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Career Tips: जानें कैसे होती है प्रोडक्ट मैनेजर की करियर ग्रोथ, इतनी मिलेगी सैलरी

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How To Become A Product Manager: इस समय भी इस क्षेत्र में काफी स्‍कोप है। इस फील्ड में आप 12वीं या ग्रेजुएशन के बाद भी करियर बना सकते हैं, इसके अलावा इसमें आप एमबीए से लेकर डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा जैसे कोर्स कर प्रोडक्‍ट स्‍पेशलिस्‍ट बनने का सपना पूरा कर सकते हैं। वहीं कुछ कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग के रूप में भी ये कोर्स उपलब्ध है। हालाँकि इस कोर्स के बाद आप प्रोडक्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं।

अगर आप प्रोडक्ट स्‍पेशलिस्‍ट और मैनेजर के तौर पर अपना करियर बनाना चाहते हैं, लेकिन सही जानकारी नहीं मिल पा रही तो आज हम आपको बताएंगे कि कैसे प्रोडक्‍ट स्‍पेशलिस्‍ट बनकर इस क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।

कौन-सा कोर्स करना पड़ता है
प्रोडक्ट मैनेजर बनने या प्रोडक्ट मैनेजमेंट में करियर बनाने के लिए आप नीचे बताये गए कोर्स में से कोई भी कोर्स कर सकते हैं। इसके बाद आप इस फील्ड में अपने करियर को अंजाम दे सकते हैं। वहीं अगर आप एमबीए करके इस फील्ड में आते हैं, तो आप अपने करियर को काफी उचाईयों तक ले जा सकते हैं। वैसे तो अनेकों कॉलेजों में ये कोर्स उपलब्ध हैं, जिनमें एडमिशन के लिए आपको एंट्रेंस एग्जाम क्वालीफाई करना होता है।

प्रोडक्ट मैनेजमेंट में एमबीए ( MBA in Product Management)
  • ब्रांड मैनेजमेंट में एमबीए
  • प्रोडक्ट मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा
  • ब्रांड मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा
  • प्रोडक्ट मैनेजमेंट में डिप्लोमा
  • प्रोडक्ट और संचालन मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा
  • प्रोडक्ट और सामग्री मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा
  • प्रोडक्टन और औद्योगिक इंजीनियरिंग में बीटेक
  • प्रोडक्टन इंजीनियरिंग में बीई
  • प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में बीटेक
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इस क्षेत्र में स्‍कोप
स्टार्टअप्स सेक्टर और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों से आने वाले समय मे एंटरप्रेन्योर्स की संख्या और भी बढ़ेगी। जिससे मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन करने वाली कंपनियों में प्रोडक्ट मैनेजमेंट प्रोफेशनल की काफी डिमांड बढ़ेगी। भले ही प्रोडक्ट मैनेजर करियर के नये विकल्प के तौर पर उभरा है, लेकिन यंहा पर ग्रोथ काफी अच्छी है। एक सर्वे के मुताबिक 10 साल के करियर में एक एम्प्लोयी को 3 से 4 प्रमोशन मिलते हैं। इस फील्ड की कंपनी एमबीए और बीटेक के बाद आने वाले युवाओं को प्राथमिकता देती है। यही नहीं बीबीए और मार्केटिंग में ग्रेजुएट उम्मीदवार भी एसोसिएट ब्रांड मैनेजर या मार्केटिंग असिस्टेंट के तौर पर जॉब पा सकते हैं।

ऐसे मिलेगी जॉब
अब हर फील्ड के प्रोडक्ट प्रोडक्शन एंड मैनुफैक्चरिंग में प्रोडक्ट मैनेजर के लिए जॉब के अवसर होते हैं। इसमे आप फ़ूड मैनुफैक्चरिंग कंपनीज, मोबाइल एंड गैजेट प्रोडक्शन कंपनियों, एप एंड सॉफ्टवेयर डेवलपिंग कंपनी, आईटी व आईटीईएस कंपनीज, इलेक्ट्रॉनिक कंपनी, ऑटोमोबाइल कंपनीज, हेल्थकेयर, पर्सनल केअर, फार्मास्युटिकल कंपनीज के अलावा और भी अनेको सेक्टर में जॉब के भरपूर अवसर रहते हैं।
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प्रोडक्‍ट मैनेजर के स्किल्स और काम
प्रोडक्ट मैनेजर का पद किसी भी कंपनी में जिम्मेदारी वाला पद होता है। प्लानिंग और आइडिएशन इस करियर का अहम गुण होता है। इसलिए इनोवेटिव सोच और क्रिएटिव होना जरूरी है। फाइनांस और मैथ की अच्छी जानकारी जरूरी है। इसके अलावा टीम वर्क, मार्किट ट्रेंड की समझ, कम्युनिकेशन स्किल, लीडरशिप, एनालिटिकल एबिलिटी का होना जरूरी है। वहीं अगर प्रोडक्ट मैनेजर का कार्य ब्रांडिंग और प्रोडक्शन से जुड़ा होता है।

यह मैनेजमेंट के अन्तगर्त ही आता है। इसमें प्रोडक्ट क्रिएशन, प्लानिंग, रिसर्च, डिजाइनिंग, मैनुफैक्चरिंग, प्राइसिंग, पैकेजिंग, लेवलिंग, ब्रांडिंग, सेल्स एंड मार्केटिंग जैसे सभी प्रोसेस शामिल होती हैं। किसी भी कंपनी में प्रोडक्ट मैनेजर दो तरह की आमतौर पर जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं। पहला ये है कि प्रोडक्ट या सर्विसेज को मार्किट में बनाये रखना तथा दूसरा नए प्रोडक्ट और सर्विस को डेवलप करना। इसलिए इनको कंज्यूमर रिसर्च और मार्किट रिसर्च की भी अच्छी जानकारी हो। बॉन्डिंग और प्रमोशन इस पद का अहम हिस्सा होता है।

यहां से कर सकते हैं कोर्स
  • इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट एंड एडमिनिस्ट्रेशन, चेन्नई, हैदराबाद, मुम्बई
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली
  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंगए मुंबई, यूनिवर्सिटी ऑफ अन्ना, चेन्नई
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोडक्ट मैनेजमेंट, उड़ीसा
  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ट्रेनिंग, पुणे
  • बीजू पटनायक यूनिवर्सिटी, उड़ीसा

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Interview Tips: इंटरव्यू के दौरान इस फील्ड में फ्रेशर से पूछे जाते हैं ये सवाल, जानें जवाब

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Interview Tips For Marketing: युवा कॉलेज खत्म होने के बाद जल्द से जल्द नौकरी शुरू करने के बारे में सोचते हैं, लेकिन मार्केटिंग में फ्रेशर के लिए पहली नौकरी मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है, इंटरव्यू के दौरान जब उनसे प्रश्‍न पूछे जाते हैं, तो या तो उन्‍हें जानकारी नहीं होती या फिर वे जवाब देते समय नर्वस हो जाते हैं, और सही जवाब नहीं दे पाते, जिसके कारण उनके हाथ से अच्‍छा मौका निकल जाता है।

प्राइवेट सेक्टर में जॉब, ज्यादातर उम्मीदवारों को चयन प्रक्रिया में इंटरव्यू यानी पर्सनैलिटी टेस्ट का चरण ही सबसे टफ लगता है। इसका कारण है, ज्ञान होने के बावजूद आत्मविश्वास में कमी और निर्णय क्षमता न होने के चलते इंटरव्यू पैनल को ठीक से उत्तर न दे पाना।

इंटरव्यू में परखी जाती हैं स्‍किल
किसी भी इंटरव्यू में मौजूद पैनल उम्मीदवारों की कम्युनिकेशन स्किल्स, आत्मविश्वास और इंटेलिजेंस को परखता है। इसीलिए इस स्टेज की तैयारी करते समय उम्मीदवारों को अपनी पर्सनल ट्रेट्स, एपियरेंस और स्पीकिंग स्किल्स पर ध्यान देना चाहिए। आम तौर पर इंटरव्यू में पूछे जाने वाले सवाल जॉब स्पेसिफिक होते हैं, लेकिन कुछ कॉमन सवाल हर इंटरव्यू में पूछे जाते हैं। हम ऐसे ही कॉमन इंटरव्यू क्वेश्चन्स और उनके आन्सर्स के बारे में बता रहे हैं, जिनकी तैयारी करके आप इंटरव्यू में सफल हो सकते हैं।
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खुद के बारे में बताएं-
सभी जॉब्‍स में इसी प्रश्न से इंटरव्यू की शुरुआत होती है। इसकी आप पूरी तैयारी कर लें, ऐसा न हो कि आप अपने जवाब को दोहराते रहें, अगर आप फ्रेशर हैं तो इस सवाल का जवाब अपनी एजुकेशन, हॉबी और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज के बारे में बताएं।

आप हमारी कंपनी से क्यों जुड़ना चाहते हैं?
इस प्रश्‍न के जरिए इंटरव्यू पैनल जॉब के लिए आपके समर्पण को जानने की कोशिश करता है। आप जॉब रिक्वायरमेंट्स के अनुसार अपना जवाब दें और उन्हें बताएं कि आप इन रिक्वायरमेंट्स को पूरा करने के लिए कितने पैशनेट हैं और आपमें इसकी क्षमता भी मौजूद है।

आपकी सबसे बड़ी स्ट्रेंथ क्या है?
उम्मीदवारों के लिए अपनी क्षमता को हाइलाइट करने के लिए यह सवाल एक अवसर है। आप अपने उन गुणों के बारे में बताएं, जो उस जॉब प्रोफाइल के लिए अनुकूल हों।

क्या कॉलेज लाइफ में कोई अचीवमेंट्स हैं?
ये सबसे जरूरी सवाल है, इस सवाल का जवाब देते हुए आप अपनी अचीवमेंट के बारे में बताएं, यदि आपने कॉलेज लाइफ में किसी डिबेट, थिएटर, डांस में हिस्सा लिया है तो उसका जिक्र जरूर करें।
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हमारे संस्थान के बारे में क्या जानते हैं?
फ्रेशर हो या एक्सपीरिंयस, ये सवाल हर किसी से पूछा जाता है। इंटरव्यू से एक दिन पहले कंपनी के बारे में रिसर्च करके जाएं। जैसे कि जिस कंपनी में आप जाना चाहते हैं वह किस तरह का काम करती है, मार्केट में उसके कंपीटीटर कौन हैं, मार्केट में संस्थान को लेकर क्या नजरिया है, संस्थान को और आगे ले जाने में आप किस तरह की भूमिका निभाएंगे।

आप दूसरे कर्मचारियों के साथ कैसे डील करेंगे?
आपको ऐसा उत्तर देना चाहिए, जिससे यह पता चले कि आप तनावपूर्ण परिस्थितियों से कितने प्रोडक्टिव होकर और सकारात्मक तरीके से डील कर सकते हैं।

आपकी सैलरी रिक्वायरमेंट क्या है?
अगर आपसे इंटरव्यू पैनल ने यह सवाल पूछा है, तो समझ लीजिए कि अब तक का आपका इंटरव्यू बिल्कुल सही दिशा में गया है। ऐसे समय आपको कोई भी ऐसी डिमांड नहीं करनी चाहिए, जो अब तक की आपकी मेहनत पर पानी फेर दे। कंपनी आपको कितनी सैलरी देगी, इसका थोड़ा-बहुत आइडिया आपको पहले से ही होगा। आप उससे थोड़ी ज्यादा राशि की मांग करें ताकि आसानी से नेगोसिएशन कर सकें।

5 साल बाद खुद को कहां देखते हैं?
यह सवाल आने पर आप अपने भविष्य के लक्ष्यों को लेकर ईमानदार और स्पष्ट रहें। मगर साथ ही दो बातों का ध्यान रखें। एक, पैनल आपके करियर की यथार्थवादी अपेक्षाओं के बारे में जानना चाहता है। दो, आपकी महत्वाकांक्षा में यह जॉब क्या मायने रखती है।
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आप अपने आप में क्‍या कमजोरी देखते हैं?
इस प्रश्‍न का सीधे तौर पर इसका उत्तर देने का मतलब है, अपनी ही कमजोरियों को इंटरव्यू पैनल के सामने उजागर कर देना। इसका उत्तर देने का सबसे अच्छा तरीका है ऐसे गुणों को कमजोरी के तौर पर प्रस्तुत करना, जो बहुत कम लोगों में होते हैं।

आपकी ड्रीम जॉब क्या है?
इस प्रश्न के माध्यम से यह जानने की कोशिश की जाती है कि मौजूदा जॉब प्रोफाइल से आपकी सोची हुई जॉब कितनी मैच करती है। इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले जॉब प्रोफाइल के बारे में अच्छी तरह से जान लें और उसी के अनुसार जवाब दें।

हम आपको क्यों हायर करें?
इस सवाल के जवाब में आपको अपने उन गुणों के बारे में बताना होगा। जिनसे इंटरव्यू पैनल को लगे कि आप उस पद के लिए फिट हैं। हर वेकेंसी की रिक्वायरमेंट में उम्मीदवार के कुछ गुण दिए गए होते हैं। आप उसी के कुछ पॉइंट्स अपने जवाब में शामिल कर सकते हैं।

क्या आप जॉब जुड़ी कोई बात जानना चाहते हैं?
आपको हमेशा कम से कम एक प्रश्न एडवांस में तैयार करके रखना चाहिए, जो आप पैनल से पूछ सकें। आप जॉब प्रोफाइल से ही जुड़ा कोई सवाल पूछ सकते हैं। इससे पैनल पर यह इंप्रेशन पड़ेगा कि आपकी इस जॉब में कितनी दिलचस्‍पी है।

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English Speaking Tips: नेटिव इंग्लिश बोलने के लिए जरूर अपनाएं ये आसान टिप्स, मिलेगी काफी मदद

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Tips For Speaking English Well: स्विमिंग, ड्राइविंग और राइटिंग की तरह, स्पीकिंग भी एक स्किल है। इसके लिए आपको सिर्फ प्रैक्टिस की जरूरत है। कई लोगों की इंग्लिश स्पीकिंग स्किल्स अच्छी होती है, लेकिन वह फ्लो और नेटिव इंग्लिश बोलना चाहते हैं। नेटिव इंग्लिश के लिए एक अच्छे प्रोसेस की जरूरत होती है, जिसमें न सिर्फ बोलना, बल्कि सुनना भी बेहद जरूरी है। जब भी आप किसी नेटिव स्पीकर को इंग्लिश बोलते हुए सुनते हैं, तो उनसे सीखना बेहद आसान हो जाता है। तो चलिए जानते हैं कौन-सी हैं वे आसान टिप्स, जिनसे आप नेटिव इंग्लिश बोलना सीख सकते हैं।

एक्सेंट पर ध्यान दें
मोटिवेशन, रिपीट करना और एक्सपोजर- ये तीनों ही एहम भूमिका निभाते हैं। नेटिव स्पीकर्स की लाइंस, सेंटेंस और भावों को दोहराएं, उन्हें अपने रोजाना के कम्युनिकेशन में इस्तेमाल करके याद रखने की कोशिश करें। विदेशियों के संपर्क में रहने की कोशिश करें। उनके साथ ज्यादा बात करने से आप की झिझक खत्म हो जाएगी और आप उनके मॉडुलन, इंटोनेशन और सबसे जरूरी कल्चर के आदी हो जाएंगे।

शब्दावली अच्छी करें (Improve Vocabulary)
किसी भी इंग्लिश कंटेंट को सुनने के बाद उसे रिकॉल करें यानि दोहराते रहें। अपनी इंप्रूव की गई शब्दावली को लिखें और उसे रोजाना याद करें। जब भी आप इंग्लिश का टेस्ट, मॉक टेस्ट या एग्जाम देते हैं, तो नई शब्दावली का इस्तेमाल करें। जब भी हम नेटिव स्पीकर को भाव व्यक्त करते हुए सुनते हैं, तो उसे इस्तेमाल करना आसान हो जाता है। कभी-भी अपनी शब्दावली को रिकॉल करना न भूलें, उन्हें लॉन्ग टर्म मेमोरी में रखें।
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टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल करें
अपने एक्सेंट, वाक्यांश और एक्सप्रेशन को रिकॉर्ड करने में स्मार्ट फोन का फायदा उठाएं। अपनी स्पोकन रिकॉर्डिंग के साथ तुलना करके हमेशा वापस रिकॉर्ड करें और खुद को अच्छा करने के लिए मोटिवेट करें। नेटिव ट्यूटर्स की वीडियो देखें। इंग्लिश फिल्में और गाने देखें, जिससे आप उनका कल्चर भी समझ सकें। नेटिव स्पीकर्स के एक्सप्रेशन और बातचीत की स्किल्स को याद करने के लिए, संगीत, गीत, शब्द और म्युजिक बेहद फायदेमंद हो सकते हैं।

अपनी वॉइस पर ध्यान दें
एक नेटिव इंग्लिश बोलने वाले की तरह सही वॉइस के लिए, आप जो कहते हैं वह उसे जरूरी समझें और नेटिव स्पीकर की तरह एक्सेंट में बोलें। आपके बोलने के शब्दों की स्पीड, क्लैरिटी और टोन में सुधार आपकी स्पीकिंग को बेहतर बनाने में मदद करेगा। यह टिप नेटिव स्पीकर्स को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी। इडियम सुनें और उन्हें रोजाना इस्तेमाल जरूर करें।
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इंग्लिश को जोर से बोलकर पढ़ें
अंग्रेजी में जोर से पढ़ना आपकी क्लैरिटी को अच्छा करेगा। यह अपनी एक्सेंट पर काम करने का एक शानदार तरीका है। अगर आपने नेटिव स्पीकर्स को सुनने में काफी समय बिताया है, तो उनके बात करने के तरीके की नकल करने का प्रयास करें। भाषा के फ्लो के साथ अपनी आवाज़ को तेज और धीरे करने की कोशिश करें। ध्यान रखें जब भी आपको किसी शब्द में कंफ्यूजन हो, तो नेटिव स्पीकर उसे कैसे बोलते हैं यह जानना न भूलें।

स्लैंग बोलते समय अपनाएं ये तरीका
अलग-अलग नेटिव स्पीकर्स अपने कम्युनिकेशन के दौरान अलग-अलग तरह के स्लैंग का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि इनका मतलब एक ही होता है, लेकिन नेटिव स्पीकर्स अपने मुताबिक उन्हें बोलते हैं। जैसे- Wanna (want to), Gonna (going to), Hang out (spend time together).
एक नेटिव स्पीकर कहेगा "क्या आप बाहर घूमना चाहते हैं?" के बजाय "क्या आप एक साथ कुछ समय बिताना चाहते हैं?" तो नेटिव इंग्लिश बोलने के लिए ये टिप्स जरूर अपनाएं।

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SSC CGL Exam Tips: एसएससी सीजीएल के एग्जाम के लिए जरूरी हैं ये टिप्स, ऐसे करें पूरे सिलेबस की तैयारी

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SSC CGL Exam Tips And Tricks: एसएससी सीजीएल परीक्षा भारत सरकार के तहत विभिन्न विभागों और मंत्रालयों में ग्रेड बी और सी के विभिन्‍न पदों पर उम्मीदवारों की भर्ती के लिए हर साल आयोजित की जाती है। एसएससी सीजीएल परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले उम्मीदवारों को एसएससी सीजीएल सिलेबस की जांच करनी चाहिए। इस परीक्षा में 4 स्‍तर पर पेपर होता है। जिसमें पहले दो स्तर कंप्यूटर आधारित वस्तुनिष्ठ परीक्षाएं हैं, जबकि तीसरा अंग्रेजी और हिंदी दोनों में आयोजित की जाने वाली एक वर्णनात्मक कलम और पेपर आधारित परीक्षा है। वहीं 4 पेपर डीईएसटी और सीपीटी का होता है।

कैसे करें सिलेबस की तैयारी
परीक्षा की तैयारी के समय ध्‍यान दें कि सिलेबस में पहेलियाँ, आकृति-आधारित प्रश्न, कोडिंग-डिकोडिंग, श्रृंखला जैसे विषय पर विशेष रूप से ध्‍यान दें, क्‍योंकि ये स्कोरिंग होते हैं। इन्हें हल करना शुरू करें और फिर, अधिक बहुमुखी प्रश्नों पर आगे बढ़ें। यदि आप नियमित रूप से अभ्यास करते हैं तो आप कुछ हफ्तों के भीतर अपनी सटीकता में महत्वपूर्ण सुधार देखेंगे। वहीं नॉन-वर्बल रीजनिंग विषय जैसे इमेज असेंबलिंग, फिगर-काउंटिंग आदि प्रश्नों को छोड़ें या अनदेखा न करें। क्योंकि वे शुरू में आपको समय लेने वाले लग सकते हैं। उनका अभ्यास करना उन्हें कम समय लेने वाला बनाने का सबसे अच्छा तरीका है।

अभ्यास करते समय आपको उचित सटीकता के साथ 20 मिनट में कम से कम 15.20 प्रश्नों का प्रयास करना चाहिए। परीक्षा में भी, इस खंड को पूरा करने की कोशिश 20 मिनट से अधिक समय न दे।
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प्रभावी प्रैक्टिस कंटेंट तैयार करें
इस परीक्षा की तैयारी के लिए यदि आप कोचिंग संस्थान में जा रहे हैं, तो आपको कोचिंग के शेड्यूल अनुसार चलना पड़ेगा। वहीं हमारा सुझाव है कि आप अपनी ताकत और कमजोरियों के आधार पर अपनी खुद की अध्ययन योजना तैयार करें। एसएससी सीजीएल के लिए सही विश्लेषण का उपयोग यह जानने के लिए किया जा सकता है कि उनकी तैयारी कैसे शुरू की जाए।

ग्रुप डिस्‍कशन में भाग लें
यह परीक्षा की तैयारी में सबसे ज्‍यादा मदद करता है। अगर आप घर पर तैयारी कर रहे हैं तो आपको एसएससी सीजीएल के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए आप ऑनलाइन अध्ययन मंचों में भाग लें। उन मंचों में भाग लें जो इनपुट और शॉर्टकट प्रदान करने के अलावा आपकी सैद्धांतिक शंकाओं को दूर कर सकते हैं।

ऑनलाइन क्‍लास में दाखिला लें
कई शिक्षा वेबसाइटें विशेष रूप से एसएससी सीजीएल परीक्षा के लिए मुफ्त ऑनलाइन क्‍लास देती हैं, इनमें दाखिला लेकर अपनी तैयारी करें। साथ ही उनके द्वारा प्रकाशित अध्ययन सामग्री को मुफ्त में डाउनलोड करें और प्रतिदिन करेंट अफेयर्स पढ़े।
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पेपर सॉल्‍व करें
इस परीक्षा को को क्रैक करने के लिए बहुत मेहनत की आवश्यकता होती है इसलिए प्रतिदिन 6 से 8 घंटे बिना किसी व्यवधान के अध्ययन करने के लिए तैयार रहें। इस तैयारी में आपकी मदद करेगा सॉल्‍व पेपर, प्रतिदिन इन पेपरों को हल कर अपनी क्षमता को पहचानें।

मॉक टेस्‍ट लें
चूंकि एसएससी सीजीएल परीक्षा अब ऑनलाइन आयोजित की जाती है, इसलिए उम्मीदवारों को कंप्यूटर आधारित परीक्षा से परिचित होना चाहिए। इसके लिए आपको मॉक टेस्‍ट देकर परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए। इस तरह के मॉक टेस्‍ट ऑनलाइन फ्री और पैसे देकर दोनों तरह से मिल जाते हैं।

तनाव से दूर रहें
इस परीक्षा की तैयारी करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। आप बहुत तनाव और चिंता में रहते होंगे, लेकिन यह स्मार्ट अध्ययन के लिए अनुकूल नहीं हैं। परीक्षा के दिन चिंता आपको अस्थिर कर सकती है। इसलिए आपको तनाव को मैनेज करना होगा। अपने अध्ययन की योजना इस तरह बनाएं कि आप परीक्षा से कम से कम 3 महीने पहले पूरा पाठ्यक्रम पूरा कर लें। परीक्षा से पहले के उन तीन महीनों में, बार-बार रिवीजन और अभ्यास करने का प्रयास करें।

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AFCAT Exam Preparation: कर रहे हैं एएफसीएटी की तैयारी? बिल्कुल न करें ये गलतियां, मिलेंगे अच्छे मार्क्स

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AFCAT Exam Preparation Strategy: AFCAT टेक्नीकल ब्रांच (शॉर्ट सर्विस कमीशन एंड परमानेंट कमीशन), ग्राउंड ड्यूटी ब्रांच (शॉर्ट सर्विस कमीशन एंड परमानेंट कमीशन) और फ्लाइंग ब्रांच (शॉर्ट सर्विस कमीशन) सहित विभिन्न ब्रांचेज में ऑफिसर्स के सिलेक्शन के लिए आयोजित किया जाता है। बता दें कि एएफसीएटी के लिए कंपीटिशन बहुत अधिक है। जो उम्मीदवार इस परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं, उन्हें जल्द से जल्द तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

चूंकि परीक्षा में कई राउंड शामिल होते हैं, किसी भी पद के लिए चयनित होने के लिए उम्मीदवारों को सभी राउंड के लिए अच्छी तरह से तैयार होने की जरूरत होती है। उम्मीदवार को एएफसीएटी प्रवेश परीक्षा में सफल होने के लिए एक प्रोपर स्ट्रैटजी तैयार करनी चाहिए। उम्मीदवार AFCAT के पिछले वर्षों के क्वेश्चन पेपर और मॉक टेस्ट पेपर सॉल्व कर सकते हैं।

AFCAT की तैयारी के लिए टिप्स
AFCAT एंट्रेस एग्जाम में सफल होने के लिए उम्मीदवारों को प्रोपर स्ट्रैटजी के साथ तैयारी करनी जरूरी है। इसके लिए नीचे दिए गए AFCAT तैयारी टिप्स की मदद ले सकते हैं:

  1. उम्मीदवारों को सभी टॉपिक के लिए नोट्स तैयार करने चाहिए ताकि वे परीक्षा में बैठने से पहले सभी टॉपिक्स और फॉर्मूला को रिवाइज कर सकें।
  2. उम्मीदवारों को AFCAT के पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को सॉल्व करने पर ध्यान देना चाहिए।
  3. सभी उम्मीदवारों के लिए यह भी बहुत जरूरी है कि वे परीक्षा की तैयारी करते समय उचित आराम भी करें।
  4. उन्हें इस तरह से प्लान तैयार करनी चाहिए कि उसमें सभी टॉपिक्स शामिल हों।
  5. उम्मीदवारों को 120 मिनट में 100 सवालों के जवाब देने होंगे। इसके लिए उन्हें अपने टाइम मैनेजमेंट स्किल को डेवलप करना जरूरी है।
  6. परीक्षा के पिछले वर्ष में पूछे गए क्वेश्चन टाइप के बारे में जानें और समझें इससे आपको यह समझने में आसानी होगी कि आपसे किस तरह के एक्सपेक्टेशंस हैं।
  7. सभी उम्मीदवारों को अपने स्ट्रांग और वीक प्वाइंट को जानने के लिए अपने परफॉर्मेंस को एनालाइज करना चाहिए।
  8. जेनरल अवेयरनेस सेक्शन की तैयारी के लिए मंथली पब्लिशड करंट अफेयर्स या ई-बुक्स पढ़ सकते हैं।
  9. AFCAT की तैयार कर रहे उम्मीदवारों को भारतीय वायु सेना या भारतीय सेना के संबंध में लेटेस्ट न्यूज से खुद को अपडेट रखना चाहिए।
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AFCAT की तैयारी 30 दिनों में कैसे करें
Day 1– Day 30: हर रोज कम से कम 1 घंटे न्यूज पेपर पढ़ें। करेंट अफेयर्स देखें।
Day 1– Day 10: प्रतिदिन कम से कम 5-6 घंटे मैथ्स के प्रश्नों की प्रैक्टिस करें। सभी महत्वपूर्ण फॉर्मूला और कॉन्सेप्ट के लिए नोट्स तैयार करें।
Day 11– Day 15: रोजाना कम से कम 5-6 घंटे रीजनिंग के सवालों को हल करें। रीजनिंग से संबंधित विभिन्न प्रश्नों का अभ्यास करें।
Day 15– Day 20: एंटोनीम्स और सायनोनिम्स पढ़ें। नए शब्द सीखने की कोशिश करें। विभिन्न प्रकार के प्रश्नों को सॉल्व करें।
Day 20– 30: अंत में सभी प्रकार के प्रश्नों की प्रैक्टिस करें। कम से कम 2-3 पिछले वर्षों के क्वेश्चन पेपर सॉल्व करें।
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AFCAT 2021 के लिए जरूरी प्वाइंट्स
  • परीक्षार्थी परीक्षा के समय से एक घंटे पहले परीक्षा केंद्र पर पहुंच जाएं। देर से पहुंचने पर उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
  • उम्मीदवार अपने एडमिट कार्ड के साथ पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र या कॉलेज पहचान पत्र में से किसी को साथ रखें।
  • इसके अलावा दो पासपोर्ट साइज फोटो और बॉलपॉइंट पेन भी जरूरी है।
  • अन्य सामग्री जैसे कैलकुलेटर, मोबाइल फोन, ब्लूटूथ परीक्षा केंद्र पर ले जाने की अनुमति नहीं है।
  • प्रश्नों का उत्तर देते समय, उम्मीदवारों को पहले आसान प्रश्नों के उत्तर देने पर ध्यान देना चाहिए। उसके बाद, मॉडरेट और टफ लेवल वाले प्रश्नों को सॉल्व करें।
  • किसी भी प्रकार के प्रश्नों के लिए कोई समय सीमा नहीं है, उम्मीदवार किसी भी समय किसी भी प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। हालांकि, जरूरी है कि टाइम मैनेजमेंट इस तरह से किया जाए कि सभी प्रकार के प्रश्नों के लिए पर्याप्त समय मिले।

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Career Tips: Rural Management में यूनिक स्पेस्लाइजेशन के लिए कर सकते हैं ये खास कोर्स

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Career In Rural Development: रूरल मैनेजमेंट एक यूनिक स्पेस्लाइजेशन है। इसके स्पेस्लाइज्ड प्रोफेशनल्स भारत के ग्रामीण परिदृश्य के सुधार के लिए प्लान बनाने, स्ट्रैटजी बनाने, मैनेज करने और इंप्लीमेंट करने के लिए विकास योजनाएं तैयार करते हैं। इस कोर्स में नए प्रोफेशनल्स के उचित ग्रोथ की भरपूर संभावनाएं हैं क्योंकि गांवों के भीतरी इलाकों में अत्यधिक बेरोजगारी है और इस बेरोजगार क्षेत्र को टैप करने के लिए भारी निवेश को बढ़ावा दिया गया है।

भारत में टॉप रुरल मैनेजमेंट कॉलेज
  1. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद
  2. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लखनउ
  3. इंस्टीट्यूट ऑफ रुरल मैनेजमेंट आनंद गुजरात
  4. जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट भूवनेश्वर
  5. जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस, झारखंड
  6. चंद्र शेखर आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, कानपुर
  7. जेवियर यूनिवर्सिटी, भूवनेश्वर
  8. सिंबोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस, पूणे
  9. केरला एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, केरला
  10. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर मार्केटिंग, जयपुर
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रूरल मैनेजमेंट करने के बाद सैलरी
  • एरिया एक्जीक्यूटिव - 4 से 5 लाख
  • मार्केटिंग एंड सेल्स मैनेजर - 4 से 5 लाख
  • रूरल मैनेजर -1 से 3 लाख
  • सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर - 4 से 5 लाख
  • रिसर्च हेड - 7 से 8 लाख

रूरल मैनेजमेंट में एडमिशन लेने के लिए योग्यता
डिप्लोमा
रूरल मैनेजमेंट में डिप्लोमा एक फाउंडेशन कोर्स है जिसे आपके द्वारा 10+2 पूरा करने के बाद न्यूनतम 50% मार्क्स लाने वाले कैंडिडेट्स कर सकते हैं।

अंडर ग्रेजुएट
न्यूनतम 50% मार्क्स के साथ किसी भी स्ट्रीम में 10+2 पूरा करने के वाले कैंडिडेट रूरल मैनेजमेंट में बीए के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

पोस्ट ग्रेजुएट
किसी मान्यता प्राप्त संस्थान / कॉलेज से न्यूनतम 50% मार्क्स के साथ ग्रेजुएशन पूरा करने वाले कैंडिडेट पोस्ट ग्रेजुएट के लिए आवेदन कर सकते हैं।

डॉक्टरेट कोर्स
रूरल मैनेजमेंट में पीएच.डी. के लिए कैंडिडेट के पास एआईसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से रूरल मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर डिग्री होनी चाहिए। इसके बाद इस कोर्स में एडमिशन के लिए आपके पहले स्टेप के तौर पर एंट्रेस टेस्ट देना होगा।
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रूरल मैनेजमेंट में कोर्स
डिप्लोमा
रूरल मैनेजमेंट में डिप्लोमा 10+2 लेवल पूरा करने के बाद किया जा सकता है। इस कोर्स की अवधि आमतौर पर 6 महीने से लेकर 1 साल तक की होती है।

अंडरग्रेजुएट
रूरल मैनजमेंट में ग्रेजुएशन कोर्स को रूरल मैनेजमेंट/रूरल डेवलपमेंट में बीए के रूप में जाना जाता है। आमतौर पर यह कोर्स 3 साल की अवधि का होता है।

पोस्ट ग्रेजुएट
रूरल मैनेजमेंट के क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री 2 साल की अवधि के लिए आयोजित की जाती है। कोर्स के अंत में डिग्री रूरल मैनेजमेंट में पीडीजीएम या रूरल मैनेजमेंट में एमबीए के रूप में दी जाती है।

डॉक्टरेट कोर्स
डॉक्टरेट के कोर्स को पीएच.डी. के रूप में जाना जाता है। यह कोर्स रूरल मैनेजमेंट के फील्ड में हाइएस्ट लेवल डिग्री है। यह आम तौर पर 3 से 4 साल की अवधि में पूरा हो जाता है।

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रूरल मैनेजमेंट एंट्रेंस एग्जाम
डिप्लोमा
स्टेट बोर्ड की ओर से रूरल मैनेजमेंट डिप्लोमा में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित की जाती है। इच्छुक उम्मीदवार सामान्य प्रवेश फॉर्म के लिए आवेदन कर सकते हैं जो ऑनलाइन भी उपलब्ध होते हैं।

अंडरग्रेजुएट के लिए
स्नातक कोर्स में एडमिशन के लिए, संबंधित यूनिवर्सिटी, कॉलेज में आवेदन करें जिनमें रूरल मैनेजमेंट कोर्स पाठ्यक्रम संचालित होते हैं।

पोस्टग्रेजुएट
  1. कैट CAT
  2. मैट MAT
  3. जैट XAT
  4. आईआरएमए IRMA
  5. एनएमआईएमएस NMIMS
  6. एसएनएपी SNAP
  7. ईक्फाई ICFAI
  8. सीमैट CMAT
  9. एमएच-सीईटी MH-CET
  10. केमैट KMAT

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All About PV Sindhu: पीवी सिंधु ने ओलंपिक में किया शानदार प्रदर्शन, जानें कैसे हुई करियर की शुरुआत

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Facts About PV Sindhu: पीवी सिंधु ने इस साल टोक्यो 2020 ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया है और भारत की पहली महिला डबल ओलंपिक पदक विजेता बनीं। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2020 में महिला एकल में तीसरे स्थान के प्ले-ऑफ में दुनिया की 9वें नंबर की चीन की ही बिंग जिओ पर सीधे गेम में जीत के बाद भारत के लिए कांस्य पदक जीता।

ओलंपिक - 1 अगस्त 2021
  • टोक्यो 2020 ओलंपिक में उनके प्रदर्शन से उत्साहित राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने निरंतरता, समर्पण और उत्कृष्टता का एक नया पैमाना स्थापित करने के लिए उनकी सराहना की। प्रधान मंत्री मोदी ने भी सिंधु को उनकी ओलंपिक जीत पर बधाई दी और उन्हें भारत के सबसे उत्कृष्ट ओलंपियनों में से एक के रूप में सम्मानित किया।
  • इससे पहले, उन्होंने डेनमार्क की मिया ब्लिचफेल्ट को 2-0 से हराया और टोक्यो 2020 ओलंपिक बैडमिंटन में महिला एकल के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।
  • वह 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी थीं और उन्हें फोर्ब्स में 2018 और 2019 में सबसे अधिक भुगतान पाने वाली महिला एथलीटों के रूप में भी सूचीबद्ध किया गया था।

पीवी सिंधु: जन्म, प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
पीवी सिंधु का जन्म 5 जुलाई 1995 को हैदराबाद में पीवी रमना (पिता) और पी विजया (मां) के घर हुआ था। उनके माता-पिता राष्ट्रीय स्तर पर वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हैं। सिंधु के पिता 1986 के सियोल एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के सदस्य थे। उन्हें खेल में उनके योगदान के लिए वर्ष 2000 में अर्जुन पुरस्कार मिला।

पीवी सिंधु ने अपनी स्कूली शिक्षा औक्सिलियम हाई स्कूल, हैदराबाद और सेंट एन कॉलेज फॉर विमेन, हैदराबाद में की। पुलेला गोपीचंद, 2001 ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन बैडमिंटन को अपने करियर के रूप में चुनने के लिए सिंधु की प्रेरणा बनीं।
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पीवी सिंधु: बैडमिंटन करियर
सिंधु ने आठ साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। महबूब अली के मार्गदर्शन में, उन्होंने सिकंदराबाद में भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान के बैडमिंटन कोर्ट में बैडमिंटन की मूल बातें सीखना शुरू किया। वह खेल सीखने और अभ्यास करने के लिए अपने आवास से बैडमिंटन कोर्ट तक हर दिन 56 किमी की दूरी तय करती थी। पीवी सिंधु गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हुईं और 10 साल की श्रेणी के तहत कई खिताब जीते। अंबुजा सीमेंट अखिल भारतीय रैंकिंग में, उन्होंने युगल और एकल वर्ग में 5वीं सर्वो अखिल भारतीय रैंकिंग चैंपियनशिप जीती।

  1. 13 साल से कम उम्र की श्रेणी में, सिंधु ने पांडिचेरी में सब-जूनियर्स में खिताब जीता, कृष्णा खेतान ऑल इंडिया टूर्नामेंट में युगल खिताब, आईओसी ऑल इंडिया रैंकिंग, सब-जूनियर नेशनल और पुणे में अखिल भारतीय रैंकिंग। 14 वर्ष से कम आयु वर्ग में, उसने भारत में 51वें राष्ट्रीय राज्य खेलों में स्वर्ण पदक जीता।
  2. 14 साल की उम्र में पीवी सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय सर्किट में प्रवेश किया। उन्होंने कोलंबो में 2009 की सब-जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। सिंधु ने 2010 ईरान फज्र इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में रजत पदक जीता था। उसने मैक्सिको में 2010 बीडब्ल्यूएफ विश्व जूनियर चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई लेकिन चीनी प्रतिद्वंद्वी से हार गई।
  3. 2011 में सिंधु ने जून में मालदीव इंटरनेशनल चैलेंज और जुलाई में इंडोनेशिया इंटरनेशनल चैलेंज जीता। डच ओपन में, उसने फाइनल में जगह बनाई लेकिन मैच हार गई। स्विस इंटरनेशनल में, सिंधु ने कैरोला बॉट को हराकर फाइनल जीता। उन्होंने 2011 में इंडिया इंटरनेशनल बैडमिंटन इवेंट जीता।
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पीवी सिंधु: पर्सनल लाइफ
जुलाई 2013 से, पीवी सिंधु भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के साथ हैदराबाद कार्यालय में असिस्टेंट स्पोर्ट्स मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं। 2016 में, रियो ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने उन्हें डिप्यूटी स्पोर्ट्स मैनेजर के रूप में प्रमोट किया। उन्हें ब्रिजस्टोन इंडिया का पहला ब्रांड एंबेसडर भी नियुक्त किया गया था। 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के उद्घाटन समारोह में सिंधु भारत की ध्वजवाहक थीं।

पीवी सिंधु: अवार्ड
  • जनवरी 2020 में, पीवी सिंधु को भारत में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार- पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • मार्च 2015 में, सिंधु को भारत में चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार- पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
  • अगस्त 2016 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान- राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया।
  • सितंबर 2013 में पीवी सिंधु को खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया।
  • उन्हें फिक्की द्वारा ब्रेकथ्रू स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर 2014 का खिताब दिया गया था।
  • 2015 मकाऊ ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में अपनी जीत के लिए उन्हें बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया से US$14,000 मिले।
  • उन्हें 2016 मलेशिया मास्टर्स में अपनी जीत के लिए बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया से 7,000 अमेरिकी डॉलर मिले।

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Career In Space Science: क्‍या है स्‍पेस साइंस? जानें कैसे बनाएं इसमें करियर और जॉब ऑप्शन

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Career In Space Research After Graduation: एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के कारण आज नए-नए कॅरियर विकल्प युवाओं के लिए खुल रहे हैं, इन्हीं में से एक है स्पेस साइंस। क्या अनंत आकाश आपको अपनी ओर आकर्षित करता है, क्या आपमें ब्रह्माण्ड के रहस्य सुलझाने का जज्बा है, क्या धैर्य और बुद्धि आपके प्लस पॉइंट हैं। यदि हां, तो अंतरिक्ष विज्ञान आपको पुकार रहा है।

देश के सैटेलाइट लॉन्चिंग का राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में धाक जमने लगी है, जिसके कारण यहां के युवा वैज्ञानियों के के लिए भारतीय व विदेशी अंतरिक्ष विज्ञान के दरवाजे खुलने लगे हैं। इस समय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो न केवल भारत के उपग्रह अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित कर रहा है, बल्कि वह विकसित देशों के उपग्रह भी नियमित रूप से अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित कर रहा है। विदित हो कि इसरों ने वर्ष 1999 से लेकर अब तक अलग- अलग देशों के 45 उपग्रह सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किए हैं।

खुले आसमान का संसार
अंतरिक्ष विज्ञान वह शाखा है, जिसके अंतर्गत पृथ्वी से परे करोड़ों ग्रहों, उपग्रहों, तारों, धूमकेतुओं, आकाशगंगाओं एवं अन्य अंतरिक्षीय पिंडों का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा अंतरिक्ष विज्ञान के अंतर्गत उन नियमों एवं प्रभावों का भी अध्ययन किया जाता है, जो इन्हें संचालित करते हैं। अंतरिक्ष विज्ञान में करियर उन हजारों रहस्यों से पर्दा उठाने का अवसर भी होता है, जो अभी तक अनसुलझे हैं। यह न केवल वैज्ञानिक स्वभाव की परीक्षा होती है, बल्कि आपकी जिज्ञासाएं भी स्तर-दर-स्तर शांत होती जाती हैं। इसे अपना करियर चुनने वाले जहां देश के बेस्‍ट ब्रेन कैटेगरी में शुमार किए जाते हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बुद्धिजीवी के रूप में उनकी विशिष्ट पहचान बनती है।
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क्‍या है स्‍पेस साइंस?
स्पेस साइंस या स्पेस टेक्नोलॉजी बहुत बड़ा क्षेत्र है। इसके तहत एस्ट्रोनॉमी व एस्ट्रोफिजिक्सए प्रामेट्ररी एटमॉस्फियर और एयरोनॉमीए अर्थ साइंसेस और सोलर सिस्टम की पढ़ाई आती है। आज के दौर में स्पेस साइंस की कई सब-ब्रांचेज भी हैं। इनमें से मुख्‍य है कॉस्मोलॉजी, स्टेलर साइंस, प्लेनेटरी साइंस, एस्ट्रोनॉमी, एस्ट्रोलॉजी आदि। साइंस और इंजीनियरिंग की ये शाखाएं अंतरिक्ष के चारों तरफ घूमती हैं।

कौन का कोर्स कर बन सकते आंतरिक्ष वैज्ञानिक
अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने के लिए सबसे पहले आपको 11वीं कक्षा में गणित विषय लेना होगा, 12वीं गणित में उत्तीर्ण करने के बाद आपको बीएससी की डिग्री लेनी होगी, जहां आपके विषयों में फिजिक्स एवं गणित भी होना जरूरी है। साइंस से स्नातक होने के बाद आप एस्ट्रोनॉमी थ्योरी या एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेशन कोर्स चुन सकते हैं। वहीं मास्टर्स डिग्री के बाद विशिष्ट कोर्सेज में प्रवेश लिया जा सकता है।

यदि आप बारहवीं के बाद इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन में बीई करते हैं, तो आप इंस्ट्रूमेंट एस्ट्रोनॉमी या एक्सपेरिमेंटल एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। इसी दिशा में आगे बढ़ने पर आगे एस्ट्रोनॉमी में पीएचडी भी कर सकते हैं। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में देश में केवल मास्टर स्तर व पीएचडी प्रोग्राम ही विश्वविद्यालयों में सामान्यत उपलब्‍ध हैं। वहीं एक वर्षीय ज्वॉइंट एस्ट्रोनॉमी प्रोग्राम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू चलाती है। यह प्रोग्राम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, रमण रिसर्च इंस्टीट्यूट और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई के साथ मिलकर चलाया जाता है। कोर्स की समाप्ति के बाद आपको इन्हीं इंस्टीट्यूट्स में से एक में पीएचडी की भी ऑफर दी जाती है।
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एस्ट्रोनॉट बनने के लिए यह गुण जरूरी
एस्ट्रोनॉट बनने के लिए कई गुण बहुत जरूरी है, उसमें से एक है आकाश में तारों के पैटर्न, उनकी हलचल आदि का अध्ययन करना। यह बहुत लंबा और समय लेने वाला पेचीदा काम है। इसलिए धैर्य इस पेशे का पहला व सबसे जरूरी गुण भी है। वहीं अगली बेहद जरूरी विशेषता आपका जिज्ञासु होना है। इस फील्ड में पूरे आत्मविश्वास और उत्साह से रहस्यमयी प्रश्‍नों के उत्तर तलाशने होते हैं। आपमें चीजों के प्रति साइंटिफिक एप्रोच के अलावा प्रोग्रामिंग स्किल भी बेहतरीन होनी जरूरी है।

कहां बना सकते हैं करियर
अंतरिक्ष विज्ञान में एजुकेशन पूरा करने के बाद आप चाहें तो किसी भी रिसर्च इंस्टीट्यूट में बतौर रिसर्च साइंटिस्ट काम कर सकते हैं। आपको भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी रोजगार मिल सकता है। वहीं कुठ नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशंस में स्वयं खगोलीय उपकरण बनाने का मौका मिलता है, साथ ही साथ एस्ट्रोनॉमी प्रोजेक्ट में भी काम करने का अवसर मिलता है। रिसर्च वर्क समाप्ति के बाद रोजगार के अवसर कहीं अधिक बढ़ जाते हैं। बहुत से सरकारी संस्थानों में एस्ट्रोनॉमर की नियुक्ति की जाती है। यहां आपको विभिन्न साइंटिस्ट ग्रेड के पद पर रखा जाता है, जहां आकर्षक वेतन के अलावा आपको अन्य लाभ भी मिलते हैं।

इन पदों पर कर सकते हैं आवेदन-
  • स्पेस साइंटिस्ट
  • क्वालिटी एश्योरेंस स्पेशलिस्ट
  • एस्ट्रोनॉमर
  • जियोलॉजिस्ट
  • एस्ट्रोफिजिसिस्ट
  • मैटेरियोलॉजिस्ट
  • रडार टेक्नीशियन
  • रोबोटिक टेक्नीशियन
  • सेटेलिट टेक्नीशियन

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Career Tips: करियर के लिए सॉफ्ट स्किल्स क्‍यों है जरूरी? जानें कैसे आएंगी आपके काम

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Soft Skills For Career Development: करियर में आज के समय में सफलता पाने के लिए सिर्फ डिग्री ही काफी नही है बल्कि इसके अलावा भी कई स्किल्स का होना जरूरी है। इन्ही में से एक है सॉफ्ट स्किल जो हमें किसी कॉलेज या इंस्टिट्यूट में नही सिखाई जाती है बल्कि ये हमें खुद ही सीखना पड़ता है। आप मानें या ना मानें, पर यह सच है कि सॉफ्ट स्किल्स बेहतर हो तो वर्क प्लेस और घर के माहौल में सकारात्मक बदलाव आरंभ से ही महसूस किया जा सकता है। इस तरह आप सक्सेस की ओर पहला कदम बढ़ाते हैं। इसे ही कहते हैं सॉफ्ट स्किल का सक्सेस फंडा, इसे जितना चमकाएंगे यह उतना ही बेहतर होता जाएगा।

सॉफ्ट स्किल्स क्या हैं?
समय के साथ- साथ सॉफ्ट स्किल करियर के निर्माण या उसे दिशा देने में पर्याप्त क्षमता वाले साधन के रूप में उभरकर सामने आया है। अकसर देखा जाता है कि कुछ लोग तकनीकी रूप से बड़े ही प्रतिभावान होते हैं और साथ ही वे अपने क्षेत्र में निपुण भी होते हैं, लेकिन उनके करियर में एक निश्चित बिंदु के बाद ठहराव आ जाता है और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनमें नेतृत्व क्षमता, समूह में काम करना, सामाजिक सम्प्रेषण तथा संबंध निर्माण कौशलों का अभाव होता है। इस तरह के गुण को ही सॉफ्ट स्किल कहते हैं। सीधे तौर पर सॉफ्ट स्किल्स के बारे में कहा जाए तो विपरीत परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखना और शांति से उस समस्या को सुलझाना ही सॉफ्ट स्किल है।

आपकी यही सॉफ्ट स्किल ही आपको भीड़ से अलग करती है। सॉफ्ट स्किल एक व्यापक क्षेत्र है जिसमें सम्प्रेषण कौशल, श्रवण कौशल, टीम कौशल, नेतृत्व के गुण, सृजनात्मकता और तर्कसंगति, समस्या निवारण कौशल तथा परिवर्तनशीलता आदि सम्मिलित हैं। सॉफ्ट स्किल सामान्यतः गुण बस्वरुप होते हैं और इन्हें पुस्तकों से नहीं सीखा जा सकता। लेकिन औपचारिक प्रशिक्षण निश्चित रुप से आपको कुशल बना सकता है और यदि आप विशिष्ट कौशलों में सुधार करना चाहते हैं तो यह कुछ सूत्र और तकनीकों की शिक्षा प्रदान कर सकता है।
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क्‍यों जरूरी है सॉफ्ट स्किल्स?
कई लोग हैं जिनमें हार्ड स्किल या टेक्निकल स्किल की क्षमता काफी होती है, लेकिन सॉफ्ट स्किल की कमी की वजह से ये लोग ऑफिस या अपनी फील्ड में बहुत आगे नहीं बढ़ पाते। अगर सॉफ्ट स्किल के गुणों की बात करें तो इनमें प्रमुख हैं, कम्यूनिकेशन ऐंड इंटर पर्सनल स्किल, टीम स्किल, निगोशिएशन स्किल, टाइम मैनेजमेंट स्किल, बिजनस मैनेजमेंट, सोशल ग्रेस व बॉडी लैंग्वेज एवं आई कॉन्टेक्ट। सॉफ्ट स्किल्स अब किसी प्रफेशनल के करियर बनाने और बिगाड़ने में काफी अहम भूमिका निभा रहें हैं।

इसलिए महिला हो या पुरुष, सभी के लिए करियर में आगे बढ़ने के लिए सॉफ्ट स्किल का बेहतर होना जरूरी हो गया है। विशेषकर कॉर्पोरेट वर्ल्ड में सफल होने के लिए सॉफ्ट स्किल का होना अत्यधिक जरूरी हो जाता है। इसकी अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि देश के बड़े बिजनस स्कूलों की सलाना रैकिंग में सॉफ्ट स्किल अहम भूमिका निभाते हैं।
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यहां से प्राप्‍त कर सकते हैं सॉफ्ट- स्किल की शिक्षा
सॉफ्ट-स्किल में पाठ्यक्रम संचालित करने वाले बहुत से संस्थान हैं और इनमें से सॉफ्ट स्किल में लघु प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित करने वाले कुछ मुख्‍य संस्थान यह हैं।

  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर
  • राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, चंडीगढ़
  • राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, कोलकाता
  • राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान, भोपाल

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NEET Exam Tips: क्या नीट एग्जाम केवल बुद्धिमान स्टूडेंट्स के लिए है? ऐसे करें तैयारी

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NEET 2021 Exam Preparation Tips: कई NEET उम्मीदवारों के लिए यह सबसे आम सवाल है। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश एग्जाम जिसे आमतौर पर नीट के रूप में जाना जाता है, इसे सैकंडरी लेवल की पढ़ाई में सबसे मुश्किल एग्जाम में से एक माना जाता है। इस कॉमन एंट्रेंस एग्जाम में कट-ऑफ मार्क्स उन उम्मीदवारों के लिए बेहद जरूरी है, जो सरकारी या प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एंट्री पाने का लक्ष्य रखते हैं। न केवल भारत में, NEET में अच्छे स्कोर वाले उम्मीदवार नेपाल जैसे विदेशों में भी अपनी मेडिकल एजुकेशन प्राप्त कर सकते हैं। NEET Physics Kota के डायरेक्टर, प्रशांत शर्मा ने नीट एग्जाम से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताया है।

नीट एग्जाम को मुश्किल क्यों माना जाता है?
नीट एग्जाम बाकी आम एंट्रेंस एग्जाम की तरह ही है। लेकिन, नीट एग्जाम में बैठने वाले उम्मीदवारों की संख्या मेडिकल कॉलेज में सीटों की संख्या से बीस गुना अधिक है। इससे मेडिकल उम्मीदवारों के लिए NEET एग्जाम में मुश्किलें होना और मेडिकल संस्थानों में एंट्री लेना मुश्किल हो जाता है।

क्या एक एवरेज स्टूडेंट NEET एग्जाम को क्रैक कर सकता है?
ये सभी टैग (शानदार, एवरेज और कम पढ़ने वाले) सिर्फ नाम हैं और ये स्टूडेंट्स के साथ तभी जुड़ते हैं, जब वे पढ़ाई में आगे बढ़ने के लिए ईमानदारी से प्रयास करते हैं। हमेशा याद रखें कि कॉम्पिटिशन वाले एग्जाम को पास करने के लिए किसी भी स्टूडेंट के लिए अत्यधिक मेहनत और समर्पण जरूरी है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप एक बुद्धिमान या एवरेज स्टूडेंट हैं। आप किसी भी एग्जाम में आसानी से अच्छे स्कोर पा सकते हैं, अगर आप पूरी लगन और ईमानदारी से एग्जाम की तैयारी करते हैं और NEET एग्जाम बेहद मुश्किल नहीं है।

नीट एग्जाम को पास करने के लिए आपको किसी सुपर-पावर की जरूरत नहीं है। इसलिए, आँख बंद करके दौड़ में शामिल होने के बजाय, अपनी पॉजिटिव और नेगेटिव बातों को समझें और उसी के मुताबिक अपनी तैयारी के प्रोग्राम की प्लानिंग बनाएं।
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ज्यादा वेटेज वाले टॉपिक्स पर ध्यान दें
नीट सिलेबस 2021 में शामिल सभी टॉपिक्स को आँख बंद करके देखने के बजाय, अधिक वेटेज वाले टॉपिक पर अधिक ध्यान दें। NEET एग्जाम में हर एक भाग (भौतिकी, जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान) के लिए वेटेज को समझें और एक अच्छी व रोजाना प्रैक्टिस की प्लानिंग करें।

क्लास 11वीं और 12वीं की बोर्ड एग्जाम की तैयारी करेगी मदद
नीट सिलेबस के बड़े पार्ट्स में कक्षा 11वीं और 12वीं के विषय शामिल हैं। इसलिए, यदि आप अपनी बोर्ड एग्जाम के लिए अच्छी तैयारी करते हैं, तो यह आपकी नीट मेडिकल एग्जाम में आपके स्कोर को बेहतर बनाने में मदद करेगा, क्योंकि विषय लगभग समान हैं। रिवीजन और प्रैक्टिस के लिए दिन में कम से कम 3-4 घंटे जरूर दें।
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पिछले क्वेशन पेपर रिवाइज करें
NEET के पिछले क्वेशन पेपर को रिवाइज करना NEET 2021 की तैयारी के लिए फायदेमंद होगा। अगर आपको एग्जाम में बार-बार वही प्रश्न मिलते हैं, तो यह अच्छा होगा। अगर नहीं, तो पिछले क्वेशन पेपर का रिवीजन आपको नीट एग्जाम के लिए जरूरी और अच्छी प्रैक्टिस करने में मदद करता है। यह आपको NEET सिलेबस में शामिल टॉपिर से जुड़े रहने में भी मदद करता है।

ध्यान रखें ये जरूरी बातें
अपने आप को कभी कम मत समझिए। आश्वस्त रहें और हमेशा याद रखें कि कुछ भी असंभव नहीं है। यदि आप ईमानदारी से प्रयास करते हैं और अच्छी तैयारी करते हैं, तो आप नीट एग्जाम में अच्छे अंक प्राप्त करने में जरूर सक्षम होंगे।

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JEE Tips: जेईई के पूरे सिलेबस की तैयारी के लिए ऐसे बनाएं टाइम टेबल, ये हैं जरूरी टिप्स

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Tips For Attempting JEE Mains: किसी भी छात्र के लिए आज के समय में जेईई और एनईईटी की तैयारी करना उसके करियर की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। कई छात्र अपने पहले ही प्रयास में जेईई या एनईईटी पास करने का सपना देखते हैं, लेकिन कड़ी प्रतिस्पर्धा और सीमित सीटों के कारण पहली बार में प्रवेश परीक्षा पास करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह असंभव नहीं है। अगर आप सावधानीपूर्वक योजना बनाकर समर्पण, कड़ी मेहनत के साथ तैयारी करे तो पहले प्रयास में ही उन्हें आसानी से क्रैक कर सकते हैं।

हालांकि, यदि आप योजना के साथ तैयारी करने के पक्ष में नहीं हैं, तो आप इन परीक्षा में पास नहीं हो सकते हैं। यह वह जगह है जहां स्मार्ट योजना के साथ एक अच्‍छी समय सारणी आपकी मदद करेगी।

तैयारी के लिए आदर्श समय
जेईई और एनईईटी की परीक्षा में अगर बैठना चाहते हैं, तो इसके लिए तैयारी कक्षा ग्यारहवीं से शुरू कर देनी चाहिए। इससे आपको अपनी तैयारी पूरी करने कें लिए अधिक समय मिल जाएगा और इस पोजिशन से प्रवेश परीक्षा क्रैक करने की अधिक संभावना होती है।

न्यूमेरिकल सवालों पर पकड़ बनाए
आप भी अगर इन एग्जाम में अच्छा स्कोर करना चाहते है तो आपको न्यूमेरिकल सवालों पर अपनी पकड़ बनानी होगी। आपको रोजाना कम से कम 70-80 न्यमेरिकल सवालों को हल करने होंगे तब जाकर आपकी पकड़ बनेगी। लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि न्यूमेरिकल सवाल किसी एक सब्जेक्ट के ही नही बल्कि फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स तीनों सब्जेक्ट के सवाल इसमें शामिल होना चाहिए। जब आप न्यूमेरिकल सवालों को हल कर रहे हो तो समयसीमा का भी ध्यान रखे ताकि एग्जाम में आप कम समय में ज्यादा से ज्यादा न्यूमेरिकल सवालों को हल कर सके।
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टॉपिक्स की लिस्‍ट तैयार करें
इस परीक्षा में सफलता पाने के लिए आपको टॉपिक्स की एक लिस्ट बनाना जरूरी है, ये फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स तीनों विषयों के साथ करें। अब ज्यादा मार्क्स वाले टॉपिक्स पर टिक कर लें और उनकी तैयारी अच्छे से करें। हर सप्‍ताह नया टॉपिक्‍स सीखने के साथ पूराने टॉपिक को रिवाइज करें।

टाइम मैनेजमेंट सीखें
इन परीक्षाओं को क्रैक करने का एक शानदार तरीका है टाइम मैनेजमेंट और आत्म-मूल्यांकन। जब आप बहुत सारे मॉक टेस्ट के साथ अपनी तैयारी जारी रखते हैं और अधिक से अधिक सैंपल पेपर हल करते हैं, तो यह आपकी प्रगति, सटीकता और गति को दर्शाता है। मॉक टेस्ट और सैंपल पेपर्स लेने का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि उम्मीदवार टाइम मैनेजमेंट की कला में महारत हासिल करते हैं, जिसका मतलब है कि हर अभ्यास के साथ, एक प्रश्न को हल करने में लगने वाला समय पहले के प्रयास से कम हो रहा है। हालांकि, यदि ऐसा नहीं हो रहा है, तो विश्लेषण करना शुरू करना चाहिए कि ऐसा क्‍यों नहीं हो पा रहा।

मॉक टेस्ट और सैंपल पेपर हल करें
मॉक टेस्ट लेने के साथ सैंपल पेपर व पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्रों का अभ्यास करना इस परीक्षा की तैयारी का एक अनिवार्य हिस्सा है। उम्मीदवारों को अपनी क्षमता का परीक्षण करने और अपने प्रवेश परीक्षा के लिए प्रदर्शन स्तर की जांच करने के लिए बहुत सारे मॉक टेस्ट लेने चाहिए। ऐसा करने से, उन्हें अपने मजबूत और कमजोर क्षेत्रों का पता चल जाता है। एक बार कमजोर क्षेत्रों का पता चलने के बाद उसको मजबूत किया जाना चाहिए और मजबूत क्षेत्रों को और बेहतर किया जाना चाहिए।

इन परीक्षाओं को क्रैक करने के इच्छुक उम्मीदवारों को कम से कम पिछले 10 वर्षों के प्रश्न पत्र का अभ्यास करना चाहिए। इससे उन्हें परीक्षा में आने वाले प्रश्नों को हल करने में विश्वास हासिल करने में मदद मिलती है। साथ ही वे विभिन्न तरीकों से प्रश्नों को हल करने का मार्ग सीखते हैं।
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लगातार रिवीजन करें
यदि आप रिवीजन के लिए समय नहीं छोड़ते हैं और सीधे परीक्षा में पहुंच जाते हैं, तो इन परीक्षाओं को पास नहीं कर पाएंगे। इसलिए परीक्षा तैयारी की योजना बनाते समय रिवीजन के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए। परीक्षा के नजदीक आने पर आपके शॉर्ट नोट्स आपको कम समय में रिवीजन करने में मदद करेंगे।

दबाव से दूर रहें
परीक्षा की तैयारी के समय ध्‍यान देना चाहिए कि आपके उपर किसी तरह का दबाव न हो, अपनी नींद और मनोरंजन के लिए समय निकाले। हर समय किताबों में तल्लीन रहने से आपका मन सुस्त रहेगा और आप दबाव महसूस करेंगे। अपनी क्षमता के अनुसार कुछ घंटों के अध्ययन के बाद छोटे ब्रेक लें और कुछ खेल खेलें, कुछ अच्छे संगीत सुनें, टहलें, अपने दोस्तों के साथ मस्‍ती करें और फिल्म देखें, जिसके बाद अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करें। ऐसा करना आपके दिमाग और मन को तरोताजा करेगा। यह भी महत्वपूर्ण है कि आप एक संतुलित आहार खाएं और एक अच्छी नींद लें।

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Study abroad: फ्री एजुकेशन के लिए इन देशों में अच्छा मौका, नहीं लगेगा कोई फीस

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Study In Other Countries Free: विदेश में पढ़ कर करियर बनाना हर युवा का सपना होता है। लाखों युवा विदेश में जाकर उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते हैं, जिसमें से कुछ अपने सपनों को पूरा करने में सफल हो जाते हैं तो कुछ के सपने पैसों की तंगी के कारण पूरे नहीं हो पाते। आज हम आपको कुछ ऐसे देशों के नाम बताने जा रहे हैं, जहां पर आप फ्री में एजुकेशन पा सकते हैं।

जर्मनी (Germany)
पूरे विश्‍व में जर्मनी अपने बेहतरीन एजुकेशन सिस्टम के लिए जाना जाता है यहाँ पर हर साल लाखों स्टूडेंट दुनिया के कई देशों से आते है, जर्मनी में ऐसी 16 यूनिवर्सिटी हैं जो विश्व की टॉप 250 यूनिवर्सिटी में गिनी जाती हैं। इस देश में हायर एजुकेशन के लिए ना के बराबर फीस ली जाती है और कई सरकारी यूनिवर्सिटी तो ऐसी है जो फ्री में एजुकेशन देती हैं। जर्मनी में कई विषयों के कोर्स करवाएं जाते है, अगर आप भी विदेश में पढ़ने का सपना देख रहे है तो जर्मनी आपके लिए सबसे अच्छा साबित हो सकता है। यहाँ पर बिना किसी फीस दिए पढ़ाई करने के साथ आप पार्ट टाइम जॉब भी कर सकते है।

नॉर्वे (Norway)
अगर आप विश्व की बेहतरीन यूनिवर्सिटी में पढना चाहते हैं, तो नॉर्वे आपके लिए बेस्ट साबित हो सकता है। नॉर्वे एक ऐसा देश है जहाँ पर यूजी से लेकर पीएचडी तक बिलकुल फ्री में पढ़ाई कर सकते है, लेकिन शर्त सिर्फ एक है कि यहां की भाषा आना जरुरी है, अगर आप नॉर्वे की भाषा सीख जाते है तो आपको यहाँ पर आसानी से एडमिशन मिल सकता है। लेकिन अगर आप बिना नॉर्वे की भाषा सीखे यहाँ पढ़ना चाहते है तो आपको इसके लिए 70 हजार रूपये से ज्यादा की सालाना फीस चुकानी पड़ सकती है।
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फ़िनलैंड (Finland)
नॉर्व की तरह ही फ़िनलैंड भी है यहाँ पर भी एजुकेशन पूरी तरह से फ्री है। हालाँकि अब यहाँ पर कुछ बदलाव करके फीस लेने पर विचार किया जा रहा है लेकिन फ़िलहाल तो इस देश में आप फ्री में एजुकेशन प्राप्त कर सकते है। लेकिन यहाँ पर इंग्लिश में एजुकेशन प्राप्त कर रहे लोगों को ट्यूशन फीस चुकानी पड़ती है। अगर आप यहाँ पर फ्री में एजुकेशन प्राप्त करना चाहते है तो आपको यहाँ की भाषा आनी जरुरी है।

स्वीडन (Sweden)
विदेश जाकर अगर आप किसी विषय में पीएचडी या रिसर्च करना चाहते है तो स्वीडन आपके लिए सबसे बेस्ट साबित हो सकता है। स्वीडन की कई यूनिवर्सिटी फ्री में पीएचडी करवाती है इसके साथ ही स्टूडेंट्स को मंथली स्कालरशिप भी दी जाती है। स्वीडन में यूरोपीय रीजन के छात्रों के लिए किसी भी तरह की फीस नहीं ली जाती है। वहीं पीएचडी के लिए भारतीय छात्रों को कोई फीस देना नहीं पड़ता है। अगर आप भी पीएचडी या रिसर्च के लिए विदेश जाना चाहते है तो किसी स्वीडन यूनिवर्सिटी में जरुर आवेदन करें।
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चेक गणराज्य (Czech Republic)
चेक गणराज्य में भी फ्री में केजी से लेकर पीजी तक एजुकेशन मिलता है। यहाँ पर पढ़ाई के लिए किसी भी तरह की कोई फीस नहीं ली जाती है। हालाँकि यहाँ कि लोकल भाषा पर आपकी पकड़ होना जरुरी है। वहीं आप इंग्लिश भाषा में पढ़ाई करना चाहते है तो आपको यहाँ पर फीस चुकानी पड़ेगी।

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MBA Courses: ये हैं एमबीएस स्ट्रीम के बेस्ट ऑप्शन, अच्छी नौकरी के साथ मिलेगी हाई सैलरी

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Jobs After MBA: मास्टर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट उन सबसे अच्‍छे करियर ऑप्‍शन में से एक है जिसमें हर युवा जाने की कोशिश करता है, एमबीए करने के बाद आपमें न केवल व्यापार की समझ विकसित होती है, बल्कि आपके चुने हुए क्षेत्र में औद्योगिक एक्सपोजर को भी बढ़ाता है। इस डिग्री को इतनी प्रसिद्धी प्राप्त हो चुकी है कि अब लगभग हर संस्थान विभिन्न स्‍ट्रीम में एमबीए के पाठ्यक्रम प्रदान कर रहा है। कई बार छात्र जानकारी के अभाव में ऐसे स्‍ट्रीम में दाखिला ले लेते हैं, जिनमें पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को फायदा कम, नुकसान ज्‍यादा होता है।

मास्‍टर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट यानी कि एमबीए 2 साल का कोर्स है जिसमें स्‍टूडेंट्स को मैनेजमेंट के सभी विषयों में निपुण बनाए जाने के साथ किसी एक सब्‍जेक्‍ट का एक्‍सपर्ट बनाया जाता है। एमबीए के पहले साल में स्‍टूडेंट्स का परिचय मैनेजमेंट से जुड़े तमाम सब्‍जेक्‍ट्स से कराया जाता है। इसके बाद स्‍पेशलाइज्‍ड सब्‍जेक्‍ट्स की भी जानकारी दी जाती है।

मार्केटिंग में एमबीए (MBA in Marketing)
एमबीए का मार्केटिंग स्‍ट्रीम डायनेमिक और काफी कंपेटिटिव है। एमबीए मार्केटिंग में स्‍टूडेंट्स को कंज्‍यूमर बिहेवियर, मार्केट, एडवरटाइजिंग और इस फील्‍ड से संबंधित अन्‍य बारीकियों को समझने में मदद मिलती है। इस फील्‍ड में उन लोगों को करियर बनाना चाहिए जिनकी कम्‍यूनिकेशन स्किल्‍स बेहतरीन हों, मौजूदा रिसोर्स का सही तरीके से इस्‍तेमाल करने की कला आती हो और मार्केटिंग में टिके रहना का जज्‍बा हो।
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एचआर में एमबीए (MBA in HR)
एचआर में एमबीए उन लोगों के लिए है जो एचआर और स्‍ट्रेटजी में करियर बनाना चाहते हैं। अच्‍छी कम्‍यूनिकेशन स्किल्‍स, आकर्षक पर्सनैलिटी और आत्‍मविश्‍वासी वाले लोगों के लिए एचआर में एमबीए एक अच्‍छा करियर ऑप्‍शन है। किसी भी स्‍ट्रीम में ग्रेजुएट एचआर में एमबीए कर सकते हैं।

एमबीए इन फाइनांस (MBA in Finance)
यह एमबीए स्‍पेशलाइजेशन का सबसे पुराना सब्‍जेक्‍ट है, इस कोर्स के दौरान आपको कॉस्टिंग, बजटिंग, इंटरेनशल फाइनांस और कैपिटल मैनेजमेंट जैसे सब्‍जेक्‍ट्स की तैयारी करवाई जाती है। इन सब्‍जेक्‍ट्स की पढ़ाई करने के बाद आप फाइनांशियल मैनेजमेंट में स्‍पेशलाइज्‍ड बन जाते हैं, जिससे आपको किसी भी ऑर्गेनाइजेशन के फाइनांस डिपार्टमेंट में जॉब मिल सकती है। अगर आप फाइनांस में एमबीए करना चाहते हैं तो आपको किसी भी स्‍ट्रीम में ग्रेजुएट होना चाहिए।
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ऑपरेशंस में एमबीए (MBA in Operations)
इस में एमबीए करना प्रोडक्‍शन मैनेजमेंट या शॉप फ्लोर मैनेजमेंट में मददगार होता है। इस कोर्स के जरिए आप प्रोसेस फ्लो को मेंटेन करना के अलावा वेंडर और इंटर-डिपार्टमेंटल रिलेशंस को बनाए रखने का गुण सीखते हैं। इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के ज्‍यादातर स्‍टूडेंट्स ऑपरेशंस में एमबीए करते हैं क्‍योंकि प्रोडक्‍ट डेवलपमेंट, डिजाइनिंग और प्रोसेस ऑप्‍टिमाइजेशन की जानकारी होने की वजह से उन्‍हें इस फील्‍ड में ढलने में ज्‍यादा दिक्‍कत नहीं होती है। हालांकि किसी भी स्‍ट्रीम के उम्‍मीदवार इस कोर्स के लिए एप्‍लाई कर सकते हैं।

इंटरनेशनल बिजनेस में एमबीए (MBA in International Business)
मास्‍टर ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस में इंटरनेशनल ऑपरेशन जैसे इंटरनेशनल मार्केटिंग और फाइनांस की गहराई से जानकारी दी जाती है। एमबीए की इस डिग्री में मल्‍टीनेशनल कोऑपरेशन पर ज्‍यादा फोकस किया जाता है। इस कोर्स में एडमिशन के लिए किसी भी स्‍ट्रीम से ग्रेजुएट होना जरूरी है।
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इंफॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी में एमबीए (MBA in Information Technology)
इंफॉर्मेशन टेक्‍नोलॉजी में एमबीए ऐसे प्रोफेशनल्‍स को तैयार करने के लिए डिजाइन किया गया है जो इंफॉर्मेशन और कम्‍यूनिकेशन टेक्‍नोलॉजी से संबंधित प्‍लानिंग, डिजाइन, सलेक्‍शन, इम्प्लिमेन्टेशन और एडमिनिस्ट्रिेशन को प्रभावी ढंग से मैनेज कर सकें। बिजनेस टीम में आईटी ग्रेजुएट्स एक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। खासकर सॉफ्टवेयर सॉल्‍यूशंस की डिजाइनिंग और इम्प्लिमेन्टेशन में किसी भी स्‍ट्रीम के उम्‍मीदवार आईटी में एमबीए कर सकते हैं।

सप्‍लाई चेन मैनेजमेंट (Supply Chain Management)
सप्‍लाई चेन मैनेजमेंट के तहत इंवेंट्री मैनेजमेंट, वेयरहाउसिंग और क्‍लाइंट्स या किसी कंपनी द्वारा मांगे गए तमाम तरह के मटीरियल के ट्रांसपोर्टेशन की जानकारी दी जाती है। सप्‍लाई चेन मैनेजमेंट में किसी भी स्‍ट्रीम के ग्रेजुट्स एमबीए कर सकते हैं।

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Tips To Crack CAT 2021: कैट एग्जाम में लाने हैं अच्छे मार्क्स? बिल्कुल न भूलें ये बातें

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CAT exam preparation 2021: कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है। मैनेजमेंट स्टडी (दिल्ली), शैलेश जे मेहता स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (मुंबई), एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च (मुंबई) और कई जैसे आईआईएम या अन्य प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूलों में प्रवेश पाने के लिए यह एक अनिवार्य परीक्षा है। यह परीक्षा हर साल नवंबर के अंतिम सप्ताह में आयोजित की जाती है।

कैट के लिए अपीयर होने वाले आधे से अधिक उम्मीदवार इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के होते हैं। इससे कंपीटिशन काफी टफ हो जाता है। क्वांटिटेटिव एबिलिटी सेक्शन में इंजीनियरों की अच्छी पकड़ होती है क्योंकि इंजीनियर आमतौर पर मैथ्स में अच्छे होते हैं। इंजीनियरों के लिए मुख्य चुनौती वर्बल एबिलिटी और रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन सेक्शन है, इसके बाद डेटा इंटरप्रिटेशन और लॉजिकल रीजनिंग सेक्शन हैं। कैट में सफल होने के लिए उम्मीदवारों का मुख्य फोकस यही होना चाहिए।

VARC सेक्शन के लिए कड़ी मेहनत करें
VARC सेक्शन इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए एक बड़ी बाधा है क्योंकि वे स्नातक के दौरान एक विषय के रूप में अंग्रेजी भाषा पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन, अगर अच्छी तरह से स्टडी की जाए, तो यह सेक्शन आपको ज्यादा परेशान नहीं करेगा।
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डीआईएलआर सेक्शन में महारत हासिल करें
इस सेक्शन में अच्छा स्कोर करने का एकमात्र तरीका जितना संभव हो उतना प्रैक्टिस करना है। इस सेक्शन को विभिन्न ट्रिक्स का उपयोग करके हल किया जा सकता है, जिसके बारे में आपको क्वेश्चन सॉल्व करने के दौरान पता चलेगा कि ट्रिक्स को कब कहां अप्लाई करना है। और यह तभी हो पाएगा जब आपने बहुत सारे प्रॉब्लम्स को सॉल्व कर लिया हो। प्रश्नों को हल करने की टेक्नीक जानने के बाद यह सेक्शन काफी आसान हो जाता है।

अपनी कैलकुलेशन को इंप्रूव करें
क्वांटिटेटिव एबिलिटी सेक्शन को को हल करने में कैलकुलेशन एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैक्टर है। अपनी सटीकता में सुधार करें और अधिकतम समय बचाने के लिए पहले अटैम्प्ट में सही उत्तर पाने का प्रयास करें। वर्चुअल कैलकुलेटर का उपयोग करने के बजाय मानसिक रूप से हल करने का अभ्यास करें। यदि आप इस तरह से प्रैक्टिस करते हैं तो आपको अपने कैलकुलेशन में इंप्रूवमेंट दिखाई देगा।
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सेक्शन के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें
आपको सभी सेक्शन के बारे में पूरी जानकारी रखने की आवश्यकता है। सुनिश्चित करें कि आप सब कुछ जानते हैं जैसे प्रत्येक सेक्शन में प्रश्नों की संख्या, सेक्शन वाइज बांटे गए अंक, विभिन्न सेक्शन में शामिल टॉपिक्स, मार्किंग स्कीम आदि। यह सब जानने से आगे की प्रक्रिया आसान हो जाएगी।

उलझने से बचें
उलझने से आप मुश्किल में पड़ जाएंगे। कॉन्सेप्ट पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें अच्छी तरह से समझना चाहिए। मग-अप तकनीक को चुनना बिल्कुल भी उचित नहीं है। पूरे कॉन्सेप्ट को समझने से किसी को लंबे समय के लिए चीजों को याद रखने में मदद मिलती है। साथ् ही गड़बड़ी के चांसेज भी कम से कम हो जाएंगे।

प्रैक्टिस से ही परफेक्ट बन सकते हैं
कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप विभिन्न टॉपिक्स में कितने अच्छे या बुरे हैं, एक चीज जो आपको कैट में अच्छा स्कोर करने में मदद कर सकती है, वह है प्रैक्टिस करना। आपको नियमित रूप से प्रश्नों को हल करने की प्रैक्टिा करते रहने की आवश्यकता है। पर्याप्त प्रैक्टिस मटेरिअल्स खरीदें और सुनिश्चित करें कि आप इसका अधिकांश भाग हल कर लें। सुनिश्चित करें कि आप अधिकांश कॉन्सेप्ट को जानते हैं। प्रतिदिन प्रैक्टिस करने से अत्यधिक सहायता मिलेगी। पिछले सभी वर्षों के प्रश्न पत्रों और उपलब्ध सैंपल पेपर को हल करें। ज्यादा बेहतर मार्क्स स्कोर करने के लिए मॉक टेस्ट सॉल्व करें।
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अंतिम समय में तैयारी शुरू न करें
पहले से ही अच्छी तरह से पढ़ाई शुरू कर दें। अंतिम समय में पढ़ाई शुरू करने से सारे काम नहीं होंगे। आप अपनी स्पीड से ही अध्ययन कर सकते हैं और कॉन्सेप्ट को समझ सकते हैं। इससे तैयारी के लिए काफी समय मिलेगा। यदि आप अंतिम समय में तैयारी शुरू करते हैं तो आपके पास पूरे कोर्स को कवर करने का समय नहीं होगा। आपको कुछ दिनों में पूरे कोर्स को पूरा करना होगा जिसके परिणामस्वरूप परीक्षा में बैठने के दौरान भ्रम पैदा हो सकता है।

बिना योजना के तैयारी न करें
आपके पास एक योजना होनी चाहिए। आपको एक टाइम टेबल बनाने की आवश्यकता है कि आप कैसे पढ़ेंगे और एक दिन में आप कितना सिलेबस पूरा करेंगे। इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि आप एक पोर्सन पूरा करने के बाद प्रत्येक दिन कितना अभ्यास करेंगे। इस बारे में स्ट्रैटजी बनाएं कि आप पेपर के लिए कैसे अपीयर करेंगे और प्रत्येक सेक्शन में आप कम से कम कितने प्रश्नों को अटैम्पट करेंगे। डेली टारगेट बनाएं और उन्हें प्रतिदिन पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें।

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Off-Beat Careers: इंजीनियरिंग या मेडिसिन नहीं, अब ऑफ-बीट करियर का क्रेज, जानें पूरी डीटेल

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Career Options After 12th: कुछ साल पहले तक भारत में करियर के अवसर कम और सीमित थे। लेकिन आज, चीजें बहुत अलग हैं। वे दिन अब चले गए जब छात्र आंख बंद करके दशक के मानदंडों का पालन करते थे और वकील या चार्टर्ड एकाउंटेंट बन जाते थे। या फिर इंजीनियरिंग और डॉक्टर बनने के लिए ही साइंस की पढ़ाई करते थे। आज की पीढ़ी आशा और जिज्ञासा से भरी है। बढ़ती जागरूकता और शौक को करियर विकल्प के रूप में आगे बढ़ाने की इच्छा छात्रों को पारंपरिक पाठ्यक्रमों को छोड़ने और कुछ अलग करने की कोशिश करने के लिए मजबूर कर रही है।

ऑफ बीट करियर के बारे में सोचने से पहले इन प्वाइंट के बारे में जरूर जानें
  • रिसर्च के अनुसार सोशल मीडिया मैनेजमेंट, गेम डेवलपमेंट और डिजिटल मार्केटिंग जैसे क्षेत्र वर्तमान में सबसे आगे हैं, इनमें से कुछ क्षेत्रों में प्रोफेशनल्स की मांग में 400% तक की वृद्धि देखी गई है। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट, फिल्म निर्माण और यहां तक कि स्टैंड अप कॉमेडी के बारे में भी स्टूडेंट्स आसानी से सोच सकते हैं।
  • करियर काउंसलर का कहना है कि आज के समय में दस में से दो छात्र अपने शौक से संबंधित कोर्स करने के इच्छुक हैं।
  • कई स्टूडेंट्स राइटिंग और इवेंट मैनेजमेंट जैसे अपने बचपन के जुनून को आगे बढ़ाने के बारे में सोचते हैं।
  • भारत में अधिकांश विश्वविद्यालयों को अभी भी आउट-ऑफ-द-बॉक्स करियर के मामले में बहुत कुछ करना है, कुछ कॉलेजों ने इन ट्रेंड को फॉलो किया है, जिसमें अल्टरनेटिव कोर्स जैसे टी टेस्टिंग, कार्टोग्राफी और पपेट्री को करिकुलम में शामिल किया गया है।
  • जो लोग अपना सुरक्षा जाल नहीं छोड़ना चाहते हैं, चाहे वह उनकी पहली कॉर्पोरेट नौकरी हो या फैमिली बिजनेस, उनके लिए ऑनलाइन बहुत सारे कोर्स उपलब्ध हैं जो आसानी से पूरा कर सकते हैं।
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ऑफबीट कोर्स में बढ़ती दिलचस्पी से बढ़ रही ऐसे कोर्स की डिमांड
इस तरह के ऑफबीट क्षेत्रों में बढ़ती दिलचस्पी ने माईकैप्टन की तरह वर्कशॉप और कोर्स की मांग भी बढ़ा दी है। छात्रों को इन कोर्स की सहायता से इन क्षेत्रों में प्रोफेशन चुनने में मदद मिलती है। ये कोर्स अक्सर फील्ड में युवा प्रोफेशनल्स की मदद लेते हैं जो छात्रों को उनके सपनों के करियर के करीब आने के फायदों और रिस्क के बारे में इंस्पायर करते और एडवाइज भी देते हैं।
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ऑफ-बीट करियर कैसे बनाएं?
अब जितनी उत्सुकता से आप कोई अंजाना वेंचर शुरू करना चाहते हैं, इसके लिए अपने परिवार को समझाना आपके लिए मुश्किल साबित हो सकता है। कभी-कभी माता-पिता को अपने बच्चों के जुनून और सपनों को समझना मुश्किल हो जाता है। हो सकता है वे म्यूजिक प्रोडक्शन या पोएट्री जैसे ऑफबीट करियर के लिए आज मौजूद अवसरों से अवेयर न हों। इसलिए आज की पीढ़ी के लिए जरूरी है कि वे अपने माता-पिता को उनकी रुचियों के बारे में बताएं। आप जितने अधिक जागरूक होंगे, आपके माता-पिता के आपके निर्णय को स्वीकार करने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।

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Career Tips: पृथ्वी को बचाने के लिए कर सकते हैं ये टॉप 10 कोर्स, जानें डीटेल्स

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Courses To Protect The Planet: बढ़ती जनसंख्या, ग्लोबल वार्मिंग और वर्तमान वैश्विक स्वास्थ्य संकट हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं और जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को तेज कर रहे हैं। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से बचाने के लिए जागरूकता बढ़ाना, युवाओं को सशक्त बनाना और लोगों को बेहतर पृथ्वी के लिए एकजुट करने के लिए उत्साही लोगों को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है।

एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग (Environmental Engineering)
एनवायरमेंटल इंजीनियर इकोलॉजिकल ईशूज के आंसर तैयार करने के लिए इंजीनियरिंग, सॉइल साइंस और कैमेस्ट्री के नॉलेज का उपयोग करते हैं। वे वर्ल्ड वाइड ईशूज को भी एड्रेस करते हैं, उदाहरण के लिए, दूषित ड्रिंकिंग वॉटर, एनवायरमेंटल चेंजेज और इकोलॉजीकल इंबैलेंस। इस फील्ड में करियर बनाने के लिए एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग या रीलेटेड फील्ड, जैसे सिविल, केमिकल या जेनरल इंजीनियरिंग में चार साल का सर्टिफिकेशन होना चाहिए।

एनवायरमेंटल साइंस (Environmental Science)
एनवायरमेंटल साइंस और एक्सपर्ट नेचुरल ईशूज को ब्रेक डाउन करते हैं और उसके आंसर भी ढूंढते हैं। उदाहरण के लिए कई एनवायरमेंटल रिसर्चर और एक्सपर्ट ऐसे लैंड्स और वाटर रिसोर्सेज को फिर से ठीक करने के लिए काम करते हैं जो दूषित हो गए हैं। इसमें ज्यादातर पदों के लिए एनवायरमेंटल रिसर्चर और साइंटिस्ट को एनवायरमेंटल साइंस में कम से कम चार साल के सर्टिफिकेशन की आवश्यकता होती है।

जियोसाइंस (Geoscience)
जियोसाइंटिस्ट बेसिक और कॉम्पलेक्स दोनों तरह के डिवाइसेज का उपयोग करते हैं। रेगुलर दिनों में, वे चट्टान के नमूनों को इकट्ठा करने के लिए हथौड़ों और छेनी का उपयोग करते हैं और बाद में तेल या खनिज सैंपल की तलाश के लिए खुदाई के उपकरण जैसे रडार उपकरण का उपयोग करते हैं। ज्यादातर फर्स्ट स्टेप पोजिशन के लिए जियोसाइंटिस्ट को चार साल के सर्टिफिकेशन की आवश्यकता होती है। बहरहाल, उत्साही लोग जियोसाइंटिस्ट के रूप में स्नातक डिग्री के साथ भी अपनी प्रैक्टिस शुरू करते हैं।
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एटमोस्फेरिक साइंस (Atmospheric Science)
एटमोस्फेरिक रिसर्चर क्लाइमेंट की जांच करने और जानकारी एकत्र करने के लिए बनाए गए खास उपकरणों और कंप्यूटर प्रोग्राम जैसे वेदर बलून, रडार सिस्टम और सैटेलाइट का उपयोग करते हैं। अधिकांश पदों के लिए मेटियोरोलॉजी या अर्थ साइंस फील्ड के रिलेटेड स्टडी में चार साल की डिग्री की आवश्यकता होती है। रिसर्च पोस्ट के लिए, एटमोस्फेरिक रिसर्चर को कम से कम स्नातक की डिग्री की आवश्यकता होती है, हालांकि नॉर्मली पीएचडी की आवश्यकता होगी।

बायोकेमेस्ट्री ग्लोबल हेल्थ साइंस (Biochemistry Global Health Science)
बायोकेमिस्ट और बायोफिजिसिस्ट लॉजिकल इंवेस्टिगेशन और एग्जामिनेशन को लीड करने के लिए लेजर और फ्लोरोसेंट मैग्नीफाइंग इंस्ट्रमेंट्स जैसे ट्रेंड सेटिंग इनोवेशन का उपयोग करते हैं। वे डीएनए को रीकॉम्बिनेंट करने के लिए बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च कैमिकल का उपयोग करते हैं। बायोफिजिसिस्ट को इंडिपेंडेंट इनोवेटिव वर्क पोजिशन पर काम करने के लिए पीएचडी की आवश्यकता होती है। स्नातक और मास्टर प्रोग्राम डिग्री वालों के लिए बायोकेमेस्ट्री और बायोफिजिक्स में कुछ इंट्री लेवल पोजिशन उपलब्ध होते हैं।

कंजर्वेशन साइंस (Conservation Science)
प्रीजर्वेशन साइंटिस्ट देश के प्राकृतिक भंडार की देखरेख, सुधार और सुरक्षा करते हैं। वे निजी भूस्वामियों और नौकरशाही, राज्य सरकार और पड़ोसी देशों के साथ काम करते हैं ताकि जलवायु की रक्षा करते हुए भूमि के उपयोग और सुधार के तरीकों की खोज की जा सके। प्रीजर्वेशन साइंटिस्ट किसानों और अन्य हार्टिकल्चरल एडमिनिस्ट्रेटर्स को अपने क्षेत्र में एग्रीकल्चरल को सुधारने और कटाव को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। उन्हें आमतौर फॉरेस्ट्री या रिलेटेड स्टडी में चार साल की डिग्री की आवश्यकता होती है।
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हाइड्रोलॉजी (Hydrology)
हाइड्रोलॉजिस्ट यह अध्ययन करते हैं कि बारिश, बर्फ और वाष्पीकरण के अन्य रूप जल निकायों या भूजल स्तर को कैसे प्रभावित करते हैं। वे जांच करते हैं कि जलवायु और जल चक्र के लिए पानी का क्या अर्थ है और जलवायु में परिवर्तन पानी की गुणवत्ता और मात्रा को कैसे प्रभावित करते हैं। हाइड्रोलॉजिस्ट को चार साल की कॉलेज डिग्री की आवश्यकता होती है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट स्नातक डिग्री के बाद ही अपना काम शुरू कर देते हैं।

अर्बन और रीजनल प्लानिंग (Urban and Regional Planning)
अर्बन प्लानर्स स्थानीय क्षेत्रों को ढूंढते हैं जिनमें सुधार और विकास की आवश्यकता होती है। जैसे-जैसे स्थान विकसित होता है या बदलता है, प्लानर्स समुदायों को आवश्यक वित्तीय, सामाजिक और पारिस्थितिक सहायता से निपटने में सहायता करते हैं, जैसे नए पार्कों की व्यवस्था करना, बेघरों की रक्षा करना और क्षेत्र को व्यवसाय के लिए आकर्षक बनाना। अधिकांश पदों के लिए आवेदन करने योग्य होने के लिए अर्बन और रीजनल ऑर्गनाइजर्स को मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री की आवश्यकता होती है।
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एग्रीकल्चर एंड फूड साइंस (Agriculture and Food Science)
एग्रीकल्चर एंड फूड रिसर्चर देश की फूड सप्लाइ के साथ-साथ स्टॉक को बचाने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे ऑर्गेनिक और कैमिकल सायकल को समझने की कोशिश करते हैं जिससे उत्पादन और पशुधन विकसित होते हैं। एग्रीकल्चर और फूड रिसर्चर को चार साल की कॉलेज डिग्री की आवश्यकता होती है, हालांकि कई स्नातकोत्तर डिग्री भी प्राप्त करते हैं। कुछ रिसर्चर प्रैक्टिस शुरू करने से पहले डॉक्टर ऑफ वेटरनरी मेडिसिन (DVM) की डिग्री भी हासिल कर लेते हैं।

मेटियोरोलॉजी (Meteorology)
मेटियोरोलॉजीस्ट क्लाइमेंट और एनवायरमेंट को समझने और अनुमान लगाने के लिए साइंस और मैथ्स का उपयोग करते हैं। वे अतिरिक्त रूप से ध्यान केंद्रित करते हैं कि बैरोमीटर और क्लाइमेट कंडीशन पृथ्वी और उसके निवासियों के लिए क्या मायने रखती है। एक मेटियोरोलॉजीस्ट बनने के लिए कैंडिडेट को एटमोस्फेरिक साइंस या संबंधित क्षेत्र में चार साल की कॉलेज की डिग्री की आवश्यकता होती है जो एनवायरमेंटल साइंस के लिए स्पष्ट है। विशिष्ट पदों के लिए फिजिक्स, केमेस्ट्री या जीयोसाइंस में डिग्री पर्याप्त हो सकती है।

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Benefits Of Doing MBA: नौकरी से लेकर हाई सैलरी तक, एमबीए करने के हैं 10 बड़े फायदे

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Benefits Of Having An MBA Degree: एमबीए करते समय आप जो स्ट्रैटजिक थिंकिंग स्किल सीखते हैं, वह न केवल बिजनेस वर्ल्ड में बल्कि आपके जीवन के विभिन्न फील्ड में लागू होता है, जैसे कि आपके पर्सनल गोल और फाइनांस। जब आप किसी समस्या को ठीक करने के लिए काम करते हैं तो आप बॉक्स के बाहर सोचने और अपने दिमाग में कई ऑप्शन या सॉल्यूशन को तौलने में सक्षम होंगे। यह कैरियर ग्रोथ और फाइनेंशियल डेवलपमेंट के अवसर दिलाता है चाहे आप टेक्नोलॉजी, फाइनांस, मैनेजमेंट, मार्केटिंग, या मैन्युफैक्चरिंग फील्ड में काम करते हों।

हाई सैलरी
एमबीए की डिग्री न केवल ग्रेजुएट्स को बेहतर नौकरी के ऑप्शन दिलाती है, बल्कि यह नौकरी आपको हाई सैलरी भी दिलाती है। यह एक मैनेजेरियल रोल के लिए फेवरेट एलिजिबिलिटी है, जो ट्रेडिशल रूप से एक हाई पेड जॉब है। यह डिग्री आपको टॉप लेवल मैनेजेरियल रोल तक पहुंचने की संभवनाओं को बढ़ा देती है और करियर की सीढ़ी पर चढ़ने में भी मदद कर सकती है।

बेहतर करियर के अवसर
एमबीए प्रोग्राम के स्नातकों के पास विभिन्न लेवल और प्रकार के अवसर उपलब्ध होते हैं। ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, स्टैटिस्टिक्स, टेक्नोलॉजी एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम, इकोनॉमिक्स और फाइनांस एमबीए प्रोग्राम में शामिल कुछ प्रमुख फील्ड हैं। ये सभी फील्ड कई क्षेत्रों और उद्योगों में काम करने के लिए एमबीए स्नातक की योग्यता रखते हैं।
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सफल साथियों का नेटवर्क
एमबीए छात्रों को कॉरपोरेट जगत में नेटवर्क बनाने के अधिक अवसर मिलते हैं। कई विश्वविद्यालयों में छात्रों के लिए टॉप इंटरनेशनल कपनियों के अनुभवी प्रोफेशनल्स और बिजनेस लीडर्स से मिलने या उनसे जुड़ने के लिए कार्यक्रम आयोजित होते हैं। हालांकि, आप सबसे महत्वपूर्ण नेटवर्क साथियों और पूर्व छात्रों के माध्यम से बना सकते हैं। आने वाले वर्षों में, ये सहपाठी भविष्य के बिजनेस लीडर, एंटरप्रेन्योर्स, सीईओ और सीएफओ बनेंगे। इसी तरह, कई स्कूल मेंटरशिप या ऑन-फील्ड वर्क एक्सपीरिएंस के माध्यम से छात्र-पूर्व छात्रों के बीच बातचीत की सुविधा प्रदान करते हैं, अपने छात्रों को एक शक्तिशाली नेटवर्किंग अवसर प्रदान करते हैं।

मैनेजमेंट स्किल डेवलप करें
एमबीए छात्रों या प्रोफेशनल्स को बिजनेस वर्ल्ड में बदलाव की योजना बनाने के लिए तैयार करता है। एक मैनेजमेंट स्कूल में जो स्किल हासिल किया जाता है, वह इंडस्ट्रीज, मार्केट्स में जरूरी बदलाव के लिए सबसे अच्छे टूल्स हैं।

पर्सनल क्रेडिबिलिटी और ब्रांड बनाएं
जो व्यक्ति किसी संस्थान में नौकरी करने के बजाय अपनी खुद की कंपनी बनाने का विकल्प चुनते हैं, वे अक्सर पाते हैं कि एमबीए उन्हें बाजार में विश्वसनीयता प्रदान करता है। विभिन्न कंपनियों और निवेशकों के ऐसे उद्यमियों के साथ डील करने की अधिक संभावना होती है, जिनके पास बिजनेस एजुकेशन बैकग्राउंड हो। लोग एमबीए की डिग्री वाले कैंडिडेट को बाजार की समझ रखने वाले विशेषज्ञ की तरह देखते हैं। इसके अलावा, यह किसी विशेष फील्ड जैसे फाइनांस, मैनेजमेंट, बिजनेस एडवाइज, या मार्केटिंग में महारत प्रदान करता है।
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ग्लोबल एक्सपोजर
एक मान्यता प्राप्त बी स्कूल से एमबीए ग्रेजुएट किसी ऑर्गनाइजेशन के भीतर प्रमुख फील्डों और प्रमुख मैनेजेरियल पोस्ट के योग्य होते हैं। यह एक ऐसी डिग्री है जिसे दुनिया भर में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। इसका उपयोग दुनिया के किसी भी हिस्से में करियर विकल्पों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।

पर्सनालिटी और सॉफ्ट स्किल डेवलप करें
मॉर्डन एमबीए प्रोग्राम एक छात्र के पर्सनालिटी, सॉफ्ट स्किल्स और प्रोफेशनलिज्म को डेवलप करने पर जोर देते हैं, जिससे उन्हें लाइफ और बिजनेस वर्ल्ड पर एक नई पर्सपेक्टिव के साथ आउटस्टैंडिंग कम्युनिकेटर्स और एडवाइजर्स बनने में मदद मिलती है। ये गुण हाल के वर्षों में मुख्य स्किल के रूप में उभरे हैं।

एन्टरप्रेंयूरिअल स्किल डेवलपमेंट
कई एमबीए ग्रेजुएट युवा एंटरप्रेन्योर बन जाते हैं। एमबीए प्रोग्राम आपको अपना खुद का बिजनेस शुरू करने और चलाने के लिए आवश्यक नॉलेज और स्किल प्रदान करता है। यह आपको सिखाता है कि कैसे मार्केट को मैनेज करें, आगे के प्लान बनाएं और अपने खुद के बिजनेस के लिए फाइनांस का निर्माण करें। ये स्किल किसी भी एंटरप्रेन्योर के लिए आवश्यक हैं।
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इंडस्ट्री कनेक्ट बनाएं
रिक्रूटर्स, कीनोट स्पीकर्स, पुराने स्कूल के बिजनेस लीडर्स और यंग एंटरप्रेन्योर्स, उन लोगों में से हैं, जिनका सामना एमबीए करने के दौरान एक कैंडिडेट से होता है। एक एमबीए प्रोग्राम छात्रों को संभावित बिजनेस लीडर्स और मैनेजर्स के साथ काम करने के लिए तैयार करता है। जब कोर्स पूरा हो जाता है, तो ये व्यक्ति एक्सीलेंट बिजनेस एसोसिएट हो सकते हैं या कंपनियां कैंडिडेट्स की ओर से आउटस्टैंडिंग रिकमेंडेशन भी दे सकती हैं।

कम्यूनिकेशन स्किल में सुधार
एक अच्छा कम्यूनिकेटर होना एक महत्वपूर्ण लाइफ स्किल है, चाहे आप कुछ भी करें। यह आपके विचारों को साझा करने, दूसरों को प्रेरित करने और नेटवर्क बनाने में आपकी मदद कर सकता है। यही कारण है कि कम्यूनिकेशन हर एमबीए डिग्री वाले कैंडिडेट के लिए बहुत इंपोर्टेंट है। यह भविष्य में आपके को-वर्कर्स, सुपरवाइजर्स, इंप्लॉयर्स और अन्य सहयोगियों के साथ प्रभावी ढंग से बातचीत करने में आपकी मदद कर सकता है।

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Career In Liberal Arts: क्‍या है लिबरल आर्ट्स? कितने हैं करियर ऑप्शन, यहां मिलेगी पूरी जानकारी

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Career Options In Liberal Arts: जैसे-जैसे समय बदल रहा हायर एजुकेशन लेने वाले छात्रों की पसंद भी बदल रही है, अब छात्र केवल विज्ञान और कॉमर्स के क्षेत्र में ही करियर की तलाश नहीं कर रहे हैं, बल्कि आर्ट्स के क्षेत्र में भी करियर तलाश रहे हैं। जिसमें छात्रों की सबसे पसंदीदा बन रहा है लिबरल आर्ट्स।

लिबरल आर्ट्स डिग्री सोशल साइंस, नेचुरल साइंस और ह्यूमनिटीज के नॉलेज के आधार पर एक बेहतरीन शैक्षिक पृष्ठभूमि प्रदान करती है। लिबरल आर्ट्स डिग्री के साथ एक विशेषज्ञ के रूप में काम करने का मौका मिलता है।

क्‍या है लिबरल आर्ट्स? (What is Liberal Arts?)
सदियों पहले जन्‍म लेने वाले लिबरल आर्ट्स यानि उदार कला को शुरू में ऐसे सब्जेक्ट्स का मिश्रण माना जाता था जो किसी भी इंसान को ज्ञानपूर्ण बनाने का काम करते हैं। लिबरल एजुकेशन सबसे पहले ईसा पूर्व सातवीं शताब्दी में शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य कोर्सेज से जुड़ी सभी तरह की सीमाओं को खत्म करना था। इसकी खासियत अहम मुद्दों का चुनौतीपूर्ण तरीके से सामना करना है और यह किसी खास कोर्स या स्टडी से इतर स्टडी की अलग राह है। यही कारण है कि लिबरल एजुकेशन से छात्र विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ पाते हैं और इससे वे व्यापक द़ृष्टिकोण से पूर्ण हो सकते हैं। शिक्षा के इस नए स्टाइल से बढ़ता परिचय भारत में लिबरल एजुकेशन और लिबरल आर्टस कॉलेजों की मौजूदगी को मजबूत बनाने की दिशा में पहला कदम है।
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कैसे होता है कोर्स
लिबरल एजुकेशन कोर्सेज चार साल के लिए तैयार किए गए होते हैं, पहले दो साल फाउंडेशन ईयर्स होते हैं और अगले दो साल में स्टूडेंट के चयन के मुताबिक माइनर सब्जेक्ट्स के अध्ययन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस तरह स्टूडेंट्स को कोर्स का व्यापक अनुभव मिलता है। उन्हें इस बात का मौका मिलता है कि वे अपनी दिलचस्पी का पता लगा सकें और इस बात की नॉलेज के फायदे भी उठा सकते हैं कि विभिन्न डिसिप्लिन को एक-दूसरे से कैसे जोड़ा जाए।

लिबरल आर्ट्स में करियर विकल्‍प (Career Options in Liberal Arts)
एक लिबरल आर्ट्स के छात्र के पास बहुत सारे करियर विकल्प हैं। इस कोर्स को करने के बाद छात्र बहुत सारे नौकरी के अवसर पा सकते हैं। इनमें प्रोफेसर, लेक्चरर, एक्टिविटीज असिस्टेंट, एक्टिविटीज डायरेक्टर, एडमिनिस्ट्रेटर, केस मैनेजर, चर्च पैस्टर, कम्यूनिटी एडवोकेट, पब्लिक वेलफेयर सोशल वर्कर और मीडिया इंस्ट्रक्टर हैं। यही नहीं लिबरल आर्ट्स में शामिल विभिन्न विषय व्यक्ति को करियर चुनने के लिए कई प्रकार के विकल्प प्रदान करते हैं। इनमें लेखांकन, पत्रकारिता, अनुसंधान, लेखन, सामाजिक कार्य, प्रकाशन, पुस्तकालय संचालन में करियर शामिल हैं।
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कौन कर सकता है यह कोर्स (Qualification for Liberal Arts)
12वीं पास कोई भी स्टूडेंट इस कोर्स को करने के लिए योग्य हैं, इसके अलावा लिबरल आर्ट्स में ग्रेजुएट स्टूडेंट्स देश-विदेश के कॉलेज से इसमें पीजी कोर्स कर अच्‍छा करियर बना सकते हैं।

देश में कहां कर सकते हैं इसकी पढ़ाई
  1. सिम्बायोसिस स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स
  2. जिंदल स्कूल ऑफ लिबरल आर्टस एंड ह्यूमैनिटीज
  3. एपीजे सत्या यूनिवर्सिटी
  4. पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी
  5. फाउंडेशन फॉर लिबरल एंड मैनेजमेंट एजुकेशन
  6. आईआईएम इंदौर
  7. ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी
  8. अशोका यूनिवर्सिटी

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Mtech Without GATE: गेट एग्जाम के बिना एमटेक में एडमिशन कैसे लें? यहां है पूरी जानकारी

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Admission In Mtech Without GATE: अगर आप ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट इन इंजीनियरिंग उत्तीर्ण नहीं है और एमटेक करना चाहते हैं तो यह अब संभव है। आईआईटी, एनआईटी, आईआईआईटी और अन्य संस्थानों में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी प्रोग्राम में प्रवेश पाने का पारंपरिक तरीका भारत में गेट स्कोर के माध्यम से है। जिसके कारण प्रतिवर्ष हजारों छात्र चाहते हुए भी एमटेक नहीं कर पाते। वहीं ऐसे छात्र भी होते हैं जो गेट परीक्षा में अच्‍छा स्‍कोर न होने के कारण एमटेक में दाखिला नहीं ले पाते। ऐसे छात्रों को अब निराश होने की जरूरत नहीं हैं।

आईआईटीए एनआईटी और आईआईएससी में दाखिला
आईआईटीए एनआईटी और आईआईएससी बिना गेट के एमटेक में दाखिला देने के लिए कुछ सीटें रिर्जव रखती हैं, जिनपर आप सीधे दाखिला ले सकते हैं। हालांकि इसके लिए संस्‍थान की कुछ शर्ते पूरी करना जरूरी है, तभी आपाके दाखिला मिल सकेगा।
  • मेरिट लिस्‍ट में नाम आने पर।
  • आपके पास बीटेक या बीई डिग्री होनी चाहिए।
  • प्रायोजित सीटों के लिए आवेदन करने के लिए आपके पास नौकरी का कम से कम 2 साल का अनुभव होना चाहिए।
  • आपकी कंपनी द्वारा दो साल की छुट्टी देने का प्रमाणपत्र होना चाहिए।
  • आपकी कंपनी आपके वित्तीय खर्चों की जिम्मेदारी लेने का प्रमाणपत्र होना चाहिए।
  • आईआईटी और एनआईटी में प्रायोजित इन सीटों के लिए लिखित परीक्षा होती है, जिसे पास करना जरूरी है।
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आईआईआईटी और डीम्‍ड संस्‍थानों में दाखिला
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान एमटेक के लिए अपनी प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं। जो गेट और और नॉन गेट दोनों के लिए होते हैं, जिनके पास वैध गेट स्कोर है, वे सीधे प्रवेश पा सकते हैं। जबकि अन्‍य लोगों को एमटेक में दाखिला के लिए यह परीक्षा देना जरूरी है।

  1. संस्थान/राज्य: प्रवेश परीक्षा
  2. आईआईआईटी हैदराबाद: पीजीईई
  3. आईआईआईटी भुवनेश्वर: भुवनेश्वर एमटेक प्रवेश परीक्षा
  4. आईआईआईटी दिल्ली: दिल्ली एमटेक प्रवेश परीक्षा
  5. इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय: आईपीयूसीईटी
  6. वीआईटी विश्वविद्यालय: वीआईटीएमईई
  7. आंध्र प्रदेश एमटेक एडमिशन: एपीपीजीईसीईटी
  8. कर्नाटक एमटेक प्रवेश: पीजीसीईटी
  9. तेलंगाना एमटेक प्रवेश: टीएस पीजीईसीईटी
  10. गुजरात एमटेक एडमिशन: गुजरात पीजीसीईटी
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केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में दाखिला
देश में कई केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालय हैं, जो अपनी अच्‍दी शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है। इन केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में भी दाखिला लिया जा सकता है, चाहे आपके पास वैध गेट स्‍कोर न हो। ऐसे छात्रों के लिए ये विश्वविद्यालय अपने स्वयं के प्रवेश परीक्षा आयोजित करते हैं। हालांकि, एमटेक में प्रवेश के लिए, पहले गेट स्कोर के आधार पर गेट उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जा सकता है। जिसके बाद बिना गेट स्‍कोर वालों को दाखिला मिलता है। हालांकि कुछ संस्‍थान ऐसे भी हैं जो ऐसे छात्रों के लिए कुछ सीटें रिर्जव रखती हैं। उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे प्रवेश परीक्षा के बारे में पूरी जानकारी के लिए संबंधित विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाएं।

उन विश्वविद्यालयों की सूची जो गेट के बिना दाखिला देती हैं-

  1. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
  2. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
  3. दिल्ली विश्वविद्यालय
  4. हैदराबाद विश्वविद्यालय
  5. जामिया मिल्लिया इस्लामिया
  6. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय
  7. पांडिचेरी विश्वविद्यालय
  8. तेजपुर विश्वविद्यालय

निजी संस्‍थान और विश्‍वविद्यालयों में दाखिला
कुछ निजी संस्‍थान और डीम्‍ड विश्‍वविद्यालय एमटेक पाठ्यक्रमों में सीधे प्रवेश देते हैं। ये संस्थान प्रवेश के लिए गेट योग्यता नहीं चाहते हैं। साथ ही किसी तरह की प्रतियोगिता परीक्षा का भी आयोजन नहीं करते। यहां पर गेट के बिना उम्मीदवारों को न्यूनतम पात्रता मानदंडों और डिग्री परीक्षा में योग्यता के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया जाता है। उदाहरण के लिए, एक उम्मीदवार जो बीटेक पास कर चुका है और ऐसे संस्थानों में प्रवेश चाहता है, उसे प्रवेश के लिए आवेदन करना होता है और फिर संस्थान उन्हें बीटेक में उनके स्कोर के आधार पर शॉर्टलिस्ट करता है।

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Career in Medicine: 12वीं के बाद मेडिसिन में बना सकते हैं बेहतर करियर, ऐसे करें तैयारी

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इंडिया में मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एमबीबीएस अंडरग्रेजुएट डिग्री डिग्री है, जिसका लक्ष्‍य छात्रों को मेडिसिन की फील्ड में ट्रेंड करना है। एमबीबीएस पूरी होने के बाद छात्र किसी भी पेसेंट को डायग्नोस करने के बाद उन्हें मेडिसिन्स प्रिस्क्राइब करने के योग्य बन जाते हैं, यह डिग्री मेडिसिन के क्षेत्र में प्राथतिक मानी जाती है। हालांकि मेडिसिन के क्षेत्र में माहरत हासिल करने के लिए छात्रों को काफी मेहनत करनी पड़ती है।

मेडिसिन में क्‍या है कोर्सेज और उन को कैसे करें
इंडिया में आमतौर पर स्टूडेंट्स 12वीं क्लास पास करने के बाद कोर मेडिकल कोर्सेज में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। यहां उन कोर्सेज की लिस्ट दी जा रही है जो मेडिकल डिग्री प्राप्त करने के लिए स्टूडेंट्स चुन सकते हैं, ताकि उनके शानदार करियर का निर्माण हो सके।

अंडरग्रेजुएट कोर्सेज
छात्र 12वीं के बाद मेडिसिन में अंडरग्रेजुएट कोर्स पूरा कर सकते हैं, इसकें बाद छात्रों को एमबीबीएस डॉक्टर का शानदार टाइटल मिल जाता है। एमबीबीएस बैचलर ऑफ़ मेडिसिन का संक्षिप्त रूप है1 एमबीबीएस कोर्स की अवधि 5 वर्ष की होती है जिसमें डिग्री प्रोग्राम पूरा करने के लिए 6 माह की ट्रेनिंग भी शामिल है।

पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज
मेडिसिन की फील्ड में पोस्ट ग्रेजुएशन को एमडी डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन के तौर पर जाना जाता है। यह मेडिसिन की फील्ड में सुपर-स्पेशलाइजेशन है और इस कोर्स की अवधि 3 वर्ष की है।

डॉक्टोरल कोर्सेज
डीएम बनने के लिए छात्र हायर स्टडीज जारी रख सकते हैं, इसके बाद डीएम की डिग्री पीएचडी की डिग्री के समकक्ष है। डॉक्टोरल कोर्स की अवधि 3-4 वर्ष की है। यह अवधि यूनिवर्सिटी गाइडलाइन्स के अनुसार थीसिस पूरी करने के लिए लगने वाले समय पर भी निर्भर करती है।
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कैसे लें मेडिकल कॉलेजेस में एडमिशन
किसी भी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन प्राप्त करने के लिए छात्रों में कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। इस प्रोफेशन के लिए आपमें न केवल प्रोफेशनल कमिटमेंट ही होनी चाहिए बल्कि, किसी रोगी का जीवन बचाने का जज्बा भी होना चाहिए। हम आपको बताएंगे कि मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए किन एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया की जरूरत पड़ेगी

अंडरग्रेजुएट कोर्स
अंडरग्रेजुएट कोर्स को एमबीबीएस के नाम से जाना जाता है। यह 12वीं क्लास में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी पढ़ने वाले वे छात्र कर सकते हैं, जिन्‍हें 12वीं में कम से कम 55 फीसदी मार्क्स प्राप्त हुए हैं। ऐसे छात्र एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम दे सकते हैं।

पोस्टग्रेजुएट कोर्स
डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन या एमडी की डिग्री प्राप्त करने के लिए, छात्र के पास एमबीबीएस की डिग्री और इंटर्नशिप का अनुभव अवश्य होना चाहिए।

डॉक्टोरल कोर्स
डॉक्टोरल या डीएम का कोर्स वह कोर्स है जो यूएस की कई यूनिवर्सिटीज सफल छात्रों को प्रदान करती हैं। यह डिग्री पीएचडी के समकक्ष डिग्री है। जिन डॉक्टर्स के पास एमडी की डिग्री होती है, वे यह कोर्स कर सकते हैं।

क्‍या मिलती है सैलरी
किसी एमबीबीएस डॉक्टर को अपने करियर की शुरुआत में लगभग 3.4 लाख सैलरी मिलती है जैसे-जैसे उनका अनुभव और नॉलेज बढ़ते जाते हैं, वैसे- वैसे सैलारी बढ़ती है।
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अंडरग्रेजुएट का कैसे होता है एंट्रेंस एग्जाम्स
  • एमबीबीए
  • ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंट्रेंस टेस्ट
  • जवाहर लाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च टेस्‍ट
  • क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम
  • ऑल इंडिया प्री-मेडिकल प्री-डेंटल टेस्ट
  • बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्री-मेडिकल टेस्ट
  • मणिपाल विश्वविद्यालय एडमिशन टेस्ट

पोस्टग्रेजुएट के लिए एग्जाम्स
ऑल इंडिया पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम
दिल्ली यूनिवर्सिटी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम

डॉक्टोरल कोर्स एग्जाम-
  • एनईईटी- एसएस
  • जेआईपीएमईआर डीएम
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मेडिसिन में एमबीबीएस क्या है
मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एमबीबीएस अंडरग्रेजुएट डिग्री या फर्स्ट प्रोफेशनल डिग्री है। एमबीबीएस कोर्सेज का लक्ष्य छात्रों को मेडिसिन की फील्ड में ट्रेंड करना है। एमबीबीएस पूरी होने पर, कोई व्यक्ति पेशेंट्स के रोगों को डायग्नोस करने के बाद उन्हें मेडिसिन्स प्रिस्क्राइब करने के योग्य बन जाता है। एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करने के बाद व्यक्ति अपने नाम के आगे डॉक्‍टर शब्द जोड़ सकता है।

क्‍या है मेडिसिन कोर्स की स्ट्रीम्स
मेडिसिन में स्पेशलाइजेशन करने वाले छात्र, 5 वर्ष के इस कोर्स के दौरान विभिन्न फ़ील्ड्स के बारे में नॉलेज प्राप्त करते हैं। इनमें से कुछ के बार में जानकारी निम्नलिखित है।

ह्यूमन एनाटोमी
यह मेडिसिन के तहत पढ़ाया जाने वाला एक बेसिक सब्जेक्ट है। यह एनाटोमी विषय से संबंधित है जिसके तहत मानव शरीर की मैक्रोस्कोपिक और माइक्रोस्कोपिक एनाटोमी शामिल है।

बायोकेमिस्ट्री
मेडिसिन की यह ब्रांच मानव शरीर के अंदर होने वाली केमिकल प्रोसेस से संबद्ध है। इसके साथ ही यह मानव अंगों पर केमिकल प्रोसेसेस के प्रभाव को समझने पर फोकस करती है।

ऑर्थोपेडिक्स
यह स्पेशलाइजेशन आपके शरीर के हाड-पिंजर या मस्क्यूलोस्केलेटल सिस्टम की बीमारियों और जख्मों से संबंधित है। एमबीबीएस करने वाले छात्र बाद में इस विषय में एमडी भी कर सकते हैं।

रेडियोथेरेपी
इस विषय का फोकस एरिया एक्स-रेज़, गामा रेज़, इलेक्ट्रान बीम्स या प्रोटोन्स के बारे में जानकारी देना है ताकि मानव शरीर में कैंसर सेल्स जैसे विकारों को कम या समाप्त किया जा सके।

ऑपथैल्मोलॉजी
इस सब्जेक्ट में आप आंख की रचना और उसके काम करने के तरीकों के बारे में बताया जाता है। इस विषय में आंखों की विभिन्न बीमारियों और उनके इलाज के बारे में भी काफी जानकारी दी जाती है।

अनेस्थेसियोलॉजी
अनेस्थेसियोलॉजी विषय में आपको चेतना के साथ या चेतना के बिना अर्थात होश में या बेहोश करके, पूरे शरीर या शरीर के किसी अंग में दर्द महसूस होने या न होने के बारे में जानकारी दी जाती है ताकि पेशेंट्स के मेजर-माइनर ऑपरेशन्स किये जा सकें।

ह्यूमन फिजियोलॉजी
ह्यूमन फिजियोलॉजी विषय मनुष्यों पर मैकेनिकल, फिजिकल, बायोइलेक्ट्रिकल या बायोकेमिकल फंक्शन्स के प्रभाव के बारे में जानकारी देता है। इसके अलावा मेडिसिन ग्रेजुएट्स को अन्य कई विषय पढ़ाए जाते हैं, छात्र इनमें से किसी एक विषय में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।

क्‍या है करियर स्‍कोप
इस क्षेत्र में डिग्री करने के बाद चाहे वह किसी प्राइवेट सेक्‍टर में हो या फिर गवर्नमेंट सेक्टर में करियर बेहतर होता है। डॉक्टर्स को अपने स्किल्स की वजह से सम्मान और विशेष पहचान मिलती है। भारत में निरंतर विकास हो रहा है और हेल्थ केयर फैसिलिटीज की तरफ खास ध्यान दिया जा रहा है। जहां पर आप जॉब कर अच्‍छा करियर बना सकते हैं।

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