जरूरी है।

स्टेप बाय स्टेप पढ़ें
मैथ्स एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसे अचानक कहीं से आप पढ़ना शुरू करते हैं तो यह विषय जल्दी से समझ में नहीं आ सकता है। गणित पढ़ने की एक पूरी प्रक्रिया होती है जिसे फॉलो करके एक स्टेप से दूसरे स्टेप तक बढ़ते हुए मैथ्स को सीखा जाता है।
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डेली प्रैक्टिस
मैथ्स एक ऐसा सब्जेक्ट है जिसका जितना अधिक प्रैक्टिस करते हैं यह उतना ही आसान लगता है। मैथ्स के किसी भी चैप्टर के शुरू होने या खत्म होने के बाद कुछ अभयास प्रश्न दिए होते हैं जिनका हल भी अक्सर बताया होता है। जब आप मैथ्स सब्जेक्ट पढ़ते हैं तो पहले उस चैप्टर को अच्छी तरह से पढ़ें और समझ लें फिर जो सवाल हल किए गए हैं आखिर वे किस कॉन्सेप्ट से हले किए गए हैं यह अच्छी तरीके से समझने की कोशिश करें। खूब प्रैक्टिस करें।

फॉर्मूले के आधार पर स्टडी
मैथ्स एक ऐसा सब्जेक्ट है जो कि फॉर्मूले पर आधारित होता है। अगर इन फॉर्मूलों को सही से समझ पाते हैं तो फिर आसानी से गणित के सवालों को हल किया जा सकता है। मान लीजिए अगर आपसे कोई पूछता है 56 का 9 गुणा कितना होता है तो ऐसे में 56 के पहाड़े तो याद होंगे नहीं तो ऐसे में यदि हमें गुणा करने का फॉर्मूला पता होगा तो इसे कुछ सेकेंड में ही मन में हल कर आंसर बता सकते हैं।

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Online Course Tips: जानें कैसे चुनें अपना बेस्ट ऑनलाइन कोर्स, इन बातों का रखें ख्याल

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How To Choose Best Online Courses: कोरोना वायरस महामारी के कारण सभी स्‍कूल कॉलेज करीब डेढ़ साल से बंद पड़े हैं, जिसके कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जिसके कारण ज्यादातर संस्थानों ने ऑनलाइन एजुकेशन देना शुरू किया है। वहीं वर्तमान समय में, अधिकांश लोग घर से काम कर रहे हैं, ऐसे में छात्रों के साथ सभी के पास थोड़ा समय रहता है। यह एक अच्छा मौका है जब आप कुछ ऑनलाइन कोर्स करके अपने करियर को और आगे ले जा सकते हैं। ऑनलाइन कई ऐसे कोर्स हैं, जिन्हें घर से मुफ्त में किया जा सकता है। एक ओर जहां ये पाठ्यक्रम आपकी बोरियत को कम करेंगे, वहीं ये आपको कुछ नया सीखने का मौका भी देंगे।

ऑनलाइन कोर्स चुनते रखे ध्‍यान
आज छात्रों के साथ नौकरीपेशा लोग भी ऑनलाइन पाठ्यक्रमों में रुचि दिखा रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन कोर्स चुनते समय कई बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो। सबसे पहले कोई फ्री ऑनलाइन कोर्स चुनते समय देखें कि आप क्या सीखना चाहते हैं और भविष्य में यह कितना फायदेमंद है। हर दिन हमें कुछ न कुछ सीखना चाहिए। ऐसी कई चीजें हैं जो हम नहीं जानते हैं, लेकिन अगर सीखा जाए तो भविष्य में इसका फायदा मिलेगा। इसलिए ऐसा कोर्स चुनें जो भविष्य में आपकी मदद कर सके।
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कोर्स के बारे में जानें
आप जिस भी फ्री ऑनलाइन कोर्स को चुनना चाहते हैं, पहले उस कोर्स से संबंधित रिसर्च करें। उस कोर्स की पूरी जानकारी को अच्छे तरह पढ़ ले। कहीं ऐसा न हो आप कोर्स शुरू करे और बाद में आपको यह पता चले की यह कोर्स आपके मतलब की नहीं है और आपको कोई फायदा नहीं पहुंचा सकता।

आसपास के कॉलज- संस्‍थान में पता करें
कोई भी कोर्स चुनते समय एक बार उसके बारे में क्रॉस चेक जरूर करें। अपने आसपास के ऐसे कॉलेज-संस्‍थान की जानकारी लें, जहां पर आपके चुने हुए पाठ्यक्रमों को पढ़ाया जाता हो। इससे आपको कोर्स के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी। कोर्स का चुनाव करते समय ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आप अपनी आखों पर पट्टी बांध कर कोई भी कोर्स का चुनाव कर ले और आपको बाद में पछताना पड़े।

मांग के अनुसार कोर्स चुनें
जो भी कोर्स आप चुन रहे हैं, पहले यह देखें कि क्या मार्केट में इस कोर्स की मांग है की नहीं, कहीं ऐसा न हो कि आप समय और पैसा खर्च करके कोर्स कर ले और फिर बाद में आपको पता लगे कि इस कोर्स की मार्केट में कोई वेल्यू ही नहीं है। इसलिए कोर्स का चयन करने से पहले कोर्स की मार्किट वेल्यू जरूर पता कर ले, ताकि बाद में आपको इसका भरपूर लाभ मिल सके।
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फीस पर दें ध्‍यान
कोई भी कोर्स चुनते समय फीस का विशेष ध्यान रखें। ऑनलाइन कोर्स के नाम पर कई बार लोग ठगी के शिकार हो जाते हैं, इसलिए फीस तभी दें, जब पूरी जानकारी मिल जाए। साथ ही समय के अनुसार अपने फ़ीस का प्रबंधन भी करें। इस से आपको कोई भी ऑनलाइन कोर्स करने में कोई दिक्कत नहीं आएँगी।

यहां से प्राप्त करें ऑनलाइन फ्री कोर्स
रोजगार में मदद करने के लिए गूगल द्वारा How to expand the digital market through online courses? कोर्स दिया जाता है, जो की फ्री है। इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त पैसे देने की जरुरत नहीं है। इस कोर्स में आपको सिखाया जाएगा कि आप अपनी डिजिटल मार्केट को कैसे बढ़ा सकते है। साथ ही मोबाइल के जरिए नए ग्राहकों तक कैसे पहुंचा जाए इसकी पूरी जानकारी इन कोर्स में आपको दी जाएँगी। यह पाठ्यक्रम एक बेसिक स्तर का पाठ्यक्रम है और इसमें दो मॉड्यूल शामिल होने के कारन यह कुल दो घंटे का कोर्स है।

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Career In Social Sector: सोशल सेक्‍टर में ऐसे बनाएं करियर, जॉब के साथ मिलेगी अच्‍छी सैलरी

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Jobs In Social Sector For Freshers: देश में जिस तरह से जनसंख्‍या बढ़ रही है, उसी तरह सामाजिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं और उन्हें दूर करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं। इस वजह से सोशल वर्क का दायरा भी लगातार बढ़ रहा है और साथ में ट्रेंड लोगों की डिमांड भी। जिसके कारण अब युवाओं को इस क्षेत्र में भी अच्‍दा करियर बनाने का मौका मिल रहा है। जो भी समाज सेवा के साथ अच्‍छा पैसा कमाना चाहता है, उनके लिए इस सेक्‍टर में करियर बनाना सबसे फायदेमेंद हैं।

कैसे करें एंट्री
इस सेक्‍टर में काम करने के लिए किसी खास डिग्री की जरूरत नहीं होती है, लेकिन सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक परिस्थितियों को बेहतर ढंग से समझने के लिए होम साइंस, साइकोलॉजी, सोशियोलॉजी या सोशल साइंस में ग्रेजुएशन के बाद सोशल वेलफेयर, सोशल साइंस में मास्टर्स करना अच्छा रहेगा। भारत में कई इंस्टीट्यूट्स, यूनिवर्सिटीज में इससे संबंधित कोर्स संचालित किए जाते हैं। जहां एंट्रेंस टेस्ट और इंटरव्यू के आधार पर दाखिला मिलता है। इसके अलावाए एनजीओ मैनेजमेंट का कोर्स भी कर सकते हैं। देश में कई इंस्टीट्यूट्स और यूनिवर्सिटी में एनजीओ मैनेजमेंट से जुड़े कोर्स शुरू हो चुके हैं।

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज मुंबई, दिल्ली यूनिवर्सिटी, राजस्थान यूनिवर्सिटी, जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय, सोशल वर्क में डिप्लोमा और डिग्री के कई कोर्स संचालित कर रहे हैं, जहां से आप कोर्स कर सकते हैं।
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वर्क प्रोफाइल कैसा है?
सोशल वर्क की फील्ड में भी अब स्पेशलाइज्ड लोगों की डिमांड बढ़ने लगी है। जो चिकित्सीय और मनोवैज्ञानिक सोशल वर्क के साथ अपराधियों को सुधारने पर आधारित समाज कार्य भी करते हैं, इसके अलावा शहरी और ग्रामीण समुदाय विकास से जुड़े मानव कल्याण के कार्य, पुनर्वास, मानव अधिकार और सामाजिक कर्त्तव्य, प्राकृतिक आपदा में बचाव संबंधित कार्य नशे की लत से मुक्ति दिलाने पर आधारित कार्य और अशिक्षा दूर करने से जुड़े कार्य करना पड़ता है।

अच्‍छा करियर ग्रोथ
आज जिस तरह से डिसेबिलिटी, ड्रग्स, डिप्रेशन और बुजुर्गों की समस्याएं बढ़ रही हैं, उसे देखते हुए समाजसेवा में युवाओं की काफी दरकार है। सोशल सेक्टर में काम करने वाले प्रोफेशनल्स को लोगों की आर्थिक, सामाजिक और मानसिक समस्याओं को जानना-समझना और फिर उसका हल निकालना होता है। इसे काउंसलिंग, कॉन्फ्रेंस, सेमिनार अवेयरनेस प्रोग्राम्स के जरिए पूरा किया जाता है। इस क्षेत्र में सरकारी और गैर सरकारी, दोनों ही तरह के कार्य होते हैं, जिनमें आप एनजीओ मैनेजर, कम्युनिटी सर्विस प्रोवाइडर, एनजीओ प्रोजेक्ट कॉओर्डिनेटर, एनजीओ ह्यूमन रिसोर्स और फाइनेंस मैनेजर के तौर पर कार्य कर अच्‍छा पैसा कमा सकते हैं।
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जरूरी स्किल्स
इस सेक्‍टर में कार्य करने के लिए कई स्‍कील की जरूरत पड़ती है, जिसमें सबसे ज्‍यादा जरूरी कम्युनिटी या लोगों के साथ मिलकर काम करने का अनुभव है। इसके अलावा कम्युनिकेशन स्किल भी काफी अच्छी होनी चाहिए। साथ ही, स्थानीय भाषा के साथ-साथ इंटरनेशनल लैंग्वेज की भी जानकारी जरूरी है, क्योंकि कई बार इस फील्ड से जुड़े पेशेवर को इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर कार्य करना पड़ता है। प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटी का होना भी जरूरी है। साथ ही, सामाजिक न्याय, समाज के उपेक्षित वर्ग को मेन स्ट्रीम में शामिल करने, वंचित लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के प्रयास करने को लेकर प्रतिबद्ध होना जरूरी है।

इसके अलावा, सोशल वर्क की फील्ड में काम करने के लिए आपके पास लोगों के साइकोलॉजिकल, इमोशनल पक्षों की समझ भी होनी चाहिए। आपमें धैर्य और संवेदनशीलता होना बेहद जरूरी है। सकारात्मक बदलाव और सही फैसले लेने की क्षमता भी होनी चाहिए।

अवसर की भरमार
इस फील्ड में जॉब की काफी संभावनाएं हैं। विकास के नए तौर-तरीकों के चलते हमारे मूल्यों में जिस तरह से गिरावट आ रही है, ऐसे में सोशल सेक्टर की भूमिका काफी बढ़ गई है। जाहिर है नौजवानों के लिए इस क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ेंगी। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां विदेशों में भी काम के काफी अवसर हैं। नाटो, विश्व स्वास्थ्य संगठन, एमनेस्टी इंटरनेशनल, रेडक्रॉस, ग्रीनपीस, यूनिसेफ, यूनाइटेड नेशन, यूनेस्को, ओसीडीए विश्वबैंक, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट, एनवॉयर्नमेंट प्रोटेक्शनए यूनाइटेड नेशन एजुकेशनल साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन जैसी नामी संस्थाओं के अलावा कई अन्‍य संस्‍थाएं जॉब का मौका देती हैं।

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NDA Exam Preparation: 10वीं के बाद देना है एनडीए एग्जाम? जानें कैसे करें तैयारी और पैटर्न

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NDA Exam Preparation Tips: देश की सेवा करने के लिए भारतीय सेना में शामिल होना हर युवा का सपना होता है। देश सेवा के साथ अच्‍छे करियर और रूतबे की नौकरी युवाओं को अपनी तरफ बेहद आकर्षित करती है। इसके लिए युवाओं की पहली प्राथमिकता राष्ट्रीय रक्षा अकादमी होती है। इसके माध्‍यम से युवा 12वीं के बाद सीधे भारतीय सेना में अधिकारी बन कर अपने सपनों को जी सकते हैं।

बेहतर तरीके से करें स्टडी प्लान शेड्यूल
एनडीए की तैयारी के लिए स्मार्ट अध्ययन योजना होना आवश्यक है। यहां, स्मार्ट अध्ययन योजना का अर्थ है कि अपने समय और एनडीए पाठ्यक्रम को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करना। आपकी तैयारी का कार्यक्रम सुव्यवस्थित होना चाहिए ताकि आप अच्छे अंक प्राप्त कर सकें।

मूल बातें स्पष्ट हो
परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले अपने पूर्ण पाठ्यक्रम का विश्लेषण करें और उन विषयों को चिह्नित करें जिनके लिए अधिक एकाग्रता की आवश्यकता होती है। जिसके बाद आप अपनी तैयारी शुरू करें, अगर आपके बेसिक्स स्पष्ट हैं तो केवल आप उच्च स्तरीय प्रश्नों को हल करने में सक्षम हैं।
Maths Practice Tips: तेज दिमाग के लिए जरूरी है मैथ्स प्रैक्टिस, इन तरीकों से बनेगा पसंदीदा विषय

सामान्य ज्ञान और अंग्रेजी पर दें ध्यान
एनडीए में जाने के लिए अंग्रेजी में दक्षता आवश्यक है। आपकी अंग्रेजी न केवल लिखित परीक्षा में परखी जाती है बल्कि अगर आपकी अंग्रेजी में धाराप्रवाह है, तो यह साक्षात्कार के समय चयनकर्ताओं पर अच्छा प्रभाव छोड़ सकता है। वहीं सामान्य ज्ञान पाठ्यक्रम का हिस्सा है, इसलिए इसे अच्छी तरह से तैयार करें। आप समाचार पत्रोंए पत्रिकाओंए पत्रिकाओं को पढ़कर अपने जीके हिस्से को मजबूत कर सकते हैं।

सही पुस्‍तकों का करें चुनाव
इस परीक्षा में सही पुस्तकों से तैयारी बहुत आवश्यक है। बाजार बड़ी संख्या में बुक स्टॉक से भरा हुआ है लेकिन हर पुस्तक से आपको पूरा मार्गदर्शन मिल सके, यह संभव नहीं है। इसलिए पूरी जानकारी हासिल करने के बाद सही पुस्‍तक का चुनाव करें, हो सके तो किसी से पहले जानकारी ले लें।
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पिछले वर्ष के प्रश्न पत्रों को हल करें
तैयारी को सही दिशा में करना बहुत जरूरी है। पिछले वर्ष के प्रश्नों को हल करने से आपकी गति में वृद्धि होगी और साथ ही आपको परीक्षा के एनडीए परीक्षा पैटर्न और परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों के कठिनाई स्तर के बारे में विचार मिलेगा।

अपने आपको स्‍वास्‍थ्‍य रखें
एनडीए के माध्यम से चयन न केवल लिखित परीक्षा पर आधारित है, बल्कि आपका व्यक्तित्व और स्वास्थ्य भी इसमें प्रमुख भूमिका निभाता है। सभी एस्पिरेंट्स को सलाह दी जाती है कि आप पर्याप्त भोजन और पानी के सेवन के माध्यम से आपको फिट और स्वस्थ रखें। इसके अलावाए तनाव से राहत पाने के लिए योग या किसी अन्य व्यायाम या ध्यान को भी प्राथमिकता दें।
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एनडीए का परीक्षा पैर्टन
एनडीए की लिखित परीक्षा में दो पेपर होते हैं। लिखित परीक्षा पास करने वाले छात्रों को ही इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। इसकी लिखित परीक्षा में पेपर 1 मैथ्स का होता है तो वहीं पेपर 2 जनरल एबिल्टी टेस्ट होता है। यह कुल 900 अंक का पेपर होता है जिसमें से पेपर 1 मैथ्स 300 अंक का तो वहीं पेपर 2 जीएटी 600 अंक का पेपर होता है। एनडीए की लिखित परीक्षा का सिलेबस सीबीएसई 12वीं के सिलेबस के समान होता है।

वहीं मैथ्स के पेपर में 120 प्रश्न पूछे जाते हैं। जिन्हें हल करने के लिए 2.30 घंटे का समय मिलता है। तो वहीं जीएटी पेपर में 150 प्रश्न पूछे जाते हैं। यह पेपर भी 2.30 घंटे का और 600 अंक का होता है। दोनों पेपर ऑफलाइन माध्यम यानि कि पेन व पेपर मोड में होते हैं। जनरल एबिल्टी टेस्ट भी दो भागों में बंटा होता है। जिसके एक भाग में इंग्लिश व दूसरे भाग में जनरल स्टडीज विषय से प्रश्न आते हैं।

अंको का विभाजन इस प्रकार होता है-
  • जनरल इंग्लिश- 50- 200
  • फीजिक्स- 25- 100
  • केमेस्ट्री- 15- 60
  • जनरल साइंस- 10- 40
  • हिस्ट्रीए फ्रीडम मूवमेंट- 20- 80
  • ज्योग्राफी -20- 80
  • करेंट अफेयर्स -10- 40

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Career Tips: क्या करता है ब्रांड मैनेजर? जानिए किस कोर्स के बाद मिलता है अच्छा सैलरी पैकेज

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Career As A Brand Manager: आज के डिजिटल युग और प्रतिस्पर्धी बाजारवाद ने मार्केट में ब्रांडों के साथ उपभोक्‍ताओं के रिश्‍तों को बदल दिया है। इसलिए अब हर कंपनी अपनी छवि बनाये रखने के साथ अपने प्रोडक्ट को कस्‍टमर तक पहुंचाने को ज्‍यादा महत्‍व दे रहा है। जब ये कंपनियां ऐसा करने में सक्षम नहीं हो पाती, तो मार्केट में उनका सरवाइव करना बहुत मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स को दूसरे से बेहतर बताने की रेस में शामिल हो गयी हैं। ऐसा करने के लिए एक अच्छे ब्रांड मैनेजर की जरूरत होती है।

जीवन में एक सफल ब्रांड मैनेजर बनने के हुनर सीखने के लिए आज के समय में मार्केट में कई ब्रांड मैनेजमेंट कोर्स उपलब्ध हैं, ज्यदातर छात्र ब्रांडिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, अतः ब्रांड मैनेजमेंट से जुड़े कुछ विशेष जानकारी हम यहां दे रहे, जिससे आप एक काबिल ब्रांड मैनेजर बन सके।

ब्रांड मैनेजमेंट के क्षेत्र
ब्रांड मैनेजमेंट में कई तरह के कोर्स कराए जाते हैं। जिसमें मुख्‍यता मार्केट रिसर्च, एनालिसिस ऑफ मार्केटिंग ट्रेंड, कज्यूमर डिमांड, ब्रांड लॉन्च एंड यूएसपी, ब्रांड रिसर्चए ब्रांड प्रमोशन और डिस्ट्रिब्यूशन आदि है। इन सभी एरिया के लिए मार्केट में कई विशेष कोर्स उपलब्ध हैं, इनका अध्ययन कर इस क्षेत्र में विशेष रूप से सफलता प्राप्त की जा सकती है।

शैक्षणिक योग्यता
एक सफल ब्रांड मैनेजर बनने के लिए अभ्यर्थी के पास ब्रांड मैनेजमेंट या मैनेजमेंट में डिग्री या डिप्लोमा होना जरूरी है। आजकल भारत के कई संस्थानों में इसके लिए अलग-अलग कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। जिसमें आप दाखिला लेकर पढ़ाई कर सकते हैं। इसके अलावा शॉर्ट टर्म कोर्स भी फायदेमंद होते हैं। जिनको पूरा करने के उपरांत आप ब्रांड मैनेजर बन सकते हैं।
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क्रिएटिव होना एक अनिवर्य शर्त है
आज के समय में मार्केट में बने रहने के लिए रोज नए नए आइडियाज की जरुरत होती है। तभी अपने आप को ग्राहकों के बीच दूसरों से ज्यादा आकर्षक और मशहूर बनाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इन आइडियाज के बदौलत ही ब्रांड प्रमोशन के नए नए तरीके ईजाद किये जाते हैं। किसी भी क्षेत्र में अगर आइडिया क्रिएटिव हो तभी वो ज्यादा कारगर होती है। इसके साथ ही साथ इस क्षेत्र में सफलता के लिए मार्केट रिसर्च, एनालिसिस, सेल्स और प्रोडक्ट के प्रमोशन की प्लानिंग जैसी स्किल्स की भी पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।

अच्छा पैकेज और स्‍कोप
हर कंपनी अपनी बजट के अनुरूप ही अपने कर्मचारियों की सैलरी तय करती है। इसलिए एक कंपनी से दूसरी कंपनी के बीच ब्रांड मैनेजर की सैलरी अलग होती है। औसतन एक ब्रांड मैनेजर को जॉब के शुरू में 30 हजार से 50 हजार रुपये तक की सैलरी ऑफर होती है। जिसमें समय के साथ एक्सपीरियंस के आधार पर बढ़ोत्तरी होती रहती है। इस क्षेत्र में अगर आपमें प्रतिभा है तो आप हायर लेवल तक पहुँच सकते हैं। इसके अतिरिक्त आपको विदेश जाने का अवसर भी प्राप्त हो सकता है। इस क्षेत्र में काम करने वाले अधिकतर युवाओं को भारत के अतिरिक्त विदेश में भी काम करने के कई बेहतर मौके मिलते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत की तुलना में अन्य देशों में इस क्षेत्र में सैलरी कई गुना अधिक मिलती है।
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सफल ब्रांड मैनेजर की विशेषताएं
बेहतर और सफल ब्रांड मैनेजर में कई गुणों का समावेश होना चाहिए। उदहारण के रूप में ब्रांड मैनेजर के पास अच्छी कम्यूनिकेशन स्किल का होना पहली शर्त है। ब्रांड से जुड़े लोगों का काम अपने प्रोडक्ट की छवि को मार्केट में बेहतर बनाना होता है और यह काम बिना अच्छे कम्यूनिकेशन स्किल के संभव ही नहीं है। इसी तरह तत्काल सोचने की क्षमता वाला दिमाग भी इस क्षेत्र की एक बड़ी जरूरत है। यह व्यवसाय ही मार्केट रिसर्च और कॉम्पीटिटिव कंपनियों से खुद को बेहतर साबित करने की कोशिश पर आधारित है। इसलिए अलर्ट नेस और लॉजिकल थिंकिंग के साथ रीजल्ट देने की कला भी आनी चाहिए।

ब्रांड मैनेजमेंट के अंतर्गत निम्न सब्जेक्ट कवर किये जाते हैं, जैसे-
  • प्रिंसिपल ऑफ ब्रांड मैनेजमेंट
  • मार्किट रिसर्च एंड एनालेसिस
  • मार्किट ट्रेंड एनालिसिस
  • कंज्यूमर डिमांड एंड विहेवियर
  • एडवरटाइजिंग एंड मार्केटिंग
  • ब्रांड लांचिंग एंड यूनिक सेलिंग प्रोमोशन
  • ब्रांड प्रमोशन
  • डिस्ट्रीब्यूशनए मार्केटिंगए पैकेजिंग

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Jobs After IIT: नामी कंपनियों में जॉब की जगह आईआईटीएन ऐसे कर सकते हैं र्स्‍टाटअप पर फोकस

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Career After Graduation In IIT: कोरोना में हुए लॉकडाउन के बाद आईआईटी कंपनियों में जॉब्‍स की बहार आई हुई है। देशी-विदेशी दर्जनों कंपनियां इस समय हजारों वैकंसी निकाल रही हैं। देश की सिर्फ 5 टॉप आईटी कंपनियां टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और टेक महिंद्रा ही इस वित्तीय वर्ष के लिए कैम्‍पस से 91,000 को नौकरी देने की योजना बनाई है। इसके अलावा कई अन्‍य देशी-विदेशी कंपनियां हैं, जो लाखों लोगों को नौकरी देंगी, भर्तीयों में इसलिए बढ़ोतरी हुई है क्योंकि लॉकडाउन कम होने के बाद मांग में तेजी आई है।

आईआईटी कैंपस से पढ़ाई के बाद विकल्प
आईआईटी कैंपस में पढ़ाई खत्‍म होने से पहले ही प्लेसमेंट की खबरें फैलने लगती हैं। बड़ी-बड़ी मल्टीनैशनल कंपनियां अपने ऑफर के साथ कैंपस में एंट्री करती हैं। हालांकि अब देखा जा रहा है कि आईआईटी में प्लेसमेंट का पैटर्न बदल रहा है। छात्र अब पढ़ाई पूरी करने के बाद अपना खुद का र्स्‍टाटअप शुरू करने पर फोकस कर रहे हैं। यही कारण है कि अब ऐसे छात्रों की मदद करने के लिए भारतीय स्टार्टअप आगे आए हैं। इसमें महत्‍वपूर्ण भूमिका मोदी सरकार के 2016 में शुरू किए गए र्स्‍टाटअप इंडिया योजना की भी है।

स्टार्टअप कैंपस प्लेसमेंट में ले रहे भाग
बता दें कि अब कई स्टार्टअप कंपनियां भी लगातार कैंपस प्लेसमेंट में भाग ले रही हैं। कई स्टार्टअप छात्रों को नौकरी के कई अच्छे अवसर दे रहे हैं और छात्र भी इनसे खुलकर जुड़ रहे हैं। छात्रों का मानना है कि नामी औी बड़ी कंपनियों की जगह वह इन कंपनियों से जुड़कर बेहतर कर सकते हैं।
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स्टार्टअप छोटे शहरों के लिए ज्यादा फायदेमंद
फोर्ब्स इंडिया के अनुसार, स्टार्टअप इंडिया अभियान के तहत भारत में नए बिजनेस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं और जोरदार प्रतिस्पर्धा दिख रहा है। देश के बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहर र्स्‍टाटअप इंडिया मुहिम को तेजी से अपना रहे हैं। इंदौर, जयपुर, रायपुर तथा चंडीगढ़ जैसे शहरों में यह अभियान ज्यादा कामयाबी हासिल कर रहा है।

छोटे शहरों में स्टार्टअप को लेकर बढ़े रुझान के पीछे कई अहम कारण हैं। बड़े शहर ट्रैफिक समस्या, सड़कों पर भारी भीड़ और महंगाई की मार झेलते हैं। मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरू जैसे बड़े शहरों को आए दिन भारी ट्रैफिक के कारण कई कामकाजी घंटों का नुकसान उठाना पड़ता है। जबकि छोटे शहरों में देखा जाए तो यहां पर ट्रैफिक जाम की कोई बड़ी समस्या नहीं होती। जाम नहीं होने के कारण लोगों का समय बर्बाद नहीं होता, मजदूरी सस्ती होती है और लागत भी ज्यादा नहीं होती।

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब
नॉस्कॉम के अनुसार भारत इस समय दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप हब बन गया है। हालांकि अभी भी शीर्ष पर कायम 2 देशों की तुलना में भारत काफी पीछे है। सबसे सफल कंपनियों यानी यूनिकॉर्न के नंबरों के आधार पर देखा जाए तो अमेरिका और चीन में सबसे ज्यादा क्रमशः 126 और 77 यूनिकॉर्न हैं जबकि भारत में इसकी संख्या 18 तक पहुंच गई। इंग्लैंड में 15 और जर्मनी में 6 यूनिकॉर्न हैं।
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अवसर हैं बड़े
पिछले कुछ वर्षों में युवाओं में एंटरप्रेन्योरशिप के प्रति बढ़ते रुझान के कारण देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम में अच्छी प्रगति देखी गई है। नवाचार और जोखिम से जूझने के उनके सकारात्मक जज्बे के कारण यह विश्वास निरंतर मजबूत हो रहा है। टेक्नोलाजी का सपोर्ट भी देश में स्टार्टअप की वृद्धि को गति प्रदान कर रहा है। इंटरनेट की सुलभता, इसका उपयोग करने वालों की संख्या में तेज वृद्धि और इंटरनेट शुल्क में कमी ने स्टार्टअप इकोसिस्टम के विस्तार में एक अहम भूमिका निभाई है।

वर्तमान में पचास करोड़ से ज्यादा भारतीय संपूर्ण देश में इंटरनेट सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। कोरोना महामारी के इस दौर में भारत के ज्ञान-विज्ञान और टेक्नोलाजी ने न केवल खुद को साबित किया है बल्कि खुद को आगे भी बढ़ाया है। ऐसे में स्टार्टअप को ऐसे इंस्टीट्यूशंस का निर्माण करना चाहिए जो ऐसे विश्वस्तरीय उत्पाद तैयार कर सकें, जो उत्कृष्टता के मामले में एक बेहतर मानक स्थापित कर सकें।

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Engineering Skills: 2021-22 में इंजीनियर्स के पास जरूर होनी चाहिए ये स्किल्स, करियर में होगी ग्रोथ

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Soft Skills For Engineers: आजकल हम सभी एक वर्क कल्चर को अपनाने के लिए तैयार हो चुके हैं। डिजिटल दुनिया में एक वर्क-प्लेस ऐसा भी है, जहां एक कर्मचारी अपने ऑफिस से दूर रहकर भी रिमोट वर्क कर सकता है। इससे कोई भी कर्मचारी अपना काम आसानी से कर सकता है, इससे काम के समय में भी फ्लेक्सिबिलिटी आती है। हम एक ऐसे समय से भी दूर नहीं हैं, जहां रिमोट हायरिंग और ऑनबोर्डिंग भी हो सकेगी।

जब हम डिजिटल हायरिंग और जॉब की बात करते हैं, तो हम नए जमाने के तकनीकी और सॉफ्ट स्किल्स से अच्छी तरह वाकिफ होंगे। साल 2021-22 में आईटी स्किल्स एक चर्चा का अच्छा टॉपिक बन सकता है।

टाइमिंग के लिए फ्लैक्सिबल रहें
क्योंकि महामारी भविष्य में वर्क-प्लेस में काम करने के तरीके को बदलने वाली है, इसलिए आप नए सोल्यूशन और नई तकनीकों के लिए रास्ता बनाएंगे। हमेशा डेवलपमेंट के साथ तालमेल बिठाने के मामले में, आपसे फ्लैक्सिबल टाइमिंग की मांग की जाएगी। जितना आप नई चीजें सीखने और उन्हें काम में लाने पर जोर देते हैं, उतना ही बेहतर होगा। परेशानी वाली स्थिति में फ्लैक्सिबल होना बेहद जरूरी है।

कम्युनिकेशन है जरूरी
कम्युनिकेशन एक ऐसी स्किल है, जिसके साथ हम पैदा हुए हैं, फिर भी इसमें माहिर होने में हमें कई साल लग सकते हैं। क्या आपने कभी गौर किया है कि हम अपने प्रोफेशनल और पर्सनल मामलों में बातचीत कैसे करते हैं? उदाहरण के लिए, जिस समय कोई व्यक्ति अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत करता है, तो उनके सीनियर हमेशा उन्हें नई चीजें सिखाते समय प्रोफेशनली पेश आते हैं, वह कभी-भी ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करते जो किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाए।
इसलिए अपनी बात को अलग-अलग तरीकों से प्रभावी ढंग से सामने रखना भी एक संघर्ष की तरह हो सकता है।
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टेक्निकल स्किल्स
हालांकि आप सॉफ्ट स्किल्स ज्यादा अच्छे से सीख रहे हैं, फिर भी हमने अभी तक किसी ऐसे व्यक्ति का सामना नहीं किया है जो बिना किसी टेक्निकल स्किल्स के काम करता है।
डिजिटल दुनिया ही आगे का रास्ता है। सभी फील्ड, चाहे वह फार्मा हो, रियल एस्टेट, शिक्षा, गेमिंग, या कोई अन्य इंडस्ट्री जिसके बारे में आप सोच सकते हैं, उसमें मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), AR और VR जैसी तकनीकों का इस्तेमाल जरूर होता है। इसलिए टेक्निकल स्किल्स का आना काफी जरूरी है।

लगातार सीखना
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने तकनीकी रूप से डेवलप हुए हैं, हमेशा आप नई चीजें सीखेंगे और कभी-भी स्किल्स डेवलप करने का सिलसिला खत्म नहीं होता है।
एक डिजिटल मार्केटर, नए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए अपस्किल पसंद कर सकता है या एआई में सर्टिफिकेशन वाला कोडर नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी) में विशेषज्ञता हासिल कर सकता है। अगर आप अपने पोर्टफोलियो को फ्यूचर-प्रूफ बनाना चाहते हैं तो अपस्किलिंग बेहद जरूरी है। अपनी फील्ड के मुताबिक नई स्किल्स सीखनी चाहिए।
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क्रिएटिविटी
आसान सोल्यूशन अक्सर मुश्किल हो सकते हैं और चीजों को आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा दिमाग इस्तेमाल करने की जरूरत हो सकती है। यूनिक, इंडस्ट्री-फिट थिंकिंग, नए आइडिया बनाने के लिए आपको सबसे अलग सोचने की जरूरत होगी। केवल प्रोसेस को सही ढ़ंग से चलाना काफी नहीं, आपको उसमें क्रिएटिविटी और नए आइडिया शामिल करने की जरूरत होगी।
आपका वर्क एक्सपीरिएंस महत्व रखता है और इसे अच्छा बनाने के लिए क्रिएटिव थिंकिंग होना बेहद जरूरी है।

डाटा कलेक्शन
डाटा वर्तमान दुनिया में कई संस्थानों के लिए बेहद जरूरी है। यह महामारी के बाद की दुनिया में एनालिटिक्स और मार्केटिंग फ़ंक्शन को चलाता है, जहां कस्टमर और काम का महत्व कुछ हद तक सबसे अलग है। इंडस्ट्री में, डाटा संगठन को अपने मार्केटिंग आइडिया को तैयार करने या विकसित करके डिजाइन करने के लिए अच्छा काम करना बेहद जरूरी है।

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